किरेन रिजिजू की क़ानून मंत्रालय से छुट्टी, क्या न्यायपालिका से टकराव थी वजह?

Hindi New Delhi

DMT : नई दिल्ली : (18 मई 2023) : –

अपने बयानों के कारण सुर्ख़ियों में रहने वाले बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के हाथों से क़ानून मंत्रालय चला गया है.

किरेन रिजिजू से क़ानून मंत्रालय लेकर उन्हें अर्थ साइंसेस यानी पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय दिया गया है.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दफ़्तर से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की सलाह पर केंद्रीय मंत्री का विभाग बदला गया है.

रिजिजू की जगह अब अर्जुन राम मेघवाल क़ानून मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संभालेंगे.

साथ ही पहले से मिले विभाग भी उनके पास ही रहेंगे.

मंत्रालय बदलने के बाद किरेन रिजिजू ने प्रधानमंत्री मोदी और चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का शुक्रिया अदा किया.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, “प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में क़ानून मंत्री के रूप में काम करना मेरे लिए सम्मान की बात है. मैं चीफ़ जस्टिस समेत सुप्रीम कोर्ट के जजों, हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस, निचले कोर्ट के जजों और सभी क़ानून अधिकारियों का भी शुक्रगुज़ार हूँ. मैं अर्थ साइंसेज मंत्रालय में भी उसी उत्साह से काम करूँगा, जैसा बीजेपी कार्यकर्ता के रूप में करता रहा हूँ.”

मंत्रालय बदले जाने पर प्रतिक्रिया

आगे किरेन रिजिजू के विवादित बयानों के बारे में जानेंगे, लेकिन उससे पहले जानते हैं इस घटनाक्रम पर विपक्ष की क्या प्रतिक्रिया आ रही है.

पूर्व क़ानून मंत्री और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस पर चुटकी ली है.

सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा, “किरेन रिजिजू: क़ानून मंत्री नहीं, अब पृथ्वी विज्ञान मंत्री बन गए हैं. क़ानून के पीछे का विज्ञान समझना आसान नहीं है, अब वो विज्ञान के पीछे का क़ानून समझने की कोशिश करेंगे. गुड लक मेरे दोस्त.”

वहीं कांग्रेस के सांसद और लोकसभा में पार्टी के चीफ़ व्हिप मणिकम टैगोर ने कहा कि खेल मंत्री के रूप में वो सफल रहे, लेकिन क़ानून मंत्री के रूप में किरेन रिजिजू नाकाम रहे हैं. उनके बयानों से जुडिशियल कम्युनिटी को ग़लत संदेश गया था.

उन्होंने कहा, “वो राहुल गांधी को ट्रोल कर रहे थे, न कि वो कर रहे थे जो एक मंत्री को करना चाहिए.”

उन्होंने कहा, “वो अच्छे आदमी हैं, लेकिन वो ग़लत रास्ते पर जा रहे थे. दरअसल प्रधानमंत्री उनके कंधों पर बंदूक रख कर न्याय व्यवस्था पर हमले कर रहे थे.”

“उनके बयान से कार्यकारिणी और न्याय व्यवस्था के बीच टकराव की स्थिति बन रही थी. उन्हें कॉलेजियम सिस्टम के ख़िलाफ़ बयान नहीं देना चाहिए था.”

शिव सेना उद्धव ठाकरे गुट की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने सवाल किया है, “ये महाराष्ट्र से जुड़े फ़ैसले के कारण जो शर्मिंदगी हुई, उसके कारण है या फिर ‘मोदानी’ और सेबी की जाँच मामले का असर है?”

‘मोदानी’ शब्द के इस्तेमाल कर वो मौजूदा सरकार पर तंज कस रही हैं और अदानी को पीएम मोदी का क़रीबी बता रही हैं.

किरेन रिजिजू के विवादित बोल

बीबीसी हिंदी

कॉलेजियम प्रक्रिया ‘संविधान से परे’

बीते साल किरेन रिजिजू ने जजों की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया को ही ‘संविधान से परे’ बताया था.

उन्होंने कहा था “मैं न्यायपालिका या न्यायाधीशों की आलोचना नहीं कर रहा हूँ. मैं सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की मौजूदा प्रणाली से ख़ुश नहीं हूँ. कोई भी प्रणाली सही नहीं है. हमें हमेशा एक बेहतर प्रणाली की दिशा में प्रयास करना और काम करना है.”

उनका कहना था कि व्यवस्था को जवाबदेह होना चाहिए और अगर ये सिस्टम पारदर्शी नहीं है, तो इसके बारे में क़ानून मंत्री नहीं बोलेगा तो कौन बोलेगा.

