DMT : इंडोनेशिया : (11 मार्च 2023) : –
अभी ज़्यादा वक्त नहीं गुज़रा जब 35 साल के सुखजिंदर भी अपने जैसे लाखों नौजवानों की तरह अमेरिका जाकर बेहतर ज़िंदगी जीने का ख़्वाब देखते थे, लेकिन अब कोई अमेरिका का नाम भी ले तो वे सिहर उठते हैं.
बकौल सुखजिंदर, “अब तो मुझे अमेरिका के नाम से भी डर लगता है, अगर फिर भी कोई व्यक्ति मेरे सामने विदेश जाने की बात करता है, तो मेरा शरीर डर के मारे कांपना शुरू कर देता है, इसी चक्कर में मेरा सब कुछ तबाह हो गया है.”
इस तबाही की वजह बना वो ज़रिया जो सुखजिंदर ने अमेरिका जाने के लिए चुना.
तरन तारन के रहने वाले सुखजिंदर का परिचय एक रिश्तेदार ने बाली में रहने वाले सनी कुमार नाम के युवक से करवाया. सुखजिंदर की मानें तो सनी कुमार ने उन्हें मैक्सिको के रास्ते अवैध तरीक़े से अमेरिका पहुंचाने का भरोसा दिलाया.
योजना थी कि सुखजिंदर को पहले बाली आना होगा और वहां से आगे का रास्ता तय होगा. पूरा सौदा 45 लाख रुपये में तय हुआ.
विदेश भेजने के नाम पर ठगी पंजाब जैसे राज्यों में कोई नई बात नहीं है. मगर सुखजिंदर का भरोसा तब जगा जब बिना कोई पेशगी लिए उन्हें बाली का टिकट भेज दिया गया.
यहां सुखजिंदर की कहानी में ऐसा मोड़ आया जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी.
वे बताते हैं, “बाली पहुंचने पर सनी कुमार मुझे एक घर में ले गया और क़ैद कर लिया. उन्होंने मुझे क़रीब 23 दिन तक बंदी बनाए रखा.”
सुखजिंदर के मुताबिक यहां उन्हें इस कदर पीटा गया कि आखिर उन्हें घरवालों से झूठ बोलना पड़ा कि वो अमेरिका पहुंच गए हैं और सनी को 45 लाख दे दिए जाएं. 45 लाख गंवाने के बाद उनका अमेरिका का सपना तो चूर हुआ ही, घर भी वो काफ़ी जतन के बाद पहुंच सके.
तरन तारन के ही जसविंदर सिंह भी कुछ ऐसी ही दास्तान सुनाते हैं. 5 अक्टूबर 2022 को वो भी इसी गिरोह के झांसे में आकर बाली पहुंचे थे और आखिरकर 18 दिन ठगों की क़ैद में रहने के बाद उन्हें भी 45 लाख रुपये चुकाकर जान छुड़ानी पड़ी थी.
मोहाली पुलिस के डीएसपी दिलशेर सिंह के मुताबिक अमेरिका के नाम पर ठगी सिर्फ़ पंजाब के नौजवानों के साथ ही नहीं हुई बल्कि भारत के चार राज्यों के युवा इंडोनेशिया के बाली शहर में सक्रिय इस मानव तस्करी गैंग का शिकार हो चुके हैं.
ठगी के शिकार हुए युवाओं की आपबीती और पुलिस की जांच से पता चला है कि इस गिरोह का पंजाब में अपना कोई दफ़्तर नहीं है. पंजाब में विदेश ले जाने वाले एजेंटों और कंपनियों के इश्तेहार आपको हर जगह मिलेंगे लेकिन इस गिरोह का कोई विज्ञापन भी अब तक नहीं मिला है.
लोगों को फांसने के लिए गिरोह मोबाइल फ़ोन का ही सहारा लेता था. आमतौर पर ग़रीब या मध्यम वर्ग के परिवारों के नौजवानों को जब बिना रक़म चुकाए ही बाली का टिकट थमा दिया जाता था, तो उनका भरोसा बढ़ जाता था.
