उत्तर प्रदेश: प्रयागराज का मुस्लिम हॉस्टल क्यों खाली कराया गया?

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DMT : प्रयागराज  : (11 मार्च 2023) : –

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ज़िले में हुए उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के मुस्लिम छात्रावास में रहने वाले एक अभियुक्त सदाक़त ख़ान को गिरफ़्तार किया गया था.

इसके एक हफ़्ते बाद सोमवार (छह मार्च) को ये हॉस्टल ख़ाली कराकर सील कर दिया गया है.

हॉस्टल के अधीक्षक डॉक्टर इरफ़ान अहमद ख़ान ने छात्रों को इस बारे में नोटिस जारी करके सूचना दी है.

नोटिस में कहा गया है, “पाँच मार्च, 2023 को हॉस्टल प्राधिकरण की बैठक में फ़ैसला किया गया है कि वर्तमान हालात को देखते हुए छह मार्च, 2023 को सभी छात्र अपने सामान के साथ हॉस्टल ख़ाली कर दें.”

इस नोटिस में कहा गया है, “छह मार्च, 2023 से ईद तक हॉस्टल बंद रहेगा. हॉस्टल न खाली करने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.”

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने क्या कहा?

इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा है, “मुस्लिम हॉस्टल और हॉलैंड हॉस्टल इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से संचालित नहीं किए जाते हैं. यह दोनों हॉस्टल विभिन्न ट्रस्टों द्वारा संचालित हैं.”

“इन हॉस्टल में हुई गतिविधियों का इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि इनमें रहने वाले अधिकांश लोग अवैध रूप से यहां रहते हैं और विश्वविद्यालय के छात्र नहीं है.”

हॉस्टल प्रबंधन क्या बोला?

बीबीसी ने इस कार्रवाई के बारे में मुस्लिम हॉस्टल के वॉर्डन डॉक्टर इरफ़ान अहमद ख़ान से बात की है.

उनके अनुसार हॉस्टल के कुल 106 कमरों को डीएम के आदेशानुसार सील कर दिया गया है. यह कार्रवाई एसडीएम, पुलिस और पीएसी की मौजूदगी में की गई.

उनके मुताबिक़ हॉस्टल प्रबंधन ने अपनी बैठक में यह तय किया था कि बच्चों को ईद तक घर भेज दिया जाए.

इरफ़ान अहमद ख़ान कहते हैं कि उन्हें यह नहीं मालूम था कि पूरा हॉस्टल सील कर दिया जाएगा. वो कहते हैं, “हमने अवैध रूप से रहने वाले बच्चों का नाम दिया तो हमें लगा कि उनके कमरे सील कर देंगे.”

वो कहते हैं कि उन्होंने ज़िला प्रशासन को 167 ऐसे छात्रों की लिस्ट दी थी जो यहां क़ानूनी तौर पर रहते हैं और ऐसे 27 छात्रों की लिस्ट दी थी वो अवैध रूप से यहां रह रहे हैं.

अवैध रूप से रहने वाले बच्चे कौन हैं, इस पर इरफ़ान अहमद ख़ान कहते हैं, “अवैध रूप से रह रहे का मतलब उन बच्चों से है, जो फ़ीस जमा नहीं कर रहे हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि वो बच्चे क्राइम कर रहे हैं.”

हॉस्टल प्रबंधन का कहना है कि उन्हें अब तक ये नहीं पता कि हॉस्टल कब तक सील रहेगा.

प्रयागराज के ज़िलाधिकारी से बीबीसी ने संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन मंगलवार शाम से लेकर इस कॉपी के प्रकाशित किए जाने तक उनका कोई जवाब नहीं आया है. ज़िलाधिकारी से बात होने के बाद ज़िला प्रशासन का पक्ष कॉपी में जोड़ दिया जाएगा.

मुस्लिम हॉस्टल आख़िर है किसका?

सबसे अहम सवाल है कि मुस्लिम हॉस्टल इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के तहत आता है या यह कोई निजी हॉस्टल है.

इस बारे में वॉर्डन डॉक्टर इरफ़ान अहमद ख़ान कहते हैं, “ये हॉस्टल यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त है. लेकिन बच्चे तो यूनिवर्सिटी में ही पढ़ रहे हैं, तो ऐसे कैसे कह रहे हैं कि हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है.”

