DMT : ईरान : (02 अप्रैल 2023) : –
ईरान में दो महिलाओं पर दही फेंकने के बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया है. माना जा रहा है कि महिलाओं ने अपने बाल नहीं ढंके थे जिस कारण उन्हें गिरफ़्तार किया गया है.
इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें एक शख़्स बात करने के लिए दो महिला ग्राहकों के पास आता दिखता है. कुछ ही देर में वो गुस्से में दुकान में रखी दही को दोनों महिलाओं के सिर पर फेंक देता है.
ईरान की न्यायपालिका ने कहा कि दोनों महिलाओं ने अपने बाल सार्वजनिक तौर पर दिखाए थे जिसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया है. ईरान में महिलाओं के लिए अपने बाल सार्वजनिक तौर पर दिखाना अवैध है.
वहीं, महिलाओं पर दही फेंकने वाले शख़्स को सार्वजनिक जगह पर हंगामा करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है.
ईरान में ये गिरफ़्तारी देश में महीनों तक चले हिजाब विरोधी प्रदर्शन के बाद हुई है.
ईरान की न्यायपालिका ने कहा है कि इस मामले में दुकान के मालिक को भी नोटिस जारी किया गया है ताकि क़ानून का पालन सुनिश्चित किया जा सके.
ईरान में हिजाब के बिना महिलाओं का बाहर निकलना अवैध है. हालांकि, कुछ बड़े शहरों में इस नियम के बावजूद महिलाएं बिना हिजाब पहने घूमते देखी जा सकती हैं.
बीते साल सितंबर महीने में 22 साल की महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद ईरान में हिजाब के ख़िलाफ़ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे.
ऐसा दावा किया गया कि महसा अमीनी को ठीक से हिजाब न पहनने की वजह से हिरासत में लिया गया था.
रईसी बोले- हिजाब धार्मिक तौर पर ज़रूरी
चश्मदीदों का कहना था कि पुलिस वैन में उन्हें बुरी तरह पीटा गया था जिसके बाद वो कोमा में चली गई थीं.
हालांकि, ईरान की पुलिस ने इन आरोपों का खंडन करते हुए बताया था कि अमीनी का ‘तुरंत हार्ट फ़ेलियर हुआ था.’
हज़ारों प्रदर्शनकारियों को अब तक गिरफ़्तार किया जा चुका है और दिसंबर में चार प्रदर्शनकारियों को फांसी को सज़ा भी दी गई. लेकिन, अधिकारियों की तरफ़ से नरमी के कोई संकेत नहीं हैं.
एक कट्टरपंथी ईरानी सांसद होसैन अली ने न्यायपालिका को अगले 48 घंटों के अंदर नियमों का उल्लंघन करने पर रोक लगाने के उपाय लेकर लाने की चेतावनी दी है.
शनिवार को ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने फिर से कहा कि ईरान की महिलाओं का हिजाब पहनना ‘धार्मिक तौर पर ज़रूरी है.’
एएफ़पी समाचार एजेंसी के मुताबिक उन्होंने कहा, ”हिजाब एक क़ानूनी मसला है और इसका पालन अनिवार्य है.”
महसा अमीनी की मौत का मामला
महसा अमीनी की मौत को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों की गूंज देश ही नहीं विदेशों में भी सुनाई दी थी.
उनकी मौत के ख़िलाफ़ पूरे देश में प्रदर्शन शुरू हुए, जिसे दंगा क़रार देते हुए ईरानी प्रशासन ने लगातार सख़्ती बरतना शुरू कर दिया था.
ईरान में ये प्रदर्शन भले ही हिजाब को लेकर सख़्ती और पुलिस ज़्यादती के ख़िलाफ़ शुरू हुए थे, लेकिन देखते ही देखते ग़रीबी, बेरोज़गारी, ग़ैर-बराबरी, अन्याय और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे प्रदर्शन के एजेंडे में शामिल होते गए.
ईरान की सरकार पर बढ़ते दबाव के बाद एक बड़ा फ़ैसला लेते हुए ‘मोरैलिटी पुलिस’ की व्यवस्था को ख़त्म कर दिया गया.
‘मोरैलिटी पुलिस’ ईरान की पुलिस व्यवस्था का वो हिस्सा है जो इस्लामिक क़ानूनों और ड्रेस कोड को लागू करना सुनिश्चित करती थी.
हालांकि मोरैलिटी पुलिस की व्यवस्था ख़त्म करने के बावजूद माना जा रहा था कि इससे ईरान में दशकों पुराने इस्लामिक क़ानूनों की सख़्ती में कोई बदलाव नहीं आएगा.
ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद मोरैलिटी पुलिस के कई रूप देखने को मिले. लेकिन इसका हालिया रूप ग़श्त-ए-इरशाद सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा. ईरानी पुलिस का यही वो हिस्सा है जो महिलाओं को हिजाब पहनाने के साथ इस्लामिक क़ानूनों को सख़्ती से लागू कराना सुनिश्चित कर रहा था.
इन्होंने 2006 से ही अपनी पेट्रोलिंग शुरू कर दी थी. इस दौरान ये लोग तय करते थे कि कोई भी महिला बिना हिजाब के नहीं निकले. महिलाएं शॉर्ट्स, फटी हुई जीन्स की बजाय पूरी लंबाई तक के कपड़े पहनें.
साल 1979 की क्रांति के बाद से ही ईरान में सामाजिक मुद्दों से निपटने के लिए ‘मोरैलिटी पुलिस’ कई स्वरूपों में मौजूद रही है.
इनके अधिकार क्षेत्र में महिलाओं के हिजाब से लेकर पुरुषों और औरतों के आपस में घुलने-मिलने का मुद्दा भी शामिल रहा है.
1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति के बाद यह क़ानून बना दिया गया था कि महिलाओं को इस्लामी तरीक़े से कपड़े पहनने होंगे. इसके बाद यह ज़रूरी हो गया कि महिलाएं चादर ओढ़ें जो उनके शरीर को ढंके रहे, साथ ही हेड स्कार्फ़ या हिजाब या बुर्क़ा पहनें.
हालिया सालों में ईरान में हिजाब की अनिवार्यता को लेकर कई अभियान चलाए गए हैं लेकिन ईरान की धार्मिक मामलों की पुलिस ने ड्रेस कोड का पालन न करने के आरोपों में कई बार कड़ी कार्रवाई की है जिसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
ईरान में हिजाब को लेकर सरकारी नियम क़ायदों को एक तरफ़ रख दें, तो इसके अलावा दर्जनों ऐसी चीज़ें हैं जिसे लेकर महिलाएँ आज़ाद नहीं हैं. ईरान में महिलाएं स्विमसूट पहनकर बीच पर नहा नहीं सकती हैं.
वैसे तो ईरान में महिलाओं को फुटबॉल मैच देखने से रोकने के लिए कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं है, लेकिन उन्हें स्टेडियमों में दाखिल होने से रोका जाता है. ईरानी क्रांति से पहले वहां ऐसी कोई रोक नहीं थी.