DMT : यूक्रेन : (13 अप्रैल 2023) : –
यूक्रेन में रूस के ख़िलाफ़ युद्ध में केवल यूक्रेनी सेना ही शामिल नहीं है बल्कि कम से कम पांच और देशों की सेना की टुकड़ियां शामिल हैं.
हाल के दिनों में कथित तौर पर दर्जनों अमेरिकी ख़ुफ़िया दस्तावेज़ ऑनलाइन लीक हुए हैं जिनमें से एक के अनुसार ब्रिटेन की स्पेशल सैन्य टुकड़ियां भी यूक्रेन में युद्ध के मैदान में तैनात हैं.
23 मार्च की तारीख़ वाले इन कथित दस्तावेज़ों के अनुसार यूक्रेन में ब्रिटेन की स्पेशल फोर्सेस की 50 टुकड़ियां, लात्विया की 17, फ्रांस की 15, अमेरिका की 14 और नीदरलैंड्स की एक सैन्य टुकड़ी शामिल हैं. ये सभी नेटो सैन्य गठबंधन के सहयोगी हैं.
लीक्ड दस्तावेज़ों के कुछ पन्नों के ऊपर “टॉप सीक्रेट” लिखा गया है, इनमें विस्तार से यूक्रेन युद्ध से जुड़ी बातें दी गई हैं साथ ही उसके हमलों के बारे में भी जानकारी है
हालांकि किस देश की विशेष सैन्य टुकड़ी यूक्रेन में कहां-कहां पर तैनात है इसे लेकर दस्तावेज़ में कोई जानकारी नहीं दी गई है.
बीते एक साल से रूस ये आरोप लगाता रहा है कि पश्चिमी मुल्कों की सेना यूक्रेन में युद्ध में शामिल हैं, लेकिन अब तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई थी. इन लीक्ड दस्तावेज़ों को एक तरह से उसकी पुष्टि माना जा रहा है.
जो दस्तावेजों लीक हुए हैं उसमें एक छोटे से बॉक्स में पांच देशों का ज़िक्र है जिनकी स्पेशल सैन्य टुकड़ियां यूक्रेन में हैं. इनमें ब्रिटेन, लात्विया, फ्रांस, अमेरिका और नीदरलैंड्स शामिल हैं और कहा गया है कि कुल 97 ऐसी टुकड़ियां यूक्रेन में मौजूद हैं.
ये आंकड़ा छोटा हो सकता है और ये भी उम्मीद है कि ये बदल सकता है, लेकिन ये टुकड़ियां अपनी ख़ास ट्रेनिंग की वजह से बेहद कारगर होती हैं.
लेकिन रूस इस मौक़े का पूरा फायदा उठाने की कोशिश ज़रूर करेगा. हाल के दिनों में उसने कहा था कि उसका मुक़ाबला केवल यूक्रेन से नहीं है बल्कि नेटो देशों से भी है.
ब्रिटेन के विशेष सैन्य बलों में विशिष्ट क्षेत्रों से जुड़े कई एलीट टुकड़ियां हैं. इन्हें दुनिया की बेहद सक्षम सैन्य टुकड़ियों में से एक माना जाता है.
जहां अमेरिका और दूसरे देश अपने विशेष सैन्य बलों से जुड़े मुद्दों पर टिप्पणी करते हैं, वहीं ब्रितानी सरकार अपने विशेष सैन्य बलों पर टिप्पणी न करने की नीति अपनाती है.
यूक्रेन के समर्थन के मामले में ब्रिटेन पहले भी मुखर रहा है. युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन को सैन्य सहायता देने के मामले में वो अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा डोनर है.
अमेरिका और ब्रिटेन ने क्या कहा?
अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि वो लीक्ड दस्तावेज़ों के मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पेंटागन को इस बात की जानकारी है कि 28 फरवरी और एक मार्च को ये दस्तावेज़ ऑनलाइन पोस्ट किए गए थे लेकिन वो इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि इससे पहले भी कोई दस्तावेज़ पोस्ट किए गए थे या नहीं.
उन्होंने कहा, “हम मामले की जांच करना जारी रखेंगे और जब तक इसके स्रोत का पता नहीं चलता हम हर कोना तलाशेंगे.”
ब्रितानी रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को एक ट्वीट कर कहा है कि ख़ुफ़िया दस्तावेज़ों का कथित तौर पर लीक होना गंभीर गड़बड़ी को दिखाता है.
रक्षा मंत्रालय ने यह तो नहीं कहा कि गड़बड़ी कहां पर है, हालांकि ये ज़रूर कहा कि “ये जानकारी भ्रामक हो सकती है और इसे पढ़ने वालों को इन आरोपों को ऐसे ही नहीं मान लेना चाहिए.”
