DMT : नयी दिल्ली : (21 मई 2023) : – उपराज्यपाल के अधिकारों को लेकर केंद्र द्वारा जारी अध्यादेश पर हर सियासी दल की अपनी दलील है। आम आदमी पार्टी ने इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बताया है, जबकि राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद केंद्र ने जता दिया कि अंतिम फैसला उसी का होगा। वहीं, भाजपा अध्यादेश काे सही ठहरा रही है। इस बीच, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह भी किया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के अध्यादेश को असंवैधानिक और लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए शनिवार को कहा आप की सरकार सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देगी। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने सेवाओं के मामले पर नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के साथ सीधे टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। उन्होंने कहा कि वह विभिन्न दलों के नेताओं से मिलेंगे, जिससे यह विधेयक राज्यसभा में पारित न हो पाए। उधर, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह दिल्ली में सेवा विवाद के मुद्दे पर 11 मई के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि निर्णय में त्रुटियां हैं।
इससे जवाबदेही तय होगी : भाजपा
पटना (एजेंसी) : भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘हमें अध्यादेश लाना पड़ा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ दिनों के भीतर दिल्ली सरकार ने 2010 बैच के आईएएस अधिकारी वाईके राजशेखर का तबादला कर दिया, जो शीशमहल में अनियमितताओं की जांच कर रहे थे। इसलिए हमें ऐसी प्रणाली की आवश्यकता थी, जो पारदर्शी और जवाबदेह हो।’
सरकार ने जताया, अंतिम फैसला उसी का : सिब्बल
राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया, ‘सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था- सेवाओं की बागडोर दिल्ली सरकार को सौंप दें। सरकार ने कहा, ‘आप रास्ते में आएंगे, तो भी हम यही कहेंगे कि अंतिम फैसला हमारा है।’