एक अरब डॉलर का घोटाला करने वाले कारोबारियों की तलाश

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DMT : मैक्स हडसन : (27 अप्रैल 2023) : –

पहले आप फोन की घंटी बजते हुए सुनते हैं. एक बुज़ुर्ग आदमी फोन उठाते हैं.

फ़ोन करने वाला अपना नाम ‘विलियम ग्रांट’ बताते हुए कहता है कि वो सोलो कैपिटल्स नाम की ट्रेडिंग कंपनी से है. वो उन बुज़ुर्ग से कहता है कि उसके पास उनके लिए, एक ‘ज़बरदस्त प्रमोशनल’ ऑफर है.

वो बुज़ुर्ग कुछ चकराए हुए और कमज़ोर मालूम होते हैं और उससे कहते हैं कि, ‘नहीं, मुझे ये ऑफर नहीं चाहिए. मेरी दिलचस्पी नहीं है.’

लेकिन, विलियम ग्रांट उनके पीछे ही पड़ जाता है. वो उन बुज़ुर्ग से कहता है, ‘मैं आपसे सिर्फ़ एक सवाल पूछता हूँ.’

‘क्या आप पैसे बनाने में दिलचस्पी रखते हैं?’

स्वीडन के रहने वाले 75 बरस के पेंशनयाफ़्ता बुज़ुर्ग यान एरिक, एक धोखाधड़ी का शिकार बनने वाले हैं. वो भी दूसरी बार. ये कॉल सोलो कैपिटल्स के दफ़्तर से की गई थी, जो क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार करने वाली जॉर्जिया स्थित एक कंपनी है.

ये कॉल सुनना बेहद तकलीफ़देह है. क्योंकि न केवल वो बुज़ुर्ग यान एरिक अचकचाए हुए मालूम देते हैं. बल्कि इसलिए भी कि वो कॉल करने वाले को ये बताते हैं कि वो पहले ही दस लाख क्रोना (स्वीडन की मुद्रा) यानी लगभग 80 लाख रुपए की रक़म, ऐसे ही ट्रेडिंग घोटाले में गंवा चुके हैं.

लेकिन, कॉल करने वाले को ये बात पहले से मालूम है. और, उसे ये भी पता है कि ये पीड़ित इंसान दोबारा किए जाने वाले ‘रिकवरी घोटाले’ के लिए एक अच्छा शिकार है. वो कॉलर, यान एरिक से कहता है कि अगर वो उसे अपने कार्ड की जानकारी दे दें, और 250 यूरो की रक़म अदा कर दें, तो सोलो कैपिटल्स एक ख़ास सॉफ्टवेयर की मदद से उनके गुम हो चुके निवेश का पता लगाकर उनके पैसे वापस दिलाएगी.

विलियम ग्रांट फ़ोन पर कहता है, ‘हम पूरी रक़म दोबारा हासिल कर पाएँगे.’

यान एरिक को इसके लिए राज़ी करने में थोड़ा वक़्त ज़रूर लगता है. लेकिन, फ़ोन पर लगभग आधे घंटे बातचीत करने के बाद, यान एरिक अपने क्रेडिट कार्ड की जानकारी देने लगते हैं.

इस ऑडियो रिकॉर्डिंग की फाइल को सोलो कैपिटल्स कंपनी ने ‘विलियम स्वीडन स्कैम्ड’ के नाम से सेव कर रखा था. बीबीसी ने ये फाइल, कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी से हासिल की. लेकिन कंपनी ने इसे छिपाने के लिए कोई ख़ास कोशिश भी नहीं की थी.

सच तो ये है कि कंपनी ने अपने ट्रेनिंग पैकेज के तहत ये फाइल अपने नए ट्रेनियों को दी थी.

ये लोगों को धोखाधड़ी सिखाने का टिटोरियल था.

वो घोटाला

पिछले एक साल से भी ज़्यादा वक़्त से बीबीसी-आई, ट्रेडिंग के फर्ज़ीवाड़े के एक वैश्विक नेटवर्क की पड़ताल कर रही थी, जिसमें शामिल निवेश की सैकड़ों कंपनियों ने, यान एरिक जैसे बेख़बर ग्राहकों से एक अरब डॉलर से भी ज़्यादा की रक़म धोखे से हथिया ली थी.

