DMT : पंजाब : (23 मार्च 2023) : –
वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह को पुलिस पांच दिन बाद भी पकड़ नहीं सकी है. बुधवार को पंजाब पुलिस ने उस मोटरसाइकिल को बरामद कर लिया जिसे कथित तौर पर अमृतपाल सिंह ने बचकर निकलने के लिए इस्तेमाल किया था.
पुलिस ने उनकी पत्नी किरनदीप कौर से भी पूछताछ की है. किरनदीप कौर एनआरआई हैं. पुलिस ने उनसे संगठन को होने वाली फंडिंग के बारे में पूछताछ की है.
पुलिस ने बताया है कि अमृतपाल सिंह जिस मोटरसाइिकल से बच कर निकले उसे जालंधर में एक नहर के पास बरामद किया गया है.
जालंधर के एसएसपी स्वर्णदीप सिंह ने बताया है कि अमृतपाल कथित तौर पर मोटरसाइकिल छोड़कर फिल्लौर की ओर भाग गए हैं.
अमृतपाल सिंह के संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ से जुड़े पांच लोगों पर एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लगाया गया है और उन्हें असम जेल भेज दिया गया है.
पुलिस ने 18 मार्च को जालंधर के शाहकोट इलाके में अमृतपाल सिंह के काफ़िले को रोक दिया था और उनके कुछ साथियों को गिरफ़्तार कर लिया था.
लेकिन पुलिस के दावे के मुताबिक़ अमृतपाल सिंह वहां से फ़रार हो गए, जबकि उनके पिता तरसेम सिंह ने भी कहा था कि ‘उन्हें गिरफ़्तार किया गया होगा, शायद पुलिस नहीं बता रही है’.
पुलिस के मुताबिक़, अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह समेत डेढ़ सौ से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए गए 5 लोगों पर एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून) लगाया गया है.
बीबीसी की टीम ने पंजाब के अलग-अलग गांवों में रहने वाले इन लोगों के परिवारों और उनके गांव के लोगों से बात की.
इनमें से तीन अभियुक्त साधारण परिवारों से ताल्लुक़ रखते हैं. एक शख़्स अभिनेता है. जबकि पांचवें व्यक्ति अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह हैं.
कौन हैं अमृतपाल सिंह?
आइए जानते हैं उन पांच लोगों के बारे में जिन पर ‘रासुका’ लगाया गया है.
बसंत सिंह- दौलतपुरा
पंजाब के मोगा ज़िले के दौलतपुरा उचा निवासी 22 साल के बसंत सिंह को पंजाब पुलिस ने एनएसए एक्ट के तहत गिरफ़्तार किया है.
वह एक दलित सिख परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने एक निजी बैंक में काम करना शुरू किया. फिर उन्होंने एक कीटनाशक फ़र्म के लिए भी काम किया.
बीबीसी संवाददाता जब दौलतपुरा उचा गांव पहुंचे तो वहां के पूर्व सरपंच सुरजीत सिंह ने बताया कि उनके बेटे पिछले दो-तीन महीने से कभी-कभार ही घर आते थे. वह ज़्यादातर ‘वारिस पंजाब दे’ प्रमुख अमृतपाल सिंह के गांव जल्लूखेड़ा के नशामुक्ति केंद्र में रहते थे.
उन्होंने कहा कि बाद में वह बरनाला के चीमा गांव में एक और नशामुक्ति केंद्र चलाने चले गए.
सुरजीत सिंह ने कहा, ”मुझे पुलिस ने बताया कि मेरे बेटे को चीमा गांव से गिरफ़्तार किया गया है.”
उन्होंने कहा कि बसंत सिंह किसान आंदोलन के दौरान साथी अभिनेता दीप सिद्धू से प्रेरित हुए और उनके साथ जुड़ गए और फ़िर अमृतपाल सिंह के साथ चले गए.
सुरजीत सिंह ने यह भी बताया कि पहले बसंत के बाल काटे गए थे.
उन्होंने अपने बेटे को बेगुनाह बताते हुए पूछा कि उनके बेटे को असम की जेल में क्यों भेजा गया. पंजाब की जेल में वापस लाया जाना चाहिए.
उन्होंने अपने बेटे के लिए न्याय की मांग की और कहा कि बसंत ने कोई अपराध नहीं किया है.
सुरजीत सिंह ने कहा कि उनका बेटा नशे के ख़िलाफ़ मुहिम चला रहा था.
अमृतपाल सिंह मामले में अब तक क्या हुआ?
गुरमीत सिंह – बुकर
38 साल के गुरमीत सिंह मोगा ज़िले के बुकनवाला गांव के रहने वाले हैं और जाट सिख परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं.
पंजाब पुलिस ने गुरमीत सिंह के ख़िलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत मामला दर्ज कर उन्हें असम जेल भेज दिया है.
वह पिछले पांच साल से मोगा ज़िले के गांव सिंघावाला निवासी अपने साले तरणदीप सिंह के साथ साझेदारी में फ़र्नीचर की दुकान चला रहे थे.
उसकी गिरफ़्तारी को लेकर गांव के लोगों में तनाव पैदा हो गया है क्योंकि लोग इस बारे में कम से कम बात करना चाहते हैं.
