DMT : नयी दिल्ली : (09 मार्च 2023) : –
कोहिनूर के क़िस्से और उसके अनमोल होने के बारे में सभी भारतीय जानते हैं. अब किंग चार्ल्स का राज्याभिषेक नज़़दीक आ रहा है तो एक बार फिर कोहिनूर चर्चा में है.
आभूषण केवल अपने मूल्य के लिए विख्यात नहीं होते, उनकी ख़ूबसूरती उन्हें बेशक़ीमती बनाती है.
पढ़िए दुनिया के उन दस विख्यात आभूषणों के बारे में जिनकी चमक कभी फीकी नहीं पड़ती.
अटल्ला का क्रॉस
1920 के दशक में लंदन के जौहरी जेर्राड ने अटल्ला का क्रॉस बनवाया था.
पिछले महीने रियलिटी स्टार किम करदाशियां ने इसे एक करोड़ 62 लाख रूपए में ख़रीदा. एक ज़माने में ये क्रॉस प्रिंसेस डायना के गले की शोभा बढ़ाता था.
एमेथिस्ट से बने इस क्रॉस में 5.2 कैरट के हीरे में जड़े गए हैं. ये प्रिंसेज़ डायना का प्रिय आभूषण था लेकिन ये पेंडेट कभी भी उनका न हो सका.
लेकिन कई अवसरों पर इसके मालिक नईम अटल्ला ने इसे प्रिंसेज़ डायना को पहनने के लिए दिया ज़रूर था. उन दिनों नइम अटल्ला एस्प्री ऐंड जेर्राड के सीईओ थे.
उनके पुत्र बताते हैं कि ये क्रॉस सिर्फ़ प्रिंसेज़ डायना को ही पहनने दिया गया था.
अब इसके करदाशियां के पास जाने पर ज्वेलरी की जानकार हेलेन मोल्सवर्द कहती हैं, “वो अपनी मर्ज़ी की मालिक हैं, सेल्फ़ मेड हैं. वो अपना सामान ख़ुद ख़रीदती हैं. ये ज्वेलरी उनका क्लास दिखलाती है. कॉमर्शियल उद्देश्य से बेशक़ीमती सामान ख़रीदने के क्षेत्र में जेंडर इक्वलिटी का भी एक संकेत है.”
लंदन के सॉदबी में ज्वेलरी के प्रमुख क्रिस्टियान स्पॉफॉर्थ कहते हैं, “एक हद तक ये पेंडेट प्रिंसेज़ के आत्मविश्वास और आभूषण चुनने की दक्षता की भी मिसाल है.”
डायना ने इसे अक्तूबर 1987 में एक चैरिटी इवेंट के दौरान पहना था. उन्होंने इसे एक जामुनी रंग के मोतियों के हार के साथ पहना था.
काले हीरे अपने आप में अदभुत होते हैं लेकिन जब ये तकिये के आकार का काला हीरा 67.49 कैरट का हो तो क्या कहना.
एक क़िस्से के मुताबिक इसे 19वीं शताब्दी में भारत के एक ब्रह्मा मंदिर से चुराया गया था.
कहते हैं तब से हीरा अभिशप्त है. इसे चुराने वाला वक्त से पहले मरा ही था, इसके बाद के तीन मालिकों ने आत्महत्या कर ली थी. इनमें एक नाडिया विगिन-ऑरलॉव नाम की रूसी प्रिंसेज़, उनके एक रिश्तेदार और अमेरिका में इस डायमंड को आयात करने वाला डीलर जे डब्ल्यू पेरिस भी शामिल है.
हालांकि हाल की कुछ रिसर्च ने इन क़िस्सों पर प्रश्चचिन्ह लगाए हैं. अब एक्सपर्ट ये भी कह रहे हैं कि इसमें भी संदेह है कि हीरा भारत से चोरी हुआ था.
एक्सपर्ट तो प्रिंसेज़ नाडिया के अस्तित्व पर भी सवाल उठा रहे हैं.
लेकिन जो बात पक्की है वो ये है कि इस हीरे को तीन हिस्सों में काटा गया था ताकि अलग-अलग मणियां बनाई जा सकें. और ये सब इसलिए किया गया ताकि इसे अभिशाप से मुक्त किया जा सके.
दिलचस्प है कि इसे तीन भाग में काटने के बाद, इसके किसी भी मालिक की असमय मृत्यु नहीं हुई है.
दक्षिणी अमेरिकी देश पनामा में 1576 में मिला ‘ला पेरेगरिना’ नाम का ये नाशपती के आकार वाला मोती जितना दिलकश है, उसकी कहानी भी उतनी है दिलचस्प है.