हमारी पड़ताल से पहली बार इस बात से पर्दा उठ रहा है कि ये धोखाधड़ी कितने बड़े पैमाने पर की गई. इसके अलावा हमारी जांच से रहस्यमय व्यक्तियों के उस नेटवर्क की भी पहचान हुई है, जिनके बारे में ऐसा लगता है कि वो इस घोटाले के पीछे हैं.

धोखाधड़ी के इस नेटवर्क को पुलिस मिल्टन ग्रुप के नाम से जानती है. शुरुआत में इस नाम का इस्तेमाल ख़ुद घोटालेबाज़ों ने ही किया था. मगर 2020 में उन्होंने इस नाम का इस्तेमाल करना बंद कर दिया था.

हमने, सोलो कैपिटल्स समेत 152 नामों की पहचान की है, जिनका हाथ शायद धोखाधड़ी के इस नेटवर्क में है. ये नेटवर्क निवेशकों को निशाना बनाकर उनसे लाखों- या कई करोड़ों की रक़म ऐंठने करने के लिए संचालित किया जाता है.

मिल्टन ग्रुप में शामिल एक निवेश कंपनी ने तो स्पेन के एक बड़े फुटबॉल क्लब को भी प्रायोजित किया था और प्रमुख अख़बारों में इश्तिहार दिए थे, जिससे संभावित निवेशकों के बीच वो अपना भरोसा जमा सके.

नवंबर में, जॉर्जिया की राजधानी तिब्लिसी में कॉल सेंटर्स में हुई छापेमारी के दौरान बीबीसी-आई की टीम, जर्मनी और जॉर्जिया की पुलिस के साथ गई थी.

कंप्यूटर स्क्रीन पर हमने ब्रिटेन के फ़ोन नंबरों की लंबी फ़ेहरिस्त देखी थी. हमने कई ब्रितानी नागरिकों को फ़ोन किया और उनसे बात की. उन लोगों ने हमें बताया कि उन्होंने हाल ही में अपने पैसों का निवेश किया था.

एक मेज़ पर कुछ नामों की लिस्ट के साथ हाथ से लिखा हुआ एक नोट रखा था, और घोटालेबाज़ों की मदद के लिए कुछ उपयोगी जानकारियां भी लिखी हुई थीं. मसलन, ‘घर के मालिक, कोई ख़ास खर्च नहीं’, ’50 हज़ार की बचत’, ‘पोलैंड से ब्रिटिश नागरिक’, ‘शेयर बाज़ार में 50 हज़ार’, वग़ैरह…

एक ब्रिटिश नागरिक के नाम के साथ दिए गए नोट में लिखा था, ’10 हज़ार से कम की बचत. बहुत झिकझिक करने वाला. जल्दी से शिकार बनाया जाना चाहिए.’

धोखाधड़ी के इस नेटवर्क के शिकार बने ज़्यादातर लोगों ने सोशल मीडिया पर विज्ञापन देखने के बाद ही कंपनी से संपर्क साधा था. 48 घंटों के भीतर ही उनके पास किसी का फोन आ जाता था, जो उन्हें बताता था कि वो अपने निवेश पर हर दिन 90 फ़ीसद तक रिटर्न हासिल कर सकते हैं.

फोन के दूसरे छोर पर आम तौर पर एक कॉल सेंटर होता है, जहाँ एक उसे जायज़ कारोबार दिखाने वाले बहुत से इंतज़ाम किए गए होते हैं. एचआर विभाग वाला एक आधुनिक और स्मार्ट दफ़्तर होता है. महीने के हिसाब से टार्गेट और बोनस दिए जाते हैं.

तनख़्वाह के साथ छुट्टियाँ मिलती हैं, और कर्मचारियों के बीच बेहतरीन सेल्सपर्सन का मुक़ाबला भी चलता है. कई कॉल सेंटर्स में तेज़ आवाज़ में संगीत भी बजता रहता है. लेकिन, इन दफ़्तरों में ऐसी भी कई चीज़ें होती हैं, जो आपको किसी वैध कारोबार वाले ऑफिस में नहीं दिखेंगी. जैसे कि किसी संभावित निवेशक की कमज़ोरियाँ पहचानने और फिर उन कमज़ोरियों को उसी इंसान के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करने के लिखित दिशा-निर्देश.