इस मामले को लेकर विपक्षी पार्टियां, बीजेपी पर हमलावर हो गई थीं.

केजरीवाल ने इसे बहुत ख़तरनाक बताते हुए कहा था कि जजों की नियुक्ति में किसी भी तरह का सरकारी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि ये न्यायपालिका को डराने और अंत में इस पर पूरा क़ब्ज़ा करने के लिए किया जा रहा है.

संसद पर छोड़ा जाए समलैंगिक शादी का मसला

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इसी साल 27 अप्रैल को समलैंगिक शादी को लेकर कोर्ट में चल रही सुनवाई पर उन्होंने कहा, “शादी जैसे मामलों को निपटाने के लिए अदालतें मंच नहीं हो सकतीं.”

एक टीवी कार्यक्रम में शामिल हुए रिजिजू ने कहा, “शादी जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर फ़ैसला देश के लोगों को करना है क्योंकि इस तरह के फ़ैसलों से सभी प्रभावित होते हैं. ये लोगों की इच्छा पर निर्भर करता है और उनकी इच्छा संसद या विधानसभा में दिखती है.”

केंद्र सरकार समलैंगिक शादी को इजाज़त देने के विचार के ख़िलाफ रही है. केंद्र सरकार ने कोर्ट से गुज़ारिश की थी कि ये मामला संसद पर छोड़ दिया जाए.

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अभी कोई फ़ैसला नहीं दिया है.

‘एंटी इंडिया गैंग’

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किरेन रिजिजू कई बार अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं.

इसी साल 18 मार्च को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में किरेन रिजिजू ने कहा कि कुछ रिटायर्ड जज ‘एंटी इंडिया गैंग’ का हिस्सा बन गए हैं.

उन्होंने कहा था, “कुछ रिटायर्ड जज हैं, जो एंटी इंडिया ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं. ये लोग कोशिश कर रहे हैं भारतीय न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका निभाए. इसके ख़िलाफ़ एजेंसियाँ क़ानून के दायरे में रहकर क़दम उठाएँगी. जो लोग देश के ख़िलाफ़ काम करेंगे, उन्हें उसकी क़ीमत चुकानी होगी.”

उनके इस बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट और कई हाई कोर्ट के 300 से अधिक वरिष्ठ वकीलों ने एक बयान जारी कर कहा था, “क़ानून मंत्री रिटायर्ड जजों को धमकी दे कर नागरिकों को ये संदेश देना चाहते हैं कि आलोचना की किसी भी आवाज़ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”

उन्होंने क़ानून मंत्री से अपना बयान वापस लेने को कहा और कहा, “क़ानून मंत्री से इस तरह के दादागिरी भरे बयान की उम्मीद नहीं थी.”

जून 17 को अरुणाचल प्रदेश के पपम पारे में किमिन नाम की एक जगह का नाम बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइज़ेशन (बीआरओ) ने बदल कर बिलगढ़ कर दिया था.

यहाँ रक्षा मंत्री ने 20 किलोमीटर लंबे किमिन-पोटिन रोड समेत कई और परियोजनाओं का उद्घाटन किया था.

उनका कहना था कि दोनों नेताओं ने अरुणाचल प्रदेश स्टेटहुड एक्ट, बंगाल रीजन फ्रंटियर रेगुलेशन और अरुणाचल प्रदेश लैंड सेटलमेन्ट एंड रिकॉर्ड क़ानून का उल्लंघन किया है, जिसके कारण इलाक़े में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया है.

बाद में किरेन रिजिजू ने इसे बीआरओ की तरफ़ से हुई ‘एक गंभीर ग़लती’ करार दिया, वहीं पेमा खांडू ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया.

हिंदू धर्मांतरण नहीं करते’

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फरवरी 2017 में किरेन रिजिजू ने कहा था कि भारत में हिंदुओं की आबादी घट रही है, क्योंकि वो कभी भी धर्मांतरण नहीं करते हैं.

उस समय वो केंद्रीय गृह राज्यमंत्री थे. वो कांग्रेस के उन आरोपों का जवाब दे रहे थे, जिसमें कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी अरुणाचल प्रदेश को हिंदू राज्य बना रही है.

एक ट्वीट कर उन्होंने कहा था, “कांग्रेस इस तरह के ग़ैर जिम्मेदाराना बयान क्यों दे रही है? भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. सभी धार्मिक समुदाय के लोग आज़ादी से और शांतिपूर्ण ढंग से रह रहे हैं.”

उनके इस बयान पर एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताई थी.

उन्होंने कहा, “किरेन रिजिजू को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे सभी भारतीयों के मंत्री हैं, केवल हिंदुओं के नहीं.”

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