DMT : भिवानी और भरतपुर : (23 फ़रवरी 2023) : –
जली हुई बोलेरो कार, कार में जलाए गए दो मुसलमान युवकों के शव और कथित गोरक्षकों पर हत्या के संगीन आरोप.
हरियाणा के भिवानी ज़िले की ये ख़बर पिछले कई दिनों से सुर्ख़ियों में है कि ‘गो तस्करी के आरोप में कुछ कथित गोरक्षकों ने जुनैद और नासिर को जला कर मार दिया.’
हालांकि राजस्थान पुलिस के मुताबिक़ मृतकों के पास कोई गौवंश नहीं मिला है और एफ़आईआर में भी गो तस्करी का ज़िक्र नहीं है.हरियाणा के कई थानों के बीच फंसा हुआ है. यही नहीं हरियाणा पुलिस ने तो राजस्थान पुलिस के ख़िलाफ़ एफ़आईआर तक दर्ज कर दी है. हरियाणा में जहां बीजेपी की सरकार है, वहीं राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है.
कथित गोरक्षक अभियुक्तों के समर्थन में महापंचायत भी बुलाई गई है, लेकिन इन सबके बीच जो मुस्लिम युवक जलाए गए उनके परिवार वाले मातम के बीच इंसाफ़ की गुहार लगा रहे हैं, जो आख़िरी वक्त में नासिर और जुनैद का चेहरा तक नहीं देख पाए.
“भाई का माथा भी नहीं देखा, उसको तो पन्नी (पॉलिथीन) में बंद करके लाए हैं. छोटे-बड़े (नर कंकाल) के हिसाब से भाई की पहचान की. हमने तो शक्ल भी नहीं देखी…हमें तो मिट्टी भी नसीब नहीं हुई. दरवाज़े पर भी नहीं आया. उसकी राख लेकर आए.”
ये कहते हुए नासिर की सबसे बड़ी बहन मामूरी का गला रुंध जाता है.
ऐसा ही दुख घर के आंगन में बेफ़िक्री से खेलते बच्चों के बीच जुनैद की सास बीना का भी है जिनके दामाद जुनैद के जनाज़े के लिए नमाज़ तक नहीं पढ़ी जा सकी.
जुनैद के साले वारिस का कहना है, “जब जनाज़ा ही नहीं निकला तो जनाज़े की नमाज़ कैसे होती?”
इसकी वजह थी कि नासिर और जुनैद के शव जलकर ख़ाक हो चुके थे और शव के नाम पर कुछ हड्डियां बची थीं.
भरतपुर से भिवानी तक कई सवाल
इस घटना के तार राजस्थान के भरतपुर से लेकर हरियाणा के भिवानी तक जुड़े हैं. मीडिया में कई रिपोर्ट्स आ चुकी हैं, लेकिन इस घटना से जुड़े कुछ तथ्य ऐसे हैं जो अब तक सामने नहीं आए हैं.
बीबीसी की टीम जुनैद और नासिर की मौत की पड़ताल के लिए हर उस जगह पर गई जिनसे इस घटना का संबंध है. इस पड़ताल में बीबीसी के सामने कुछ ऐसे चश्मदीद सामने आए जिन्होंने जुनैद और नासिर की मौत को लेकर कई नए तथ्यों को उजागर किया है.
ये तथ्य पुलिस की जांच, अभियुक्तों के दावों पर सवाल खड़े करते हैं.
बीबीसी की टीम सबसे पहले हरियाणा के भिवानी ज़िले के बरवास गांव पहुंची जहां 16 फ़रवरी की सुबह जली हुई बोलेरो कार मिली थी.
जली हुई कार में मिले नरकंकाल
बरवास गांव के रहने वाले अमित उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने सबसे पहले जली हुई कार को देखा.
चश्मदीद अमित बताते हैं, “मुझे यक़ीन नहीं था कि कार के अंदर कंकाल भी हो सकते हैं. गौर से देखा तो अंदर हड्डियां दिख रही थीं. कंकाल के नाम पर बस दांत और जबड़ा ही दिखाई दे रहा था.”
“एक कंकाल ड्राइवर के साथ वाली सीट पर था और दूसरा कंकाल बोलेरो के बीच वाली सीट पर था. “
16 फ़रवरी को जुनैद और नासिर, भिवानी में जल कर राख हो चुके थे, वहीं दूसरी तरफ़ राजस्थान के भरतपुर के घाटमीका गांव में उनके परिवार वाले दोनों की तलाश में जुटे थे.