गांव के बुज़ुर्गों ने बीबीसी को बताया कि गुरमीत सिंह हमेशा गांव के युवाओं को ड्रग्स लेने से रोकते थे.
उनका घर गांव के बाहरी इलाके में है जहां उनका परिवार रहता है.
उनके पिता राजस्व विभाग से पटवारी के पद से रिटायर हुए थे.
गुरमीत सिंह की दो बेटियां हैं. और उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की है.
उनके पिता ने कहा कि गुरमीत सिंह को उनकी दुकान से गिरफ़्तार किया गया. आरोप है कि बाद में उनके दामाद को भी पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया.
पिता ने बताया कि गुरमीत सिंह दिल्ली में साल भर चले किसान आंदोलन के दौरान अभिनेता दीप सिद्धू के संपर्क में आए थे.
उनके मुताबिक़, गुरमीत का परिवार ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन की गतिविधियों से अनजान है और वो अमृतपाल से व्यक्तिगत रूप से कभी नहीं मिले.
हालांकि पुलिस सूत्रों ने बताया है कि गुरमीत सिंह, अमृतपाल सिंह के नेतृत्व वाले ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के अहम सदस्य हैं.
दलजीत सिंह कलसी एक फ़िल्म अभिनेता हैं जिन्होंने कई पंजाबी फ़िल्मों में अभिनय किया है.
वह दिवंगत अभिनेता दीप सिद्धू के सबसे क़रीबी साथी रहे हैं.
दीप की मौत के बाद उनके कई दोस्त उसके भाई मनदीप सिंह के साथ चले गए, लेकिन कलसी अमृतपाल सिंह के साथ खड़े रहे.
उन्होंने अमृतपाल सिंह को ‘वारिस पंजाब दे’ संस्था का प्रधान बनाए जाने का समर्थन किया.
कलसी को पंजाब पुलिस ने एनएसए एक्ट के तहत गिरफ़्तार कर असम जेल भेज दिया है.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन को आर्थिक मदद मुहैया कराने के मामले में उनके ख़िलाफ़ जांच की जा रही है.
उन्होंने 2017 में रिलीज़ हुई पंजाबी फ़िल्म ‘सरदार साब’ में मुख्य भूमिका निभाई थी.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि कलसी फ़िलहाल गुड़गांव में रह रहे थे.
अपने फे़सबुक प्रोफ़ाइल में कलसी ने कहा कि वह ऑल टाइम मूवीज़ प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के डायरेक्टर हैं और दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़े हैं.
उन्होंने अपने फे़सबुक पर लिखा है कि वे अमृतसर के रहने वाले हैं.
भगवंत सिंह उर्फ प्रधानमंत्री बाजेक
भगवंत सिंह उर्फ़ प्रधानमंत्री बाजेक सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट करने को लेकर चर्चा में आ गए.
वह टिकटॉक, यूट्यूब, फे़सबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर वीडियो बनाकर अपलोड करते थे.
बाजेक एक किसान परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं.
वह ‘प्रधानमंत्री बाजेक’ नाम से एक सोशल मीडिया पेज चलाते हैं, जिस पर वे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर व्यंग्य वीडियो अपलोड करते हैं.
वे चौथे अभियुक्त थे जिसे एनएसए एक्ट के तहत दर्ज मामले में पंजाब सरकार ने गिरफ़्तार किया है. उन्हें असम जेल ले जाया गया है.
अमृतपाल सिंह के संपर्क में आने से पहले वे बाल कटवाते थे, लेकिन अमृतपाल सिंह से मिलने के बाद उन्होंने अमृत-पान (सिख बनने का एक संस्कार) किया.
भगवंत सिंह के ख़िलाफ़ कई आपराधिक मामले भी दर्ज़ हैं, जिनमें से ज़्यादातर धरमकोट थाने में दर्ज़ हैं.
मोगा पुलिस ने भगवंत सिंह को उस समय गिरफ़्तार किया जब वह अपने खेत में काम कर रहे थे.
भगवंत ने पुलिस से भागते हुए अपना एक वीडियो भी शूट किया था और उसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर दिया था.
गांव के सरपंच हरनेक सिंह ने बताया कि भगवंत सिंह एक छोटे किसान परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं और अपने परिवार की ज़मीन पर खेती करते हैं.
उनके पड़ोसी हरजिंदर सिंह ने बीबीसी को बताया कि भगवंत का गांव में किसी से कोई झगड़ा नहीं था और सरकार को उनके परिवार के साथ न्याय करना चाहिए.
हरजीत सिंह
अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह ने रविवार रात पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया.
माना जाता है कि अमृतपाल अपने चाचा हरजीत सिंह के सबसे क़रीब हैं.
हाल ही में हरजीत सिंह ने बीबीसी को बताया कि उनका दुबई में ट्रांसपोर्ट का कारोबार है.
इस धंधे में उसके साथ अमृतपाल और उसके पिता तरसेम सिंह भी जुड़े हुए हैं.
अमृतपाल सिंह का मानना है कि परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने में हरजीत सिंह का बहुत बड़ा योगदान है.
पिछले कई महीनों से हरजीत सिंह और उनके बड़े भाई तरसेम सिंह पंजाब में हैं और ज़्यादातर समय अपने गांव जल्लूखेड़ा में बिताते हैं.
उन्हें भी एनएसए के तहत असम जेल भेजा गया है.