चीन इन समुद्री चट्टानों पर क्यों चाहता है क़ब्ज़ा और फिलीपींस के साथ क्या है ताज़ा लेज़र विवाद

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DMT : चीन  : (18 फ़रवरी 2023) : –

चीन के अलग-अलग देशों से एक के बाद एक विवाद सामने आ रहे हैं. अमेरिका के साथ जासूसी बैलून मामले के बाद अब चीन और फिलीपींस के बीच विवाद पैदा हो गया. इसकी वजह है लेज़र लाइट.

फिलीपींस ने चीन पर उसकी तटरक्षक नाव पर एक ‘सैन्य ग्रेड’ की लेज़र लाइट का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. उसके मुताबिक ये घटना छह फरवरी को हुई थी जब नाव एक जहाज़ सिएरा माडरे तक आपूर्ति लेकर जा रही थी.

सिएरा माडरे का इस्तेमाल दक्षिण चीन सागर में फिलीपीनो नौसैनिक चौकी के तौर पर किया जाता है. इस जहाज़ तक आपूर्ति ले जाते हुए एक चीनी जहाज़ ने फिलीपीनो तटरक्षक नाव को रोका था और उस पर एक लेज़र डिवाइस का इस्तेमाल किया था जिससे क्रू को कुछ देर के लिए दिखाई देना बंद हो गया था.

ये साफ़ नहीं है कि चीनी पक्ष ने किस तरह के उपकरण का इस्तेमाल किया था और वो कितना शक्तिशाली था लेकिन लेज़र हथियार आंखों की रोशनी को नुक़सान पहुंचा सकते हैं और संयुक्त राष्ट्र ने इन पर रोक लगाई हुई है.

इस घटना की अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और जर्मनी जैसे देशों ने तत्काल विरोध करते हुए निंदा की थी.

वहीं, चीन ने अपनी ‘संप्रभुता’ की रक्षा के लिए लेज़र्स के इस्तेमाल के अधिकार का बचाव किया लेकिन फिलीपींस के क्रू पर लेज़र के उपयोग से इनकार कर दिया. चीन ने कहा कि उन्होंने “हैंड-हेल्ड लेज़र स्पीड डिटेक्टर और हैंड-हेल्ड ग्रीनलाइट पॉइंटर” का इस्तेमाल किया था, जिनमें से कोई भी खतरनाक नहीं है.

चीन और फिलीपींस एक-दूसरे को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं लेकिन इस घटना के पीछे पानी में डूबी एक चट्टान भी एक वजह है.

साल 2014 में बीबीसी ने सिएरा माडरे की तलाश में दक्षिण चीन सागर का दौरा किया था. जब वहां सूरज की रोशनी पड़ी तो हमें वहां कुछ नहीं दिखा.

तभी हमें जहाज़ के पास ले जा रहे व्यक्ति ने कहा, ”चिंता मत करो. मैं जानता हूं कि हम कहां जा रहे हैं. ये उस चट्टान पर है.”

उसने उत्तर दिशा की तरफ़ ईशारा किया और सुबह की धुंध में एक विशाल जलमग्न चट्टान पर बैठी हुई कुछ हल्के स्लेटी रंग की एक भारी-भरकम आकृति दिखाई दी. ये आकृति सिएरा माडरे की थी और वो चट्टान पानी के कुछ फीट नीचे दिख रही थी.

सिएरा माडरे अपनी युवावस्था में भी एक भव्य जहाज़ नहीं था. इसे द्वितीय विश्वयुद्ध में टैंक उतारने के लिए बनाया गया था और वियतनाम युद्ध में अमेरिकी नौसेना ने इसका इस्तेमाल किया था.

1970 में इस जहाज़ को वियतनाम की नौसेना को दे दिया गया और 1975 में सैगॉन के पतन के बाद ये फिलीपींस के पास आ गया. 1999 में इस बूढ़े होते जहाज़ को फिलीपींस तट से 160 किमी. दूर इस चट्टान पर जानबूझकर छोड़ दिया गया.

जैसी ही मछली पकड़ने वाली छोटी नाव करीब आई तो जहाज़ की पतवार से बड़े छेद दिखाई देने लेगे. ऐसा लग रहा था कि अगले तूफ़ान में ये जहाज़ नष्ट हो जाएगा.

सिएरा माडरे लगभग 10 साल बाद भी स्टील की बजाए ज़ंग और क्रंकीट को समेटे हुए हैं. फिलीपींस के नौसैनिकों का एक छोटा-सा दल अभी भी जहाज़ पर अनिश्चितता की स्थिति में मौजूद है.

फिलीपींस के जहाज़ को रोकने के लिए चीनी तटरक्षक जहाज़ की कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन माना जा सकता है. चीन जो भी कहे, ज़ंग खाए सिएरा माडरे के आसपास का पानी चीन का नहीं है.