परिवार वालों का आरोप है कि ‘नासिर और जुनैद का कथित गोरक्षकों ने अपहरण किया. उन्हें बुरी तरह मारा-पीटा. इसके बाद वही कथित गोरक्षक मिल कर दोनों को हरियाणा के फ़िरोजपुर झिरका पुलिस थाने भी ले गए.’
थाने की पुलिस पर आरोप है कि उन्होंने नासिर और जुनैद की एक नहीं सुनी और उन्हें अपनी कस्टडी में लेने की बजाय कथित गोरक्षकों के ही हवाले कर दिया. इसके बाद कथित गोरक्षक दोनों को लेकर लापता हो गए.
हरियाणा की फ़िरोजपुर झिरका पुलिस पर लगे गंभीर आरोपों का जवाब देते हुए पुलिस अधीक्षक वरुण सिंगला का कहना है, “नूह पुलिस पर भी कुछ आरोप लगे हैं जिनकी जांच करने के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उषा कुंडू की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई है.”
लेकिन अहम सवाल ये है कि हरियाणा पुलिस अपने ऊपर लगे आरोपों की जांच ख़ुद कैसे करेगी? बीबीसी से बातचीत में इस सवाल का जवाब अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उषा कुंडू नहीं दे पाईं.
उन्होंने कहा, “पहले जांच करने दीजिए फिर जैसा होगा आपके सामने रखा जाएगा, सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर जांच की जाएगी.”
क्या मोनू मानेसर को बचा रही है हरियाणा सरकार?
परिवार ने कथित गोरक्षकों पर जुनैद और नासिर को ज़िंदा जलाने का आरोप लगाया है. पीड़ित परिवार की तरफ़ से दर्ज एफ़आईआर में मोनू मानेसर का नाम सामने आया है.
ख़ुद को हरियाणा में बजरंग दल के गौरक्षा प्रांत प्रमुख बताने वाले मोनू मानेसर ने सोशल मीडिया के ज़रिए सभी आरोपों को निराधार बताया है.
मोनू मानेसर न्यूज़ चैनलों से वीडियो कॉल पर बात कर रहे हैं बावजूद इसके पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पा रही है. इस सवाल के जवाब में मानेसर (हरियाणा) के डीसीपी मनबीर सिंह ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, “जो क़ानूनी तौर पर ठीक है हम वो कार्रवाई कर रहे हैं.”
जुनैद और नासिर की मौत पर न सिर्फ़ कथित गोरक्षकों पर बल्कि राजस्थान और हरियाणा पुलिस पर भी गंभीर आरोप लग रहे हैं. परिवार का कहना है कि हरियाणा पुलिस ने समय पर कार्रवाई क्यों नहीं की?
परिवार का आरोप है कि क्या कथित गोरक्षकों को हरियाणा सरकार से सरकारी संरक्षण मिल रहा है? क्या जुनैद और नासिर की जान बचाई जा सकती थी?
इन सवालों के पीछे छिपे तथ्यों को समझने के लिए पूरे घटनाक्रम को चश्मदीदों के हवाले से जानना जरूरी है.
घटनाक्रम
14 फ़रवरी, रात के 8-10 बजे- नासिर के छोटे भाई हामिद के मुताबिक़, नासिर और जुनैद घर से जाफ़र की बड़ी बेटी की शादी के लिए लड़का देखने बोलेरो कार से निकले थे. जाफ़र जुनैद के भाई हैं. जुनैद और नासिर का घर राजस्थान के भरतपुर ज़िले के घाटमीका गांव में है.
परिवार के मुताबिक़, बोलेरो कार नासिर के दोस्त हसीन की थी जो हरियाणा के नूह के रहने वाले हैं.
15 फ़रवरी, सुबह के क़रीब 4 बजे- चश्मदीद कासिम का कहना है कि पीरुका गांव (राजस्थान) में सड़क किनारे कुछ लोगों ने नासिर और जुनैद के साथ मारपीट की और उन्हें पकड़कर ले गए. जिस वक्त नासिर और जुनैद को पीरुका से उठाया गया, वहां से क़रीब 200 मीटर की दूरी पर ही कासिम अपनी दुकान में सो रहे थे.
चश्मदीद कासिम ने बताया, “सुबह क़रीब चार बजे थे. एक दम से गाड़ी के एक्सिडेंट की आवाज़ आई. रोने-चीखने की आवाज़ आई तो मैं बाहर आया. तीन गाड़ियां खड़ी थीं.”
“मैंने देखा कि 10-15 लोग थे, वो लाठी डंडों से मारपीट कर रहे थे. जब मैंने साथ के लोगों को आवाज़ लगाई तो वे लोग नौगांव (हरियाणा की तरफ़ जाने का रास्ता) की तरफ़ भाग गए.