उमेश पाल हत्याकांड के अभियुक्त सदाकत ख़ान के बारे में वॉर्डन डॉक्टर इरफ़ान अहमद ख़ान कहते हैं, “मेरी जानकारी में था कि वो हॉस्टल में रहते हैं. उनके कमरे को हमने सील भी कर दिया था. दो साल पहले वह लॉ की पढ़ाई कर रहे थे. उन्होंने फ़ीस जमा नहीं की थी तो हमने उन्हें अवैध कर दिया था. सील करने के बाद इन्होंने फिर ताला तोड़ दिया था.”

वॉर्डन डॉक्टर इरफ़ान अहमद ख़ान कहते हैं, “हम चाहते हैं कि जितने भी वैध छात्र हैं, उनके कमरों से उनका सामान निकाल कर उन्हें दिया जाए और उन्हें परीक्षा देने की अनुमति दी जाए.”

हॉस्टल के कमरे सील होने से छात्र परेशान

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मुस्लिम हॉस्टल के कमरों को सील किए जाने से वहां रहने वाले कई छात्र परेशान हो रहे हैं.

उनका कहना है कि उन्होंने हॉस्टल की पूरे साल की फ़ीस जमा कर दी थी और उनकी कई परीक्षाएं होने वाली हैं जिसकी तैयारी करने में उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही है.

मुस्लिम हॉस्टल के कमरा नंबर 31 में रहने वाले फिज़िकल एजुकेशन से पीएचडी कर रहे छात्र आबिद अली मंसूरी ने बीबीसी से कहा, “मेरे कुछ कॉन्फ्रेंस लगे हैं. राजस्थान के पेपर लगे हुए हैं. मेरे एमपी के पेपर लगे हैं, एक वर्कशॉप भी लगी हुई है. मेरा लैपटॉप सारे नोट्स सारे डॉक्युमेंट्स उसी कमरे में बंद में हैं.”

“अब इससे मुझे बहुत़ ज़्यादा परेशानी हो रही है. अथॉरिटी ने कहा था कि आप होली के बाद आइएगा, तब हॉस्टल खुल जाएगा और आप लोग जैसे रहते थे वैसे रहेंगे. इस वजह से हम लोग चले आए.”

आबिद अली मंसूरी कहते हैं, “हमारे हॉस्टल छोड़ने के बाद हमें नोटिस मिल रहा है, जिसमें कहा गया कि ईद के बाद आइएगा और पूरी इमारत ही सील कर दी गई है. बीए, एमए, बीकॉम के छात्रों की लगातार परीक्षाएं चल रही हैं. 13 मार्च से भी कुछ परीक्षाएं हैं, ऐसे में छात्रों के सभी नोट्स कमरे में बंद हैं. हम परीक्षाओं की तैयारी करें या ख़ुद के लिए कमरा ढूंढें.”

आबिद अली मंसूरी कहते हैं, “जो अवैध रूप से रह रहे थे उन पर पुलिस कार्रवाई करे, हमें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन जो वैध रूप से रह रहे हैं, उन बच्चों को अलॉटमेंट दिया जाए. उनको हॉस्टल में लाया जाए. इससे वो अपनी पढ़ाई आगे जारी रख सकेंगे और परीक्षाएं दे सकेंगे.”

हॉस्टल में रहने वाले कुछ छात्र इस कार्रवाई से काफ़ी डरे भी हुए हैं.

मुस्लिम हॉस्टल के ही एक और छात्र शहरयार आफ़ताब ख़ान कहते हैं, “अवैध तरीके से रह रहे दो-चार छात्रों के चक्कर में पैसे देकर रह रहे छात्र परेशान हो रहे हैं. सबके डॉक्यूमेंट, लैपटॉप, क़िताबें सब कमरे में छूट गए हैं. किसी का एग्ज़ाम चल रहा है तो किसी का होने वाला है. नेट जेआरएफ़ का एग्ज़ाम चल रहा है. दिसंबर जनवरी में 12 हज़ार रुपये की फ़ीस जमा हुई है और अब बीच सेशन में हमें हॉस्टल से निकाल दिया है.”

शहरयार आफ़ताब ख़ान भी कहते हैं कि जिनका एडमिशन है और जो क़ानूनी वैध रूप से रह रहे हैं, उनको हॉस्टल में आने दिया जाए और जो लोग अवैध तरीक़े से हॉस्टल में रहे हैं उनको हॉस्टल और ज़िला प्रशासन अपने हिसाब से हैंडल करे.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बीए फ़र्स्ट ईयर के एक छात्र जावेद अली भी मुस्लिम हॉस्टल में रहते थे.

