DMT : मोरक्को : (10 सितंबर 2023) : –
मोरक्को में भूकंप के बाद आज दूसरा सूरज निकला है और देशभर में लोग 6.8 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप के बाद की बर्बादी से उबरने की कोशिश कर रहे हैं.
इस भूकंप में अब तक दो हज़ार से अधिक लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है जबकि 2000 से अधिक घायल हैं. मरने वालों की तादाद बढ़ने की आशंका है.
देश के गृह मंत्रालय के मुताबिक़ सर्वाधिक तबाही सांस्कृतिक और ऐतिहासिक शहर मराकेश के दक्षिण में हुई है.
भूकंप के बाद आने वाले झटकों के डर से दूसरी रात भी लोग घरों के बाहर ही सड़कों और पार्कों में बैठे रहे यहीं रात गुज़ारी.
हालांकि अभी भी पूरी जानकारियां नहीं मिल सकी हैं. कई जगहों पर पूरे परिवार मलबे के नीचे दबे हैं और राहत और बचाव कर्मियों को उन तक पहुंचने में मुश्किलें आ रही हैं.
सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों तक राहत बचाव कर्मियों और साज़ो-सामान को पहुंचाना भी चुनौती बना हुआ है. भूकंप के बाद मलबे की वजह से कई इलाक़ों में सड़कें जाम हैं या टूट गई हैं.
इन दूरस्थ पहाड़ी इलाक़ों में कई गांव ऐसे हैं जहां बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं. लाशेन नाम के व्यक्ति की पत्नी और चार बच्चों की भूकंप में मौत हो गई.
समाचार एजेंसी एएफ़पी से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैंने सबकुछ गंवा दिया. मैं अब कुछ नहीं कर सकता. मैं सिर्फ़ दुनिया से दूर होकर अपनों का ग़म मनाना चाहता हूं.”
गांव में मारे गए लोगों को दफ़नाने के लिए क़ब्रें खोदी जा रही हैं. एक स्थानीय निवासी हसना ने कहा, “पूरा गांव अपने बच्चों के ग़म में डूबा है.”
भूकंप का केंद्र मराकेश के दक्षिण में 75 किलोमीटर दूर है और यहां पहाड़ों पर कई छोटे गांव हैं.
पहाड़ी गांवों में भारी तबाही
मोरक्को के किंग मोहम्मद चतुर्थ ने देश की सेना को राहत और बचाव कार्य में उतरने का आदेश दिया है.
फ़्रांस, अल्जीरिया और तुर्की सहित दुनिया के कई देशों ने मोरक्को को मदद की पेशकश की है. तुर्की में इसी साल आये विनाशकारी भूकंप में कम से कम 50 हज़ार लोगों की मौत हो गई थी.
बीबीसी संवाददाता निक बीके के मुताबिक़ कई जगह समूचे परिवार ही मलबे में फंसे हैं. उनकी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ एक दूरस्थ गांव में एक ही परिवार के 18 लोगों की मौत हो गई. यहां उन्हें एक बुज़ुर्ग महिला शवों के पास रोते हुए मिलीं.
पहाड़ी इलाक़े में एक गांव में पहुंचे निक बीके के मुताबिक़ चारों तरफ़ बर्बादी का मंज़र है.
टेंट में बने एक अस्थायी अस्पताल में लोगों का इलाज किया जा रहा है. यहां बीबीसी संवाददाता को कई ऐसे लोग मिले जिनके परिजन इस भूकंप में घायल हुए हैं.
भूकंप के बाद इस दूरस्थ इलाक़े में पानी और बिजली का भी संकट है. एंबुलेंसों को पहुंचने में भी दिक़्क़त आ रही है.
पहाड़ पर स्थित मौले ब्राहिम गांव पहुंचे बीबीसी संवाददाता निक बीके से एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, “बहुत बड़ी तादाद में लोग मारे गये हैं. मेरा एक दोस्त दबकर मर गया, हमने आज ही उसे दफ़न किया है. वो नौजवान था.”