जब हम घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां गाड़ी के कुछ टूटे हुए शीशे पड़े मिले. स्थानीय लोगों के मुताबिक़, कुछ टूटे हुए शीशों को जांच के लिए राजस्थान पुलिस ले गई है.
15 फ़रवरी, सुबह के क़रीब 5 बजे- पीरुका गांव से क़रीब 30 किलोमीटर दूर हरियाणा के फ़िरोजपुर झिरका थाने के बाहर काम करने वाले एक चश्मदीद ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “थाने के बाहर तीन कारें खड़ी थीं.”
उन्होंने बताया, “एक बोलेरो के शीशे टूटे हुए थे, साथ में एक दूसरी बोलेरो और एक स्कॉर्पियो भी खड़ी थी. वे लोग थाने के बाहर भी गाड़ी के साथ तोड़फोड़ कर रहे थे.”
बीबीसी से बातचीत में चश्मदीद ने जिस सफ़ेद स्कॉर्पियो का ज़िक्र किया था उसे राजस्थान पुलिस ने बुधवार को हरियाणा के जींद ज़िले से बरामद किया है.
चश्मदीद ने बताया, “क़रीब दस-बीस मिनट बाद ही वे यहां से चले गए.” क्या कार में नासिर और जुनैद को उन्होंने देखा, इस सवाल के जवाब में चश्मदीद ने बताया कि ”ये देख पाना मुश्किल था क्योंकि वे उनसे दूर खड़े थे.”
15 फ़रवरी, सुबह के क़रीब 8 बजे- नासिर के भाई हामिद ने बताया कि उन्हें सुबह-सुबह जानकारी मिली कि कुछ गो रक्षकों ने उनके भाई और जुनैद के साथ मारपीट की है और उन्हें हरियाणा के फ़िरोजपुर झिरका के सीआईए (क्राइम इनवेस्टिगेटिव एजेंसी) थाने ले गए हैं.
हामिद का कहना है कि सूचना मिलते ही वे सुबह आठ बजे हरियाणा के फ़िरोजपुर झिरका थाने पहुंचे. उनके मुताबिक़, “वहां पहुंचने पर सीआईए पुलिस ने हमें बताया कि ‘हमारे पास वे जुनैद और नासिर को लेकर आए थे, लेकिन उनकी हालत नाज़ुक थी’.”
“हमने (फिरोजपुर झिरका सीआईए पुलिस) लिया नहीं और अब पता नहीं कहा लेकर गए हैं.” इस वक्त तक जुनैद और नासिर को जलाया नहीं गया था.
परिवार का कहना है कि सीआईए पुलिस ने ख़ुद उन्हें कथित गोरक्षकों के नाम बताए थे जो उनके भाई नासिर और जुनैद को थाने में लाए थे. इन्हीं नामों की मदद से परिवार ने अभियुक्तों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करवाई थी.
आठ बजे के बाद पीड़ित परिवार ने जुनैद और नासिर को कई अस्पतालों में खोजा, शिकायत के लिए कई थाने में भटके, लेकिन वे कहीं नहीं मिले.
हरियाणा पुलिस पर लगे आरोपों को नूह ज़िले के पुलिस अधीक्षक ने निराधार बताया है और कहा कि वे राजस्थान पुलिस के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
15-16 फ़रवरी की दरम्यानी रात, क़रीब 12.30 बजे- फ़िरोजपुर झिरका पुलिस स्टेशन से क़रीब 200 किलोमीटर दूर हरियाणा के भिवानी ज़िले के बरवास गांव में जुनैद और नासिर को कार के साथ जला दिया गया.
स्थानीय निवासी अमित ने बताया, “मेरा घर यहां से 300 मीटर की दूरी पर है. क़रीब 12.34 मिनट की बात है. हमारे पड़ोसी भेड़-बकरियां रखते हैं. उनको तेज़ आवाज़ आई. गाड़ी के टायर फटने पर आवाज़ हुई. उस समय गांव में शादी भी हो रही थी तो किसी ने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया.”
“रात में बारह बजे तक रास्ते पर गाड़ी नहीं थी क्योंकि लोग आ-जा रहे थे, लेकिन चार बजे यहां कार थी. मेरे पिता जी सुबह घूमने जाते हैं, उन्होंने चार बजे कार देखी और घर आकर बताया.”
कार जलने की जानकारी सबसे पहले पुलिस को बरवास के रहने वाले अमरजीत ने दी थी. चश्मदीद अमरजीत ने बताया, “हम आठ बजे के क़रीब यहां आए थे. गाड़ी पूरी ख़त्म थी. गाड़ी के अंदर देखा तो शक़ हुआ कि उसके अंदर दो शव थे.”
