DMT : पाकिस्तान : (16 मार्च 2023) : –
तोशाखाना मामले में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ इस्लामाबाद के ज़िला और सत्र न्यायालय में सुनवाई हुई.
कोर्ट ने कहा है कि अगर इमरान ख़ान सरेंडर कर देते हैं तो अदालत पुलिस को आदेश दे सकती है कि वो उन्हें गिरफ़्तार ना करे.
सुनवाई के दौरान इमरान ख़ान के वकील ख़्वाजा हारिस ने कोर्ट से पूछा कि इमरान ख़ान को गिरफ़्तार कर कोर्ट में लाना क्या ज़रूरी है?
इस पर एडिशनल सेशन जज जफ़र इक़बाल ने टिप्पणी की, “हम चाहते हैं कि इमरान ख़ान अदालत आएं, वे आ क्यों नहीं रहे हैं? क्या कारण है?”
कोर्ट ने कहा कि इमरान ख़ान को क़ानून के मुताबिक़ पुलिस की मदद करनी है, विरोध नहीं करना.
इससे पहले सुनवाई की शुरुआत में ख़ान के वकील ख़्वाजा हारिस ने वारंट जारी रखने के इस्लामाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसला को पढ़कर सुनाया.
हालांकि एडिशनल सेशन जज जफ़र इक़बाल ने बताया कि इस्लामाबाद हाई कोर्ट का फ़ैसला अभी तक सेशन कोर्ट को नहीं मिला है.
इमरान खान के वकील ने कोर्ट के सामने दो विकल्प रखते हुए कहा, “पहला विकल्प अंडरटेकिंग एप्लिकेशन को मंजूरी देना और ग़ैर-ज़मानती वारंट को रद्द करना है. दूसरा विकल्प, ज़मानती गिरफ़्तारी वारंट जारी करना है. इमरान ख़ान एक हलफ़नामा देना चाहते हैं कि वो 18 मार्च को सेशन कोर्ट के समक्ष पेश होंगे.”
इस पर जज जफ़र इक़बाल ने कहा कि वे चुनाव आयोग को भी नोटिस देते हैं. उसके बाद कोर्ट ने यह सुनवाई स्थगित कर दी.
जज जफर इकबाल ने कहा, ”इमरान ख़ान पाकिस्तान के ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे महंगे वारंट बन गए हैं.”
इस बीच लाहौर हाई कोर्ट ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी को आदेश दिया है कि वो पाकिस्तान मीनार पर रविवार को रैली ना करे.
इससे पहले इमरान ख़ान को फ़ौरी राहत देते हुए लाहौर हाई कोर्ट ने बुधवार को पुलिस को आदेश दिया था कि वह पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ़्तारी के लिए उनके लाहौर स्थित आवास पर अपना ऑपरेशन गुरुवार सुबह दस बजे तक रोक दे. इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई रोक दी थी.
इमरान ख़ान भ्रष्टाचार के एक मामले में अभियुक्त हैं और इस मामले में उनकी गिरफ़्तारी के लिए उनके आवास ज़मान पार्क में मंगलवार को पंजाब पुलिस और रेंजर्स ने ऑपरेशन शुरू किया था.
लेकिन वहां बड़ी संख्या में जुटे इमरान ख़ान के समर्थकों के विरोध प्रदर्शन के कारण ये ऑपरेशन दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प में तब्दील हो गया.
इमरान ख़ान की पार्टी तहरीक़-ए-इंसाफ़ ने पुलिस के ऑपरेशन के ख़िलाफ़ लाहौर हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था और अपील की थी कि कोर्ट सरकार को ऑपरेशन रोकने का आदेश दे.
बुधवार को हाई कोर्ट ने पीटीआई नेता फ़वाद चौधरी की याचिका पर पंजाब महानिरीक्षक, मुख्य सचिव और इस्लामाबाद पुलिस (ऑपरेशंस) प्रमुख को तलब किया और कोर्ट का आदेश आने के बाद पुलिस ने इमरान ख़ान के आवास ज़मान पार्क पर अपना ऑपरेशन रोक दिया.
कोर्ट में पेश होने वाले पंजाब आईजीपी डॉ. उस्मान अनवर ने कोर्ट को बताया कि “पुलिस ने ये ऑपरेशन इसलिए शुरू किया क्योंकि इस्लामाबाद पुलिस के पास इमरान ख़ान के खिलाफ़ तोशाखाना केस में गिरफ्तारी का वारंट है. क़ानून के मुताबिक़ हमे ये आदेश लागू करना था.”
एक कोर्ट के अधिकारी ने बताया कि पीटीआई समर्थकों और पुलिस बल के बीच हुई झड़प में 59 पुलिसकर्मी ज़ख़्मी हुए हैं.
इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने फ़ैसला किया सुरक्षित
लाहौर हाईकोर्ट के इतर, इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को इमरान ख़ान की उस याचिका पर फ़ैसला सुरक्षित कर लिया जिसमें ख़ान ने अपने खिलाफ़ जारी गिरफ्तारी वॉरंट रद्द करने की मांग की थी.
