DMT : रोहतक : (05 अप्रैल 2023) : –
चट मंगनी, पट ब्याह। थोड़ी शंका, थोड़ी चिंता। हरियाणवी रीति-रिवाजों को समझा। अब तो भा गयी यहां की संस्कृति और यहां की बोली। दूर-दराज से आई दुल्हन अपनी सखियों, बहनों के लिए भी बतौर वर हरियाणवी छोरों की बात कर रही हैं। असल में हरियाणा में दूसरे प्रदेशों से दुल्हन लाने की कवायद ‘कारोबार’ सरीखा हो चुका है। कुछ बिचौलियों के पास विभिन्न प्रदेशों की युवतियों की फोटो हैं, कुंडली हैं। वधू ढूंढ़ रहे लोगों से इनका संपर्क होता है और रंग, रूप, शैक्षिक योग्यता के हिसाब से ‘फिक्स रकम’ लेकर शादी तय करा दी जाती है। पढ़ी-लिखी दुल्हन के लिए करीब दो लाख खर्च करना होता है। शर्त होती है कि शादी संबंधित युवती के मायके में ही होगी और खाने का खर्च भी दूल्हा पक्ष ही देगा। शादी करा रहे बिचौलिये विवाद निपटारे की भी जिम्मेदारी लेते हैं।
हरियाणा में ब्याहकर लाई जा रही ज्यादातर युवतियां बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, असम, उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट से हैं। दुल्हन बनकर आईं ये युवतियां हरियावणी रीति रिवाज के साथ-साथ बोली भी सीखती हैं। असम से दुल्हन लेकर आए प्रमोद का कहना है कि उनका वैवाहिक जीवन बहुत अच्छा चल रहा है। शुरुआत में बोली को लेकर दिक्कत हुई थी, लेकिन अब सब ठीक है। दो बच्चे हैं। झांसी से दुल्हन लेकर आए राजेश का परिवार भी खुश है। सांपला में पूणे से आई एक दुल्हन कहती हैं, ‘शुरू में हरियाणा नाम से डर लग रहा था, लेकिन अब यहां के रीति-रिवाज बहुत भा रहे हैं। अब मैंने अपनी बहन व चाचा की लड़की का रिश्ता भी यहीं पर तय करवा दिया है।’ जानकार कहते हैं कि सहमति से हो रही ये शादियां समाज के लिए अच्छी बात है। वैसे युवतियों को शुरू में थोड़ी असहजता हो रही है, लेकिन कुछ समय बाद ही वह रीति रिवाज समझ रहे हैं। ऐसे जोड़ियों के बच्चे भी दो-दो स्थानों की संस्कृति सीख रहे हैं। वैसे हरियाणा में लिंगानुपात में सुधार से आने वाले एक-दो दशकों में विवाह योग्य युवतियों की संख्या में अच्छा इजाफा हो जाएगा।
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान से सुधरा है लिंगानुपात
हरियाणा में एक समय था जब हजार लड़कों के अनुपात में सिर्फ सात सौ के करीब ही लड़कियां थीं। कई जिलों में तो स्थिति ज्यादा गंभीर थी। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री ने पानीपत में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत की। इस वक्त प्रदेश में एक हजार लड़कों पर 917 लड़किया हैं। जींद व फतेहाबाद जिले में यह अनुपात सबसे अच्छा है। जींद में एक हजार लडकों की तुलना में 986 लडकियों ने जन्म लिया है। हालांकि कुरुक्षेत्र, फरीदाबाद, हिसार, करनाल व रेवाड़ी में दर्ज लिंगानुपात के आंकड़ों ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है। इन पांच जिलों में लिंगानुपात 900 से नीचे दर्ज किया गया। स्वास्थ्य विभाग जांच कर रहा है।