पहली फोन कॉल के साथ ही धोखाधड़ी के शिकार बनाए गए लोगों को जायज़ कंपनियों या कई बार अवैध/फर्ज़ी और विदेश में स्थित कंपनियों में निवेश करने को कहा जाता था.

वैध कारोबारी कंपनियों में अपना रजिस्ट्रेशन कराने वाले कई पीड़ितों को उनके दलाल ज़्यादा जोखिम वाले व्यापार में निवेश करने के लिए उकसाते थे, जिससे ग्राहक का पैसा डूबने की संभावना अधिक होती थी, मगर दलाल को ख़ूब मुनाफ़ा होता था.

कुछ पीड़ित लोगों को ऐसा सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने का निर्देश दिया जाता था, जिससे घोटालेबाज़ दूर बैठकर उनके कंप्यूटर को संचालित करते थे, और उनकी ओर से शेयर ख़रीदने, निवेश करने के ऑर्डर दे देते थे.

और मिल्टन ग्रुप में शामिल कंपनियों के पूर्व कर्मचारियों के मुताबिक़ कई ग्राहकों को ये लगता था कि वो सच में शेयर बाज़ार में सौदेबाज़ी कर रहे हैं. मगर हक़ीक़त ये होती थी कि उनकी कमाई धोखे से छीनी जा रही होती थी.

यूक्रेन की राजधानी किएव में मिल्टन ग्रुप के एक दफ़्तर में काम करने वाले पूर्व कर्मचारी एलेक्स ने हमें बताया, ‘धोखाधड़ी के शिकार बनाए गए लोगों को लगता है कि कंपनी में उनका असली खाता है. लेकिन, हक़ीक़त में शेयरों की कोई ख़रीद-फ़रोख़्त नहीं होती थी. वहाँ तो सिर्फ़ नकली ट्रेडिंग होती थी.’

ये घोटाला कैसे किया जा रहा है, ये समझने के लिए बीबीसी ने शेयर बाज़ार में निवेश की इच्छा रखने वाले एक व्यक्ति के तौर पर, मिल्टन ग्रुप की एक ट्रेडिंग कंपनी कॉइनइवो से संपर्क किया.

हमारा संपर्क, कंपनी के एक सलाहकार से कराया गया, जिसने अपना नाम पैट्रिक बताया और उसने हमसे दावा किया, ‘हम एक दिन की ट्रेडिंग से 70, 80 या फिर 90 फ़ीसद तक मुनाफ़ा कमा सकते हैं.’

उसने हमें कहा कि ट्रेडिंग शुरू करने के लिए हमें उसके पास 500 डॉलर जमा कराने होंगे. ये रक़म उसने बिटकॉइन के रूप में जमा कराने के लिए कहा.

पैट्रिक ने हमारी टीम के सदस्य से कहा कि वो उसे अपने पासपोर्ट की एक कॉपी दे. और जब हमने उसे एक फ़र्ज़ी पासपोर्ट की कॉपी दे दी, तो हम क़रीब दो महीने तक उसकी कंपनी में खुला अपना खाता चलाने में सफल रहे.

ऐसा लगता है कि उसके बाद कॉइनइवो को इस नक़ली खाते का पता चल गया. उस वक़्त पैट्रिक ने हमें ई-मेल लिखा, जिसमें उसने हमें ख़ूब गालियां दी थीं और संपर्क तोड़ लिया था.

लेकिन बीबीसी ने जो पैसा जमा कराया था, वो उनके सिस्टम में पहुंच चुका था. तो हम इस पैसे का पता लगाने में सफल रहे. ये रक़म कई छोटे-छोटे टुकड़ों में करके बिटकॉइन के कई वॉलेट में डाली गई थी, जो शायद सारे-के-सारे मिल्टन ग्रुप से जुड़े हुए थे.

जानकारों ने बीबीसी को बताया कि असली वित्तीय कंपनियां इस तरह से पैसों की हेरा-फेरी नहीं करती हैं.

क्रिप्टोकरेंसी और फ़र्ज़ीवाड़े के मुक़दमे लड़ने में महारत रखने वाले एक वकील लुईस एबट ने बिटकॉइन के रूप में हमारी तरफ़ से जमा किए गए पैसों की आवाजाही की जांच की और बताया कि इससे ऐसा लगता है कि ‘बड़े पैमाने पर संगठित अपराध’ हो रहा है.

