DMT : रूस : (02 मार्च 2023) : –
जी-20 देशों के वार्ताकारों ने बीती शाम एक बार फिर दिल्ली में मुलाक़ात करके उन मतभेदों को दूर करने की कोशिश की जिनके चलते गुरुवार शाम ख़त्म होने वाली विदेश मंत्री स्तर की बैठक का साझा बयान आना मुश्किल लग रहा है.
बता दें कि यूक्रेन युद्ध को लेकर जी-20 देशों के बीच गंभीर मतभेद हैं, जिनकी वजह से साझा बयान जारी होने की संभावनाएं काफ़ी कम नज़र आ रही हैं.
सूत्रों ने बताया है कि साझा बयान जारी कराने की कोशिश करना अपने आपमें काफ़ी महत्वाकांक्षी प्रयास था क्योंकि पिछले हफ़्ते बेंगलुरु में हुई वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की बैठक के बाद साझा बयान जारी करने पर सहमति नहीं बन पाई थी.
रूस और चीन ने अध्यक्षीय सारांश और आउटकम डॉक्यूमेंट के उन दो पैराग्राफ़ पर आपत्ति जताई थी, जिनमें यूक्रेन में जारी रूसी ‘युद्ध’ का ज़िक्र किया गया था.
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बीते गुरुवार प्रेस वार्ता में कहा, “रूस और यूक्रेन संघर्ष के बदलते हालात को ध्यान में रखते हुए हमें लगता है कि विदेश मंत्री स्तर की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होगी.”
हालांकि, इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान क्वात्रा ने साझा बयान जारी होने की उम्मीदों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
उन्होंने, “मुझे नहीं लगता कि मेरे स्तर पर विदेश मंत्रियों की बैठक के नतीज़ों का पूर्व-आकलन करना ठीक होगा. मुझे लगता है कि हमें ये काम जी-20 के पदाधिकारियों पर छोड़ देना चाहिए.”
कुछ राजनयिकों और अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि भारत सरकार पश्चिमी देशों और चीन-रूस के बीच गंभीर मतभेदों के बावजूद एक ऐसा बयान तैयार कराने की उम्मीद लगाए हुए है जिस पर सभी पक्ष सहमत हो जाएं.
और इस दिशा में यूक्रेन युद्ध का ज़िक्र करने वाले दो पैराग्राफ़ ही रोड़ा बनकर खड़े हुए हैं.
अब तक ये भी स्पष्ट नहीं है कि रूस और चीन पिछले साल बाली में जारी हुए जी-20 देशों के साझा बयान की भाषा को स्वीकार करेंगे या नहीं.
इन मसलों को गुरुवार सुबह शुरू होने वाली बैठक से पहले सुलझाने के लिए ही बुधवार देर रात तक वार्ताकारों की बैठक चलती रही.
बेंगलुरु में हुई बैठक के बाद सामने आए मतभेदों से जुड़े सवाल पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है, “रूस और चीन इस पर राज़ी नहीं हुए हैं. आपको उनसे पूछना चाहिए कि उनका नज़रिया क्या है और क्या वे बाली में जारी हुए बयान को स्वीकार नहीं रहे हैं? ये बात आपको उनसे ही पूछनी होगी.”
इन बैठकों के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर की ओर से आयोजित रात्रि भोज में कई विदेश मंत्री शामिल हुए.
हालांकि, अमेरिका, चीन, फ्रांस, जर्मनी और इंडोनेशिया समेत कई देशों के नेता जो दिल्ली पहुंचने वाले हैं, वे इस डिनर में शामिल नहीं हो सके.
बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक के बाद एक कई द्विपक्षीय वार्ताएं की ताकि जी-20 देशों की ओर से एक साझा बयान जारी हो सके. जी-20 देशों में दुनिया के सबसे समृद्ध और विकासशील देश शामिल हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोफ़ से लंबी चर्चा की है जिसमें भारत-रूस के बीच द्विपक्षीय रिश्तों के साथ-साथ जी-20 से जुड़े मुद्दे शामिल थे.
ऐसा माना जा रहा है कि जयशंकर चीन के नए विदेश मंत्री क्विन गांग के साथ गुरुवार को चर्चा कर सकते हैं. गांग का चीनी विदेश मंत्री के रूप में पहला भारत दौरा है.
