DMT : नई दिल्ली : (17 जून 2023) : –
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को छह दिन की आधिकारिक विदेश यात्रा पर रवाना होने वाले हैं.
20 जून से 25 जून के इस दौरे के दौरान वो तीन दिन अमेरिका में रहेंगे जबकि वहां से लौटते हुए दो दिन मिस्र में रहेंगे.
पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनकी पत्नी जिल बाइडन के आमंत्रण पर अमेरिका दौरे पर जा रहे हैं. जिसके बाद मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अल-सीसी के बुलावे पर वो काहिरा जाने वाले हैं.
अमेरिका में मोदी राष्ट्रपति जो बाइडन और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस से मुलाक़ात करेंगे और अमेरिकी कांग्रेस के साझा सत्र को संबोधित करेंगे. वहीं पहली बार मिस्र का दौरा कर रहे मोदी, वहां के राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अल-सीसी से भी मुलाक़ात करेंगे.जम्मू के श्रीनगर में जी 20 के वर्किंग ग्रुप में एक बैठक हुई थी जिसमें चीन, तुर्की और सऊदी अरब के साथ-साथ मिस्र ने भी हिस्सा नहीं लिया था.
इसके कुछ वक्त बाद अल-सीसी के भारत दौरे के कुछ महीनों बाद मोदी के मिस्र दौरे को लेकर चर्चा शुरू हो गई है.
अल-सीसी इस साल बतौर मुख्य अतिथि भारत के गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए थे.
ये उनका तीसरा भारत दौरा था. इससे पहले वो भारत-अफ्रीका सम्मेलन के लिए अक्तूबर 2015 में और द्विपक्षीय यात्रा पर 2016 में भारत आए थे.
दोनों नेताओं के बीच इस दौरान साझा हित से जुड़े द्विपक्षीय मामलों पर चर्चा हुई थी. उस वक्त दोनों मुल्कों की दोस्ती को ‘रणनीतिक तौर पर अहम रिश्ते’ की शक्ल देने पर बात हुई थी. कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी के दौरे के दौरान इसे लेकर औपचारिक ऐलान किया जा सकता है.
मिस्र और भारत के बीच व्यापार कितना बड़ा मुद्दा
2023 के गणतंत्र दिवस के मौक़े पर जब मिस्र के राष्ट्रपति अल-सीसी भारत आए थे उस दौरान दोनों मुल्कों के बीच दोस्ती को आगे बढ़ाने को लेकर अहम समझौते हुए थे और कई बातों पर आपसी सहमति बनी थी.
दोनों मुल्कों की सेनाओं ने इस साल जनवरी में पहली बार साझा सैन्य अभ्यास भी किया था. मिस्र ने भारत से तेजस लड़ाकू विमान, रडार, सैन्य हेलिकॉप्टर और आकाश मिसाइल सिस्टम खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी.
वो कहते हैं, “मिस्र में शिक्षा की स्थिति बहुत बदहाल है. वो भारत से मदद चाहता है. उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया में अभी भी मिस्र मज़बूत सैन्य ताकत है. फिर, जिस तरह का विकास इसराइल में हो रहा है, मिस्र उसकी बराबरी नहीं कर पा रहा है. इसलिए मिस्र को सैन्य मदद भी चाहिए. मिस्र रक्षा सेक्टर में भारत से काफ़ी कुछ चाहता है.”
- एक रिपोर्ट ये भी है कि भारत मिस्र के साथ खाद और गैस में भी व्यापार करने में दिलचस्पी रखता है और हो सकता है कि भारत आने वाले दिनों में उसके लिए अरबों डॉलर की क्रेडिट लाइन भी खोल दे.
- ये समझौता हुआ तो मिस्र भारतीय मुद्रा देकर भारत से चीज़ें खरीद सकता है और भारत मिस्र से जो सामान आयात करेगा उसका भुगतान चीज़ों में करेगा.
- रिपोर्ट के अनुसार 2021 के बाद से चीन से आयात पर लगी पाबंदी के बाद भारत में खाद की क़ीमतें बढ़ गई हैं और कुछ राज्यों में इसकी कमी भी हुई है.
- मिस्र के लिए रूसी राजदूत ने बताया था कि “ब्रिक्स देशों की कोशिश है कि अधिक से अधिक आपसी व्यापार डॉलर की बजाय मुल्कों की अपनी मुद्रा में हो, या फिर इसके लिए एक ज्वाएंट करेंसी बनाई जाए. मिस्र इसमें काफी दिलचस्पी दिखा रहा है.”
- मिस्र ने हाल के दिनों में अर्जेंटीना, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, ईरान, कज़ाक़स्तान जैसे देशों और ब्रिक्स के मित्र देशों से बातचीत भी शुरू कर दी है.साथ ही एशिया और यूरोप के बीच व्यापार के लिए अहम माने जाने वाले सुएज़ नहर पर मिस्र का नियंत्रण है और इस लिहाज़ से भी भारत के लिए आने वाले वक्त में व्यापार बढ़ाने में मिस्र अहम सहयोगी साबित हो सकता है.
- एक और महत्वपूर्ण बात ये है कि मिस्र को इस्लामिक दुनिया में तटस्थ और प्रभावी आवाज़ के रूप में देखा जाता है और कई बार उसने ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन में पाकिस्तान की नीतियों का समर्थन नहीं किया है. ऐसे में दोनों मुल्कों के मज़बूत रिश्तों से भारत को भी फायदा होगा.
- 2022 में मोहम्मद पैग़बर के बारे में बीजेपी की प्रवक्ता रहीं नूपुर शर्मा की टिप्पणी के बाद भारत को इस्लामिक मुल्कों की नाराज़गी झेलनी पड़ी थी. लेकिन मिस्र ने इस दौरान कोई भी टिप्पणी नहीं की.
- इस मुद्दे को लेकर पाकिस्तान ओआईसी में एक प्रस्ताव भी लेकर आया लेकिन अल-सीसी ने इसका समर्थन नहींं किया जिस कारण ये प्रस्ताव पास नहीं हो सका.