बीते दिनों सोशल मैसेजिंग साइट डिस्कॉर्ड पर ख़ुफ़िया अमेरिकी दस्तावेज़ डाले गए, जिसमें यूक्रेन-रूस युद्ध के बारे में कई अहम जानकारियां शामिल हैं. इनमें मानचित्र, चार्ट्स और फ़ोटोग्राफ़्स भी शामिल हैं.
यूक्रेन और रूस के बीच 14 महीने से जारी जंग के दौरान ये सबसे बड़ी सीक्रेट अमेरिकी जानकारी है, जो सार्वजनिक हुई है. इनमें से कुछ दस्तावेज़ तो महज़ डेढ़ महीने पुराने हैं.
बीबीसी ने इनमें से 20 से अधिक दस्तावेज़ देखे हैं.
इनमें यूक्रेन को दिए गए हथियारों और ट्रेनिंग की तफ़्सील है. ये विस्तृत जानकारी ऐसे समय पर सामने आई है, जब यूक्रेन दर्जनों नई पलटने गर्मियों में रूस के ख़िलाफ़ जंग में उतारने की तैयारी में है.
इन काग़ज़ातों में बताया गया है कि यूक्रेनी सेना की नई ब्रिगेडें कब तक तैयार होंगी. साथ ही इनके लिए कितने टैंक, बख़्तरबंद गाड़ियाँ और तोपखाने मुहैया करवाए जा रहे हैं. लेकिन ये भी कहा गया है कि हथियारों की उपलब्धता ट्रेनिंग और तैयारी पर निर्भर करेगी.
एक मानचित्र में पूर्वी यूक्रेन में गर्मियों के दौरान यूक्रेनी सेना की कार्रवाई का आकलन किया गया है.
इसमें इस बात का भी ज़िक्र है कि यूक्रेन की एयर डिफ़ेंस क्षमता काफ़ी कम रह गई है.
रूस का नया प्रस्तावित क़ानून
इधर रूस की संसद ने यूक्रेन युद्ध से जुड़े एक नए क़ानून के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है जिसके बाद सेना में शामिल होने के लिए अब सैनिकों को ऑनलाइन बुलाया जा सकेगा.
रूसी सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वो सैनिकों की भर्ती को बढ़ाने में और तेज़ी लाना चाहती है और सेना में भर्ती न होना चाहने वालों को इससे बचने नहीं देना चाहती. रूसी राष्ट्रपति कार्यालय ने इससे इनकार किया है.
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से जब रूस ने सैनिकों की भर्ती शुरू की तो हज़ारों पुरुष देश छोड़कर जाने लगे थे.
आलोचकों का कहा है कि ये नया क़ानून सोवियत दौर में कैदियों को रखने वाले शिविरों की याद दिलाता है जिन्हें ‘गुलैग’ कहा जाता था. उनका कहना है कि ये एक तरह ‘ऑनलाइन गुलैग’ है.
प्रस्तावित क़ानून से क्या बदलेगा?
रूस में 18 साल की उम्र वाले व्यक्ति का सेना में शामिल होना बाध्यकारी है.
रूस में 17 साल की आयु में पहुंचने पर हर पुरुष का नाम सेना के रजिस्टर में शामिल कर लिया जाता है. उस समय एक सामान्य स्वास्थ्य परीक्षा लेकर ये तय किया जाता है कि वो युवा सेना में शामिल होने के लिए शारीरिक तौर पर फिट है या नहीं.
इसके बाद 18 साल का होने पर उन्हें स्थानीय बोर्ड सेना में शामिल होने के लिए समन (ड्राफ्ट) दिया जाता है. व्यक्ति को इस समन को स्वीकार कर इस पर हस्ताक्षर करने होते हैं. ये समन व्यक्ति को नौकरी देने वाली कंपनी भी भेज सकती है.
अगर व्यक्ति ऐसा नहीं करता को उसे ड्राफ्ट-डॉजर यानी समन की अनदेखी करने वाला कहा जाता है. ऐसे में व्यक्ति के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला चलाया जा सकता है.
बीते दशक भर से युवा सेना में शामिल होने के लिए ड्राफ्ट नहीं स्वीकार करने से बचते देखे गए हैं. नाम रजिस्टर में होने के बाद पुरुष या तो अपने रहने की जगह बदल देते हैं, या स्थानीय बोर्ड के अधिकारियों के आने पर दरवाज़ा नहीं खोलते या फिर उस वक्त घर से ग़ायब रहते हैं.
सेना में भर्ती न होने पर क्या है नुकसान ?
