DMT : पाकिस्तान : (02 मार्च 2023) : –
चीन और बेलारूस के नेताओं ने यूक्रेन में पिछले एक साल से जारी युद्ध को शांतिपूर्ण ढंग से ख़त्म किए जाने पर ज़ोर दिया है.
ये बात उस बयान में सामने आई है, जिसे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्ज़ेंडर लुकाशेंको की बीजिंग में हुई मुलाक़ात के बाद जारी किया गया है.
दोनों देशों के नेताओं को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का सहयोगी माना जाता है.
लुकाशेंको ने कहा है कि उनका देश यूक्रेन युद्ध ख़त्म करने के लिए ‘बीजिंग प्लान’ पर पूरी तरह सहमत है.
चीन का पीस प्लान
चीन ने पिछले हफ़्ते राष्ट्रीय संप्रभुता के सम्मान की बात करते हुए एक ‘पीस प्लान’ का एलान किया था.
लुकाशेंको चीनी डिप्लोमेट वांग यी की पुतिन से मुलाक़ात के कुछ दिन बाद ही बीजिंग पहुंचे हैं.
और लुकाशेंको और शी जिनपिंग की बैठक एक ऐसे समय पर हो रही है जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन यूक्रेन युद्ध पर चर्चा करने के लिए मध्य एशियाई देशों का दौरा कर रहे हैं.
बेलारूस की सरकारी न्यूज़ एजेंसी बेल्टा के मुताबिक़, चीन और बेलारुस ने पिछले बुधवार इस संघर्ष पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इसका जल्द से जल्द समाधान निकालने पर ज़ोर दिया था.
लुकाशेंको ने यूक्रेन युद्ध में रूस को मदद पहुंचाई है.
अंतरराष्ट्रीय मामलों पर नज़र रखने वालों की मानें तो बेलारूसी राष्ट्रपति का चीन जाना बताता है कि चीन रूस और उसके सहयोगियों के साथ अपने रिश्ते मज़बूत कर रहा है.
बेलारूसी राष्ट्रपति ने चीनी ‘पीस प्लान’ की तारीफ़ की है.
इस बारह सूत्री दस्तावेज़ में सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करने का आग्रह किया गया है. इस दस्तावेज़ में स्पष्ट रूप से ये नहीं लिखा है कि रूस को यूक्रेन से अपनी सैन्य टुकड़ियां वापस बुलानी चाहिए.
लेकिन इस दस्तावेज़ में रूस पर लगाए गए एकतरफ़ा प्रतिबंधों की निंदा की गई है जो कि यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों की निंदा करने जैसा है.
दोनों पक्षों की ओर से जारी बयान के मुताबिक़, लुकाशेंकों ने कहा है कि वह चीनी राष्ट्रपति की ओर से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर शुरू की गई पहल का पूरी तरह समर्थन करते हैं.
उन्होंने शी जिनपिंग से कहा है कि राजनीतिक फ़ैसलों का पहला और सबसे अहम मक़सद वैश्विक गतिरोध को रोकना होना चाहिए क्योंकि उसमें किसी को कुछ नहीं मिलता है.
हालांकि, चीन के ‘पीस प्लान’ को लेकर पश्चिमी दुनिया में सामान्य रूप से अविश्वास का भाव है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा कि वह इसके कुछ हिस्सों से सहमत हैं. उन्होंने कहा कि यह बताता है कि चीन बात करना चाहता है.
हालांकि, बीजिंग ने अब तक सार्वजनिक रूप से ज़ेलेंस्की की ओर से भेजे गए शिखर सम्मेलन के बुलावे पर प्रतिक्रिया नहीं दी है.
वहीं, चीन की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शीत युद्ध के दिनों वाली सोच को छोड़ने का आह्वान किया है.
उन्होंने ये भी कहा है कि देशों को अर्थव्यवस्था शब्द का राजनीतिकरण करना बंद करना चाहिए और ऐसे क़दम उठाने चाहिए जिससे संघर्ष विराम हो, युद्ध बंद हो और शांतिपूर्ण समाधान निकल सके.
क़रीब आते चीन और बेलारूस
बेलारूसी राष्ट्रपति के इस तीन दिवसीय दौरे से कुछ महीने पहले ही सितंबर में चीन ने बेलारूस के साथ अपने रिश्तों को नया स्वरूप दिया है. ये बदलाव यूक्रेन युद्ध शुरू होने के कई महीनों बाद देखने को मिला है.
चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बेलारूस के साथ रिश्तों को ‘ऑल वेदर कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप’ यानी सदाबहार दोस्ती जैसा टर्म दिया है जो इससे पहले सिर्फ़ पाकिस्तान के लिए इस्तेमाल किया गया है.
बीबीसी मॉनिटरिंग के विश्लेषण के मुताबिक़, इस टर्म का इस्तेमाल बताता है कि बेलारूस चीन के लिए रूस के बाद सबसे अहम मुल्क बन गया है.
इस युद्ध की शुरुआत से बेलारूस पुतिन का अहम सहयोगी रहा है. बेलारूस ने कीएफ़ पर हमला करने के लिए अपनी सीमा इस्तेमाल करने दी. हालांकि, रूस का वह प्रयास असफल रहा.
चीन ने इस मामले में तटस्थ दिखने की कोशिश करते हुए संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के अधिकार का सम्मान करने की बात कही है. लेकिन चीन ने रूस की निंदा करने से इनकार कर दिया और इस युद्ध में उनकी परोक्ष रूप से सहायता की है.
अलग-अलग आकलनों के मुताबिक़, चीनी स्टेट मीडिया ने लगातार इस युद्ध में रूसी पक्ष को आगे बढ़ाया है.
अमेरिकी दावा पर क्या बोला चीन
चीनी सरकार ने पिछले हफ़्ते अमेरिका की ओर से किए गए उन दावों को ख़ारिज किया है, जिनमें कहा गया था कि चीन रूस को गोला-बारूद देने पर विचार कर रही है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा है, “हमें अमेरिका की ओर से चीन-रूस संबंधों पर उंगली उठाया जाना या दबाव बनाना स्वीकार नहीं है.”
चीनी कंपनियों पर रूस को ड्रोन और सेमी-कंडक्टर चिप्स जैसी चीज़ें देने का आरोप लगा है, जिन्हें नागरिकों और सेना दोनों की ओर से इस्तेमाल किया जा सकता है.
बुधवार की यात्रा एक ऐसे समय पर हो रही है, जब ब्लिंकन अमेरिकी कूटनीतिक प्रयासों को गति देते हुए कजाख़स्तान और उज्बेकिस्तान का दौरा कर रहे हैं.
उज़्बेकिस्तान में भाषण देते हुए ब्लिंकन ने संप्रभुता के प्रति अमेरिकी समर्पण जताते हुए कहा है कि इस युद्ध ने पूरे क्षेत्र में चिंताओं को जन्म दिया है.
उन्होंने कहा, “अगर एक ताक़तवर देश अपनी ताक़त के बल पर अपने एक संप्रभु पड़ोसी की सीमाएं मिटाना चाहता है तो उसे दूसरों के साथ ऐसा करने से कौन रोक सकता है. मध्य एशियाई देश ये बात समझते हैं.”
मध्य एशिया के पांचों देश विघटित हो चुके सोवियत संघ के सदस्य थे और उनके रूस और चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते हैं.
इस युद्ध के दौरान मध्य एशियाई देशों ने तटस्थता का परिचय दिया है. और पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों का पालन किया है. इसके साथ ही इन देशों ने यूक्रेन पर आक्रमण पर अपनी असहजता भी व्यक्त की है.