2016 में हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय ने एक स्पष्ट फ़ैसला दिया था. दक्षिण चीन सागर के एक बड़े हिस्से पर चीन के दावे का अंतरराष्ट्रीय कानून में कोई आधार नहीं है. इस हिस्से को अक्सर नाइन-डैश लाइन भी कहा जाता है.

हालांकि, ये सब इतना आसान भी नहीं है.

चीन ने बनाए कृत्रिम द्वीप

दक्षिण चीन सागर के द्वीपों, चट्टानों और पानी को लेकर कई दावे और प्रति-दावे किए गए हैं. सिर्फ़ चीन सबसे ज़्यादा विस्तार करता है.

फिलीपींस, वियतनाम, ताइवान और मलेशिया इन सभी के समुद्र के छोटे-छोटे हिस्सों पर अपने-अपने दावे प्रति-दावे हैं. अधिकतर दावों को अंतरराष्ट्रीय क़ानून का समर्थन भी नहीं है.

सिएरा माडरे जिस चट्टान पर है उसे सैकेंड थॉमस शोल, आयंगिन शोल और चीनी में रीन-एई चट्टान कहा जाता है.

लेकिन एक जलमग्न चट्टान को ज़मीन नहीं माना जाता और एक चट्टान को नियंत्रित करने से किसी देश को कोई नया जलीय क्षेत्र नहीं मिलता और ना ही वो अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईज़ेड) का विस्तार करता है.

दक्षिण चीन सागर में लगभग कोई वास्तविक भूमि नहीं है. सबसे विवादित क्षेत्र स्प्रैटली द्वीप समूह पर मुट्ठी भर छोटे टापू हैं. सबसे बड़े को ताइपिंग दाव कहा जाता है. यह सिर्फ 1,000 मीटर लंबा और 400 मीटर चौड़ा है. इतिहास में संयोग से, यह ताइवान के नियंत्रण में आ गया था.

दूसरा सबसे बड़ा टापू पगासा है. आप आधे घंटे में इसे पूरा घूम सकते हैं. पगासा को फिलीपींस ने 1971 में तब अपने कब्ज़े में ले लिया था जब वहां तैनात ताइवानी सैनिक एक शक्तिशाली तूफ़ान से बचने के लिए पीछे हट गए थे. वियतनाम के पास ज़मीन के कुछ और टुकड़े हैं.

लेकिन 1960 और 1970 के दशक में सांस्कृतिक क्रांति के कारण आंतरिक उथल-पुथल के चलते चीन को दक्षिण चीन सागर की तरफ़ ध्यान देने में बहुत देर हो गई और तब तक कोई वास्तविक भूमि नहीं बची. इसलिए, चीन ने अपनी खुद की ज़मीन बनाने का फैसला किया.

2014 में, जब फिलीपींस के थोड़े बहुत नौसैनिक जंग खाए हुए सिएरा माडेरा पर तैनात थे तब वहां से 40 किमी. दूर मिसचीफ़ चट्टान पर चीन ने अपनी ज़मीन तैयार करने की परियोजना शुरू कर दी थी.

तब दुनिया के सबसे बड़े समुद्र में ड्रेजर्स लाखों टन बजरी और रेत को चट्टान के ऊपर डालकर विशाल कृत्रिम द्वीप बना रहे थे.

चीन ने मिसचीफ़ चट्टान पर जो नई ज़मीन बनाई है, वह फिलीपींस के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त 320 किमी. विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के तहत आती है.

फिलीपींस की चिंता

ये नया द्वीप अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त नहीं है. यह चीन को 20 किमी. के जलीय क्षेत्र पर अधिकार नहीं देता है.

लेकिन, ये बातें चीन को अपना दावा लागू करने के लिए अपने तटरक्षकों और समुद्री सैन्य बेड़े के इस्तेमाल से नहीं रोक सकतीं. ना ही फिलीपींस के मछुआरों को भगाने और फिलीपींस के जहाज़ों को चुनौती देने से रोक सकती हैं.

चीन के नए द्वीपों को सैन्य रणनीतिकार “ज़मीन पर मौजूद एक तथ्य” मानते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो वो इसे सिर्फ़ एक क़ानूनी विवाद नहीं बल्कि एक वास्तविकता मानते हैं. यानी ये किसी अस्पष्ट सीमा रेखा जैसा विवाद नहीं है बल्कि ये द्वीप मौजूद हैं और उनका इस्तेमाल भी हो सकता है.

फिलीपींस का डर ये है कि चीन सिर्फ़ मिसचीफ़ चट्टान तक नहीं रुकने वाला है. आयंगिन शोल अगला निशाना हो सकता है. इसी वजह से जंग खा रहा सिएरा माडेरा इतना प्रतीकात्मक महत्व रखता है.

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