नए क़ानून के तहत लोगों की सुविधा के लिए बनी सरकारी वेबसाइट पर ‘गोसुसलुगी’ पर सेना में भर्ती से जुड़े सेक्शन में व्यक्ति के समन अपलोड अगर होते हैं तो यह जाएगा कि वो उसे दे दिए गए हैं.
रूसी नागरिक इस सरकारी वेबसाइट का इस्तेमाल पासपोर्ट और मैरिज लाइसेंस का आवेदन देने, बिल या जुर्माना चुकाने या फिर डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेने के लिए करते हैं.
रूसी संसद की रक्षा समिति के चेयरमैन आंद्रे कार्तापोलोव का कहना है, “जिस व्यक्ति के सेना में शामिल होने का वक्त आ गया है उसके निजी अकाउंट पर समन के दस्तावेज़ अपलोड होने के बाद उसे व्यक्ति को दिया गया माना जाएगा.”
इसके बाद ये उस व्यक्ति की ज़िम्मेदारी होगी कि वो सेना में अपना नाम लिखाने के लिए खुद सामने आए.
ऐसा न करने पर व्यक्ति के विदेश जाने पर रोक लगाई जाएगी और उस पर कई और तरह की पाबंदियां भी लगाई जा सकती हैं. वो न तो अपनी संपत्ति बेच सकेंगे और न ही कोई संपत्ति खरीद सकेंगे. उनका ड्राइविंग लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाएगा और वो व्यापार करने के लिए रजिस्टर भी नहीं कर पाएंगे.
क्यों हो रही नए क़ानून की आलोचना?
रूसी संसद के 395 सांसदों ने इस क़ानून के प्रस्ताव पर वोटिंग की, इसके पक्ष में 394 वोट पड़े जबकि एक सांसद ने इस पर वोट नहीं किया. डूमा के निचले सदन में कुल 450 सांसद हैं.
संसद में पास होने के बाद इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पास भेजा जाएगा, उनके हस्ताक्षर के बाद ये क़ानून बन जाएगा और तुरंत प्रभाव से लागू हो जाएगा.
बीते साल यूक्रेन के ख़िलाफ़ ‘विशेष सैन्य अभियान’ छेड़ने के बाद यूक्रेन में कुछ जगहों से रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा था. उस वक्त सरकार ने युवाओं की सेना में भर्ती बढ़ाने की कोशिश की. पूर्व सैनिकों के साथ-साथ सेना में बाध्यकारी सेवा दे चुके लोगों को भी सेना में शामिल होने के लिए बुलाया गया.
इस दौरान सेना में जाने से बचने की कोशिश करने वाले 18 से 27 साल के हज़ारों युवा देश छोड़ कर जाने की कोशिश करने लगे. देश के कई शहरों में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन भी हुए थे.
यूक्रेन में जंग में जाने से बचने की कोशिश करने वाले रूसी युवाओं को सलाह और मदद देने वाली हेल्पडेस्क वेबसाइट की संस्थापक इलिया क्रासिलश्चिक कहती हैं, “लोगों की सुविधा के लिए बनी सरकारी वेबसाइट का ये एक निराशाजनक पक्ष भी है. एक मिनट भर में आपके ऊपर देश से बाहर जाने पर रोक लग सकती है. आप लोगों को डिजिटली भी अपना काम करने से रोक सकते हैं.”
वो आरोप लगाती हैं कि रूसी सरकार इस वेबसाइट का इस्तेमाल यूक्रेनी तोपों के सामने खड़े करने के लिए सैनिकों की तलाश के लिए कर रही है.
हालांकि रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने इन आरोपों का खंडन किया है. उन्होंने कहा है “ये सेना के रिकॉर्ड्स बेहतर करने की कोशिश है, सिस्टम को आधुनिक ज़रूरतों से कदम मिलाकर चलना होता है.”
युद्ध में अब तक कितने रूसी सैनिक मारे गए?
हाल में कुछ अमेरिकी दस्तावेज़ लीक हुए थे जिसके अनुसार यूक्रेन युद्ध में रूस के कुल 1 लाख 89 हजार 500 से लेकर 2 लाख 23 हजार सैनिक हताहत हुए हैं. जहां 35 हजार 500-43 हजार सैनिकों का मौत हुई है, वहीं 1 लाख 54 हजार-1 लाख अस्सी हजार सैनिक युद्ध में घायल हुए हैं.
बीबीसी रूसी सेवा ने ओपन सोर्स से इकट्ठा कर मारे गए सैनिकों की एक लिस्ट बनाई है जिसमें 17 हजार सैनिकों के नाम शामिल हैं.
रूस ने आधिकारिक तौर पर बीते साल सितंबर में युद्ध में हताहतों का संख्या बताई थी. उस वक्त उन्होंने 5 हजार 937 सैनिकों की मौत की पुष्टि की थी.