DMT : अफ़ग़ानिस्तान : (08 मार्च 2023) : –
भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान को बीस हज़ार मीट्रिक टन गेहूं भेजने का फ़ैसला किया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बीते मंगलवार प्रेस रिलीज़ जारी करके बताया है कि ये फ़ैसला सात मार्च को हुई भारत-मध्य एशिया संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक में लिया गया है.
भारत ने इससे पहले पाकिस्तान के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान को गेंहू भेजे हैं.
लेकिन पाकिस्तान के साथ किए गए इस मामले में समझौते की मियाद पूरी होने की वजह से भारत ने चाबहार पोर्ट के रास्ते गेहूं भेजने का फ़ैसला किया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि अफ़ग़ानिस्तान इस समय जिस खाद्य संकट से जूझ रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व खाद्य कार्यक्रम के साथ अपनी साझेदारी की घोषणा की है.
इसके तहत भारत अफ़ग़ानिस्तान की जनता के लिए बीस हज़ार मीट्रिक टन गेहूं चाबहार पोर्ट से भेजेगा.
इस बैठक में भारत, कज़ाख़्स्तान, किर्गिज़ गणराज्य और ताजिकिस्तान के साथ-साथ तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के शीर्ष अधिकारी और दूत शामिल हुए थे.
भारत और मध्य एशिया के देशों के बीच इस बैठक को लेकर पिछले साल जनवरी में हुए भारत-मध्य एशिया सम्मेलन के दौरान सहमति बनी थी.
साल भर पहले हुए सम्मेलन में तय किया गया था कि अफ़ग़ानिस्तान पर एक विशेष संपर्क समूह भी बनाया जाएगा.
पाकिस्तान के साथ समझौता
भारत सरकार ने इससे पहले साल 2021 में विश्व खाद्य कार्यक्रम के साथ अफ़ग़ानिस्तान में जारी मानवीय संकट को ध्यान में रखते हुए 50 हज़ार मीट्रिक टन गेहूं भेजने का समझौता किया था.
इस गेहूं को पाकिस्तान के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान तक पहुँचाया जाना था. शुरुआती दौर में पाकिस्तान इसे लेकर सहज नहीं था.
इस मसले पर भारत और पाकिस्तान के बीच कई महीनों तक बातचीत हुई जिसके बाद अफ़ग़ानिस्तान के खाद्य संकट को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान ने भारत को रास्ता देने का फ़ैसला किया था.
ये समझौता इमरान ख़ान सरकार के साथ किया गया था और साल 2022 के अप्रैल महीने में इमरान ख़ान सरकार सत्ता से बाहर हो गई.
इसके बाद पाकिस्तान में आई बाढ़ के चलते गेहूं भेजने के लिए मिला रास्ता उपलब्ध नहीं हो सका.
आख़िरकार इस समझौते की मियाद ख़त्म हो गई और इसे आगे बढ़ाने के लिए की गई बातचीत किसी नतीज़े पर नहीं पहुँची.
क्या बोला तालिबान
तालिबान ने भारत सरकार के इस फ़ैसले का स्वागत किया है.
ये पहला मौक़ा है, जब भारत तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद चाबहार के रास्ते उसे मदद भेज रहा है.
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने विऑन न्यूज़ से कहा है, ”चाबाहार के ज़रिए भारत अफ़ग़ानिस्तान में 20 हज़ार मीट्रिक टन गेहूँ भेज रहा है. यह एक सराहनीय क़दम है. इस तरह की मदद से दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ेगा और द्विपक्षीय संबंध मज़बूत होंगे.”
भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में अभी तालिबान को मान्यता नहीं दी है लेकिन मोदी सरकार ने बातचीत कभी बंद नहीं की थी.
अमेरिकी थिंक टैंक द विल्सन सेंटर में साउथ एशिया के निदेशक माइकल कगलमैन ने चाबहार के ज़रिए अफ़ग़ानिस्तान में भारत के गेहूं भेजने के फ़ैसले को एक बड़ी प्रगति बताया है.