एबट ने बताया कि ये पैसे, अलग-अलग बिटकॉइन वॉलेट में बांटकर इसलिए रखे गए थे ताकि ‘आपके लिए, कंपनी के किसी दूसरे शिकार इंसान के लिए, या फिर हमारे जैसे वकीलों के लिए इस रक़म का पता लगाना ज़्यादा-से-ज़्यादा मुश्किल हो जाए.’

एक आसान शिकार

टेलीफोन से किए जा रहे इस ट्रेडिंग घोटाले के शिकार लोगों की आर्थिक और सामाजिक हालत को अक्सर उन्हीं के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया जाता था. जो लोग ये बता देते थे कि उन्होंने काफ़ी पैसे बचाए हैं, तो फिर उन्हें बड़े निवेश करने की दिशा में धकेला जाता था.

जो लोग अकेले होते थे, धोखेबाज़ उनसे दोस्ती गाँठ लेते थे. हाल ही में रिटायर हुई एक महिला जेन (हमने इस रिपोर्ट के लिए उनका नाम बदल दिया है) एक आसान शिकार थीं. उन्होंने हाल ही में अपनी मर्ज़ी से रिटायरमेंट लिया था और उनके खाते में 20 हज़ार पाउंड की रक़म थी.

जेन सोच रही थीं कि अगर उन्होंने अक़्लमंदी से इस पैसे को सही जगह लगाया, तो आने वाले वक़्त में उन्हें पेंशन के अलावा कुछ और आमदनी भी हो जाया करेगी.

जून 2020 में जब पहली बार लॉकडाउन लगा था, तब उन्होंने एवरएफ़एक्स नाम की एक कंपनी का विज्ञापन ऑनलाइन देखा.

जेन ने कंपनी की वेबसाइट के ज़रिए एवरएफएक्स को एक मैसेज भेजा और फिर कंपनी की तरफ़ से उन्हें कॉल किया गया. और फिर, उनकी बातचीत एक ऐसे इंसान से कराई गई, जिसके बारे में बताया गया कि वो एक सीनियर ट्रेडर है.

उसने जेन को बताया कि वो यूक्रेन के ओडेसा शहर से बात कर रहा है, और उसका नाम डेविड हंट है. जेन कहती हैं कि उसकी बोलचाल का लहजा पूर्वी यूरोप के किसी इंसान जैसा लग रहा था. लेकिन, वो ठीक-ठीक समझ नहीं पाई कि वो किस देश से होगा. जेन उसे फौरन पसंद करने लगीं.

जेन ने बताया, ‘उसे अपने कारोबार की अच्छी समझ थी. उसे पता था कि बाज़ार कैसे काम करते हैं और मैं सच में उसके बहकावे में आ गई.’

कुछ ही दिनों के भीतर, जेन और वो शख़्स लगभग हर सुबह बातें करने लगे थे. और जेन अपनी वो ख़ास ज़रूरतें भी उसे बताने लगी थीं, जिसके लिए उन्हें पैसे की ज़रूरत थी. जैसे कि उनकी छत की महंगी मरम्मत का ख़र्च, और अपनी पेंशन के साथ साथ कमाई का एक और ज़रिया.

जेन ने बताया कि डेविड हंट ने उनकी इन ज़रूरतों का उन्हीं के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया और उन्हें बताया कि कुछ ख़ास ट्रेडिंग करके वो अपनी छत की मरम्मत का ख़र्च निकाल सकती हैं और ‘अपना भविष्य बेहतर बना सकती हैं.’

अगले कुछ महीनों के दौरान, जेन ने 15 हज़ार पाउंड की रक़म का निवेश किया. लेकिन उनकी ट्रेडिंग बहुत अच्छा रिटर्न नहीं दे रही थी, तब हंट ने उन्हें सलाह दी कि वो अपने पैसे वहां से निकाल लें, और फिर वो रक़म एक दूसरी ट्रेडिंग कंपनी बी-प्रोएफएक्स में लगाएँ, जहाँ पर उन्हें बेहतर रिटर्न मिल सकेगा.

उस वक़्त तक जेन, डेविड हंट पर पूरा भरोसा करने लगी थीं. वो बताती हैं, ‘मुझे महसूस होता था कि मैं उसको बहुत अच्छी तरह जानती थी, और मुझे लगता था कि उसके दिल में मेरी भलाई का ही ख़याल है. तो मैं उसकी सलाह के मुताबिक़ फ़ैसले लेने को राज़ी हो गई.”

