DMT : अमेरिका : (02 जून 2023) : –
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वॉशिंगटन डीसी के नेशनल प्रेस क्लब में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि मुस्लिम लीग पूरी तरह से सेक्युलर पार्टी है.
राहुल गांधी से पूछा गया था कि क्या केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग से कांग्रेस का गठबंधन धर्मनिरपेक्षता के ख़िलाफ़ नहीं है?
इसी के जवाब में राहुल ने कहा, ”मुस्लिम लीग के साथ धर्मनिरपेक्षता के ख़िलाफ़ जैसी कोई बात नहीं है. मुझे लगता है कि जिस व्यक्ति ने यह सवाल भेजा है, उसने मुस्लिम लीग को ठीक से पढ़ा नहीं है.”
वॉशिंगटन के नेशनल प्रेस क्लब में राहुल गांधी भारत से जुड़े कई सवालों का जवाब दे रहे थे.
उनसे यूक्रेन पर रूसी हमले में भारत के रुख़ को लेकर भी सवाल पूछा गया था. राहुल ने यूक्रेन-रूस जंग में मोदी सरकार की नीति का समर्थन किया है.
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) केरल की क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी है और यह पारंपरिक रूप से कांग्रेस की अगुआई वाले गठबंधन यूडीएफ़ में शामिल रहती है.
राहुल गांधी ने अमेरिका दौरे में जो कुछ कहा है, उसे लेकर बीजेपी ख़फ़ा है. बीजेपी राहुल गांधी पर आरोप लगा रही है कि वह विदेश में भारत को बदनाम कर रहे हैं.
बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को सेक्युलर पार्टी बताने पर बीजेपी नेता अमित मालवीय ने राहुल गांधी पर निशाना साधा है.
अमित मालवीय ने कहा कि वायनाड में स्वीकार्य बने रहने के लिए यह राहुल गांधी की मजबूरी है कि मुस्लिम लीग को सेक्युलर पार्टी कहें.
मोदी सरनेम मानहानि मामले में सांसदी खोने के पहले राहुल गांधी केरल के वायनाड से ही लोकसभा सांसद थे.
मालवीय ने ट्वीट कर कहा है, ”जिन्ना की मुस्लिम लीग धर्म के आधार पर भारत के विभाजन के लिए ज़िम्मेदार है और राहुल गांधी इसे सेक्युलर पार्टी कह रहे हैं. राहुल गांधी भले ही कम पढ़े लिखे हों लेकिन यहां वह चालाकी कर रहे हैं. वायनाड में स्वीकार्य बने रहने के लिए यह उनकी मजबूरी है.”
अमित मालवीय के इस ट्वीट के जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा है, ”हेलो फ़र्ज़ी ख़बर के सौदागर. आपको आधी रात तक जागते देख अच्छा लगा. आने वाले दिनों में राहुल गांधी के अमेरिका दौरे पर नज़र रखने के लिए और नींद उड़ाने के लिए तैयार रहिए.”
अमित मालवीय के ट्वीट पर कांग्रेस के एक और प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी जवाब दिया है. पवन खेड़ा ने कहा, ”अनपढ़ हो भाई? केरल की मुस्लिम लीग और जिन्ना की मुस्लिम लीग में फ़र्क़ नहीं मालूम? जिन्ना वाली मुस्लिम लीग वो जिस के साथ तुम्हारे पूर्वजों ने गठबंधन किया. दूसरी वाली मुस्लिम लीग वो, जिसके साथ भाजपा ने गठबंधन किया था.”
पवन खेड़ा ने साल 2012 में नागपुर नगर निगम चुनाव मेयर का पद हासिल करने के लिए बीजेपी के इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग से समर्थन लेने का भी हवाला दिया है.
नागपुर नगर निगम चुनाव में बजेपी ने 62 सीटें जीती थीं. 145 सदस्यों के सदन में बहुमत के लिए 73 सदस्यों की ज़रूरत थी. बीजेपी ने मुस्लिम लीग के दो सदस्यों और 10 निर्दलीय सदस्यों की बदौलत बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया था.
2019 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा था, ”मुस्लिम लीग एक वायरस है. ऐसा वायरस जिससे कोई संक्रमित हो गया तो वो बच नहीं सकता है और आज तो मुख्य विपक्षी कांग्रेस ही इससे संक्रमित हो चुकी है. सोचिए अगर ये जीत गए तो क्या होगा? ये वायरस पूरे देश में फैल जाएगा.”
2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी नेताओं ने वायनाड में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग से राहुल गांधी को समर्थन मिलने पर सवाल उठाया था.
जिन्ना की मुस्लिम लीग का क्या हुआ?
भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान के गठन का आंदोलन चलाने वाली ऑल इंडिया मुस्लिम लीग को भंग कर दिया गया था. पाकिस्तान के गठन के बाद मोहम्मद अली जिन्ना देश के गवर्नर जनरल बने थे. अगले कुछ महीनों के बाद पश्चिमी पाकिस्तान में मुस्लिम लीग और पूर्वी पाकिस्तान में द ऑल पाकिस्तान अवामी मुस्लिम लीग अस्तित्व में आई.
मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान को शुरुआती छह प्रधानमंत्री दिए, उनके कार्यकाल बेहद छोटे थे और आख़िरकार जनरल अय्यूब ख़ान ने मार्शल लॉ लगा दिया जिसके बाद ये पार्टी भी भंग हो गई.
अय्यूब ने बाद में पार्टी को पाकिस्तान मुस्लिम लीग के रूप में पुनर्जीवित किया जो कई दशकों तक बनती और फिर बिगड़ती रही. पाकिस्तान मुस्लिम लीग का सबसे चर्चित धड़ा नवाज़ शरीफ़ की पार्टी है जिसके अध्यक्ष शहबाज़ शरीफ़ हैं.
पूर्वी पाकिस्तान में अवामी लीग ने बंगालियों के राष्ट्रवाद के लिए लड़ाई लड़ी और पंजाबी बहुल पश्चिमी पाकिस्तान से स्वतंत्रता की राह तलाशने की कोशिश की. शेख़ मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में पश्चिमी पाकिस्तान से टूटकर बांग्लादेश अस्तित्व में आया.
स्वतंत्र भारत में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की जगह इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने ले ली और उसका इतिहास बिलकुल अलग है. आईयूएमएल भारत के संविधान के तहत चुनाव लड़ती है और लगातार उसकी उपस्थिति लोकसभा में रही है.
आईयूएमएल केरल की मज़बूत पार्टी है और उसकी एक यूनिट तमिलनाडु में भी है. चुनाव आयोग ने उसे केरल की राज्य पार्टी के तौर पर लंबे समय से मान्यता दी हुई है.
आईयूएमएल के हरे झंडे में ऊपर की बाईं ओर सफ़ेद रंग में एक चांद और सितारा है और ये पाकिस्तान के झंडे से बिलकुल अलग है.
तीसरी से 16वीं लोकसभा तक आईयूएमएल के दो सांसद हमेशा लोकसभा में रहे हैं. केवल दूसरी लोकसभा में उनका कोई सांसद नहीं था जबकि चौथी लोकसभा में उसके तीन सांसद थे.
आईयूएमएल लंबे समय से कांग्रेस का गठबंधन सहयोगी है और केरल में विपक्षी यूडीएफ़ गठबंधन का हिस्सा है. वर्तमान केरल विधानसभा में आईयूएमएल के 18 विधायक हैं जबकि 2011 में विधानसभा में 20 विधायक थे.