मॉल्सवर्द कहती हैं, “ये दुनिया का सबसे परफ़ेक्ट मोती है. और इसके अतीत में रोमांस भी है.”
50.56 कैरट का ये मोती स्पेन के सम्राट फ़िलिप द्वितीय ने अपनी पत्नी, इंग्लैंड की रानी क्वीन मेरी (प्रथम) के लिए ख़रीदा था.
उसके बाद से ये बेशक़ीमती मोती पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्पेन के शाही परिवार के पास रहा.
लेकिन फिर ये मोती फ़्रांस के शासक नेपोलियन के भाई जोसेफ़ बोनापार्ट के हाथ लग गया.
अरसे बाद यानी 1969 में इसे एक्टर रिचर्ड बर्टन ने हॉलीवुड की विख्यात अभिनेत्री एलिज़ाबेथ टेलर के लिए ख़रीद लिया.
मॉल्सवर्द कहती हैं, “ये एक ख़ूबसूरत लव स्टोरी है लेकिन इसकी एक रोचक कहानी भी है. अपनी जीवनी में एलिज़ाबेथ टेलर लिखती हैं कि एक बार वो सोफ़े पर बैठी थीं तो उन्हें अहसास हुआ कि मोती अपनी माला से छिटक गया है. वो नीचे झुकीं तो देखा कि उनका कुत्ता कार्पेट पर बैठा कुछ चबा रहा है. मोती उसके मुंह में था. किस्मत से बर्टन ने बिना नुकसान पहुँचाए उसे कुत्ते के मुंह से निकाल लिया.”
ला पेरेगरिना को न्यूयॉर्क के नीलामी घर क्रिस्टीज़ ने साल 2011 में 96 करोड़ 84 लाख रुपए में बेचा था. ये किसी भी नेचुरल पर्ल को लिए चुकाई गई सर्वाधिक क़ीमत थी.
अपने काले अतीत के लिए मशहूर एक और अभिशप्त हीरा है – होप डायमंड. ये अमेरिका के स्मिथसोनियन म्यूज़ियम की नेशनल जेम कलेक्शन की शान है.
लंदन में क्रिस्टीज़ की ज्वेलरी एक्सपर्ट अराबेला हिस्कॉक्स कहती हैं, “ये 45.52 कैरट का बहुत ही ख़ास और दुर्लभ नीला हीरा है. जब इसे अल्ट्रावॉयलेट रोशनी के सामने लाया जाता है तो इसका रंग सुर्ख़ लाल हो जाता है. ये इसे और रहस्यमयी बनाता है.”
वर्ष 1966 में आई कार्ल शुकर की किताब ‘द अनएक्सप्लेंड’ में इसके इतिहास की दिलकश कहानी दर्ज है. क़िस्सा कुछ यूँ है –
एक हिंदू पुजारी ने इसे बेईमानी से मंदिर की मूर्ति से उतार लिया था. वर्ष 1668 में फ़्रांस के सम्राट लूई 14वें ने इसे ख़रीदा और फिर से फ़्रांस के क्रांति के दौरान इसे किसी ने चुरा लिया.
कहते हैं कि फ्रांस के सम्राट और उसकी महारानी को इसी हीरे का श्राप लगा था.
ज्वेलरी ब्रांड कार्टिए ने द होप को सफ़ेद हीरों के एक हार में मढ़ा था. और इसे एवेलिन वॉल्श मैकलीन को साल 1912 में बेचा गया था.
हिस्कॉक्स कहते हैं, “मैक्लीन खनन की कंपनी की इकलौती वारिस थीं. द होप उनके पास आया तो उनके दो बच्चों की मौत हो गई.”
1958 तक आते-आते ये डायमंड जौहरी हैरी विंस्टन के पास पहुँच चुका था. इसी वर्ष उन्होंने इसे स्मिथसोनियन म्यूज़ियम को दान कर दिया था.
साल 1936 में किंग एडवर्ड अष्टम ने अपनी प्रेमिका वॉलिस सिंपसन के लिए इंग्लैंड का ताज त्याग दिया था. उन दोनों की प्रेम कहानी में गिफ़्ट के तौर पर कई बहुमूल्य हीरे-जवाहरात का आदान-प्रदान हुआ था.
ये प्रेमी ताउम्र एक दूसरे को ऐसे ही तोहफ़े से नवाज़ता रहा है. इन दोनों के उपहारों को सॉदबी ने साल 2010 में नीलाम किया था.