मगर जेन को ये बात नहीं पता थी कि बी-प्रोएफ़एक्स डोमिनिकन रिपब्लिक में स्थित एक नाजायज़ कंपनी थी.

सच तो ये है कि एवरएफएक्स का ब्रिटेन में रजिस्टर होना और क़ानूनी दायरे में होना भी उसे ब्रिटिश नागरिकों से धोखाधड़ी करने से रोक नहीं पाया. लेकिन बी-प्रोएफ़एक्स में निवेश करने के बाद तो जेन के पास बचाव का विकल्प भी नहीं रह गया, जो उन्हें ब्रिटिश क़ानून से मिल सकता था.

बीबीसी ने अपनी पड़ताल में धोखाधड़ी के शिकार ऐसे कई लोगों का पता लगाया, जिनसे इसी तरह धोखेबाज़ कंपनियों में पैसे लगवाए गए थे.

जेन, सितंबर 2020 में 20 हज़ार पाउंड (लगभग 18 लाख रुपए) बी-प्रोएफ़एक्स में लगाने को राज़ी हो गईं, और डेविड हंट अगले कई महीनों तक उन्हें तरह-तरह से ट्रेडिंग के नुस्खे बताता रहा. मगर हर बार जेन पैसे गंवाती चली गईं.

दूसरे पीड़ित लोगों ने बीबीसी को बताया कि उन्हें भी इसी तरह लूटा गया था. लंदन के रहने वाले बैरी बर्नेट ने कहा कि उन्होंने एवरएफएक्स का विज्ञापन देखने के बाद पैसे लगाने शुरू किए थे. लेकिन कुछ शुरुआती फ़ायदों के बाद अचानक ही 24 घंटे के भीतर उन्होंने दस हज़ार पाउंड गंवा दिए थे.

बैरी के सलाहकार ने उन पर दबाव बनाया कि वो ख़ुद को घाटे के इस दलदल से निकालने के लिए ट्रेडिंग में 25 हज़ार पाउंड की रक़म और लगाएँ.

बैरी ने बताया कि, ‘दो घंटे के भीतर मेरे पास क़रीब आधा दर्जन फोन आए होंगे. वो सारे लोग मुझसे और पैसा लगाने के लिए गिड़गिड़ा रहे थे.’

जेन ने भी डेविड हंट की तरफ़ से इसी तरह का दबाव झेला था. उन्होंने बताया, “मैं जितना ज़्यादा पैसा और लगाऊंगी, उतना ही मैं अपने घाटे की भरपाई कर सकूँगी.”

इसके बजाय बैरी और जेन दोनों ने ही आख़िर में ट्रेडिंग बंद करने का फ़ैसला किया. बैरी 12 हज़ार पाउंड (लगभग दस लाख रुपए) गँवा चुके थे, तो जेन के 27 हज़ार पाउंड (लगभग 25 लाख रुपए) डूब चुके थे.

बैरी ने कहा कि, ‘मैं दहशत में हूँ और सुन्न हूँ.’ अपनी डूबी हुई रक़म वापस पाने की कोशिश में दोनों ने दर्जनों बार फोन किया. लेकिन इसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ.

डेविड हंट ने जेन का फोन उठाना बंद कर दिया था. जेन को एहसास हो चुका था कि उन्होंने अपनी सारी रक़म गंवा दी है.

जेन ने बताया, ‘जिस दिन मुझे इसका एहसास हुआ, वो मेरा जन्मदिन था. महामारी फैली हुई थी और मेरे परिवार ने घर के बाहर एक छोटी-सी पार्टी रखी थी. वो मेरे लिए केक भी लेकर आए थे. मैं ख़ुश दिखने की कोशिश कर रही थी, लेकिन, मुझे बेहद शर्मिंदगी का एहसास हो रहा था. मुझे लग रहा था कि धरती फट जाए और मैं उसमें समा जाऊँ.’

जेन को अपने साथ हुई इस धोखाधड़ी के बारे में किसी और को बताने की हिम्मत जुटाने में कई महीने लग गए.

