उत्तर प्रदेश: उमेश पाल हत्या केस में अब तक क्या हुआ और क्यों हुई उमेश पाल की हत्या?

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DMT : प्रयागराज  : (01 मार्च 2023) : –

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में चार दिन पहले हुए उमेश पाल हत्याकांड में हर रोज़ नए तथ्य सामने आ रहे हैं.

सोमवार को प्रयागराज पुलिस ने इस मामले के एक अभियुक्त को मुठभेड़ में मार दिया.

वहीं मंगलवार को कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं जिन्होंने राजनीतिक दलों से अभियुक्त की कथित नज़दीकियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

2005 में हुई हत्या की एक घटना के मुख्य गवाह उमेश पाल की 24 फ़रवरी, 2023 को दिन दहाड़े हत्या कर दी गई थी.

हत्यारे घटना को अंजाम देने के बाद मौक़े से भागने में कामयाब हो गए थे.

प्रयागराज पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी फ़ुटेज खंगालने के बाद उन्होंने पूर्व सांसद और बाहुबली अतीक़ अहमद के बेटे असद, ‘बमबाज़’ गुड्डू मुस्लिम, ग़ुलाम और अरबाज़ की पहचान की थी. पुलिस के अनुसार सदाक़त ख़ान नाम के एक व्यक्ति की बतौर साज़िशकर्ता पहचान की गई है.

पुलिस का कहना है कि उन्होंने एक अभियुक्त अरबाज़ को प्रयागराज में एक मुठभेड़ के दौरान पकड़ा था, लेकिन गोली के घाव से सोमवार को अरबाज़ की मौत हो गई.

प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “हत्या की साज़िश मुस्लिम हॉस्टल में रची गई थी. यह जानकारी हत्या में शामिल सदाक़त ख़ान ने पूछताछ के दौरान दी. सदाक़त को एसटीएफ़ ने सोमवार को गोरखपुर से गिरफ़्तार किया. वह नेपाल भागने की फ़िराक़ में था.”

  • पुलिस ने यह भी बताया कि सदाक़त इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मुस्लिम बोर्डिंग हॉस्टल के कमरा नंबर 36 में अवैध रूप से रह रहा था. पुलिस का दावा है कि इसी कमरे में उमेश पाल की हत्या की साज़िश रची गई थी.
  • तस्वीरों के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी शुरू हो गई है.
  • बीजेपी का दावा है कि एलएलबी स्टूडेंट सदाक़त ख़ान समाजवादी पार्टी का क़रीबी है. पार्टी ने अपनी राज्य इकाई के ट्विटर हैंडल से एक न्यूज़ रिपोर्ट शेयर की जिसमें अखिलेश यादव की सदाक़त ख़ान के साथ एक तस्वीर दिखाई जा रही है.
  • बीजेपी ने ट्विटर पर लिखा है, ” जिसकी रग-रग में अपराध भरा होता है उसे क़ानून-व्यवस्था पर दुहाई नहीं देनी चाहिए अखिलेश यादव जी. प्रयागराज में हुए हत्याकाण्ड में शामिल आरोपी की आपके साथ तस्वीर बता रही है कि आपने प्रदेश को क्या दिया है?”
  • वहीं समाजवादी पार्टी मीडिया सेल ने भी सदाक़त ख़ान की एक तस्वीर साझा की है, जिसमें वो आरोप लगा रहें हैं कि सदाक़त बीजेपी विधायक नीलम कावरिया के पति उमेश के साथ दिख रहा है.
  • क़ानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष ने उठाए सवाल
  • प्रयागराज हत्या केस को लेकर विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नेता विपक्ष अखिलेश यादव में तीखी बहस हुई तो बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर उत्तर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाए.
  • अखिलेश यादव ने कहा, “इलाहाबाद में जो घटना हुई है, मुख्य गवाह अधिवक्ता उसकी खुलेआम हत्या होना, खुलेआम लोगों ने शूटिंग देखी है. किस तरीक़े से गोलियां चली हैं. अपराधी पीछे भाग करके गोली मारने पहुंचे. और बम चले हैं. उत्तर प्रदेश में इस तरह का गोली चलना, बम चलना गैंगवार की तरह दिखाई देना. ये सरकार पूरी तरह से असफल हुई है. सरकार के क़ानून व्यवस्था संभालने की कोई सीमा नहीं बची है. ये जो ज़ीरो टॉलरेंस कहते हैं, क्या गोली चलना ज़ीरो टॉलरेंस है? बम चलना क्या ज़ीरो टॉलरेंस है?”
  • वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज की घटना को लेकर कहा कि वो यूपी में ‘माफ़िया को मिट्टी में मिला देंगे.’
  • उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा,”आप सारे अपराधियों को पालेंगे उनको माल्यार्पण करेंगे. और उसके बाद तमाशा बनाते हैं आप लोग. एक तरफ़ अपराधियों को परिश्रय देंगे. उन्हें गले का हार बनाएंगे. और दूसरी तरफ़ फिर दोषारोपण भी करेंगे.”
  • योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा, “जिस अतीक़ अहमद के ख़िलाफ़ पीड़ित परिवार ने मामला दर्ज कराया है वह समाजवादी पार्टी द्वारा पोषित माफ़िया है. उसकी कमर तोड़ने का काम हमारी सरकार ने किया है. मैं फिर इसी हाउस में कह रहा हूं, इस माफ़िया को मिट्टी को मिला देंगे. जितने माफ़िया हैं इनको मिट्टी में मिलाने का काम करेंगे.”

वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने घटना को लेकर ट्वीट करते हुए कहा, “प्रयागराज में राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह अधिवक्ता उमेश पाल और उनके गनर की दिनदहाड़े हत्या अति-दुखद व अति-निन्दनीय है. यह घटना यूपी सरकार के क़ानून-व्यवस्था के दावों की पोल खोलती है. सरकार मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी उच्च-स्तरीय जांच कराकर दोषियों को सख़्त सज़ा दिलाए.”

पुलिस का दो बड़ी कामयाबी मिलने का दावा

प्रयागराज पुलिस सदाक़त ख़ान के साथ घटना में शामिल दूसरे लोगों की जानकारी जुटाने उनके हॉस्टल भी गई और कमरे से कुछ और सबूत भी मिलने का दावा कर रही है.

उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने कहा, “उस घटना में सम्मिलित अरबाज़ पहले घायल हुआ तथा इसके पास से 32 बोर की पिस्टल बरामद हुई. इस पर आरोप है कि घटना के दिन जो क्रेटा गाड़ी इस्तेमाल हुई थी. उसका यह ड्राइवर था. उस दिन उसके द्वारा फ़ायरिंग भी की गई थी.”

इस बीच, अतीक़ अहमद की पत्नी शाईस्ता परवीन ने इलाहाबाद ज़िला अदालत में याचिका लगाई है जिसमें कहा गया है कि उनके बेटों का सुराग़ नहीं मिल रहा है.

उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने अतीक़ अहमद के साथ उनके भाई, पत्नी, दो बेटों और अन्य के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कराया है.

कैसे हुई उमेश पाल की हत्या

24 फ़रवरी को उमेश पाल पर कोर्ट से वापस लौटते वक़्त हमला हुआ. सीसीटीवी फ़ुटेज में साफ़ नज़र आता है कि उमेश पाल जैसे ही अपने घर के पास पहुंचे, वैसे ही बदमाशों ने पहले तो उनकी कार पर गोलियां चलाईं. फिर जब उमेश अपने गनर के साथ घर की ओर भागे, तो बदमाशों ने उन पर दो बम फेंके.

तीनों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहाँ इलाज के दौरान उमेश पाल और उनके गनर संदीप मिश्रा की मौत हो गई. दूसरे गनर राघवेंद्र सिंह का लखनऊ में इलाज चल रहा है और उनकी हालत नाज़ुक बनी हुई है.

कौन थे उमेश पाल?

उमेश पाल 2005 में बीएसपी के विधायक राजू पाल की हत्या के बाद सुर्ख़ियों में आए थे जब उन्हें राजू पाल की हत्या के मामले में मुख्या गवाह बनाया गया था.

राजू पाल की पत्नी पूजा पाल के मुताबिक़ जब 2006 में राजू पाल के मर्डर का ट्रायल शुरू हुआ तब उमेश पाल मुकर गए थे.

पूजा पाल के मुताबिक़ जब राजू पाल हत्या काण्ड की जांच सीबीआई को सौंपी गई तो सीबीआई ने उमेश पाल को गवाह नहीं बनाया.

तो मौजूदा मुक़दमे में उमेश पाल, राजू पाल की हत्या के गवाह नहीं हैं.

