इनकम टैक्स की कार्रवाई को लेकर ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने जयशंकर से की बात

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DMT : ब्रिटेन  : (01 मार्च 2023) : –

जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने भारत आए ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने पिछले महीने बीबीसी के भारतीय दफ़्तरों पर आयकर विभाग की कार्रवाई का मुद्दा उठाया है.

ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने बुधवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाक़ात की.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ जेम्स क्लेवरली ने एक इंटरव्यू के दौरान ये जानकारी दी है.

पिछले महीने बीबीसी के दिल्ली और मुंबई दफ़्तरों पर आयकर विभाग ने क़रीब तीन दिनों तक सर्वे किया था.

समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है कि जयशंकर ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री से कहा है कि जो भी कंपनियाँ भारत में काम कर रही हैं, उन्हें भारत के क़ायदे-क़ानून का पालन करना होगा.

हाल ही में बीबीसी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की थी. इसका प्रसारण किसी भी तरह से भारत में नहीं किया गया था, यह केवल ब्रिटेन में रहने वाले दर्शकों के लिए थी.

भारत सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को ‘शत्रुतापूर्ण दुष्प्रचार’ बताते हुए भारत में इसके देखे जाने को रोकने का प्रयास किया था क्योंकि कई लोग इसे अनधिकृत तरीक़े से अपलोड करके सोशल मीडिया के ज़रिए शेयर कर रहे थे.

आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद भारत के सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सज़ ने कहा है कि उसे ‘विसंगतियों’ के साक्ष्य मिले हैं.

इसके बाद बीबीसी ने कहा था कि ऐसे किसी भी आधिकारिक संदेश का उचित उत्तर दिया जाएगा जो उसे आयकर विभाग से प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त होगा.

पिछले महीने ब्रिटेन की संसद में भी ये मुद्दा उठा था. विपक्षी सांसदों ने बीबीसी के भारतीय दफ़्तरों पर आयकर विभाग की कार्रवाई को चिंता का विषय बताया था.

ब्रिटेन में विदेश मंत्रालय के मंत्री ने भारत के आयकर विभाग के आरोपों पर टिप्पणी नहीं की, लेकिन ये ज़रूर कहा कि वे इस मामले पर नज़दीकी से नज़र रख रहे हैं और बीबीसी की स्वतंत्र पत्रकारिता का पूरी तरह समर्थन करते हैं.

आयकर विभाग ने अपने बयान में कहा था कि ‘सर्वे’ इस तरीक़े से किया गया ताकि लगातार चलने वाली मीडिया/चैनल की गतिविधि को सुगम बनाया जा सके.

हालाँकि इस दौरान कई घंटे बीबीसी के पत्रकारों को काम नहीं करने दिया गया. कई पत्रकारों के साथ आयकर विभाग के कर्मचारियों और पुलिसकर्मियों ने दुर्व्यवहार भी किया.

पत्रकारों के कंप्यूटरों की छान-बीन की गई, उनके फ़ोन रखवा दिए गए और उनसे उनके काम के तरीक़ों के बारे में जानकारी ली गयी.

साथ ही दिल्ली दफ़्तर में कार्यरत पत्रकारों को इस सर्वे के बारे में कुछ भी लिखने से रोका गया.

सीनियर एडिटर्स के लगातार कहने के बाद जब काम शुरू करने दिया गया, तब भी हिन्दी और अंग्रेज़ी के पत्रकारों को काम करने से और देर तक रोका गया.

इन दोनों भाषाओं के पत्रकारों को इस तरह तब काम करने दिया गया जब वे प्रसारण समय के नज़दीक पहुँच चुके थे.

मंगलवार 14 फरवरी को शुरू हुआ इनकम टैक्स विभाग का ‘सर्वे’ 16 फरवरी की रात क़रीब दस बजे पूरा हुआ.

