DMT : New Delhi : (30 मार्च 2023) : –
भारत में 17 मार्च को रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘मिसेज़ चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है.
इस फ़िल्म के मुद्दे पर नॉर्वे और भारत के बीच एक किस्म का सांस्कृतिक टकराव पैदा हो गया है.
बॉलीवुड की इस फ़िल्म में जानामानी अदाकारा रानी मुखर्जी ने काम किया है. फ़िल्म क़रीब 12 साल पहले एक भारतीय दंपति के साथ नॉर्वे में हुई एक सच्ची घटना पर आधारित है.
भारत के लिए नार्वे के राजदूत हैन्स जैकब फ्रायडेन्लैंड ने बाकायदा अख़बार में लिखे अपने एक लेख में दावा किया है कि इस फ़िल्म में नॉर्वे से संबंधित कई तथ्यों में विसंगतियां हैं और उसमें दिखाई गई चीज़ें पूरी तरह झूठ हैं.
17 मार्च को किए गए इस ट्वीट को उन्होंने अपने ट्विटर प्रोफ़ाइल में सबसे ऊपर पिन किया है.
वहीं सागरिका चक्रवर्ती जिनके जीवन की एक घटना के आधार पर ‘मिसेज़ चटर्जी वर्सेस नार्वे’ फ़िल्म बनी है, उनका दावा है कि नॉर्वे सरकार सच नहीं बता रही और आज तक इस घटना को लेकर झूठी अफ़वाह फैला रही है.
क्या है मामला?
क़रीब 12 साल पहले नॉर्वे चाइल्ड वेलफ़ेयर सर्विस (एनसीडब्ल्यूएस) ने स्ट्यावांगा शहर में रहने वाली सागरिका चक्रवर्ती के दो बच्चों को अपने कब्ज़े में ले लिया था.
बाद में भारत सरकार के कूटनीतिक हस्तक्षेप और नार्वे की अदालत में लंबी सुनवाई के बाद दोनों बच्चों को परिवार को सौंप दिया गया था. बाद में उनका पालन-पोषण भारत में सागरिका चक्रवर्ती के पास ही हुआ.
सागरिका ने बताया है कि उनकी गोद से बच्चों को अन्यायपूर्ण तरीक़े से छीन लेने के लिए नार्वे सरकार ने आज तक कोई दुख नहीं जताया है.
नार्वे की उस घटना के बाद ये घटना भारत में कई महीनों तक सुर्खियों में रही थी. उस वक्त भारत के आम लोगों के इसे लेकर भारी नाराज़गी भी देखने को मिली थी.
भारत में इस मामले की गूंज संसद तक में सुनाई दी. तत्कालीन विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने इस मुद्दे पर संसद में बयान भी दिया था.
अब इतने वर्षों बाद उस घटना के आधार पर बनी फ़िल्म ने भारत और नॉर्वे के बीच उस पुराने टकराव को नए सिरे से हवा दे ही है. लेकिन यह टकराव अब पहले की तरह कूटनीतिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक है.
इस फ़िल्म के रिलीज़ होने के बाद भारत में नॉर्वे के राजदूत ने अपने देश की ओर से जो सफ़ाई दी है उसकी मूल बात यह है कि नॉर्वे में पैरेंटिंग ट्रेडिशन या बच्चे पालने का तौर-तरीक़ा भारत से अलग हो सकता है, लेकिन इसे मानवीय भावनाओं या मां के प्यार में कोई अंतर नहीं कहा जा सकता.
उन्होंने अपने लेख में कहा है कि ‘मिसेज़ चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ में ऐसी धारणा बनाई गई है कि नॉर्वे की संस्कृति में यह स्वीकार नहीं किया जाता कि भारतीय माता-पिता अपने बच्चों को साथ लेकर सोते हैं या कई बार उन्हें अपने हाथों से खाना खिलाते हैं.
