DMT : सूरत : (03 अप्रैल 2023) : –
कांग्रेस नेता राहुल गांधी मानहानि केस में सोमवार को गुजरात के सूरत की एक कोर्ट में याचिका दाखिल की.
कोर्ट पहुंचने के करीब आधे घंटे बाद राहुल गांधी परिसर से बाहर निकले. उनके साथ समर्थकों की भीड़ थी. राहुल बाहर आकर मुस्कुराए. इंतज़ार कर रही भीड़ की तरफ़ हाथ हिलाया और बाहर चले गए.
राहुल गांधी ने मानहानि केस में ख़ुद को दोषी ठहराए जाने और दो साल की सज़ा दिए जाने को लेकर चुनौती दी है.
कोर्ट से बाहर आने के बाद राहुल गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया.
राहुल गांधी ने लिखा, “ये ‘मित्रकाल’ के विरुद्ध, लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है.इस संघर्ष में, सत्य मेरा अस्त्र है, और सत्य ही मेरा आसरा!”
राहुल गांधी के इस बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर परोक्ष हमला माना जा रहा है.
राहुल गांधी बीते दिनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कारोबारी गौतम अदानी के संबंधों को लेकर सवाल उठाते रहे हैं.
वो ‘मित्रकाल’ के नाम से वीडियो भी जारी करते रहे हैं. मानहानि के जिस मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराया गया, उसमें भी उनके चार साल पुराने बयान को मानहानि की वजह माना गया.
इसमें राहुल गांधी ने कथित तौर पर ‘मोदी सरनेम’ को लेकर टिप्पणी की थी. राहुल ने कथित तौर पर कहा था, ‘कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी है?’
वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी पर आरोप लगया है कि वो कोर्ट पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
राहुल गांधी को बीती 23 मार्च को सूरत की एक कोर्ट ने मानहानि के चार साल पुराने केस में दो साल की सज़ा सुनाई थी. उसी दिन उन्हें जमानत भी मिल गई थी. कोर्ट ने उन पर 15 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
कोर्ट ने राहुल गांधी को ऊपरी अदालत में अपील के लिए 30 दिन का वक़्त दिया था.
कोर्ट के सज़ा सुनाने जाने के एक दिन बाद लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना के जरिए जानकारी दी थी कि राहुल गांधी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है. राहुल गांधी साल 2019 में केरल की वायनाड सीट से लोकसभा के लिए चुने गए थे.
वकील पानवाला ने बताया, “आज हमने राहुल गांधी की ओर से उन्हें दोषी ठहराए जाने और सज़ा के ख़िलाफ़ एक अपील दायर की. सजा पर स्टे के मामले सुनवाई हुई. जमानत याचिका पर भी सुनवाई हुई.”
उन्होंने बताया, “कोर्ट ने राहुल गांधी की जमानत मंजूर कर ली. सज़ा पर स्टे लगा दिया.”
“(राहुल गांधी को) दोषी ठहराए जाने के मामले में स्टे देने की याचिका पर सुनवाई 13 अप्रैल को होगी.”
उन्होंने बताया, “जब तक (राहुल गांधी को) दोषी ठहराए जाने का फ़ैसला निलंबित नहीं होगा तब तक राहुल जी की संसद की सदस्यता वापस नहीं आ सकती. तब तक वो डिस्क्वालिफ़ाई रहेंगे.”
उन्होंने आगे कहा, “फरियादी (याचिकाकर्ता) को निर्देश दिया गया है कि वो 10 अप्रैल तक अपना जवाब दें.”
राहुल गांधी सोमवार को ही विमान के जरिए सूरत पहुंचे. राहुल गांधी के साथ उनकी बहन प्रियंका गांधी भी थीं.
एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता उनकी आगवानी के लिए मौजूद थे. इनमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत और कई दूसरे सीनियर कांग्रेस नेता शामिल थे.
बीजेपी ने क्या कहा?
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री और बीजेपी के नेता किरेन रिजिजू ने आरोप लगाया कि कोर्ट पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी ‘ड्रामा कर रही है.’
उन्होंने कहा, “भारत के इतिहास में कोर्ट के ऊपर इस तरह का दबाव किसी नेता किसी दल ने आज तक नहीं किया. कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव जी को जब दोषी ठहराया गया तब इस तरह का हाय तौबा मचाया गया था क्या? उस समय कांग्रेस के लोग जुलूस निकालकर कोर्ट में गए थे क्या?”
उन्होंने कहा, “एक आदमी और एक परिवार दल से ऊपर और देश से ऊपर, ये हमारे लोकतंत्र के लिए अच्छा चित्र नहीं है.”
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जो कर रहे हैं, वो ठीक नहीं है.
क्या है मामला?
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सूरत की एक कोर्ट ने 2019 के एक मामले में 23 मार्च 2023 को सज़ा सुनाई.
ये मामला ‘मोदी सरनेम’ को लेकर उनकी एक टिप्पणी से जुड़ा हुआ है.
राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार की एक चुनावी सभा में कथित तौर पर बयान दिया था, “कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी है?”
राहुल गांधी के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत केस दर्ज किया गया था. भारतीय दंड विधान की धारा 499 में आपराधिक मानहानि के मामलों में अधिकतम दो साल की सज़ा का प्रावधान है.
इस मामले में गुजरात सरकार के पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने याचिका दाखिल की थी.
क्यों रद्द हुई लोकसभा सदस्यता?
राहुल गांधी को सज़ा होने के बाद 24 मार्च को लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी की और बताया कि राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है.
अधिसूचना में बताया गया कि केरल की वायनाड लोकसभा सीट के सांसद राहुल गांधी को सज़ा सुनाए जाने के दिन यानी 23 मार्च, 2023 से अयोग्य करार दिया जाता है.
ऐसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किया गया है.