ये नौजवान ये सोचकर बाली पहुंचते थे कि यहां से इन्हें मैक्सिको के रास्ते अमेरिका पहुंचाया जाएगा लेकिन उन्हें यहां अगवा करके मारा-पीटा जाता था ताकि वो अपने घरवालों से फिरौती दिलवा सकें. फिरौती देकर छूटने के बाद वो घर कैसे लौटेंगे, ये भी पीड़ितों को ख़ुद ही तय करना होता था.
पुलिस की मानें तो गिरोह पिछले दो साल से सक्रिय था और आमतौर पर कम पढ़े-लिखे नौजवानों को ही निशाना बनाता था. जानकारी के मुताबिक़ इन युवाओं को सिर्फ़ इंडोनेशिया और सिंगापुर ही बुलाया जाता था क्योंकि इन देशों में भारतीयों को वीज़ा-ऑन-अराइवल की सुविधा हासिल है. इन देशों का हवाई टिकट भी बाकी कई नज़दीकी देशों के मुक़ाबले सस्ता मिल जाता है.
सरगना कौन?
मोहाली पुलिस के मुताबिक़ इस ठगी के दो मास्टरमाइंड भारतीय हैं. इंडोनेशिया में मौजूद सनी कुमार पंजाब के होशियारपुर ज़िले के गांव सालेरिया ख़ुर्द का रहने वाला है और दूसरा जसवीर सिंह उर्फ़ संजय सिंगापुर में मौजूद है जिस का संबंध जालंधर से है.
पुलिस के अनुसार, गिरोह के कुछ सदस्य पंजाब और बाकी बाली में सक्रिय हैं. पंजाब में सक्रिय लोगों का काम अगवा किए युवाओं से पैसे की वसूली करना और बाली में रहने वाली टीम का काम युवकों को पहले वहां बुलाना और फिर अपहरण करना था.
फ़िलहाल पुलिस ने गिरोह के सरगना सनी की पंजाब में रहने वाली पत्नी और पिता को गिरफ़्तार कर उसके घर से डेढ़ करोड़ रुपये बरामद किए हैं. इसके अलावा गिरोह के लिए पंजाब में काम करने वाली एक महिला को पुलिस ने गिरफ़्तार किया है. गिरोह के सरगना अभी भी इंडोनेशिया में हैं.
ग्रामीण युवा ही ज़्यादातर शिकार क्यों?
पटियाला के पहल कलां गांव के मनप्रीत सिंह भी इस गिरोह की ठगी का शिकार हो चुके हैं. उनका कहना है कि वो एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे लेकिन तनख़्वाह में परिवार का गुज़ारा मुश्किल हो रहा था. इसलिए उन्होंने अमेरिका जाने की सोची और राजपुरा के एक एजेंट के झांसे में फंस गए.
सुखजिंदर ने भी बताया कि गांव में उनकी जो ज़मीन थी, उससे परिवार का खर्च पूरा करना मुश्किल हो रहा था.
पहल गांव के ही जसवीर सिंह ने भी अमेरिका जाने के लिए अपनी ज़मीन बेची और कर्ज़ लिया.
वे चिंता ज़ाहिर करते हैं, “कर्ज़ देने वाले अब पैसे मांग रहे हैं. कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या करें.”
पंजाब में युवाओं के बीच विदेश जाने का चलन नया नहीं है. इसके पीछे एक वजह पहले से विदेश में कामयाब पंजाबी अप्रवासी भी हैं. अक्सर नौजवान उनके जैसे ही कामयाब होने की चाह में विदेश का रुख़ करते हैं.
जिनके पास साधन हैं या डिग्रियां हैं, उनके लिए वैध तरीक़े से विदेश में काम हासिल करना आसान होता है, लेकिन कम पढ़े-लिखे गांवों के नौजवानों के पास अक्सर ये चारा नहीं होता. इसलिए वो अक्सर फर्ज़ी गिरोहों या एजेंटों के चक्कर में फंस जाते हैं.
ठगी के इसी गोरखधंधे का शिकार हो चुके पटियाला के विशाल कुमार कहते हैं, “पढ़े-लिखे युवा आईईएलटीएस की परीक्षा पास करके विदेश जा रहे हैं और कम पढ़े-लिखे हमारी तरह ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से विदेश जाने की सोचते हैं.”
