DMT : चीन : (14 फ़रवरी 2023) : –
चीन ने भारत के साथ सीमा को लेकर जारी गतिरोध के बावजूद विवादित क्षेत्र अक्साई चिन में रेल मार्ग बिछाने का फ़ैसला किया है.
अक्साई चिन वो इलाका है जिस पर चीन ने भारत के साथ 1962 के युद्ध में क़ब्ज़ा कर लिया था.
सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी निर्माण कार्यों पर नज़र रखने वाले भारतीय अधिकारियों का मानना है कि इससे चीनी सेना की क्षमताओं में भारी इज़ाफ़ा होगा और वह अपनी सेना को बेहद आसानी से पूर्व से पश्चिमी क्षेत्रों में पहुंचा पाएगा.
हालांकि, भारतीय अधिकारियों का ये भी मानना है कि 33 महीनों से सीमा पर जारी गतिरोध के बाद आई इस ख़बर को मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के हथकंडे के रूप में भी देखा जाना चाहिए.
चीन का मौजूदा रेल नेटवर्क 1359 किलोमीटर लंबा है और इसका विस्तार करने का एलान तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र विकास एवं सुधार आयोग की ओर से किया गया है.
चीनी स्टेट मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक़, शिनजियांग-तिब्बत रेलवे का प्रस्तावित शिगात्से-पाख़ुक्त्सो हिस्सा अक्साई चिन से होकर गुज़रता है जहां 2025 तक काम शुरू हो जाएगा.
चीनी स्टेट मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, ‘साल 2025 तक कई रेलवे परियोजनाओं में भारी प्रगति देखने को मिलेगी. इनमें सिचुआन-तिब्बत रेलवे मार्ग का यान-निंगची हिस्सा, शिनजियांग-तिब्बत रेलवे मार्ग का शिंगात्से-पाख़ुक्त्सो हिस्सा और युनान-तिब्बत रेलवे मार्ग का बोमी-राउक हिस्सा शामिल है.’
चीनी स्टेट मीडिया में छपी ख़बरों के मुताबिक़, चीन अपनी 14वीं पंच वर्षीय योजना (2021-2025) के तहत अपने रेल नेटवर्क को 55 सूबों और ज़िलों से जोड़ना चाहता है.
चीन पिछले कुछ सालों से अपनी लॉजिस्टिक क्षमताओं में तेज़ी से इज़ाफ़ा करता हुआ दिख रहा है. इस क़दम से चीनी सरकार के लिए केंद्रीय चीन से सैनिकों और चीज़ों को सीमावर्ती क्षेत्रों में लाना काफ़ी आसान हो जाएगा.
चीन के किंगहाई-तिब्बत रेलवे मार्ग की शुरुआत साल 2006 में, ल्हासा-शिगात्से लाइन की शुरुआत 2014 में और ल्हासा-निंगची लाइन को जून 2021 में शुरू किया गया है. इसके बाद चीन का कुल रेलवे नेटवर्क 1359 किलोमीटर हो गया है.
और ल्हासा-निंगची लाइन पर 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार से ट्रेन चलाया जाना संभव है.
भारत ने भी इसके जवाब में चीनी सीमा के नज़दीक रणनीतिक महत्व वाले इलाकों में रेल मार्ग बिछाना शुरू कर दिया है.
सीमावर्ती क्षेत्रों में भारतीय रेलवे की मौजूदगी चार प्रस्तावित रेल मार्गों से दर्ज होगी जिनमें से तीन उत्तर-पूर्व और एक उत्तर में स्थित है. ये रेल मार्ग भारतीय रेल नेटवर्क को 1352 किलोमीटर तक लेकर जाएंगे.
498 किलोमीटर वाले भानुपली-बिलासपुर-मनाली-लेह लाइन के लिए ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इस परियोजना पर 83,360 करोड़ रुपये ख़र्च होंगे.
ये रेलमार्ग पूरा होने के बाद चीन के किंगहाई-तिब्बत मार्ग को पछाड़कर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे मार्ग बन जाएगा.
गैंगरेप मामले में महिला बनाई जा सकती है दोषी
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बीते सोमवार एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि ‘इसमें दो राय नहीं है कि एक महिला गैंगरेप को अंजाम नहीं दे सकती है, लेकिन अगर वह इसमें कोई भूमिका निभाती है तो उसे दोषी माना जा सकता है.’
सिद्धार्थ नगर के सत्र न्यायाधीश की ओर से एक 15 वर्षीय बच्ची के साथ गैंगरेप के मामले में इस महिला को समन जारी किया गया है.
इस महिला ने इसी समन को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
अदानी विवाद के बाद कोर्ट में केंद्र सरकार का रुख़
केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि शेयर बाज़ार के लिए रेगुलेटरी सिस्टम को मज़बूत करने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करने के प्रस्ताव को लेकर उसे कोई आपत्ति नहीं है.
इस बेंच की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे थे.
केंद्र सरकार ने इस बेंच को बताया कि व्यापक हित को देखते हुए वह सीलबंद लिफ़ाफ़े में समिति के लिए विशेषज्ञों के नाम और उसके कार्यक्षेत्र की जानकारी देना चाहती है.
इस पर चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि ‘सरकार बुधवार तक प्रपोज़ल लेकर आए. हम पहले उसे देखना चाहते हैं.’
शीर्ष अदालत ने दो जनहित याचिकाओं को भी शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करा दिया है. इन याचिकाओं में निवेशकों को नुक़सान पहुंचाने और अदानी समूह के शेयरों को कृत्रिम रूप से गिराने का ज़िक्र है.
केंद्र सरकार और सेबी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सिस्टम हालात से निपटने के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा कि ‘सरकार को समिति बनाने में कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन विशेषज्ञों के नामों का सुझाव हम दे सकते हैं. हम सीलबंद लिफ़ाफ़े में नाम सुझा सकते हैं.’
मेहता ने आशंका जताई कि पैनल को लेकर किसी भी चीज़ के सामने आने से बाज़ार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
सर्वोच्च अदालत ने बीती 10 फ़रवरी को अदानी समूह के शेयरों में गिरावट पर कहा था कि भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा की ज़रूरत है.
न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित कर रेगुलेटरी सिस्टम को मज़बूत करने के लिए विचार करने के लिए कहा था.