दक्षिण कोरिया-जापान बैठक: तल्ख़ रिश्तों में मिठास घोलने की कोशिश

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DMT : दक्षिण कोरिया : (16 मार्च 2023) : –

दक्षिण कोरिया और जापान के नेताओं ने गुरुवार को टोक्यो में मुलाकात की. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल 16 और 17 मार्च को जापान दौरे पर हैं.

इस मुलाकात को दोनों देशों के बीच उलझे मुश्किल संबंधों में मील का पत्थर बताया जा रहा है.

शीर्ष नेताओं के ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन से कुछ घंटे पहले उत्तर कोरिया ने एक इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का प्रक्षेपण किया है.

जापान और दक्षिण कोरिया दोनों देशों के अधिकारियों ने इस मिसाइल के प्रक्षेपण की पुष्टि की है. गुरुवार ​की सुबह दाग़ी गई यह मिसाइल लगभग 1,000 किमी दूर जापान के पश्चिम में समुद्र में गिरी है.

दोनों देशों के बीच साल 2011 के बाद हुई इस तरह की बैठक का बीबीसी संवाददाताओं ने आकलन किया है.

दक्षिण कोरिया की रणनीति को बीबीसी संवाददाता जीन मैकेंज़ी से समझें:-

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने इस शिखर सम्मेलन के लिए काफ़ी मशक़्क़त की है. यह पहली बार है जब किसी दक्षिण कोरियाई नेता को 12 सालों बाद इस तरह की बैठक के लिए जापान आमंत्रित किया गया है.

दोनों पड़ोसी देशों के बीच दशकों से रिश्ते ख़राब रहे हैं. साल 1910 से द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक जापान ने दक्षिण कोरिया पर राज किया. जापानी सैनिकों ने हज़ारों कोरियाई लोगों को उनके कारख़ानों में काम करने के लिए मजबूर किया और महिलाओं को यौन दासता में धकेला.

ये निशान भले आज ताज़ा नहीं हैं, लेकिन इसे कोई भूला नहीं है और न ही इसे लेकर दक्षिण कोरिया के लोग जापान को माफ़ कर पाए हैं.

पिछले हफ्ते दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने यह मांग छोड़ दी कि जापान दासता के कुछ पीड़ितों को मुआवज़ा दे. उनका कहना था कि जापान की बजाय उनका देश ख़ुद पीड़ितों के लिए धन जुटाने का काम करेगा. ऐसा करते हुए उन्होंने पूर्वोत्तर एशिया की सुरक्षा की ख़ातिर अतीत के ज़ख्मों को एक तरफ़ रख दिया.

राष्ट्रपति के ऐसा करने के बाद दक्षिण कोरिया में विपक्ष के नेता ने इस सौदे को ‘इतिहास का सबसे बड़ा अपमान’ क़रार दिया है.

लेकिन इस काम ने राष्ट्रपति को जापान यात्रा में जीत दिलाने का काम किया है. यहां के राजनयिक हैरान और प्रभावित हैं. वे इसे एक साहसी और चतुरता से भरे क़दम की तरह देख रहे हैं, ख़ासकर तब जब उन्हें कोई ख़ास विदेश नीति का अनुभव नहीं है.

राष्ट्रपति यून सुक-योल पिछले साल तक महज़ एक वकील थे.

राष्ट्रपति यून की विदेश नीति की चर्चा

राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने दोनों देशों के बीच ख़राब रिश्तों को पटरी पर लाने की ठानी और इसे ही अपनी विदेश नीति की आधारशिला की तरह देखा.

परमाणु हथियारों से लैस उत्तर कोरिया दिन ब दिन ख़तरनाक होता जा रहा है. ऐसे में दक्षिण कोरिया जापान के साथ ख़ुफ़िया जानकारी साझा कर रहा है और साथ ही दोनों देशों की सेनाएं मिलकर काम करने के लिए तैयार खड़ी हैं. इसका दक्षिण कोरिया को निश्चित तौर पर फ़ायदा होगा.

दक्षिण कोरिया अपने सहयोगी अमेरिका को भी ख़ुश करना चाहता है, जो चीन के बढ़ते क़दमों को रोकने के लिए अपने सहयोगियों को क़रीब लाने की कोशिश कर रहा है.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति की जापान यात्रा को एक नया अध्याय बताया है. उन्होंने यून सुक-योल को व्हाइट हाउस आने का निमंत्रण भी दिया है.