दसवीं पास करने के बाद भी कोई नौकरी न मिलने के बाद वे इस गिरोह की जाल में फंसे थे लेकिन विदेश जाने की जगह पैसा चुकाकर उन्हें बाली से जान छुड़ानी पड़ी थी.
जानकार क्या कहते हैं?
पंजाब के जाने-माने अर्थशास्त्री रंजीत सिंह घुमन का कहना है कि बेरोज़गारी, नशे और गैंगस्टरों की गतिविधियों के कारण युवाओं को अपना भविष्य इस राज्य में अंधकार में नज़र आ रहा है, इसलिए वो विदेश जाने को प्राथमिकता दे रहे हैं.
उनके मुताबिक़ पंजाब में निवेश की कमी के कारण रोज़गार के नए अवसर पैदा नहीं हो पा रहे हैं जिससे युवा बड़ी संख्या में विदेश जा रहे हैं.
आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के मुताबिक राज्य में बेरोज़गारी की दर 7.3 फ़ीसद है.
ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी दर 7.1 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 7.5 प्रतिशत है. घुमन मानते हैं कि युवाओं को विदेश जाने से रोकने के लिए राज्य में रोज़गार के अवसर और निवेश को बढ़ाना होगा.
क़ानून के बावजूद जारी धोखाधड़ी
पंजाब में अवैध मानव तस्करी के ख़िलाफ़ पंजाब ट्रैवल प्रोफेशनल्स एक्ट 2014 मौजूद है.
इस साल जनवरी में जालंधर प्रशासन ने नियमों के कथित उल्लंघन की वजह से 239 इमिग्रेशन सलाहकारों और 129 आईईएलटीएस सेंटरों के लाइसेंस रद्द किए हैं.
जालंधर पुलिस के उपायुक्त के मुताबिक़ जालंधर ज़िले में 1320 इमिग्रेशन सलाहकारों, विदेशी टिकट बुक करवाने वालों और आईईएलटीएस केंद्रों के मालिकों को नोटिस भी जारी किए हैं. इनमें से 495 के लाइसेंस रद्द भी किए गए हैं.
विशेषज्ञ रंजीत सिंह घुमन कहते हैं कि फ़ेक एजेंट्स को पकड़ने के लिए बेशक कड़ा क़ानून है, लेकिन क़ानूनी प्रक्रिया बहुत लंबी और जटिल हैं लिहाज़ा फ़ेक एंजेंट्स अपना काम मुस्तैदी से कर रहे हैं.
घुमन कहते हैं अवैध रूप से विदेश जाते समय हुई दुर्घटनाओं में बहुत से लोगों की जान भी जा चुकी है इसके बावजूद पंजाब के युवा किसी भी कीमत पर विदेश जाने को प्राथमिकता दे रहे हैं.
भारतीयों में अवैध रूप से अमेरिका जाने की प्रवृत्ति
भारतीयों ख़ासतौर पर पंजाब के युवाओं का अवैध रूप से मैक्सिको सीमा से अमेरिका में जाने का रुझान काफ़ी पुराना है. कुछ लोग कनाडा से अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करते हैं, लेकिन अधिकांश मैक्सिको का रास्ता ही अपनाते हैं.
एजेंट्स, मैक्सिको-अमेरिका सरहद पर बनी दीवार को पार करवाने के पैसे लेते हैं. अमेरिका कस्टम और बॉर्डर पेट्रोलिंग विभाग के आंकड़ों के मुताबिक़, मैक्सिको सीमा से अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने वाले भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
विभाग के आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में 19,883 तो 2021 में 30,662 और 2022 में 63 हज़ार 927 भारतीयों को अवैध रूप से अमेरिका प्रवेश करने की कोशिश में गिरफ़्तार किया गया.
मैक्सिको सीमा से अमेरिका में प्रवेश करना आसान नहीं है. 2019 में मैक्सिको बॉर्डर तब सुर्खियों में आया जब एरिजोना में पंजाबी मूल की छह साल की बच्ची की मौत हो गई.
यह बच्ची अपनी मां के साथ अवैध रूप से मैक्सिको की सीमा पार कर अमेरिका में दाखिल हुई थी, लेकिन तब वहां का तापमान 42 डिग्री था और उस गर्मी की वजह से उसकी मौत हो गई थी.