“थोड़ी बहुत खोपड़ी दिख रही थी, फिर मैंने क़रीब पौने नौ बजे 112 पुलिस नंबर डायल किया और पंद्रह मिनट बाद पुलिस आ गई.”
16 फ़रवरी, सुबह 9 बजे से 12 बजे का समय- सुबह 10 बजे हरियाणा पुलिस के सीनियर अधिकारी मौके पर पहुंचे. 11 बजे हरियाणा की फ़ॉरेंसिक टीम ने पहुंचकर जांच की और जली हुई बोलेरो कार के चेसिस नंबर को निकाला.
चेसिस नंबर से हरियाणा पुलिस ने कार के मालिक का पता लगाया. कार मालिक को फ़ोन करने पर हरियाणा पुलिस को जानकारी मिली कि कार को जुनैद और वारिस लेकर गए थे, जिनकी परिवार को तलाश है.
नासिर के भाई ने बताया, “हरियाणा पुलिस से जानकारी मिलने के बाद परिवार के लोग गोपालगढ़ थाने (राजस्थान) के थानेदार और एडिशनल एसपी के साथ हरियाणा के लिए निकले.
16 फ़रवरी शाम के क़रीब 5 बजे – पीड़ित परिवारों के साथ राजस्थान पुलिस, उस जगह पहुंची जहां कार में आग लगाई गई थी. वहां मौजूद स्थानीय निवासी अमित के मुताबिक़, पुलिस के साथ डॉक्टर भी आए थे.
उन्होंने बताया, “राजस्थान फ़ॉरेंसिक की टीम ने जांच के लिए हड्डियों को डिब्बे में डाला, बाकी हड्डियों के लिए एक खाद का कट्टा (बोरी) मंगवाया और उसमें भरकर परिवार को अवशेष सौंप दिए.”
16 फ़रवरी रात के क़रीब 9 बजे- राजस्थान की भरतपुर पुलिस क्रेन की मदद से जली हुई कार को गोपालगढ़ थाने ले गई.
दो राज्य और पुलिस का टकराव
पीड़ित परिवार का कहना है कि नासिर और जुनैद को कथित गोरक्षकों से बचाया जा सकता था, अगर अपहरण के तुरंत बाद पुलिस ने कार्रवाई की होती.
उनके मुताबिक़, वे क़रीब 20 घंटे तक राजस्थान और हरियाणा पुलिस के अलग-अलग थानों के चक्कर लगाते रहे.
16 फ़रवरी को परिजनों की शिकायत के आधार पर राजस्थान के गोपालगढ़ थाने में पुलिस ने पांच लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की थी.
एफ़आईआर के अनुसार, ‘अनिल, श्री कांत, रिंकू सैनी, लोकेश सिंघला और मोनू के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 143 (ग़ैरक़ानूनी जनसमूह का सदस्य होना) 365 (अपहरण) 367 (अपहरण कर उसको क्षति पहुंचाना) 368 (अपहरण किए व्यक्ति को क़ैद में रखना) का मामला दर्ज किया गया.’
राजस्थान पुलिस के महानिदेशक उमेश मिश्रा ने सोमवार को बताया कि एफ़आईआर में चार नए अभियुक्तों के नाम शामिल किए गए हैं. इस बयान के बाद मामले में कुल 9 अभियुक्त थे.
बुधवार को राजस्थान पुलिस की तरफ़ से जारी बयान में आठ अभियुक्तों की तस्वीरें जारी की गईं. इनमें मोनू मानेसर का नाम और तस्वीर शामिल नहीं थी.
जब सीआईडी सीबी के एडीजी दिनेश एम एन से बीबीसी के मोहर सिंह मीणा ने सवाल किया कि मोनू मानेसर का नाम एफ़आईआर में दर्ज है, तो उनकी तस्वीर और नाम क्यों नहीं जारी किए गए.
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “एफ़आईआर में जो नाम दर्ज हैं, उनके ख़िलाफ़ जांच में एविडेंस मिलेंगे तो उनके ख़िलाफ़ भी कार्रवाई करेंगे.”
वहीं राजस्थान पुलिस हरियाणा में नूह के रहने वाले अभियुक्त श्रीकांत को गिरफ़्तार करने पहुंची थी. परिवार का आरोप है कि राजस्थान पुलिस ने श्रीकांत की गर्भवती पत्नी को धक्का दे दिया.
तबीयत ख़राब होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टर्स ने बच्चे की गर्भ में मौत होने की पुष्टि की है.
