DMT : New Delhi : (15 फ़रवरी 2023) : –
भारतीय आयकर विभाग की ओर से मंगलवार सुबह अंतरराष्ट्रीय समाचार प्रसारक बीबीसी के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ़्तरों पर सर्वे की ख़बर को दुनिया के तमाम प्रतिष्ठित अख़बारों ने प्रमुखता से छापा है.
बीबीसी प्रेस ऑफ़िस ने इस मामले पर जारी अपने बयान में कहा है कि ‘हम अपने कर्मचारियों की मदद कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि स्थिति जल्द से जल्द सामान्य हो जाएगी.’
‘हमारा आउटपुट और पत्रकारिता से जुड़ा काम सामान्य दिनों की तरह चलता रहेगा. हम अपने ऑडियंस को सेवा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’
ये ख़बर लिखे जाने तक आयकर विभाग के अधिकारी बीबीसी के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ़्तरों में मौजूद थे.
न्यूयॉर्क टाइम्स
अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस घटना पर एक विस्तृत ख़बर प्रकाशित की है जिसमें अलग-अलग पक्षों से बात भी गयी है.
इस ख़बर में लिखा गया है – ‘भारत के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के प्रति भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख़ की आलोचना करने वाली डॉक्यूमेंट्री के प्रसार को रोकने की कोशिश किए जाने के हफ़्तों बाद उनकी सरकार के आयकर विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को बीबीसी के दिल्ली और मुंबई दफ़्तरों पर छापा मारा है.’
अख़बार ने ये भी लिखा है कि ‘नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सरकारी एजेंसियों ने अक्सर ही स्वतंत्र मीडिया संस्थानों, मानवाधिकार संगठनों और थिंक टैंकों पर छापे मारे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता सरकार की ओर से उनके फ़ंडिंग स्रोतों को निशाना बनाने को आलोचनात्मक आवाज़ों को दबाने की कोशिशों के रूप में देखते हैं.’
वॉशिंगटन पोस्ट
अमेरिकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट ने इस घटना पर एक विस्तृत विश्लेषण प्रकाशित किया है जिसमें भारत में प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर बात की गयी है.
‘आयकर विभाग अधिकारियों के बीबीसी के मुंबई और दिल्ली स्थित दफ़्तरों पर पहुंचने से दुनिया भर का ध्यान भारत में प्रेस स्वतंत्रता के ख़राब हालातों पर गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसे ”सर्वे” कहा है जो कि टैक्स रेड को व्यक्त करने का ही एक अलग ढंग है. इसकी टाइमिंग को लेकर भी सवाल हैं.
ब्रितानी प्रसारक ने तीन हफ़्ते पहले ही एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज़ की थी जिसमें साल 2002 के गुजरात सांप्रदायिक दंगों में पीएम नरेंद्र मोदी की कथित भूमिका की ओर ध्यान खींचा गया था. इस मामले में मोदी काफ़ी संवेदनशील दिखे हैं – उनकी सरकार ने डॉक्यूमेंट्री ब्लॉक करने के साथ ही सोशल मीडिया से लेकर विश्वविद्यालयों में उसकी क्लिप्स को रोकने की कोशिश की.’
वॉल स्ट्रीट जर्नल
अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने भी इस घटना के समय को लेकर एक ख़बर प्रकाशित की है.
‘बीबीसी के दिल्ली स्थित दफ़्तर में काम करने वाले एक कर्मचारी ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया है कि टैक्स अधिकारियों ने उन्हें मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल करने से रोक दिया था. वहीं, आयकर विभाग के एक अधिकारी ने बताया है कि उनके विभाग ने टैक्स से जुड़े दस्तावेज़ों को वेरिफ़ाई करने के लिए सर्वे अभियान चलाया है और उन्होंने इससे अधिक जानकारी नहीं दी है.’
इस ख़बर में ये बात भी रेखांकित की गयी है कि ‘ये कार्रवाई मोदी सरकार की ओर से बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया – द मोदी क्वेश्चन’ को और उसके अंशों को प्रतिबंधित करने के लिए आपातकालीन क़ानूनों को अमल में लाए जाने के एक महीने से भी कम समय में की गयी है. सरकारी एजेंसियों ने इस डॉक्यूमेंट्री को अपने विश्वविद्यालयों में सामूहिक रूप से देखने की कोशिश करने वाले छात्रों को भी हिरासत में लिया है.’
जर्मन प्रसारक डी डब्ल्यू
जर्मनी के प्रसारक डी डब्ल्यू ने इस मामले में ख़बर लिखते हुए बताया है कि ‘जनवरी में बीबीसी ने दो हिस्सों वाली एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज़ की थी जिसका शीर्षक इंडिया – द मोदी क्वेश्चन था.
इस डॉक्यूमेंट्री में ये आरोप लगाया गया था कि मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए साल 2002 के दंगों में पुलिसकर्मियों को आंखें मूंदने का आदेश दिया था. इस हिंसा में एक हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी जिसमें ज़्यादातर लोग मुसलमान थे.
भारत सरकार ने अपने सूचना प्रोद्योगिकी क़ानून में निहित आपातकालीन ताक़तों का इस्तेमाल करते हुए डॉक्यूमेंट्री साझा करने वाले ट्वीट्स और वीडियो लिंक्स को ब्लॉक किया था.”ब्रितानी सरकार ने अब तक इस छापे पर किसी तरह की टिप्पणी देने से इनकार किया है. हालांकि, विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया है कि उन्होंने बीबीसी से इस बारे में बात की है. बीबीसी इससे पहले भी इस तरह के मामले में राजनीतिक समर्थन लेने से बचती दिखी है क्योंकि वह ब्रितानी सत्ता से अलग संस्था के रूप में स्वयं को दिखाती रही है.’भारतीय मीडिया के प्रतिष्ठित संस्थानों की ओर से भी इस मामले में लगातार ख़बरें प्रकाशित की जा रही हैं. केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस मामले में कहा है कि कोई भी क़ानून से ऊपर नहीं है और आयकर विभाग सर्वे पूरा होने पर इससे जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराएगा.
‘सरकार के अधिकारियों का कहना है कि बीबीसी के सर्वे का मक़सद इस बात की जांच करना है कि ”अनधिकृत लाभ के लिए क़ीमतों में हेरफेर किया गया या नहीं, जिसमें टैक्स में फ़ायदा लेना भी शामिल है.”
उन्होंने आरोप लगाया कि बीबीसी ने ट्रांसफ़र प्राइसिंग रूल्स के तहत गड़बड़ी की है, जान-बूझ कर और लगातार ट्रांसफ़र प्राइसिंग नॉर्म्स का उल्लंघन किया है.’
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया है कि हमें बीबीसी के दिल्ली दफ़्तर पर आईटी विभाग के तलाशी अभियान की जानकारी है. लेकिन इस बारे में मैं आपसे ये कहना चाहूंगा कि ज़्यादा जानकारी के लिए आप भारतीय अधिकारियों से संपर्क करें.’
जब उनसे पूछा गया कि क्या ये कार्रवाई लोकतांत्रिक मूल्यों के ख़िलाफ़ है तो इस पर उन्होंने कहा, ‘मैं ये नहीं कह सकता. हम इस तलाशी अभियान से जुड़े तथ्यों से अवगत हैं. लेकिन मैं उस स्थिति में नहीं हूं कि इस मामले में कोई टिप्पणी कर सकूं.’