उस नीलामी का ख़ास आकर्षण था वॉलिस सिंपसन को 1952 में तोहफ़े के रूप में मिला ब्लैक पैंथर ब्रेसलेट. हीरे और जवाहरात से जड़ा ये कंगन पेरिस से ख़रीदा गया था.
मगाली तेसिए पेरिस में सॉदबी की प्रमुख हैं. ब्लैक पैंथर के बारे में वे कहती हैं, “इस पीस में वो हर ख़ासियत है जो किसी आभूषण को लीजेंड बनाती है.”
तेसिए बताती हैं, “कार्तिए के इतिहास के हिसाब से भी ये काफ़ी अहम है. इसे ज्यां तूसेंत ने डिज़ाइन किया था. लूई कार्तिए ने स्वयं इसका नाम ‘द पैंथर’ रखा था तो इसमें क्वालिटी है, इतिहास है और एक रोमांस भरी प्रेम कहानी है.”
वॉलिस सिंपसन के जीवन पर बनी फ़िल्म में अमेरिकी सिंगर मैडोना ने इस ब्रेसलेट को पहना था लेकिन अरबों ख़र्च कर इसे ख़रीदने वाले का नाम आज तक सार्वजनिक नहीं हुआ है.
कोहिनूर भारतीयों के लिए एक भावनात्मक मुद्दा है. हर भारतीय इसकी शान से अवगत है.
105.6 कैरट का ये दुनिया का सबसे बड़ा डायमंड है. ब्रिटेन के शाही ताज पर सजने वाला ये हीरा सबसे विवादास्पद आभूषण है.
बताया जाता है इसका खनन मध्य काल में दक्षिण भारत में हुआ था. इसका लिखित रिकॉर्ड 1628 के बाद से मिलता है, जब इसे मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के सिंहासन में पिरोया गया था.
वर्ष 1739 में ईरान के बादशाह नादिर शाह ने दिल्ली पर चढ़ाई की और मुग़लों को हरा दिया. इसके बाद कोहिनूर नादिर शाह के हाथों चला गया. नादिर शाह इसे अफ़ग़ानिस्तान ले गए.
स्मिथसोनियन पत्रिका के अनुसार ये बेशक़ीमती पत्थर एक के बाद एक राजघराने से गुजरता रहा और आख़िर में साल 1813 में महाराजा रणजीत सिंह के हाथ लगा.
उस समय भारत के बाक़ी हिस्से पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का राज था. कंपनी को इस हीरे के बारे में पता चला तो उसने इसे पाने की कोशिशें शुरू कर दीं.
साल 1849 में पंजाब की गद्दी के दस वर्षीय वारिस से ये हीरा छीन लिया और क्वीन विक्टोरिया को सौंप दिया.
इस हीरे की इंग्लैंड में वर्ष 1851 में भव्य नुमाइश की गई. लेकिन उस वक़्त कई लोगों को हीरा जंचा नहीं था. कुछ ने तो अफ़वाह फैला दी कि कोहिनूर भी अभिशप्त है.
अब ये हीरा इंग्लैंड के शाही राजघराने के पास है लेकिन भारत, पाकिस्तान, ईरान और अफ़ग़ानिस्तान तक इसे वापस लेने की मांग करते रहे हैं.
क्रिस्टी की अरबेला हिसकॉक्स कहती हैं, “मारी आंत्वानेट ज्वेलरी मालिकों की लिस्ट में काफी ऊंचे पायदान पर हैं.”
इसका सुबूत 10 नगीनों के सेट में मिलता है. ये किसी वक़्त फ्रांस की महारानी मारी के थे. बाद में बर्बन पारमा फ़ैमिली ने इन्हें खरीदा. साल 2018 में सॉदबी की नीलामी में ये कई लाख की कीमत पर बेचे गए.
ऐतिहासिक संग्रह का बेस्ट सेलिंग पीस एक ख़ूबसूरत सच्चे मोती का पेंडैंट था. इसे पानी के जहाज से बेल्जियम के ब्रसेल्स भेजा गया था.
हालाँकि तिसिए मानते हैं कि सम्राट के मोनोग्राम वाली छोटी सी गुलाबी अंगूठी वाकई बहुत ख़ास थी.
वो बताते हैं, “इसमें हीरे लगे हैं और अंदर मारी अंतोइनेत की लटें हैं. ये एक अविश्वसनीय चीज है. ये अंगूठी मैं अक्सर पहनती हूँ.”