जावेद अली कहते हैं, “मैंने यूजीसी की परीक्षा देकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया था. जनवरी में 13 हज़ार रुपए हॉस्टल की फ़ीस जमा की थी. चार मार्च तक हम हॉस्टल में थे. चार मार्च को हम लोगों को बताया गया कि माहौल सही नहीं है आप लोग घर चले जाइए. आठ मार्च को होली है फिर शब-ए-बारात. तो होली और शब-ए-बारात के बाद हॉस्टल खोल दिया जाएगा. लेकिन अब हॉस्टल सील कर दिया गया. उस समय हॉस्टल में 15 से 20 लोग थे.”

क्या छात्र सदाक़त ख़ान को जानते थे?

मुस्लिम हॉस्टल के कमरा नंबर 36 में अवैध रूप से रहने वाले सदाक़त ख़ान की वजह से मुस्लिम हॉस्टल को सील कर दिया गया. वहां रहने वाले ज़्यादातर छात्रों का कहना है कि वह सदाक़त ख़ान को नहीं जानते थे और उन्हें नहीं पता कि वो कब आते या जाते थे.

जावेद अली बीबीसी से बात करते हुए कहते हैं, “पुलिस और मीडिया के लोग कमरा नंबर 36 तक आते थे. हम लोगों से कुछ नहीं कहते थे. पेपर और मीडिया में फ़ोटो देखकर हमने उन्हें पहचाना. हम तो नए हैं. पहली बार हॉस्टल में रहने आए थे.”

ग़रीबी के कारण लिया था हॉस्टल

मुस्लिम हॉस्टल में रहने वाले ज़्यादातर छात्र मध्यवर्गीय परिवारों से आते हैं और बाहर महंगे कमरे नहीं ले सकते हैं. अब बीच सेशन में और पूरी फ़ीस जमा करने के बाद छात्रों के सामने अपनी पढ़ाई आगे जारी करने का भी संकट खड़ा हो रहा है.

बीए फ़र्स्ट ईयर के छात्र जावेद अली कहते हैं, “हमारे पिता किसान हैं. उन्होंने एक बार में हॉस्टल की पूरी फ़ीस 13 हज़ार रुपए जमा कर दी. लेकिन अब हॉस्टल सील होने के बाद उनको उनके पैसे रिफंड होंगे भी या नहीं उनको नहीं पता है. अगर उनके परिवार वाले अमीर होते तो वह क्यों ही हॉस्टल में कमरा लेते, बाहर किराए पर कमरा ले लेते.”

जावेद अली समेत कई और छात्रों के मन में एक शंका ये भी है कि एक बार उन्होंने पूरे साल की फ़ीस जमा कर दी है और मात्र दो से तीन महीने हॉस्टल में रहे हैं. हॉस्टल सील होने के बाद जब दोबारा खोला जाएगा तो एक बार फिर से आवंटित होगा और एक बार फिर से उन सभी को फ़ीस जमा करनी पड़ेगी.

छात्र संगठनों ने जताया विरोध

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आईसा) की इलाहाबाद इकाई ने मुस्लिम हॉस्टल को सील करने की कार्रवाई का विरोध किया है.

आइसा ने पत्र जारी करके कहा है, “मुस्लिम बोर्डिंग हाउस/मुस्लिम छात्रावास को सील कर, वहां रहने वाले छात्रों के बीच भय व्याप्त कर उन्हें परेशान करना बंद करे पुलिस प्रशासन.”

आईसा ने दावा किया है, “विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रावास के वॉर्डन के पास छात्रावास में रह रहे सभी वैध के साथ अवैध छात्रों की जानकारी होती है. इसके बावजूद तथाकथित संलिप्तता वाले व्यक्ति पर कार्रवाई करने की बजाय पूरे छात्रावास के छात्रों को चपेट में लिया जा रहा है. इसका असर छात्रों की मानसिक स्थिति और पढ़ाई दोनों पर पड़ रहा है.”

हॉस्टल खोलने की मांग

हालांकि शुक्रवार को इलाहाबाद में सील किए गए मुस्लिम हॉस्टल के छात्रों ने ज़िलाधिकारी से मुलाक़ात की और हॉस्टल खोलने की मांग की है.

हॉस्टल के एक छात्र ने बीबीसी को बताया, “हमने अपना ज्ञापन ज़िलाधिकारी को सौंपा है और हमें भरोसा दिया गया है कि हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए जल्द ही हॉस्टल खोल दिया जाएगा.”

इस छात्र ने दावा किया है कि ज़िलाधिकारी ने उन्हें बताया है कि हॉस्टल मैनेजमेंट के आग्रह पर ही हॉस्टल को सील किया गया है और अगर मैनेजमेंट फिर से हॉस्टल खोलने की मांग करता है तो उस पर विचार किया जाएगा.

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