मोहम्मद नाम के एक व्यक्ति ने बीबीसी संवाददाता को बताया कि इस गांव में अब तक 16 लोगों को दफ़न किया जा चुका है.
मोहम्मद राहत बचाव कार्य में मदद कर रहे हैं. वो बताते हैं, “भूकंप के बाद से हम हर मिनट काम कर रहे हैं. यहां राहत कार्य के लिए सिर्फ़ दस लोग ही मौजूद हैं, हम मलबे में दबे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं. हालात बहुत मुश्किल हैं.”
मोरक्को के एक स्थानीय रिपोर्टर हसन अलाउई एक बर्बाद हो चुके गांव पहुंचे. उन्हें वहां एक ऐसी महिला मिलीं जिन्हें पड़ोसियों ने मलबे के नीचे से निकाला.
अलाउई ने बीबीसी को बताया, “भूकंप से इस महिला का घर पूरी तरह धराशाई हो गया था. वो रो रहीं थीं और चिल्ला रहीं थीं, पड़ोसियों ने उनके चिल्लाने की आवाज़ सुनीं और मलबे के नीचे से उन्हें ज़िंदा निकाला गया.”
मराकेश में घर लौटने से डर रहे लोग
मराकेश में मौजूद बीबीसी संवाददाता एना हॉलिगन के मुताबिक़ अभी भी लोग डर में हैं और उन्हें पता नहीं है कि घरों में वापस लौटना कब सुरक्षित होगा.
मराकेश के केंद्रीय इलाक़े में स्थित ऐतिहासिक जेमा-अल फना मस्जिद में अब मलबे का ढेर लगा है.
मस्जिद की मीनार गिर गई है, कुछ मलबा आसपास कारों पर गिरा है जिससे गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गई हैं.
बीबीसी संवाददाता एना हॉलिगन के मुताबिक़ यहां ‘पतली कमज़ोर बिल्लियां घूम रही हैं. यहां से कुछ मीटर दूर दुकानदार धूल और मलबे को हटाने की कोशिश कर रहे हैं. सूरज के निकलने के साथ ही घरों के बाहर सोने आए परिवार अपने बिस्तर समेट रहे हैं. उन्हें नहीं पता कि घरों में वापस लौटना कब सुरक्षित होगा.’
राहत बचाव कार्य में शामिल टीमों के पास लोगों को ज़िंदा निकालने के लिए भी समय सीमित होता जा रहा है.
एना हॉलिगन के मुताबिक़ मराकेश के कई इलाक़ों में लोग अस्थायी टेंटों में रह रहे हैं.
हज़ारों परिवार टेंटों में हैं. प्रसिद्ध विश्व विरासत स्थल मेदिना में ऐतिहासिक मस्जिद के पास कतार से टेंट लगे हैं.
परिवार अपने साथ सिर्फ़ बिस्तर ही लेकर आए हैं और अधिकतर ज़रूरी सामान घरों में ही हैं. लोगों के दिलों से अभी भूकंप की दहशत नहीं निकली है.
ये भूकंप शुक्रवार रात स्थानीय समयानुसार 11 बजकर 11 मिनट पर आया था.
रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट सोसायटीज़ की ऑपरेशन डायरेक्टर कैरोलीन हॉल्ट ने शनिवार को चेताते हुए कहा था कि अगले 24 से 48 घंटे बचाव कार्य के लिए बेहद अहम होंगे.
उन्होंने कहा था, “सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन को समान प्राथमिकता दी जाएगी, ज़ाहिर है हम ये सुनिश्चित करना चाहते हैं जो लोग बच गए हैं उनका पूरा ध्यान रखा जाए.”
मोरक्को ने भूकंप के बाद तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा भी की है. किंग मोहम्मद चतुर्थ ने लोगों को खाना, रहने की जगह और हर तरह की मदद मुहैया कराने के आदेश भी दिए हैं.