वो कहते हैं, “मुझे याद है एक बार मैंने एक विशेषज्ञ से पूछा था कि इस बेहद दुर्लभ आभूषण की क्या कीमत हो सकती है. उनका जवाब था, बहुत ज़्यादा. अनुमान 85 सौ से 10 हज़ार छह सौ डॉलर के बीच लगाया गया लेकिन ये इसके 50 गुना कीमत पर बिका.”
1870 के दशक में इस हीरे को मशहूर स्टोर टिफ़नी ने खऱीदा. ये हीरा उस वक़्त बहुत मशहूर हो गया जब इसे 1961 में आई फ़िल्म “ब्रेकफास्ट एट टिफ़नीज़” के प्रचार से जुड़ी तस्वीरों के लिए अभिनेत्री ऑड्री हेपबर्न ने पहना.
ये हीरा देखने में बेहतरीन था. सांस्कृतिक तौर पर बहुमूल्य था. पीले रंग के इसे हीरे के साथ अतीत में कुछ परेशान करने वाली यादें जुड़ी थीं.
128.54 कैरेट के इस हीरे को अब तक सिर्फ़ चार महिलाओं ने पहना है. ये हैं सोशलाइट मैरी व्हाइटहाउस, ऑड्री हेपबर्न, लेडी गागा और बियोन्से लेकिन इस लकदक करते हीरे की कहानी भी काफ़ी दर्दनाक है.
इसे साल 1877 में दक्षिण अफ़्रीका की किंबरली खदान से निकाला गया था. इस खदान में काले मज़दूरों को बहुत ही दयानीय स्थिति में काम करने को मजबूर किया जाता था.
साल 2021 में वॉशिंगटन पोस्ट में छपे एक लेख में लेखिका केरन अतिया लिखा हैं कि ऐसे हीरों को ‘ब्लड डायमंड’ कहा जाना चाहिए.
पर क्यों? अतिया बताती हैं, “अफ़्रीका के संसाधनों की लूट के दौरान हज़ारों अफ़्रीकी लोगों ने जान गंवाई और कई समुदाय पूरी तरह से तबाह हो गए.”
लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट संग्रहालय में सबसे चर्चित आभूषण यही है. रानी विक्टोरिया के ताज पर सजे बेशक़ीमती नीलम और हीरे दमकते हैं. इसे प्रिंस एल्बर्ट ने महारानी के लिए 1840 में डिज़ाइन किया था. इसी साल इस शाही जोड़े का विवाह हुआ था.
इस ख़ूबसूरत ताज को बनाया था जोसफ़ किचिंग ने. यह ताउम्र महारानी की सबसे क़ीमती चीज़ रही.
मॉल्सवर्थ बताते हैं, “जब वो युवा थीं तो वे इसे शान से अपने सिर पर सजाती थीं. जब प्रिंस नहीं रहे तब ये ताज उनके कैप पर सजता था. वे अपने प्रेमी एल्बर्ट को ख़ुद से दूर नहीं रखना चाहती थीं.”
माल्सवर्थ कहती हैं कि ब्रितानी राजघराने के लिए नीलम ख़ास तौर पर अहम हैं. और विक्टोरिया से शुरू हुआ नीलम प्रेस प्रिंसेज़ डायना तक जाता है.
ऐतिहासिक नेपोलियन डायमंड नैकलेस 1811 में फ़्रांस के बादशाह ने अपनी दूसरी रानी मेरी लूई को उनके दूसरे बेटे नेपोलियन द्वितीय के पैदा होने पर उपहार में दिया था.
चांदी और सोने का ये हार इतिएन नितॉ ने डिज़ाइन किया था. इसमें 234 डायमंड हैं, जिन्हें कई छोटे-छोटे हीरों से सजाया गया है.
हिस्कॉक्स कहते हैं, “ये सारे हीरे भारत और ब्राज़ील की खदानों से आए हैं. ऐतिहासिक रूप से इन्हीं इलाक़ों में बेहतरीन पत्थर मिलते रहे हैं.”
नेपोलियन की हार के बाद ये बेशक़ीमती हार उनकी पत्नी के शहर वियना पहुँचाया गया. उनकी पत्नी की मौत के बाद ये हार, नेपोलियन की बहन के पास चला गया.
साल 1948 तक ये हार उन्हीं के पास रहा. उसके बाद ये फ्रांस के एक रईस ने ख़रीदा और उनसे अमेरिकी बिजनेसवूमेन मार्जरी मेरीवेदर पोस्ट ने ख़रीद लिया.
मेरीवेदर पोस्ट ने इसे स्मिथसोनियन संग्रहालय को दान कर दिया.