उन्होंने लिखा है, ”ग्वादर बनाम चाबाहार की प्रतिस्पर्धा लंबे समय से रही है. इन पोर्टों को लेकर बातें ख़ूब होती रही हैं लेकिन हाल के समय में चाबाहार वाक़ई ज़मीन पर उतर चुका है. यह हालिया प्रगति वाक़ई बड़ी है. भारत चाबाहार के ज़रिए अफ़ग़ानिस्तान को मदद भेज रहा है.”
भारत सरकार ने इसी बैठक में संयुक्त राष्ट्र की ड्रग्स और उससे जुड़े अपराधों पर नज़र रखने वाली संस्था यूएनओडीसी के साथ भी क़रार किया है.
इस समझौते के तहत भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था से जुड़े अधिकारियों समेत अन्य कर्मचारियों की क्षमताओं के विकास के लिए एक विशेष कोर्स डिज़ाइन करेगी.
इसके साथ ही भारत सरकार ड्रग्स की तस्करी रोकने और ड्रग्स लेने वालों, विशेष रूप से अफ़ग़ानी महिलाओं के पुनर्वास में सहयोग करेगी.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक़, विदेश मंत्रालय की रिलीज़ में इस बारे में जानकारी ज़रूर दी गई है लेकिन ये स्पष्ट नहीं किया गया है कि ये ट्रेनिंग कोर्स काबुल स्थित भारतीय मिशन की ओर से कराए जाएंगे, जहाँ भारत की तकनीकी टीम मौजूद है. या इस कोर्स को करने के लिए भारत अफ़ग़ानिस्तान के नागरिकों को वीज़ा उपलब्ध कराएगा.
ये बात इसलिए अहम है क्योंकि भारत ने साल 2021 में तालिबानी सरकार आने से पहले जारी किए गए सभी वीज़ा रद्द कर दिए हैं.
तालिबानी सरकार आने के बाद से अफ़ग़ानिस्तान के छात्रों या अन्य नागरिकों को भारत का वीज़ा नहीं दिया गया है.
संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स एवं अपराध कार्यालय की रिपोर्ट्स के मुताबिक़, तालिबान का नियंत्रण होने के बाद से अफ़ग़ानिस्तान में अफीम का उत्पान लगभग एक तिहाई बढ़ गया है.
दुनिया की 80 फीसद से ज़्यादा अफीम और हेरोइन की तस्करी अफ़ग़ानिस्तान से की जाती है.
मध्य एशिया में अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देशों के लिए ड्रग्स की तस्करी और चरमपंथ अफ़ग़ानिस्तान से जुड़ी चिंताओं में सबसे अहम है.
पाकिस्तान-तालिबान रिश्ते और भारत
अब से लगभग दो साल पहले अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी नेतृत्व वाली गठबंधन सेनाओं की वापसी के वक़्त पाकिस्तान में इसे उसकी कूटनीति की जीत के रूप में देखा गया था.
साल 2021 के अगस्त महीने में काबुल पर तालिबान का नियंत्रण होने के साथ ही पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के मुखिया जनरल फ़ैज हमीद को काबुल पहुंचे थे.
जनरल फ़ैज़ हमीद उस वक़्त काबुल पहुंचे थे जब तालिबान के अंदर अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता को लेकर संघर्ष शुरू होने की ख़बरें आई थीं.
ऐसे माहौल में पाक सैन्य अधिकारी के काबुल पहुंचने को तालिबान पर पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव के रूप में देखा गया था.
ठीक इसी वक़्त चिंताएं जताई गयी थीं कि अगर भारत अपने पड़ोसी देश अफ़ग़ानिस्तान से कूटनीतिक रूप से बाहर हो जाता है तो उसके लिए सुरक्षा से जुड़े नए संकट पैदा हो सकते हैं.
हालांकि, भारत ने इन चिंताओं को दरकिनार करते हुए अफ़ग़ानिस्तान के साथ बातचीत जारी रखी हुई है.
लेकिन पिछले कुछ महीनों से अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बीच डूरंड लाइन को लेकर विवाद भड़कता जा रहा है.
और हाल ही में कई जगहों पर दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी होने की ख़बरें भी आई हैं.