फ्रायडेन्लैंड ने लिखा है, “फ़िल्म में दिखाया गया है कि सांस्कृतिक अंतर ही इस घटना की मुख्य वजह थी. ये पूरी तरह से झूठ है. मैं इस घटना के विस्तार में नहीं जाना चाहता लेकिन इस बात पर ज़ोर देना चाहता हूं कि नॉर्वे में किसी बच्चे को अपने साथ सुलाना या उसे हाथों से खाना खिलाना, उसे अल्टरनेटिव केयर में सौंपने की वजह हो ही नहीं सकता.”
उन्होंने लिखा, “मैं भी रात को सोने के समय अपने बच्चों तो बेडटाइम स्टोरी सुनाता था, उनको सीने से लगा कर दुलार करता था और वह भी हमारे साथ हमारे की बिस्तर पर सो जाते थे.”
फ्रायडेन्लैंड का कहना है कि अगर कभी माता-पिता किसी वजह से अचानक बच्चे को गाल पर थप्पड़ मार दें (एन ओकेज़नल स्लैप) तो भी इस कारण उनसे उनका बच्चा नहीं छीन लिया जाता. ऐसे मामलों में चाइल्ड वेलफ़ेयर सर्विस उनको सलाह देकर उनकी मदद करता है.
नॉर्वे में 20 हज़ार से भी ज्यादा प्रवासी भारतीय रहते हैं.
उन्होंने उम्मीद जताई है कि यह फ़िल्म नार्वे जाने की इच्छा रखने वाले भारतीयों को हतोत्साहित नहीं करेगी.
फ़िल्म निर्माताओं की टिप्पणी
भारत में बनी किसी फ़िल्म पर किसी विदेशी राजदूत की टिप्पणी की घटना की मिसाल शायद ही पहले मिलती हो. लेकिन नॉर्वे के राजदूत के कड़े विरोध के बावजूद ‘मिसेज़ चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ के निर्माता अपने रवैये पर अडिग हैं.
उन्होंने कहा है कि फ़िल्म में कोई मनगढ़ंत घटना नहीं दिखाई गई है, इसमें नॉर्वे के तथाकथित चाइल्ड प्रोटेक्शन सिस्टम की कमियों की ओर संकेत किया गया है.
फ़िल्म के निर्माता निखिल आडवाणी ने उल्टे अपने एक ट्वीट में देश में नॉर्वे के राजदूत पर ही आरोप लगाया है.
उन्होंने लिखा है कि भारत में अतिथियों को सम्मान देने की परंपरा का निर्वाह करते हुए फ़िल्म की रिलीज़ से एक दिन पहले नॉर्वे के राजदूत के लिए एक विशेष स्क्रीनिंग का भी इंतज़ाम किया गया था. लेकिन फ़िल्म ख़त्म होने के बाद राजदूत ने इस फ़िल्म से जुड़ी दो महिलाओं के साथ धमकी भरे लहज़े में बात की थी.
निखिल ने अपने ट्वीट में सागरिका चक्रवर्ती का पोस्ट किया एक वीडियो भी शेयर किया है जिसमें सागरिका ने नॉर्वे सरकार की हर टिप्पणी का खंडन किया है.
इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी मणिशंकर अय्यर ने कहा है कि यह बात सब जानते हैं कि नॉर्वे समेत कई पश्चिमी देशों में बच्चों के लिए फॉस्टर केयर सिस्टम में कई खामियां हैं.
उन्होंने कहा है कि वैज्ञानिक परीक्षणों से साबित हो गया है कि अपने परिवार के बीच बड़े होने वाले बच्चों के मुक़ाबले फॉस्टर केयर में पलने वाले बच्चे कहीं ज़्यादा मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना करते हैं.
दूसरी ओर, ‘मिसेज़ चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ को लेकर जारी इस अभूतपूर्व विवाद के बीच भारत और विदेशों में यह फ़िल्म सिनेमाघरों में काफी भीड़ खींच रही है. बॉलीवुड के पत्रकार तरण आदर्श ने बताया है कि रिलीज़ होने के बाद पहले दस दिनों में ही फ़िल्म ने 15 करोड़ रुपए से ज़्यादा का कारोबार किया है.
इस फ़िल्म में रानी मुखर्जी के अलावा अनिर्बान भट्टाचार्य, जिम सरभ, बालाजी गौरी और नीना गुप्ता भी हैं.