इस मामले में नूह के पुलिस अधीक्षक वरुण सिंगला का कहना है कि राजस्थान पुलिस के 30 से 40 अज्ञात पुलिस जवानों के ख़िलाफ़ हरियाणा के नगीना थाने में मुक़दमा दर्ज किया गया है.
किस हाल में है नासिर और जुनैद का परिवार
पिछले कई दिनों से नासिर और जुनैद के घर के बाहर मीडिया वालों की गाड़ियां खड़ी हैं. कुछ सामाजिक कार्यकर्ता भी दूर-दूर से आकर परिवार से मुलाकात कर रहे हैं.
नासिर को हाल ही में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पहली किस्त के रूप में 15 हज़ार रुपये मिले थे. इन पैसों से नासिर ने मकान बनाने के लिए नींव खुदवाई, पत्थर मंगवाए, लेकिन अब उसे कोई देखने वाला नहीं है.
क़रीब 15 साल पहले नासिर ने फ़रमीना से शादी तो की, लेकिन किसी कारणवश बच्चे नहीं हो पाए. ऐसे में उन्होंने अपने छोटे भाई हामिद के दो बच्चों को गोद ले लिया था.
नासिर का सपना था कि वो जल्द अपने बच्चों के लिए मकान बना लें, लेकिन ये सपना पूरा नहीं हो सका.
नासिर के घर से कुछ क़दम की दूरी पर जुनैद का घर है. जुनैद पास में ही परचून की दुकान चलाते थे.
जुनैद अपने पीछे पत्नी और 13 बच्चे छोड़ गए हैं. इसमें छह बच्चे उनके अपने हैं और सात बच्चे उनके भाई जाफ़र के हैं जो दिमाग़ी रूप से स्वस्थ नहीं हैं.
जुनैद के माता-पिता की पहले ही मौत हो चुकी है. जुनैद के साले वारिस का कहना है, “जनाज़े की नमाज़ भी नहीं पढ़ाई गई. ये छोटी बात नहीं है हमारे लिए. हमें राख मिली, उसे ही दफ़नाया है.”
“अब घर में 13 बच्चे हैं सबको जुनैद ही पालता था. अब मुश्किल इतनी है कि दोनों घर बंद हो गए हैं. अब बच्चों को ऊपर वाला ही देखेगा.”
मुस्लिम बहुल गांव में हिंदू सरपंच
न सिर्फ़ परिवार बल्कि पूरा गांव दोनों की मौत के बाद सदमे में है. स्थानीय निवासी इस्माइल का कहना है, “घाटमीका ग्राम पंचायत में पांच गांव हैं जिनमें रावलका, कनवारी, फ़तेहपुर, झंडीपुर और घाटमीका शामिल हैं.”
“इस ग्राम पंचायत में क़रीब 98 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, बावजूद इसके लोगों ने एक हिंदू परिवार को तीसरी बार गांव का सरपंच चुना है.”
“गांव के लोग कहते हैं, “हमने कभी हिंदू-मुसलमान नहीं किया, लेकिन बजरंग दल के लोग ऐसा कर माहौल ख़राब करने की कोशिश कर रहे हैं.”
गिरफ़्तार अभियुक्त रिंकू सैनी का परिवार
नासिर और जुनैद की हत्या के अभियुक्त रिंकू सैनी की गिरफ़्तारी के बाद उनकी पत्नी और मां भी सदमे में हैं.
परिवार के मुताबिक़, रिंकू सैनी ड्राइविंग का काम करते हैं और रोज़ाना 400-500 रुपये के हिसाब से गाड़ी बुकिंग पर जाते हैं.
अपने पति को निर्दोष बताते हुए रिंकू की पत्नी गीता कहती हैं, “वे उस दिन वहां नहीं थे. ये झूठी ख़बर है. वे निर्दोष हैं. उनको इंसाफ़ मिलना चाहिए. उन्हें फंसाया जा रहा है.”
गीता कहती हैं, “15 फ़रवरी को सुबह क़रीब आठ बजे वो (रिंकू) अलवर बुकिंग पर गए थे. फिर शाम को क़रीब पांच बजे वापस घर आए. घर पर चाय पीकर वापस कार बुकिंग पर चले गए और रात को वापस घर आ गए.”
“मैंने ख़ुद दरवाज़ा खोला था. 16 फ़रवरी को वे 12 बजे दोपहर में भिवाड़ी बुकिंग पर गए थे और शाम को पुलिस उन्हें पकड़ कर ले गई.”
रिंकू सैनी की मां का कहना है, “वो तीन चार साल से गौ सेवा का काम कर रहा है. बजरंग दल में है, वो कोई बुरा काम तो कर नहीं रहा था.”