DMT : पाकिस्तान : (15 फ़रवरी 2024) : –
पाकिस्तान में पिछले हफ़्ते हुए विवादास्पद चुनावों में जीतने वाले एक राजनेता ने अपनी सीट छोड़ने का एलान किया है.
उनका कहना है कि वोटिंग के दौरान उन्हें जिताने के लिए धांधली की गई थी.
जमीयत-ए-इस्लामी के हाफ़िज़ नईम उर रहमान को प्रांतीय विधानसभा की सीट नंबर पीएस-129 से विजेता घोषित किया गया था. ये सीट कराची शहर में पड़ती है.
लेकिन इस हफ़्ते उन्होंने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ के समर्थन से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार ने उनसे कहीं ज़्यादा वोट हासिल किए थे लेकिन बाद में उस उम्मीदवार के कुल मतों की संख्या को कम कर दिया गया था.
इतना ही नहीं, हाफ़िज़ नईम उर रहमान ने इसके बाद सीट छोड़ने का एलान कर दिया. हाफ़िज़ नईम उर रहमान ने सोमवार को अपनी पार्टी के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “अगर कोई हमें अवैध तरीके से जिताना चाहता है तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.”
उन्होंने कहा, “जनता की राय का सम्मान किया जाना चाहिए. विजेता को जीतने दिया जाए और पराजित उम्मीदवार को हारने दिया जाए. किसी को कुछ भी ज़्यादा नहीं मिलना चाहिए.”
हाफ़िज़ नईम उर रहमान ने बताया कि उन्हें 26 हज़ार से अधिक वोट मिले थे जबकि स्वतंत्र उम्मीदवार सैफ़ बारी को 31 हज़ार वोट मिले थे. बाद में पीटीआई समर्थित उम्मीदवार सैफ़ बारी के हिस्से में 11 हज़ार वोट ही दिखाए गए.
पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने हाफ़िज़ नईम उर रहमान के लगाए आरोपों को खारिज किया है.
ये साफ़ नहीं है कि सैफ़ बारी के सीट छोड़ने के एलान के बाद पीएस-129 सीट किसके पास रहेगी.
लेकिन इस घटना ने बीते गुरुवार को हुए पाकिस्तान के चुनावों की निष्पक्षता को लेकर उठी शंकाओं को एक बार फिर से रेखांकित कर दिया है.
इन चुनावों में बड़े पैमाने पर वोटों की धोखाधड़ी और दखलंदाज़ी के आरोप लगे हैं.
कहा जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के समर्थन से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की संभावना को नुक़सान पहुंचाने के लिए ये गड़बड़ियां की गई हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पिछले साल के अगस्त महीने से ही जेल में हैं. उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ को चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दे दिया गया था.
यहां तक कि पार्टी के चुनाव चिह्न बल्ले को भी ज़ब्त कर लिया गया.
इसका सीधा मतलब ये था कि पीटीआई के उम्मीदवारों को स्वतंत्र प्रत्याशी की हैसियत से चुनाव लड़ना पड़ा.
लेकिन इन तमाम बाधाओं के बावजूद देश भर में मतदाताओं ने बड़े पैमाने पर चुनावों में हिस्सा लिया और इमरान ख़ान के समर्थन में मतदान किया.
265 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में पीटीआई समर्थित 93 स्वतंत्र उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की.
इसके साथ ही नेशनल असेंबली में इन स्वतंत्र उम्मीदवारों का गुट किसी अन्य पार्टी से कहीं आगे था.
हालांकि पीटीआई का कहना है कि उसके उम्मीदवारों ने अधिक सीटों पर जीत दर्ज की है और उनके चुनाव जीतने का अंतर भी कहीं अधिक है.
उन्होंने मतदान में धांधली के कई आरोप लगाए हैं और पीएस-129 सीट छोड़ने के जमीयत-ए-इस्लामी के उम्मीदवार के फ़ैसले का स्वागत किया है.
पीटीआई की कामयाबी के बावजूद इमरान ख़ान के विरोधी राजनेताओं नवाज़ शरीफ़ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और बिलावल भुट्टो ज़रदारी की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने इस हफ़्ते की शुरुआत में बताया कि नई सरकार के गठन के लिए उनके बीच समझौता हो गया है.
पिछले हफ़्ते हुए चुनावों में पीएमएल (एन) को 75 सीटें मिली हैं जबकि तीसरे स्थान पर रही पीपीपी के खाते में 54 सीटें आई हैं.
गठबंधन सरकार के गठन के लिए उन्होंने एमक्यूएम जैसी क्षेत्रीय और छोटी पार्टियों के साथ भी करार किया है.
इसके अलावा राजनीतिक दलों को महिलाओं और ग़ैर मुसलमानों के लिए आरक्षित 70 सीटें भी मिलेंगी.
ये अतिरिक्त सीटें स्वतंत्र उम्मीदवारों को हासिल नहीं हैं.
इस गणित का ये भी मतलब है कि सरकार गठन के लिए ज़रूरी 169 सीटें इस गठबंधन को आसानी से मिल जाएंगी.
साल 2022 में इमरान ख़ान को सत्ता से बेदखल करने के लिए पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने हाथ मिलाया था.
नवाज़ शरीफ़ के भाई शहबाज़ शरीफ़ ने उस वक़्त प्रधानमंत्री पद का दायित्व संभाला था.
इस बार भी उन्हें देश के नए नेता के तौर पर प्रोजेक्ट किया जा रहा है.
इमरान ख़ान को संसद में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए प्रधानमंत्री के पद से हटाया गया था. उसके बाद उन पर कई आपराधिक आरोप लगाए गए थे.
चुनाव के ठीक पहले उन्हें कई आरोपों में 14 साल जेल की सज़ा सुनाई गई थी. उन्हें दी गई कई सज़ाओं पर एक साथ तामील होगी.
71 वर्षीय इमरान ख़ान का कहना है कि उन्हें झूठे मुक़दमों में फंसाया गया है और ये उनके ख़िलाफ़ की गई राजनीतिक साज़िशों के तहत हुआ है.
पाकिस्तान की केयर टेकर सरकार इमरान ख़ान के इन आरोपों को खारिज करती है.