DMT : New Delhi : (04 फ़रवरी 2023) : –
सवेरे-सवेरे बिना दूध वाली चाय से दिन की शुरूआत करने के बारे में क्या आप सोच सकते हैं? कम से कम कुछ लोगों के लिए ऐसा कर पाना लगभग नामुमकिन है.
लेकिन, देश में दूध की लगातार बढ़ती क़ीमतें, कई भारतीयों के लिए दूध खरीदना मुश्किल बना रहे हैं.
दिल्ली में अधिकतर दूध की आपूर्ति करने वाले मदर डेरी ने दिसंबर में दूध के दाम दो रुपये प्रति लीटर बढ़ाए थे. साल 2022 में दूध के दामों में ये पांचवी बढ़ोतरी थी.
अब दूसरी दुग्ध आपूर्तिकर्ता कंपनी अमूल ने भी दूध के दाम तीन प्रति लीटर रुपये तक बढ़ा दिए हैं. अमूल ने नवंबर में भी दूध के दाम बढ़ाए थे.
दूध के दाम बढ़ने के कारणों के पीछे कंपनियों ने बढ़ी हुई लागत को ज़िम्मेदार बताया है.
भारत में एक औसत भारतीय महीने भर में खाने पर होने वाले कुल खर्चे में से लगभग 20 प्रतिशत दूध पर खर्च करता है. नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) के 68वें दौर (2011-12) के मुताबिक़ ग्रामीण इलाक़ों में भारतीय दूध और दुग्ध उत्पादों पर महीने में 116 रुपये खर्च करते हैं.
शहरों में ये खर्च और ज़्यादा है. शहरों में लोग महीने भर में खाने पर होने वाले 923 रुपये में से 187 रुपये दूध पर खर्च करते हैं.
शोध बताते हैं कि पिछले एक दशक में भारत में सभी आय वर्ग के लोगों में दूध का इस्तेमाल बढ़ा है. ऐसे में दूध के बढ़ते दाम उनके लिए परेशानी बन सकते हैं.
क्यों बढ़ रही हैं दूध की क़ीमतें?
नवंबर 2022 में दूध की थोक मुद्रास्फ़ीति दर 6.03 प्रतिशत तक हो गई थी. जून के बाद ये दूसरी बार है जब थोक मुद्रास्फ़ीति छह प्रतिशत पहुंची थी. बाकी महीनों में ये दर 5.4 प्रतिशत तक रही थी.
अक्टूबर 2022 में 8.39 फ़ीसदी की तुलना में समग्र थोक मुद्रास्फ़ीति 5.85 फ़ीसदी तक कम हो गई थी. ऐसे में थोक मुद्रास्फ़ीति नियंत्रित होने के बावजूद दूध में ये बढ़ोतरी होने के पीछे क्या कारण हैं?
इसकी दो मुख्य वजह हैं-
पहला, चारे की क़ीमतें – चारे का इस्तेमाल पशुओं को खिलाने के लिए होता है. जून 2013 के बाद इसके दाम इस समय सबसे ज़्यादा हैं. चारे की थोक मुद्रास्फ़ीति पिछले साल अक्टूबर में 8.85 प्रतिशत थी. वहीं, अगस्त में 25.54 प्रतिशत और सितंबर में 25.23 प्रतिशत थोक मुद्रास्फीती रही थी.
दूसरा, बढ़ती मांग – वैश्विक दुग्ध उत्पादन का 23 प्रतिशत भारत में उत्पादित होता है. भारत में लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में काम शुरू हुआ है और इससे वैश्विक स्तर पर दूध की मांग बढ़ गई है. पिछले साल के मुक़ाबले दूध खरीद दर भी 15 से 25 प्रतिशत तक बढ़ी है. ये सभी कारणों के चलते दूध के खुदरा दाम बढ़ रहे हैं.
कंपनियों का क्या है कहना?
पिछले साल नवंबर में मदर डेरी ने बढ़ते दामों के लिए मांग और आपूर्ति में आए अंतर की बात कही थी.
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, “दूध के दाम बढ़ाने की इसलिए ज़रूरत है ताकि सही कीमत देकर किसानों को मदद मिल सके और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण दूध मिल सके.”
अमूल ने नवंबर में दाम बढ़ाने पर कहा था कि उनके बढ़ाए दाम कुल मुद्रास्फ़ीति से कम हैं.
कंपनी ने कहा था, “दो रुपये प्रति लीटर दाम बढ़ाने से एमआरपी में चार प्रतिशत की वृद्धि होती है जो औसत खाद्य मुद्रास्फ़ीति से कम है.”