यह यात्रा दुनिया में दक्षिण कोरिया की सत्ता को नए तरीके से सामने रखती है. राष्ट्रपति यून, सिर्फ़ उत्तर कोरिया पर ही अपना ध्यान केंद्रित नहीं रखना चाहते हैं, बल्कि वे हिंद प्रशांत क्षेत्र की ओर देख रहे हैं, जहां दक्षिण कोरिया बड़ी भूमिका निभा सकता है.

हिरोशिमा में मई महीने में होने जा रहे जी 7 शिखर सम्मेलन के लिए जापानी प्रधानमंत्री फ़ुमियो किशिदा, राष्ट्रपति यून को निमंत्रण दे सकते हैं, जो दक्षिण कोरिया के लिए बड़ी उपलब्धि होगी.

इतना ही नहीं दक्षिण कोरिया को आर्थिक रूप से पुरस्कार भी मिल सकते हैं. साल 2019 में जापान ने सेमी-कंडक्टर बनाने के लिए दक्षिण कोरिया जाने वाले ज़रूरी रसायनों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इन प्रतिबंधों को ख़त्म करवाना दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी प्राथमिकता है.

यह शिखर सम्मेलन सालों से टूटे हुए भरोसे की फिर से मरम्मत करने का मौक़ा दे रहा है. अब तक दक्षिण कोरिया, जापान के मुक़ाबले ज़्यादा आगे बढ़ा है.

जैसा कि एक वरिष्ठ राजनयिक ने मुझे बताया कि दक्षिण कोरिया डांस फ़्लोर पर आ गया है, वहां रोशनी पड़ रही है और वह अपने पड़ोसी की तरफ़ हाथ बढ़ा रहा है. वहीं जापान भी डांस करने के लिए तैयार हो गया है, लेकिन दक्षिण कोरिया इससे ज़्यादा की उम्मीद कर रहा है.

जापान के लिए भी एक रणनीतिक जीत

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति अपनी इस यात्रा के दौरान कई उच्च स्तरीय वार्ता करने वाले हैं. लेकिन स्थानीय मीडिया के मुताबिक़ राष्ट्रपति यून सुक-योल के लिए ख़ासतौर पर उनके पसंदीदा खाने की व्यवस्था की गई है, जिसमें ओमूराइस का ज़िक्र है. यह एक तरह के फ़्राइड राइस होते हैं जिसके ऊपर ऑमलेट डाला जाता है.

जापान के योमिउरी अख़बार ने बताया कि प्रधानमंत्री फ़ुमियो किशिदा, शिखर सम्मेलन के बाद राष्ट्रपति यून को मशहूर रेस्तरां रेंगातेई ले जाएंगे.

इसे लेकर स्थानीय मीडिया का कहना है कि ऐसा लग रहा है जैसे अधिक प्रयास करने की कोशिशें की जा रही हैं, जबकि सोशल मीडिया पर लोग इसे ‘ओमूराइस डिप्लोमेसी’ का नाम दे रहे हैं.

जापान की क्योडो समाचार एजेंसी ने बताया कि विदेश और रक्षा मंत्रालय के अधिकारी सुरक्षा को लेकर बातचीत फिर से शुरू करेंगे.

इसमें कोई शक़ नहीं है कि दोनों देशों को मज़बूत संबंधों से लाभ होगा, लेकिन यह जापान के लिए रणनीतिक और कूटनीतिक जीत है.

दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मई महीने में हिरोशिमा में जी 7 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करने की तैयारी कर रही है.

उत्तर कोरिया और चीन से पैदा हुए ख़तरे एजेंडे में सबसे ऊपर होंगे. दक्षिण कोरिया के साथ अच्छी दोस्ती जापान को और अधिक मज़बूत स्थिति में लाने का काम करेगी, क्योंकि वे इस तरह के ख़तरों से डील करते आते हैं.

यह मुलाक़ात अमेरिका को भी एक बड़ा संदेश भेजती है. जापान, अमेरिका को आश्वस्त करना चाहता है कि वह अस्थिर क्षेत्र में एक प्रमुख सहयोगी के रूप में उस पर भरोसा कर सकता है.

दोस्ती से किसे फ़ायदा?

