अतीक़ हत्याकांड: हमलावरों ने बताई गोलियां चलाने की वजह, परिवार वालों ने अब तक क्या-क्या बताया?

Hindi Uttar Pradesh

DMT : प्रयागराज  : (16 अप्रैल 2023) : –

अरुण मौर्य, लवलेश तिवारी और सनी.

ये वो तीन नाम हैं जो शनिवार रात से अख़बार से लेकर टीवी तक सुर्खियों में बने हुए हैं.

उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक़, तीनों युवकों ने शनिवार की रात पत्रकार का भेष धारण किया हुआ था.

रात करीब 10.30 बजे एक पुलिस जीप प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल के बाहर रुकी. वजह था कि दोनों को मेडिकल करवाने के लिए लाया जा रहा था.

जीप से पहले अशरफ़ को उतारा जाता है, फिर अतीक़ अहमद को एक पुलिसकर्मी सहारा देकर बाहर लाते हैं.

जीप से उतरने के दस सेकेंड के अंदर ही अतीक़ और अशरफ़ मीडियाकर्मियों से घिर जाते हैं. पुलिस के मुताबिक़, इन्हीं मीडियाकर्मियों में हमलावर शामिल थे.

पुलिस ने जो एफ़आईआर दर्ज की है उसके मुताबिक़, अतीक़ अहमद और अशरफ़ को एक साथ हथकड़ी लगाकर मेडिकल चेक अप के लिए ले जा रहे थे.

अस्पताल के मुख्य गेट से 10-15 कदम बढ़ते ही मीडियाकर्मी बाइट लेने के लिए अतीक़ और अशरफ़ के करीब आ गए.

एफ़आईआर के मुताबिक़, दोनों ने मीडियाकर्मियों को बाइट देनी शुरू कर दी. अचानक उसी मीडियाकर्मियों की भीड़ से एक ने अपना कैमरा और दूसरे ने माइक छोड़कर अपने हथियार निकाल लिए और उन्होंने अतीक़-अशरफ़ को टारगेट कर अत्याधुनिक अर्ध स्वचालित हथियारों से फ़ायरिंग शुरू कर दी. तभी अचानक तीसरे मीडियाकर्मी ने भी फ़ायरिंग शुरू कर दी.

पुलिस के मुताबिक़, फायरिंग में अतीक़ और अशरफ़ की मौत हो गई. घटना में पुलिसकर्मी मान सिंह के दाहिने हाथ में गोली लगी है.

एफ़आईआर के मुताबिक़, पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तीन हमलावरों को लोड हथियारों के साथ पकड़ लिया. हमलावरों का एक साथी अपने ही साथियों की क्रॉस फ़ायरिंग में घायल हुआ.

वारदात में समाचार एजेंसी एएनआई के एक पत्रकार को चोट आई है.

पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 302, 307 और आर्म्स एक्ट, 1959 की धारा 3, 7, 25, 27 और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 1932 के तहत एफ़आईआर दर्ज की है.

हमला जिस तरह से हुआ, उससे कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में हमलावर कई बार गोलियां चलाते हैं और उसके बाद पुलिस को सरेंडर करते हुए दिखाई देते हैं.

आखिर ये हमलावर कौन हैं? कहां के रहने वाले हैं? इनके पास हथियार कहां से आए? क्या ये कोई सोची समझी साज़िश है? और क्या ये हमलावर पहले भी जेल जा चुके हैं?

लवलेश तिवारी कौन हैं?

अतीक़ हत्याकांड में 22 साल के अभियुक्त लवलेश उत्तर प्रदेश में बांदा के केवतारा क्रासिंग के रहने वाले हैं. उनके पिता का नाम यज्ञ कुमार तिवारी है.

पुलिस के मुताबिक़, क्रॉस फायरिंग में लवलेश को गोली लगी है, जिसका इलाज स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज में चल रहा है.

परिवार के मुताबिक चार भाइयों में लवलेश तीसरे नंबर पर हैं.

उन्होंने इंटर की पढ़ाई की, फिर बीए में दाखिला भी लिया लेकिन फ़ेल हो गए.

मीडिया से बात करते हुए लवलेश के पिता ने कहा कि ‘उसका घर से कोई लेना देना नहीं है.’

उन्होंने बताया कि टीवी पर ख़बरें देखकर वारदात की जानकारी मिली. वह चार-छह दिनों में एक बार घर आता था और नहा धोकर निकल जाता था. घर से उसका कोई मतलब नहीं था.

लवलेश के पिता के मुताबिक़, वह जेल भी जा चुका है. पिता बताते हैं, ” एक लड़की को चौराहे पर थप्पड़ मार दिया था. उसका मुकदमा चल रहा है. उस मामले में ये जेल गया था.”

लवलेश के छोटे भाई के मुताबिक़, ‘वह जो काम करते थे उसकी जानकारी परिवार को नहीं देते थे.’

लवलेश की मां का कहना है कि ‘वो संकट मोचन भगवान का भक्त था. पता नहीं नसीब में क्या लिखा था जो ये हुआ.’

हत्याकांड का अभियुक्त मोहित उर्फ सनी सिंह

अतीक़ हत्याकांड में पुलिस ने घटनास्थल से 23 साल के सनी सिंह नाम के युवक को भी गिरफ़्तार किया है.

