गोल्ड ज्वैलरी के लिए आया नया नियम, 1 अप्रैल से होगा अनिवार्य

Hindi New Delhi

DMT : New Delhi : (04 मार्च 2023) : – देश में एक अप्रैल से हॉलमार्क यूआईडी के बग़ैर सोने की ज्वैलरी और कलाकृतियां नहीं बिक सकेंगीं.

भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव निधि खरे ने ये जानकारी दी है.

खरे ने बताया, ” उपभोक्ताओं के हित में 31 मार्च 2023 से देश में बगैर एचयूआईडी वाली गोल्ड ज्वैलरी और कलाकृतियां नहीं बिक पाएंगीं.”

एयूआईडी छह अंकों और अक्षरों का अल्फान्यूमेरिक कोड होता है. हर ज्वैलरी का अलग एचयूआईडी अलग होती है हॉलमार्किंग सेंटर में ये सोने के गहनों पर छापा जाता है.

खरे ने कहा, ” पहले एचयूआईडी चार अंकों को होते थे. फिलहाल चार और छह दोनों अंकों के हॉलमार्क इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन 31 मार्च के बाद सिर्फ छह अंकों के एचयूआईडी का ही इस्तेमाल होगा. ”

उन्होंने बताया कि 23 जून 2021 से हॉलमार्किंग के तहत देश के 256 जिले कवर किए जा चुके हैं. वहीं 1 जून 2022 से अनिवार्य हॉलमार्किंग के तहत और 32 जिले कवर किए गए हैं.

  • केंद्र सरकार के कुछ कर्मचारियों को मिलेगा ओल्ड पेंशन स्कीम चुनने का विकल्प
  • केंद्र सरकार ने अपने कुछ चुनिंदा कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) को चुनने का विकल्प देने का फ़ैसला किया है.
  • सरकार उन कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम में जाने का विकल्प देगी, जिन्होंने 22 दिसंबर 2003 से पहले निकली नौकरियों के लिए आवेदन दिया था और 2004 में नौकरी शुरू की थी.
  • 22 दिसंबर 2003 को ही नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) की अधिसूचना जारी की गई थी. 2004 में नई पेंशन स्कीम लागू हो गई थी.
  • ये विकल्प उन कर्मचारियों को मिलेगा, जिन्होंने नई पेंशन स्कीम अपनाई थी क्योंकि उन्होंने या तो 1 जनवरी 2004 या इसके बाद नौकरी शुरू की थी.
  • सरकार का ये नया आदेश केंद्रीय सैन्य पुलिस बल (सीएपीएफ) पर भी लागू होगा.
  • कर्मचारियों के पास पुरानी पेंशन स्कीम चुनने के लिए 31 अगस्त तक का विकल्प है. एनपीएस में कर्मचारियों का योगदान उनके जीपीएफ़ में क्रेडिट हो जाएगा.
  • मोदी सरकार का कहना है कि पुरानी पेंशन स्कीम से सरकार पर अनावश्यक वित्तीय बोझ बढ़ेगा. जबकि छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे विपक्ष शासित राज्यों ने कहा है कि वो पुरानी पेंशन को दोबारा लागू करेंगे.
  • ‘द हिंदू’ ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया है कि सरकार के सामने इस मामले में बढ़ते विवाद को देखते हुए चुनिंदा कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम अपनाने का विकल्प दिया गया है.

चीफ़ जस्टिस ने किसे बताया फे़क न्यूज़ का शिकार, क्या है सबसे बड़ी चुनौती

देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इंटरनेट पर फैल रही झूठी ख़बरों पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि ग़लत ख़बरों के दौर में सच इसका शिकार बनता जा रहा है.

अमेरिकन बार एसोसिएशन की एक कॉन्फ्रेंस में चीफ़ जस्टिस ने कहा कि सहिष्णुता की कमी आधुनिक दौर का सबसे बड़ा चैलेंज बन गई है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एक तरफ लोगों के लिए दूसरी जगहों पर जाना आसान हुआ है तो दूसरी तरफ टेक्नोलॉजी का दौर आया है जिससे मानवता का काफी विस्तार हुआ है.

लेकिन धैर्य और सहिष्णुता की कमी आज के दौर का सबसे बड़ा चैलेंज है. टेक्नोलॉजी का उदय भी इस हालात के लिए कुछ हद तक ज़िम्मेदार है.

‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की ख़बर के मुताबिक़ चीफ़ जस्टिस ने कहा कि सच झूठी ख़बरों के इस दौर का शिकार बनता जा रहा है. सोशल मीडिया का विस्तार हो रहा है और ऐसे में यहां कोई ऐसी चीज़ पैदा होती है, जिसे कई बार तर्क की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता.

चंद्रचूड़ ने कहा कि लोग जजों को भी ट्रोलिंग करने से नहीं चूकते. उन्होंने कहा, “हम जो छोटी-छोटी सी चीज़ें करते हैं, मेरा विश्वास कीजिए, अगर कोई हमारे विचार से सहमत नहीं है तो उससे हमें ट्रोलिंग का ख़तरा रहता है. जज भी ट्रोलिंग के शिकार होते हैं.”

