DMT : मुंबई : (08 अप्रैल 2023) : –
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लंबे समय बाद अच्छी-अच्छी खबरें दी हैं। केंद्रीय बैंक ने बृहस्पतिवार को अप्रत्याशित रूप से नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। आरबीआई के इस कदम से वाहन, मकान और अन्य ऋणों पर ब्याज दर में बढ़ोतरी के रुख पर लगाम लगेगी। नीतिगत दर नहीं बढ़ाने का निर्णय बाजार की उम्मीद से ज्यादा है। उधर, चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर अनुमान 6.4 से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दी गयी है। इसके साथ ही आरबीआई ने मुद्रा स्फीति के काबू में रहने के संकेत दिए हैं जिसका सीधा अर्थ है कि महंगाई काबू में रहेगी। गौर हो कि बाजार और विशेषज्ञों का अनुमान था कि केंद्रीय बैंक रेपो दर में वृद्धि करेगा।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सोमवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिये गए निर्णय के बारे में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘एमपीसी ने आर्थिक गतिविधियों में जारी तेजी को बरकरार रखने तथा उसे और गति देने के लिये आम सहमति से नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया है।’ गौर हो कि रेपो दर वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। इसमें बढ़ोतरी का मतलब है लोन महंगा होना और ईएमआई में बढ़ोतरी। आरबीआई पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है। आर्थिक वृद्धि का जिक्र करते हुए दास ने कहा, ‘रबी फसल का उत्पादन 2022-23 में 6.2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।’
मुद्रास्फीति के बारे में गवर्नर ने कहा कि रबी फसल अच्छी रहने से खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी की उम्मीद है। दास ने कहा कि सामान्य मानसून के बीच यदि कच्चे तेल के दाम औसतन 85 डॉलर प्रति बैरल पर रहते हैं तो चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत रहेगी।
बिना दावे की राशि : शुरू होगा पोर्टल
आरबीआई ने बिना दावे वाली जमा राशि का पता लगाने के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल शुरू करने का फैसला किया है। सबसे अधिक 8,086 करोड़ रुपये की बिना दावे वाली राशि भारतीय स्टेट बैंक में जमा है। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक में 5,340 करोड़ रुपये, केनरा बैंक में 4,558 करोड़ और बैंक ऑफ बड़ौदा में 3,904 करोड़ रुपये है। बैंकों के पास जिस जमाराशि पर 10 साल तक कोई दावा नहीं किया जाता है उसे रिजर्व बैंक के ‘जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (डीईए)’ कोष में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
समीक्षा बैठक की मुख्य बातें
प्रमुख नीतिगत दर रेपो 6.50 प्रतिशत पर बरकरार। चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान। वित्त वर्ष 2023-24 में मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत रहेगी। रबी की फसल अच्छी रहने से खाद्य वस्तुओं की महंगाई कम होगी। मांग-आपूर्ति की सख्त स्थिति की वजह से इन गर्मियों में दूध के दाम ऊंचे बने रहेंगे। कुछ विकसित देशों में बैंकों की विफलता पर रिजर्व बैंक की नजर। वर्ष 2022 में भारतीय रुपया व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ा। वर्ष 2023 में भी ऐसी ही स्थिति रहेगी।