राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने पर विदेशी मीडिया में कैसी कवरेज

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DMT : New Delhi : (25 मार्च 2023) : –

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद से सदस्यता रद्द होने को लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. आपराधिक मानहानि के इस मामले में सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को दो साल जेल की सज़ा सुनाई है जिसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द हो गई है.

राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर शनिवार को अपनी बात रखी और कहा कि मामला कोर्ट का है और इस बारे में ‘मैं यहां कोई बात नहीं करूंगा.’

हालांकि, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अदानी समूह के बीच संबंधों का मुद्दा उठाया और कई सवाल पूछे.

राहुल गांधी ने आरोप लगाया, ” मेरी सदस्यता रद्द की गई क्योंकि प्रधानमंत्री मेरे अगले (संभावित) भाषण से डरे हुए थे. वो उस अगली स्पीच से डरे हुए थे जो अदानी पर होने वाली थी. मैंने ये उनकी आंखों में देखा. वो ये नहीं चाहते थे कि ये भाषण संसद में हो.”

राहुल गांधी ने कहा, ” इसीलिए पहले (संसद की कार्यवाही में) बाधा डाली गई. अब सदस्यता रद्द की गई है. कृपया इसे लेकर भ्रमित मत होइए. नरेंद्र मोदी और अदानी के बीच गहरा रिश्ता है.”

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अगर किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है और उसे दो साल या उससे अधिक की सज़ा मिलती है तो वह सदन के सदस्य बने रहने के योग्य नहीं रह जाएगा. इसके अलावा वो व्यक्ति अगले छह साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकता है.

राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के मुद्दे को विदेशी मीडिया ने भी कवर किया है. विदेशी मीडिया में आई ख़बरों में कांग्रेस, अन्य विपक्षी दल और बीजेपी के बयानों को जगह दी गई है.

वहीं, कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का भी ज़िक्र है और अगले साल होने वाले आम चुनावों से भी इसे जोड़ा गया है.

वो कहते हैं, ”मुझे नहीं समझ आ रहा है कि ये कैसी रणनीति है क्योंकि इससे राहुल और कांग्रेस को ही फ़ायदा हो सकता है. वो (कांग्रेस) बता सकती है कि बीजेपी राहुल से असुरक्षित है और इससे कांग्रेस की ये बात साबित होती है कि सरकार मोदी की आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकती.”

अख़बार ने लिखा है कि राहुल गांधी को बीजेपी एक ‘बच्चे और अनुभवहीन’ शख़्स की तरह पेश करती है लेकिन पिछले साल की 2200 मील की यात्रा से उनकी छवि में विश्वसनीयता और वज़न आया है.

वहीं, भारत में पार्टी के बाहर कई लोग इस बात से उलझन में हैं कि साल 2019 के आम चुनाव में 539 में से 233 सांसदों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले होने के बावजूद राहुल गांधी ही अयोग्य कैसे हो गए?

क्या है पूरा मामला

‘आम चुनाव और कांग्रेस की मुश्किल’

”राहुल गांधी को संसद से निष्कासित करके मोदी के सहयोगियों ने एक शीर्ष प्रतिद्वंद्वी को विफल किया.”

अख़बार ने लिखा है कि राहुल गांधी ने चार साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती दी थी. उन्होंने पीएम मोदी को भारत की बहु-संप्रदाय की परंपरा को ख़त्म करने वाला हिंदू राष्ट्रवादी नेता बताया था जो देश के लोकतंत्र को ख़त्म कर सकता है. शुक्रवार को मोदी के सहयोगियों ने उनका ये काम पूरा कर दिया. अधिकारियों ने कोर्ट के राहुल गांधी को दोषी मानने के एक दिन बाद ही उन्हें संसद से अयोग्य करार दे दिया है.

देश में अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं और मानहानि का ये मामला राहुल गांधी और कांग्रेस को सालों की क़ानूनी लड़ाई में फंसा सकता है.