उन्होंने कहा, “हम आज ऐसे दौर में रह रहे हैं जहां धैर्य की कमी है. ये इसलिए कि लोग अपने विचारों से अलग विचारों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं.”

उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का पलटवार समाज के सामने एक बड़ा ख़तरा बनता जा रहा है. और यह नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है.

उन्होंने कहा, “सबसे गंभीर चुनौती ये है कि हम जिस स्थिति में हैं उससे लड़ नहीं पा रहे हैं. टेक्नोलॉजी की वजह से हमारी दुनिया में जो बदलाव हुआ है वो शायद हमारे नियंत्रण से बाहर जा रहा है.”

चंद्रचूड़ ने ग्लोबलाइजेशन के फायदे भी गिनाए. लेकिन उन्होंने कहा कि इससे असंतोष पैदा हुआ है. इनमें चरमपंथ, जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 और असमानता शामिल हैं.

अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर सितंबर 2001 के हमले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “ग्लोबलाइज़ेशन के ख़िलाफ़ विरोध बढ़ता जा रहा है.”

“ये पहली बार 2001 में दिखा. भारत चरपंथी से जुड़े हमले झेलता रहा है लेकिन 2001 का हमला एक ऐसा बिंदु था, जिसने वैश्विक समाज को उन सचाइयों से रूबरू करा दिया, जिससे भारत वर्षों से जूझता आ रहा था.”

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन ने पूरी दुनिया में लोगों को प्रभावित किया है. ये सबसे संभ्रांत देशों को ही नहीं बल्कि इसने समाज के हाशिये के लोगों पर भी असर डाला है.

गर्मी का बड़ा नुक़सान, सब्जियों और फलों की पैदावार 30 फीसदी घट सकती है

देश में आने वाले दिनों में महंगाई और बढ़ सकती है, वजह है फल और सब्जियों के उत्पादन में कमी की आशंका.

देश में बढ़ती गर्मी की वजह से सब्जियों और फलों की पैदावार घट सकती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक़ सब्जियों और फलों की पैदावार 30 फ़ीसदी घट सकती है.

किसानों का कहना है सब्ज़ियों और फलों में फूल आने के इस सीज़न में बढ़ती गर्मी से नुक़सान हो रहा है.

अख़बार लिखता है कि आम की बागवानी करने वाले किसानों का कहना है कि इस बार मंजरियां और टिकोले काफ़ी ज्यादा गिरे हैं.

अचानक गर्मी की वजह से लीची की पैदावार भी कम हो सकती है. इसके आलावा संतरा, नींबू, मौसमी, तरबूज, केला जैसे फल और बंद गोभी, फूल गोभी और हरी पत्तेदार सब्जियां की पैदावार भी कम हो सकती है. टमाटर के साइज भी छोटे होंगे और उनमें पोषक तत्व भी कम होंगे.

अख़बार ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च, बेंगलुरू के डायरेक्टर एस के सिंह के हवाले से बताया है कि अचानक गर्मी बढ़ने देश के अलग-अलग हिस्सों में फलों और सब्जियों की पैदावार दस से 30 फ़ीसदी तक घट सकती है.

उन्होंने कहा कि फलों की जिन फसलों को फौरी नुकसान पहुंचा है उनमें आम, लीची, किनू संतरा, एवोकाडो, लीची शामिल हैं. महाराष्ट्र में अलफांसो आम की पैदावार 40 फ़ीसदी तक घट सकती है.

बीआरओ को पहली बार मिली अमरनाथ यात्रा के ट्रैक के रखरखाव की जिम्मेदारी

हिंदुओं में पवित्र माने जाने वाले अमरनाथ यात्रा के इतिहास में पहली अमरनाथ यात्रा के ट्रैक के रखरखाव की जिम्मेदारी बॉर्डर रोड आर्गनाइज़ेशन (बीआरओ) को दी गई है.

यात्रा आमतौर पर जून या जुलाई के महीने में गांदरबल ज़िले के बालटाल से शुरू होती है. 15 किलोमीटर लंबे दुर्गम मार्ग से चढ़ाई करते हुए यात्री गुफ़ा तक पहुंचते हैं.

अख़बार लिखता है कि यह ट्रैक मौसम की स्थिति के आधार पर काफी संकीर्ण और जोखिम भरा बन जाता है. बीआरओ ने इस ट्रैक से बर्फ हटाने का काम शुरू कर दिया है.

बालटाल आधार शिविर से अमरनाथ गुफा तक के मार्ग पर नवीनतम तकनीक से लैस मशीनरी और कर्मचारियों को तैनात किया है, जो हाड़ कंपा देने वाली ठंड और भीषण चुनातियों के बीच क़रीब 15 फ़ुट बर्फ को काटकर रास्ता बना रहे हैं.

आरएंडबी विभाग ने सरकार के निर्देशों के तहत इस ट्रैक पर काम बंद कर दिया है. अब पूरा काम बीआरओ की 122 आरसीसी के नियंत्रण में है.

ट्रैक पर बर्फ हटाने का कार्य कर रहे बीकन की 122 आरसीसी की एक कर्मचारी नज़ीर अहमद मीर के हवाले से अख़बार ने बताया है कि पिछले कुछ दिनों से अमरनाथ यात्रा के ट्रैक पर बर्फ हटाने का काम शुरू किया है.

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