28 फरवरी को इस्लामाबाद की ज़िला और सेशन कोर्ट ने इमरान ख़ान के खिलाफ़ तोशाख़ाना केस में ग़ैर-ज़मानती वॉरंट जारी किया था.
इमरान ख़ान ने कोर्ट में अपने वकील के ज़रिए एक हलफ़नामा भी जारी किया है जिसमें कहा गया है कि वह 18 मार्च को कोर्ट में पेश होंगे.
इस्लामाबाद हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस आमिर फ़ारूक़ ने सुनवाई के दौरान कहा, “अदालत संघर्ष से बचने और अदालतों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने के लिए आदेश जारी करेगी.”
सुनवाई के दौरान इमरान ख़ान के वकील ख्वाजा हारिस ने कोर्ट को बताया कि वह व्यक्तिगत रूप से कोर्ट को आश्वासन देते हैं कि इमरान खान 18 मार्च को सत्र न्यायाधीश की अदालत में पेश होंगे.
इस पर चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि अदालतों का सम्मान और गरिमा बहुत महत्वपूर्ण है और ऐसा नहीं होना चाहिए कि कानून सभी के लिए समान नहीं है. हमारे लिए यह बहुत जरूरी है कि कानून सबके लिए एक समान हो.
चीफ जस्टिस ने कहा कि वारंट फिर से जारी करना कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि कोर्ट ने कहा था कि इमरान खान 13 मार्च को पेश हों, नहीं तो वारंट बहाल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि मामला जो भी हो आरोपी को कोर्ट में पेश होना ही चाहिए.
अगर किसी आपराधिक मामले में समन जारी किया जाता है, तो क्या अदालत में पेश होना जरूरी नहीं है? मुख्य न्यायाधीश ने आगे टिप्पणी की, “यदि कोई आदेश दिया जाता है, तो वह तब तक बना रहता है जब तक कि उसे रद्द नहीं किया जाता है.”
कोर्ट ने इस मामले में अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया लेकिन ये नहीं बताया है कि कब ये फ़ैसला सुनाया जाएगा.
पीटीआई कार्यकर्ता बनाम पुलिस
मंगलवार को जब पंजाब पुलिस और रेंजर्स लाहौर के ज़मान पार्क इमरान खान की गिरफ़्तारी के लिए पहुंचे तो वहां इमरान ख़ान के समर्थकों ने पुलिस पर पथराव किया. जिसके जवाब में पुलिस ने पीटीआई कार्यकर्ताओं को बुरी तरह पीटा और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर दिया.
जमान पार्क में पीटीआई महिला कार्यकर्ता अच्छी संख्या में मौजूद थीं.
लाहौर में मौजूद बीबीसी संवाददाता तरहब असगर ने बताया कि “यहां की सड़कें पत्थरों से पट गई हैं, जबकि एक मोटरसाइकिल, एक पिकअप वैन और एक पानी का टैंकर भी जला दिया गया.”
इस ऑपरेशन के दौरान इमरान खान के आवास के भीतर आंसू गैस छोड़े गए.
इस दौरान बड़ी संख्या में वकीलों ने माल रोड पर पुलिस के ऑपरेशन के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन भी किया.
पीटीआई ने एक ट्वीट में लिखा कि “ज़मान पार्क में अधिक से अधिक कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं और गठबंधन सरकार के ”नापाक मंसूबों” को कामयाब नहीं होने देंगे.”
ज़मान पार्क का इलाका एक युद्ध के मैदान में तब्दील हो गया था जहां 70 साल के इमरान खान के समर्थक और पुलिसकर्मियों के बीच जमकर झड़प होती रही. इन समर्थकों मे पुलिस को इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी नहीं करने दी.
इमरान खान पर क्या आरोप है
बीते साल अक्टूबर में पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने तोशाखाना मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को अगले पांच साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य क़रार दिया था.
चुनाव आयोग ने कहा था कि इमरान ख़ान ने सत्ता में रहते हुए तोशाखाना से जो तोहफ़े लिए थे, उसके बारे में अधिकारियों को उन्होंने सही जानकारी नहीं दी.
इमरान ख़ान पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए क़ीमती तोहफ़े अपने फ़ायदे के लिए बेचे. इमरान ख़ान ने चुनाव आयोग को दी गई अपनी संपत्ति की घोषणा में उसका ब्योरा नहीं दिया था.
चुनाव आयोग ने बाद में ज़िला अदालत में शिकायत दर्ज की थी कि प्रधानमंत्री रहते हुए इमरान ख़ान को जो गिफ़्ट मिले उसे उन्होंने बेच दिया और इस मामले में उन्हें आपराधिक क़ानूनों के ज़रिए सज़ा दी जाए.
आरोप है कि इमरान ख़ान ने प्रधानमंत्री रहते हुए तोशाखाना के मंहगे गिफ़्ट, घड़िया अपने फ़ायदे के लिए बेची थीं.
1974 में पाकिस्तान में तोशाखाना स्थापित किया गया. ये कैबिनेट डिवीजन के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक विभाग है जहां देश के प्रमुखों, मंत्रियों, नौकरशाहों, सासंदों को विदेशी सरकार या अधिकारियो की ओर से मिले मंहगे गिफ़्ट रखे जाते हैं.