अख़बार के मुताबिक पीएम मोदी के संभावित प्रतिद्वंद्वियों को मात देने के लिए उनके सहयोगियों ने ये सबसे कड़ा कदम उठाया है और विरोध की आवाज़ के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है.

पीएम मोदी दुनिया के नेताओं को याद दिलाते रहते हैं कि भारत एक इस ग्रह का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. लेकिन, उनके आलोचक उन पर और उनकी पार्टी पर देश की राजनीतिक प्रणाली को ‘चुनावी तानाशाही’ में तब्दील करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हैं.

पिछले साल राहुल गांधी ने एक लोकप्रिय ”एकता मार्च” निकाला था और मोदी सरकार पर देश को बांटने का आरोप लगाया था.

विपक्ष पीएम मोदी की राजनीतिक पार्टी (बीजेपी) को हाल के सालों में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ ‘हेट स्पीच’ और हिंसा को बढ़ावा देने का दोषी मानता है. हालांकि, बीजेपी इन आरोपों से इनकार करती है और उनके समर्थक कहते हैं कि गुजरात से एक चाय बेचने वाले के बेटे ने देश की स्थिति में सुधार किया है.

आरएफ़आई ने कहा है कि मोदी सरकार पर आलोचकों को निशाना बनाने और उन्हें चुप कराने के लिए क़ानून के इस्तेमाल करने का आरोप लगाया जाता है. राहुल गांधी का ये मामला पीएम मोदी के गृह प्रदेश गुजरात में उनके मुख्य विरोधियों के ख़िलाफ़ दर्ज मामलों में से एक है.

कांग्रेस का आरोप है कि राहुल गांधी को संसद के अंदर और बाहर निडर होकर बोलने के कारण ये कीमत चुकानी पड़ी है. वहीं, बीजेपी का कहना है कि राहुल गांधी बार-बार ऐसे बयान देते हैं और सोचते हैं कि वो कुछ भी कह सकते हैं क्योंकि उनके ख़िलाफ़ कुछ नहीं होगा.

आरएफ़आई ने लिखा है कि पहले भी भारत में सांसदों या विधायकों को अयोग्य करार दिया गया है. 1977 में कोर्ट के फ़ैसले में राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई थी.

लेकिन, हाल के सालों में मोदी सरकार के आलोचक रहे विपक्षी नेताओं और संस्थाओं के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की गई है. राहुल गांधी पर भी दो मानहानि और एक मनी लॉन्ड्रिंग के मामले चल रहे हैं.

अख़बार ने आम आदमी पार्टी का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि पिछले महीने पार्टी के शीर्ष नेता को राजधानी में शराब लाइसेंस से जुड़े नियमों में किए सुधारों से भ्रष्ट तरीक़े से फायदा उठाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है.कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने अल जज़ीरा से बात करते हुए कहा है कि पार्टी ”इसे क़ानूनी और राजनीतिक तौर पर लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है. हम जनता की अदालत में हैं और जहां तक क़ानूनी विकल्प की बात है तो हमारे क़ानूनी सलाहकर इसे देख रहे हैं.”

”सरकार को ये लगने लगा है और अगर नहीं लगता है तो जल्दी ही पता चल जाएगा कि राहुल गांधी उनके लिए संसद में उतने ख़तरनाक नहीं हैं जितने कि भारत की सड़कों पर. जनता उनके साथ है.”

हालांकि, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन आरोपों से ये कहते हुए इनकार किया है कि राहुल गांधी ने भारतीयों के एक वर्ग का अपमान किया है जिनका वही उपनाम है जो पीएम मोदी का है.

अख़बार लिखता है कि राहुल गांधी कभी भारतीय राजनीति में प्रभावी रही कांग्रेस का लोकप्रिय चेहरा हैं. वह भारत के सबसे प्रसिद्ध राजनीतिक परिवार से आते हैं और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पोते हैं. लेकिन, उन्होंने मोदी के चुनावी रथ और देश के हिंदू बहुसंख्यकों में उनकी राष्ट्रवादी अपील को चुनौती देने के लिए संघर्ष किया है.

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