इस सर्वे के बाद बीबीसी ने बयान जारी करके कहा था- हम भरोसेमंद, निष्पक्ष, अंतरराष्ट्रीय और स्वतंत्र मीडिया हैं, हम अपने उन सहकर्मियों और पत्रकारों के साथ खड़े हैं जो लगातार आप तक बिना भय और पक्षपात के समाचार पहुँचाते रहेंगे.”

पिछले दिनों बीबीसी के महानिदेशक टिम डेवी ने भारत में स्टॉफ़ को लिखे एक ईमेल में कहा था कि बीबीसी बिना डर और पक्षपात के रिपोर्ट करने से पीछे नहीं हटेगा.

ये ईमेल बीबीसी के दिल्ली और मुंबई दफ़्तरों पर आयकर विभाग के अधिकारियों के सर्वे के बाद आया था.

टिम डेवी ने स्टाफ़ को उनके हौसले के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि निष्पक्ष रिपोर्टिंग से अधिक महत्वपूर्ण और कुछ नहीं.

उन्होंने ये भी कहा कि बीबीसी आयकर विभाग की जाँच में पूरा सहयोग कर रहा है.

टिम डेवी ने कहा है कि बीबीसी अपने कर्मचारियों को प्रभावशाली और सुरक्षित तरीक़े से काम करने में मदद करेगा.

उन्होंने लिखा, “बिना किसी भय या पक्षपात के रिपोर्टिंग करने से अधिक ज़रूरी कुछ भी नहीं है. हमारा कर्तव्य दुनिया भर में अपने ऑडियंस के सामने रचनात्मक ढंग से स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता के ज़रिए तथ्यों को पेश करना और सबसे अच्छा और रचनात्मक कंटेंट बनाना और इसे लोगों तक पहुँचाना है. हम इस काम से पीछे नहीं हटेंगे.”

उन्होंने लिखा, “मैं ये साफ़ कर दूँ: बीबीसी का कोई एजेंडा नहीं है. हम एक उद्देश्य को लेकर चलते हैं. हमारा पहला उद्देश्य लोगों को निष्पक्ष समाचार और जानकारी मुहैया करवाना है ताकि वे अपने आस-पास की दुनिया को समझ सकें.”

ब्रितानी संसद में उठा मामला

पिछले हीने बीबीसी के भारतीय दफ़्तरों पर आयकर विभाग की कार्रवाई को लेकर ब्रितानी संसद में सवाल उठे थे.

संसद में ब्रितानी सरकार के एक मंत्री ने सवालों के जवाब में कहा है कि वो भारत की सरकार से संपर्क में हैं और इस मामले को उठाया गया है.

21 फरवरी को ब्रितानी सांसदों ने निचले सदन हाउस ऑफ़ कॉमन्स के नियमित कामकाज के दौरान ‘अर्जेंट क्वेश्चन’ के माध्यम से ब्रितानी सरकार से पूछा कि विदेश मंत्री इस कार्रवाई पर किसी तरह का बयान जारी क्यों नहीं करते?

ब्रितानी लेबर पार्टी के नेता फ़ैबियन हेमिल्टन ने भारत सरकार की इस कार्रवाई पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था, ”जहाँ सही मायनों में प्रेस अपना काम करने के लिए स्वतंत्र हो, ऐसे लोकतांत्रिक देश में बिना वजह आलोचनात्मक आवाज़ों को नहीं दबाया जा सकता है. अभिव्यक्ति की आज़ादी की हर क़ीमत पर रक्षा होनी चाहिए.”

उन्होंने कहा था, ”पिछले हफ़्ते बीबीसी के भारत स्थित दफ़्तरों पर छापा मारा जाना काफ़ी चिंताजनक है, चाहे इसकी आधिकारिक वजह कुछ भी बताई जाए. बीबीसी दुनिया भर में अपनी उच्च गुणवत्ता वाली भरोसेमंद रिपोर्टिंग के लिए जाना जाता है और उसे बिना किसी भय के रिपोर्टिंग करने की आज़ादी होनी चाहिए.”