उमेश पाल के इतिहास के बारे में और जानकारी देते हुए पूजा पाल कहती हैं, “उमेश पाल अपने बड़े भाई के टैंकर चलाया करते थे. 2005 में यह पुलिस के ज़रिए मेरे पति की हत्या के मामले में गवाह बने थे. चश्मदीदों के मुताबिक़ घटना के बाद वो वहां पहुंचे थे और फिर उनको (राजू पाल) लेकर उमेश पाल अस्पताल गए थे.”

उमेश पाल प्रयागराज के धूमनगंज इलाक़े के रहने वाले थे और उन्होंने वकालत की पढ़ाई की थी. राजू पाल की पत्नी और चैल विधान सभा सीट से समाजवादी पार्टी की विधायक पूजा पाल के मुताबिक़ वो उमेश पाल की बुआ की बेटी हैं. वो बताती हैं कि वकालत करने से पहले वो टैंकर चलाते थे. साथ ही उमेश पाल ने एक पीसीओ खोल रखा था और उनकी माता जी सरकारी नौकरी करती थीं.

पूजा पाल के मुताबिक़ उमेश पाल 2006 से 2012 तक बसपा में रहे और उसके बाद समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे.

2022 विधानसभा चुनाव के समय उमेश पाल बीजेपी में शामिल हो गए थे. वो प्रयागराज के फाफामऊ विधानसभा सीट से विधायक का चुनाव लड़ना चाह रहे थे.

पूजा पाल के मुताबिक़ राजू पाल हत्याकांड के बाद उमेश पाल अतीक़ अहमद के निशाने पर आ गए थे. लेकिन प्रापर्टी और राजनीति के चलते भी उमेश पाल की लोगों से दुश्मनी थी.

राजू पाल हत्या कांड की अदालती करवाई के बारे में पूजा पाल बताती हैं कि “मुक़दमे की सीबीआई जांच का आर्डर 2016 में सुप्रीम कोर्ट से हुआ था. जिसमें सीबीआई कोर्ट (प्रथम) के द्वारा आरोप तय कर दिया गया.”

पूजा पाल का कहना है कि दिसंबर 2022 में उनका बयान दर्ज किया गया था और अब मुख्य गवाहों की गवाही होनी है.

2004 के लोकसभा चुनाव में वो सपा से सांसद बन गए थे. इस वजह से इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट ख़ाली हुई.

2004 में अतीक़ ने अपने भाई ख़ालिद अज़ीम उर्फ़ अशरफ़ को वहां से मैदान में उतारा लेकिन वह चार हज़ार वोटों से बसपा के प्रत्याशी राजू पाल से हार गए थे.

कौन हैं अतीक़ अहमद

अतीक़ अहमद फ़िलहाल गुजरात की जेल में बंद हैं. अतीक़ अहमद पर प्रयागराज की सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज़ के कर्मचारियों पर हमला कराने का आरोप है.

अतीक़ का राजनीतिक सफ़र 1989 में तब शुरू हुआ था जब वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में प्रयागराज पश्चिम से विधायक बने थे. अगले दो विधानसभा चुनावों में अपनी सीट बरक़रार रखने के बाद अतीक़ सपा में शामिल हो गए और 1996 में लगातार चौथी बार जीत हासिल की. तीन साल बाद, वह अपना दल का हिस्सा बन गए और 2002 में एक बार फिर सीट जीती.

2004 में सपा में लौटने के बाद फूलपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद बने, जो एक सीट कभी भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पास थी.

अतीक़ अहमद को पहला बड़ा झटका तब लगा जब उनके और भाई के ऊपर 2005 में राजू पाल की हत्या के मामले में एफ़आईआर दर्ज हो गयी.

साल 2007 में यूपी की सत्ता बदली और मायावती सूबे की मुखिया बन गईं. सत्ता जाते ही सपा ने अतीक़ को पार्टी से बाहर निकाल दिया. मायावती की सरकार ने अतीक़ को मोस्ट वांटेड घोषित कर दिया.

अतीक़ अहमद ने 2008 में आत्मसमर्पण कर दिया और 2012 में रिहा हो गए. इसके बाद उन्होंने सपा के टिकट पर 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए.

अतीक अहमद के 2019 लोकसभा में दिए गए हलफ़नामें के मुताबिक़ उनके ख़िलाफ़ 100 से ज़्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, हत्या की कोशिश, किडनैपिंग, रंगदारी जैसे केस हैं.

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