घोटाले की कड़ियां जोड़ना

मिल्टन ग्रुप की इन गतिविधियों की जांच पहले भी हो चुकी थी. ये पड़ताल स्वीडन के अख़बार डैगेंस नाइहटर और दूसरों ने की थी. लेकिन बीबीसी ने ये पता लगाने का फ़ैसला किया कि आख़िर दुनिया भर में फैले घोटाले के इस जाल के पीछे के बड़े नाम कौन हैं.

हमने इसकी शुरुआत सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कॉरपोरेट दस्तावेज़ों की जांच-पड़ताल से की, जिससे मिल्टन ग्रुप की कंपनियों के बीच के आपसी संबंध का पता लगाया जा सके.

हमारे सामने बार-बार पाँच लोगों के नाम आए. ये नाम, मिल्टन ग्रुप की ट्रेडिंग कंपनियों के निदेशक या सहयोगी तकनीकी कंपनियों के निदेशक के तौर पर दर्ज थे- डेविड टोडुआ, रैटी त्खेलिड्ज़, गुराम गोगेशविली जोसेफ मगेलाड्ज़े और माइकल बेनिमिनी.

जब हमने इन नामों को 2016 में विदेशों से संचालित होने वाली शेल कंपनियों का बड़ा पर्दाफ़ाश करने वाले पनामा पेपर्स में तलाशा, तो पता चला कि इनमें से चार- त्खेलिड्ज़, गोगेशविली, मगेलाड्ज़े और बेनिमिनी के नाम आपस में जुड़ी ऑफशोर कंपनियों या उनकी सहायक कंपनियों के निदेशक या वरिष्ठ अधिकारियों के तौर पर दर्ज थे. ये कंपनियां मिल्टन ग्रुप से भी पहले की थीं.

मिल्टन ग्रुप से अलग इन कई कंपनियों के तार किसी न किसी तरह से एक शख़्स से ज़रूर जुड़ते थे, जिसका नाम है डेविड केज़ेराशविली. वो जॉर्जिया की सरकार में दो साल तक रक्षा मंत्री रह चुके हैं.

केज़ेराशविली को रक्षा मंत्री के पद से बर्ख़ास्त कर दिया गया था और बाद में उन्हें पचास लाख पाउंड के सरकारी फंड की हेरा-फेरी के जुर्म में ग़ैरमौजूदगी में सज़ा सुनाई गई थी.

जब केज़ेराशविली को ये सज़ा सुनाई गई, तब तक वो लंदन में रहने लगे थे. और जब जॉर्जिया की सरकार ने ब्रिटेन की सरकार से उनका प्रत्यर्पण करने की गुज़ारिश की, तो उसे ख़ारिज कर दिया गया था.

सार्वजनिक रूप से ऐसा कोई दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं है, जो केज़ेराशविली का संबंध मिल्टन ग्रुप से पहले की इन कंपनियों से होने का संकेत देता हो. लेकिन, जब हमने पनामा पेपर्स की बारीक़ी से पड़ताल की, तो उनका नाम बार-बार सामने आया.

या तो केज़ेराशविली का नाम इस नेटवर्क की मूल कंपनियों के संस्थापक के तौर पर दर्ज था, या फिर वो इन कंपनियों के शुरुआती शेयरधारकों में से एक थे. ऐसा लगता है कि पर्दे के पीछे केज़ेराशविली ही इस नेटवर्क के केंद्र में हैं.

जब बात मिल्टन ग्रुप की आई, तो भी यही हाल दिखा. सार्वजनिक रूप से ऐसा कोई दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं था, जो घोटाला करने वाली कंपनियों का सीधा ताल्लुक़ केज़ेराशविली से बताता हो. और इस बात का भी कोई सुबूत नहीं मिला कि मिल्टन ग्रुप की कंपनियों से उनका कोई सीधा वित्तीय हित जुड़ता हो.

लेकिन मिल्टन समूह से जुड़ी कंपनियों के कई पूर्व कर्मचारियों ने हमें गोपनीय तरीक़े से बताया कि वो केज़ेराशविली से सीधे संपर्क में रहा करते थे और उन्हें पता था कि केज़ेराशविली, मिल्टन समूह की गतिविधियों में शामिल थे.

केज़ेराशविली अक्सर ट्रेडिंग में धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों को अपने निजी सोशल मीडिया एकाउंट से बढ़ावा देते रहे हैं.