ब्रिटेन की डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी (डीयूपी) के सांसद जिम शैनन ने कहा, ”हमें इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए कि ये एक धमकाने वाली कार्रवाई थी, जिसे देश के नेता के प्रति आलोचनात्मक डॉक्यूमेंट्री रिलीज़ होने के बाद अंजाम दिया गया है.”

भारतीय मूल के लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने भी इस मुद्दे पर ब्रितानी सरकार से सवाल पूछा.

उन्होंने कहा, “ब्रिटेन में हम प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर काफ़ी गर्व की अनुभूति करते हैं. हम बीबीसी ओर दूसरे सम्मानित मीडिया समूहों की ओर से ब्रितानी सरकार, इसके प्रधानमंत्री और विपक्षी दलों की जवाबदेही तय किए जाने के अभ्यस्त हैं.”

विपक्षी दलों के सांसदों की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद ब्रितानी सरकार में मंत्री डेविड रटले ने अपनी सरकार का पक्ष रखा.

उन्होंने पहली बार जानकारी दी कि ब्रितानी मंत्रियों ने इस बारे में अपने भारतीय समकक्षों से बात की है.

डेविड रटले ने ये भी बताया, “भारत के साथ हमारे व्यापक और गहरे रिश्तों की वजह से वे (ब्रितानी मंत्री) रचनात्मक ढंग से भारत सरकार के साथ अलग-अलग मुद्दों पर बात करने में सक्षम थे और हम इस मुद्दे पर लगातार निगाह बनाए हुए हैं. बीबीसी ने अपने बयान में बताया है कि वो इस मामले में अपने कर्मचारियों की सभी तरह से मदद कर रहा है.”

रटले ने ये भी कहा, ”हम बीबीसी के लिए खड़े हैं. हम बीबीसी को फ़ंड करते हैं. हमें लगता है कि बीबीसी वर्ल्ड सर्विस महत्वपूर्ण है. हम चाहते हैं कि बीबीसी के पास संपादकीय स्वतंत्रता रहे. बीबीसी हमारी आलोचना करता है. बीबीसी लेबर पार्टी की आलोचना करता है. बीबीसी के पास वो स्वतंत्रता है, जिसे हम बहुत अहम मानते हैं. ये स्वतंत्रता ख़ास है और भारत समेत दुनियाभर में अपने मित्रों को इसकी अहमियत के बारे में बताना चाहते हैं.”

डॉक्यूमेंट्री

बीबीसी ने हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण किया था.

हालाँकि ये डॉक्यूमेंट्री भारत में प्रसारण के लिए नहीं थी.

यह डॉक्यूमेंट्री 2002 के गुजरात दंगों पर थी. उस समय भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.

इस डॉक्यूमेंट्री में कई लोगों ने गुजरात दंगों के दौरान नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए थे.

केंद्र सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को प्रोपेगैंडा और औपनिवेशिक मानसिकता के साथ भारत-विरोधी बताते हुए भारत में इसे ऑनलाइन शेयर करने से ब्लॉक करने की कोशिश की.

बीबीसी ने कहा था कि भारत सरकार को इस डॉक्यूमेंट्री पर अपना पक्ष रखने का मौक़ा दिया गया था, लेकिन सरकार की ओर से इस पेशकश पर कोई जवाब नहीं मिला.

बीबीसी का कहना है कि इस डॉक्यूमेंट्री पर पूरी गंभीरता के साथ रिसर्च किया गया, कई आवाज़ों और गवाहों को शामिल किया गया और विशेषज्ञों की राय ली गई और हमने बीजेपी के लोगों समेत कई तरह के विचारों को भी शामिल किया.

बीते महीने, दिल्ली में पुलिस ने इस डॉक्यूमेंट्री को देखने के लिए इकट्ठा हुए कुछ छात्रों को हिरासत में भी लिया था.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय समेत देश की कई यूनिवर्सिटी में इस डॉक्यूमेंट्री की प्रदर्शित किया गया था.

हालाँकि कई जगह पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे रोकने की कोशिश की थी.

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