वह एक ऐसे दौर में भारत आ रहे हैं जब एलएसी पर चीन और भारत के बीच अप्रैल 2020 से तनाव जारी है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने बीजिंग में कहा है कि ‘चीन भारत के साथ अपने रिश्तों को अहमियत देता है.”
हालांकि, उन्होंने इस बात की पुष्टि या खंडन नहीं किया कि जयशंकर और गांग की दिल्ली में मुलाकात होगी या नहीं.
उन्होंने कहा है, “भारत और चीन के बीच अच्छे रिश्ते दोनों देशों और इसके नागरिकों के मूल हितों को पूरा करती है.”
जयशंकर ने ब्रिटेन, अर्जेंटीना, नाइजीरिया, मैक्सिको, नीदरलैंड्स, यूरोपीय संघ उच्च प्रतिनिधि जोसेप बोरेल और कोमोरोस के विदेश मंत्री, जो कि अफ़्रीकी संघ के अध्यक्ष भी हैं, से मुलाक़ात की.
जयशंकर ने मंगलवार शाम तुर्की और ब्राज़ील के विदेश मंत्रियों से मुलाक़ात की.
भारत से पहले और तुरंत बाद जी-20 सम्मेलन आयोजित करने वाले देशों इंडोनेशिया और ब्राज़ील जी-20 देशों के बीच खाई पाटने की दिशा में भारत के अहम सहयोगी हो सकते हैं.
जयशंकर ने बताया है कि उन्होंने इस बारे में ब्राज़ीली विदेश मंत्री माउरो विएरा के साथ बात की है. भारतीय जी-20 वार्ताकारों ने बुधवार सुबह इंडोनेशिया और ब्राज़ील से आए डेलिगेशन से भी मुलाक़ात की.
सूत्रों के मुताबिक़, इन मुलाक़ातों का उद्देश्य साझा बयान जारी करने की कोशिशों को नया बल देना था.
थिंक टैंक सीपीआर का एफ़सीआरए लाइसेंस निलंबित
केंद्र सरकार ने प्रतिष्ठित थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के एफ़सीआरए लाइसेंस को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया है.
पचास साल पहले गठित किए गए इस थिंक टैंक को दान देने वालों में अरबपति व्यवसायी जॉर्ज सोरोस भी शामिल हैं.
सोरोस ने हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम अदानी विवाद से जोड़ा था जिसके बाद बीजेपी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खुलकर उनकी आलोचना की थी.
आयकर विभाग ने पिछले साल सितंबर महीने में सीपीआर दफ़्तर का सर्वे किया था.
सीपीआर की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक़, साल 2021-22 में इसने नमाती नामक संस्था एक एनवॉयरनमेंटल जस्टिस प्रोजेक्ट के लिए 3.2 करोड़ रुपये लिए थे.
इसके साथ ही 2019-20 के लिए, इसी संस्था से 2.5 करोड़ रुपये लिए थे.
नमाती ने अपने समर्थकों में ओपन सोसायटी फाउंडेशन का ज़िक्र किया है जो कि अमेरिकी व्यवसायी जॉर्ज सोरोस की ओर से वित्त पोषित है.
चीन और पाकिस्तान से उड़कर भारत पहुंचा था ड्रोन
भारतीय सीमा सुरक्षा बल ने लगभग दो महीने पहले पंजाब के अमृतसर में पाकिस्तान से उड़कर आए ड्रोन को मार गिराया था.
बीएसएफ़ प्रवक्ता ने बताया है, “पिछले साल 25 दिसंबर की शाम 7:45 पर पाकिस्तान का एक ड्रोन भारतीय सीमा में घुसा था जिसे सीमा सुरक्षा बल ने मार गिराया. इसके बाद इस ड्रोन को फ़ॉरेंसिक जांच के लिए बीएसएफ़ मुख्यालय भेजा गया. इस मामले में अमृतसर ज़िले गरिंदा पुलिस स्टेशन में एफ़आईआर दर्ज कराई गयी है.
ड्रोन की फॉरेंसिक जांच में सामने आया है कि ये ड्रोन पहले 11 जून, 2022 को चीन के शंघाई शहर में फेंग ज़ियान ज़िले में उड़ा था. इसके बाद 24 सितंबर से 25 दिसंबर तक इस ड्रोन ने अलग-अलग जगहों पर खानेवाल, पंजाब और पाकिस्तान में 28 उड़ानें भरीं थीं.”