पेशेवर नेटवर्किंग की वेबसाइट लिंक्डइन पर वो अपने ख़ाते का इस्तेमाल केवल मिल्टन ग्रुप से जुड़ी कंपनियों में नौकरी और उनकी पोस्ट साझा करने के लिए करते रहे हैं.

बीबीसी, जॉर्जिया के पूर्व रक्षा मंत्री केज़ेराशविली का संबंध मिल्टन ग्रुप की कंपनियों से जोड़ने वाले कई और सुबूत जुटाने में सफल रहा है. केज़ेराशविली के मालिकाना हक़ वाली कई कंपनियों ने एक ऐसे निजी ई-मेल सर्वर का इस्तेमाल किया था, जिसका इस्तेमाल करने वाली अन्य कंपनियां केवल मिल्टन समूह की थीं.

उनकी वेंचर कैपिटल कंपनी इनफिनिटी वीसी, उन कंपनियों के ब्रांड और वेब डोमेन का मालिकाना हक़ रखती है, जो घोटालेबाज़ों को ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की तकनीक मुहैया कराती हैं.

केज़ेराशविली, किएव में दफ़्तरों वाली उस इमारत के भी मालिक हैं, जहां एवरएफएक्स के नाम से घोटालों को अंजाम देने वाले कॉल सेंटर काम करते थे और उसी इमारत में वो तकनीकी कंपनियां भी काम करती थीं, जो इस काम के लिए सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराती थीं.

ये वही दफ़्तर थे, जहाँ नवंबर में पुलिस ने छापा मारा था. केज़ेराशविली, जॉर्जिया की राजधानी तिब्लिसी में दफ़्तरों वाले एक ब्लॉक के भी मालिक हैं, जहां से इन्हीं में से कुछ तकनीकी कंपनियां चलाई जाती हैं.

जब बीबीसी ने मिल्टन ग्रुप के चार वरिष्ठ लोगों के सोशल मीडिया प्रोफाइल की पड़ताल की, तो वहां पर हमें शादी की दावतों और सामाजिक मेल-जोल वाले ऐसे ही दूसरे आयोजनों की तस्वीरें मिलीं, जिनसे ये साफ़ हो गया कि उन सबका केज़ेराशविली से नज़दीकी सामाजिक संबंध था.

फ़ेसबुक पर केज़ेराशविली कम से कम ऐसे 45 लोगों के दोस्त हैं, जो मिल्टन ग्रुप के घोटालों से जुड़े हुए हैं. और बीबीसी ने इस समूह के जिन चार वरिष्ठ लोगों का पता लगाया, उनमें से एक तो केज़ेराशविली का रिश्तेदार है.

बीबीसी ने लंदन में केज़ेराशविली के 1.8 करोड़ पाउंड क़ीमत वाले बंगले को ढूंढ निकाला और उनसे बात करने की इजाज़त मांगी. लेकिन, हमें बताया गया कि वो उपलब्ध नहीं हैं.

केज़ेराशविली ने अपने वकीलों के ज़रिए बीबीसी को बताया कि वो मिल्टन ग्रुप में किसी भी तरह शामिल होने या फिर घोटालों से किसी तरह का वित्तीय फ़ायदा हासिल करने की बात से सख़्ती से इनकार करते हैं.

केज़ेराशविली ने कहा कि जहां तक उनकी जानकारी है, उसके मुताबिक़ एवरएफएक्स एक वैध कारोबार है. और उनके वकीलों ने तर्क दिया कि बीबीसी ने ये घोटाला करने वालों और तकनीकी कंपनियों से केज़ेराशविली के जो संबंध तलाशे हैं, उनसे ‘कुछ भी साबित नहीं होता’.

चेलिड्‍ज़े और गोगेशविली ने भी ये कहते हुए हमारे आरोपों का सख़्ती से खंडन किया कि एवरएफएक्स एक वैध और नियमों के दायरे में काम करने वाला प्लेटफॉर्म है. उन्होंने मिल्टन के बारे में कोई जानकारी होने या फिर एवरएफएक्स और उन कंपनियों के बीच कोई संबंध होने की जानकारी से भी इनकार किया, जिनका पता हमने लगाया था.

उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी करने वाली संस्थाओं ने एवरएफएक्स के सोर्स कोड और ब्रांड के नाम का इस्तेमाल शायद, यूज़र्स को गफ़लत में डालने के लिए किया था. उन्होंने कहा कि एवरएफएक्स के पास कभी भी क्रिप्टोकरेंसी का कोई वॉलेट नहीं था. और भुगतान में शामिल कोई तीसरा पक्ष रक़म को किस तरह प्रॉसेस करता था, इस पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था.

मगेलाड्ज़े ने भी हमारे आरोपों से इनकार किया और हमसे कहा कि वो कभी भी ऐसे किसी कॉल सेंटर के मालिक नहीं रहे हैं, जो धोखाधड़ी करके निवेश को फ़र्ज़ी तरीक़े से बेचता हो. और, उन्हें मिल्टन ग्रुप की कोई जानकारी नहीं है.

बेनिमिनी ने हमारे सवालों का कोई जवाब नहीं दिया.

एवरएफएक्स ने भी हमारे आरोपों से इनकार किया और कहा कि उनका प्लेटफॉर्म वैध और नियम क़ायदों के दायरे में काम करने वाला है, जहां ग्राहकों को जोखिम के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है. उन्होंने कहा कि उन्होंने बैरी बर्नेट के मामले की जांच की थी और पाया था कि अपने घाटों के लिए वो ख़ुद ज़िम्मेदार हैं.

जेन के मामले में उन्होंने बताया कि उनका नुक़सान इसलिए हुआ क्योंकि वो अपना निवेश एक ऐसी ट्रेडिंग कंपनी में ले गईं, जिसका एवरएफएक्स से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि वो ब्रिटेन की फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी (FCA) से पूरा सहयोग कर रहे हैं और ब्रिटेन में उनके ख़िलाफ़ नियम संबंधी कोई भी शिकायत पेंडिंग नहीं है.

वहीं, एफसीए ने कहा कि 2021 में एवरएफएक्स और इसी तरह की अन्य ट्रेडिंग कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया था.

स्पेन के फुटबॉल क्लब सेविला एफसी ने बीबीसी को सिर्फ़ यही बताया कि जब एवरएफएक्स के साथ उनका ठेका ख़त्म हो गया, तो उसके बाद से एवरएफएक्स के साथ उनका कोई संपर्क नहीं है.

पिछले साल ब्रिटेन में हुए तमाम अपराधों में चार अरब पाउंड क़ीमत से भी ज़्यादा फ़र्ज़ीवाड़े के जुर्म हुए थे. और माना जाता है कि ब्रिटेन में हर साल करोड़ों पाउंड के ऑनलाइन निवेश के घोटाले होते हैं. लेकिन, इन घोटालों के शिकार लोग ये कहकर ब्रिटेन की पुलिस की आलोचना करते हैं कि उन्हें लगता है कि पुलिस, ब्रिटिश नागरिकों को शिकार बनाने वाले घोटालेबाज़ों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करती.

जेन ने अपना गंवाया हुआ रिटायरमेंट फंड हासिल करने के लिए देश-विदेश में बहुत हाथ-पांव मारे. बहुत से विकल्प तलाशे. लेकिन, उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली. ब्रिटेन की सिटी ऑफ लंदन पुलिस ने उनसे एक शिकायत तो ले ली थी, मगर, जेन कहती हैं कि ‘इसका कोई नतीजा नहीं निकला’. ‘कुछ चिट्ठियां लिखने के सिवा’ जेन का बैंक भी उनकी कोई मदद नहीं कर पाया.

वो दु:ख के साथ कहती हैं कि ‘और सच तो ये है कि उन्हें मेरी मदद करनी ही क्यों चाहिए?’

इसके बाद जेन ने वही एक काम किया, जो उन्होंने ठीक समझा. उन्होंने ऑनलाइन रिव्यू लिखने का मौक़ा देने वाली क़रीब दर्जन भर वेबसाइट पर जाकर उन ट्रेडिंग कंपनियों के बारे में अपने विचार लिखे, जिन्होंने उनसे ठगी की थी.

वो कहती हैं कि, ‘मैं सिर्फ़ उन लोगों को आगाह करना चाहती थी, जो इसके शिकार बन सकते थे. इस काम के लिए मैंने काफ़ी मशक्कत की. उम्मीद करती हूं कि मेरी लिखी बातों पर किसी न किसी की नज़र पड़ ही जाएगी.’

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