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून, साल 2019 के बाद जापान का दौरा करने वाले पहले दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति हैं. कोरियाई प्रायद्वीप पर जापान के औपनिवेशिक शासन के दौरान जबरन श्रम करवाने को लेकर दोनों देशों के बीच संबंध ख़राब हो गए थे.

दोनों देशों के नेताओं की पिछले साल जी-20 सम्मेलन के दौरान संक्षिप्त मुलाक़ात हुई थी, लेकिन ये उतनी महत्वपूर्ण नहीं रही क्योंकि दोनों देशों के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई थी.

जापान के स्मार्टफ़ोन डिस्प्ले, टीवी स्क्रीन और सेमीकंडक्टर बनाने में इस्तेमाल होने वाले रसायनों के दक्षिण कोरिया भेजने पर प्रतिबंध लगाने के बाद तनाव और बढ़ गया था.

जब दक्षिण कोरिया ने इस महीने की शुरुआत में लंबे समय से चले आ रहे विवाद को सुलझाने की योजना की घोषणा की तो कम से कम राजनयिकों और राजनेताओं के चेहरों पर नई शुरुआत के लिए उत्साह दिखाई दिया.

जापान के प्रधानमंत्री किशिदा ने इस क़दम की सराहना की और विदेश मंत्री ने संबंधों को वापस पटरी पर लाने की कोशिश का स्वागत किया.

यह मुलाकात न सिर्फ़ दोनों देशों बल्कि इनके साझा रणनीतिक सहयोगी अमेरिका के लिए भी महत्वपूर्ण है. जो बाइडन ने एक बयान में कहा है कि अमेरिका के दो क़रीबी सहयोगियों के बीच नज़दीकी और साझेदारी एक ‘नया अध्याय’ है.

उन्होंने कहा कि दोनों देशों के सहयोग से हम मुक्त और खुले हिंद प्रशांत के लिए काम कर सकते हैं.

हालांकि यह किसी भी नेता के लिए आसान नहीं होगा. दोनों देशों के कट्टरपंथी राजनेताओं के बीच अभी ऐतिहासिक रूप से काफ़ी तनाव और अविश्वास है.

उत्तर कोरिया से खतरा

फ़िलहाल दोनों देश एक लगातार बढ़ते ख़तरे का सामना कर रहे हैं. इसी हफ़्ते उत्तर कोरिया ने जापान सागर की ओर कम दूरी की कम से कम दो बैलिस्टिक मिसाइलें लॉन्च की हैं.

उत्तर कोरिया पहले से अधिक मज़बूत और विकसित मिसाइलें बना रहा है और चिंता इस बात की है कि यह जल्दी ही परमाणु हथियारों का परीक्षण कर सकता है.

वहीं चीन इस क्षेत्र में आक्रामक रूप से विस्तार कर रहा है और सोलोमन द्वीप में चीन की संदिग्ध सैन्य आधार परियोजना ने एशिया-प्रशांत में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को परेशान कर दिया है.

पिछले महीने अमेरिका ने संदिग्ध चीनी ग़ुब्बारों को मार गिराया था जिसके बाद जापान की सरकार ने कहा था कि उसे शक़ है कि 2019 के बाद देश में देखी गई उड़नेवाली तीन अज्ञात वस्तुएं चीनी जासूसी ग़ुब्बारे थे.

जापान के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि वह भविष्य में उसके हवाई क्षेत्र में उड़ने वाले जासूसी ग़ुब्बारे को लेकर बने नियमों की समीक्षा करेगा.

रक्षा मंत्री यासुकाजू हमादा ने पहले ही संकेत दिया था कि सरकार ऐसे विदेशी ग़ुब्बारों को मार गिराने से इनकार नहीं करेगी.

जापान, ताइवान के ख़िलाफ़ संभावित चीनी आक्रामकता को लेकर चिंतित है. ये चिंताएं यूक्रेन में चल रहे युद्ध में रूस की ओर चीन के झुकाव को और गहरा करती जा रही हैं.

जापान और दक्षिण कोरिया एक इतिहास साझा करते हैं जो अविश्वास और भय से भरा हुआ है, लेकिन जब क्षेत्रीय सुरक्षा की बात आती है तो दोनों देश तनावपूर्ण वर्तमान और अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं.

जापान और दक्षिण कोरिया एक भयावह इतिहास साझा करते हैं – लेकिन जब क्षेत्रीय सुरक्षा की बात आती है तो दोनों देश अब तेज़ी से तनावपूर्ण वर्तमान और अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं.

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