पुलिस के मुताबिक़, सनी, उत्तर प्रदेश में हमीरपुर के कुरारा के रहने वाले हैं. सनी के पिता जगत सिंह की मौत हो चुकी है.

सनी के बड़े भाई पिंटू सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि ‘वह दस बारह साल से हमीरपुर में नहीं रहता है.’

उन्होंने बताया कि वे तीन भाई थे, जिसमें से एक ही मौत हो गई थी.

भाई के मुताबिक़, ‘सनी उलटे-सीधे काम करता था, जिसकी वजह से परिवार ने उसके साथ अपना संबंध खत्म कर लिया था.’

अरुण कुमार मौर्या

18 साल के अभियुक्त अरुण मौर्य उत्तर प्रदेश में कासगंज के कातरवाड़ी के रहने वाले हैं. उनके पिता का नाम दीपक कुमार है.

मीडिया से बात करते हुए उनकी चाची लक्ष्मी देवी ने कहा कि ‘वे घर पर कई दिनों से नहीं आए हैं.’

कैसे रची हत्या की साज़िश?

एफ़आईआर के मुताबिक़, हत्या का उद्देश्य पूछने पर तीनों अभियुक्तों ने बताया, “हम लोग अतीक़ और अशरफ़ गैंग का सफाया करके प्रदेश में अपने नाम की पहचान बनाना चाहते थे, जिसका फायदा हमें भविष्य में मिलता.”

“हम लोग पुलिस के घेरे का अनुमान नहीं लगा पाए और हत्या करके भागने में क़ामयाब नहीं हुए. पुलिस की तेजी से की गई कार्रवाई में हम लोग पकड़े गए.”

“अतीक़ और अशरफ़ की पुलिस कस्टडी रिमांड की सूचना जबसे हमें मिली थी तबसे हम लोग मीडियाकर्मी बनकर यहां की स्थानीय मीडिया कर्मियों की भीड़ में रहकर इन दोनों को मारने की फिराक में थे.”

जेल में हुई तीनों की दोस्ती

हिंदी दैनिक ‘हिंदुस्तान’ के मुताबिक़, तीनों हमलावर शातिर अपराधी हैं. तीनों ही हत्या, लूट समेत संगीन आरोप में जेल जा चुके हैं.

अख़बार लिखता है कि जेल में ही उनकी आपस में दोस्ती हो गई थी. ये तीनों अतीक़ और अशरफ़ की हत्या करके डॉन बनना चाहते थे.

अख़बार ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया है कि तीनों का मानना है कि छोटे-छोटे अपराध में जेल जाने से उनका नाम नहीं हो रहा था, इसलिए वो कुछ बड़ा करने की सोच रहे थे.

अख़बार के मुताबिक़, तीनों को इसी बीच पता चला कि अतीक़ और अशरफ़ अहमद को पुलिस हिरासत में अस्पताल ले जाया जा रहा है. तीनों ने बड़ा नाम कमाने के मक़सद से हत्या की साजिश रची.

अख़बार लिखता है कि तीनों ने हत्या की योजना बनाई थी और शुक्रवार को हमला करने से पहले अस्पताल पहुंचकर रेकी की थी. इसके बाद शनिवार को तीनों ने मीडियाकर्मी बनकर अतीक़ और अशरफ़ अहमद को नज़दीक से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी

अतीक़ अहमद का आपराधिक रिकॉर्ड

  • अतीक़ अहमद के आपराधिक इतिहास में 100 से भी अधिक मुक़दमे दर्ज हैं.
  • मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, साल 1979 में पहली बार हत्या का मुक़दमा दर्ज हुआ. उस वक्त अतीक़ अहमद नाबालिग़ थे. 
  • 1992 में इलाहाबाद पुलिस ने बताया कि अतीक़ के ख़िलाफ़ बिहार में भी हत्या, अपहरण, जबरन वसूली आदि के क़रीब चार दर्जन मामले दर्ज हैं.
  • प्रयागराज के अभियोजन अधिकारियों के मुताबिक़, अतीक़ अहमद के ख़िलाफ़ 1996 से अब तक 50 मुक़दमें विचाराधीन हैं.
  • अभियोजन पक्ष का कहना है कि 12 मुक़दमों में अतीक़ और उनके भाई अशरफ़ के वकीलों ने अर्ज़ियां दाख़िल की हैं जिससे केस में चार्जेज़ फ़्रेम नहीं हो पाए हैं.
  • अतीक़ अहमद बसपा विधायक राजू पाल ही हत्या के मुख्य अभियुक्त थे. मामले की जांच अब सीबीआई के पास थी.
  • अतीक़ अहमद 24 फरवरी को हुए उमेश पाल हत्या मामले के मुख्य अभियुक्त हैं.
  • उमेश पाल, राजू पाल हत्याकांड के शुरुआती गवाह थे, लेकिन बाद में मामले की जांच संभाल रही सीबीआई ने उन्हें गवाह नहीं बनाया था.
  • 28 मार्च को प्रयागराज की एमपीएमएलए अदालत ने अतीक़ अहमद को उमेश पाल का 2006 में अपहरण करने के आरोप में दोषी पाया और उम्र कै़द की सज़ा सुनाई.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *