कर्नाटक चुनावः बीजेपी नेता ने कहा, शिवमोगा शहर से हमें मुसलमानों के वोट की ज़रूरत नहीं

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DMT : कर्नाटक  : (25 अप्रैल 2023) : –

कर्नाटक में 10 मई को होने जा रहे मतदान से पहले पूर्व भाजपा मंत्री केएस इश्वरप्पा ने विवादित बयान दिया है.

ईश्वरप्पा ने कहा है कि बीजेपी को विधानसभा चुनाव में शिवमोगा शहर के क़रीब 60 हज़ार मुसलमानों के वोटों की ज़रूरत नहीं है.

रिपोर्ट के मुताबिक 24 अप्रैल को शिवमोगा के पास विनोबा नगर में एक रैली को संबोधित करते हुए ईश्वरप्पा ने कहा, “हमें सभी जातियों के लोगों से बात करनी चाहिए और पूछना चाहिए की बीजेपी की सत्ता के दौरान उन्हें क्या-क्या फ़ायदे पहुंचे हैं. शहर में क़रीब 60 हज़ार मुसलमान हैं, हमें उनके वोटों की ज़रूरत नहीं है. ज़रूर, ऐसे मुसलमान भी हैं, जिन्हें व्यक्तिगत रूप से हमारी मदद मिली है, जब भी उन्हें ज़रूरत थी और वो हमें वोट देंगे. राष्ट्रवादी मुसलमान निश्चित रूप से बीजेपी को ही वोट देंगे.”

ईश्वरप्पा ने ये दावा भी किया कि बीजेपी की सरकार के दौरान हिंदू सुरक्षित रहे हैं और किसी ने हिंदुओं पर हमला करने की हिम्मत नहीं की है.

ईश्वरप्पा ने कहा, “बीजेपी के शासन में हिंदू सुरक्षित थे. किसी की हिंदुओं पर हमला करने की हिम्मत नहीं हुई. ये जनभावना है कि अगर बीजेपी सत्ता में नहीं आई तो हिंदू इतना सुरक्षित नहीं रहेंगे जितना बीजेपी के शासन में थे.”

ईश्वरप्पा की ये रैली कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के बड़े नेता और बीजेपी के पूर्व मुख्य मंत्री बीएस येदियुरप्पा के घर के पास थी. येदियुरप्पा ने वीराशैवा-लिंगायत समुदाय को संबोधित करते हुए कहा, “कांग्रेस ने वीरेंद्र पाटिल को मुख्यमंत्री के पद से हटाकर लिंगायत समुदाय का अपमान किया था. हमें ये बात नहीं भूलनी चाहिए.”

वीरेंद्र पाटिल दो बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे. पहले 1968 से 1971 तक और फिर इसके 18 साल बाद 1989-90 तक. वीरेंद्र पाटिल जब कांग्रेस के मुख्यमंत्री थे तब लिंगायत समुदाय कांग्रेस के साथ रहा करता था.

1990 में राजीव गांधी ने बेंगलुरु एयरपोर्ट के टारमैक से घोषणा करते हुए बीमार वीरेंद्र पाटिल को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया था. अब 30 साल बाद ये घटना कर्नाटक चुनावों की राजनीति के केंद्र में है.

शेट्टार को टिकट ना देना बीजेपी का अंदरूनी मामला: अमित शाहकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार का टिकट काटने की वजह बताने से इनकार करते हुए कहा है कि शेट्टार को इस बात की जानकारी दे दी गई थी.


अमित शाह ने कहा, “तीन लिंगायत नेताओं के शामिल होने के बाद कांग्रेस ख़ुशी से उछल रही है.”

उन्होंने कहा कि लोग अधिक जानते हैं और इस बार हुबली में शेट्टार की हार होगी क्योंकि ये हमेशा से ही बीजेपी का गढ़ रहा है.

प्रदर्शनकारी पहलवानों ने खाप पंचायतों का समर्थन मांगा

दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने खाप पंचायतों और राजनीतिक दलों का समर्थन मांगा हैं. प्रदर्शनकारी पहलवानों ने प्रधानमंत्री से भी हस्तक्षेप करने की अपील की है.

पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ के प्रमुख और बीजेपी सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ फिर से प्रदर्शन शुरू किया है. रविवार रात प्रदर्शनकारी दिल्ली के जंतर-मंतर पर फुटपाथ पर सोये थे.

पिछली बार जब पहलवानों ने प्रदर्शन किया था तब उन्होंने राजनीतिक दलों को अपने मंच पर नहीं आने दिया था लेकिन इस बार प्रदर्शनकारी पहलवानों ने राजनीतिक दलों से भी समर्थन मांगा हैं.

उन्होंने किसान संगठनों, खाप पंचायतों और महिला संगठनों से भी समर्थन की मांग की है.

भारत के शीर्ष पहलवानों ने डब्ल्यूएफ़आई के प्रमुख पर यौन उत्पीड़न के आरोप भी लगाए हैं.

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को भारत सरकार ने इस मामले में अपनी शुरुआत जांच की रिपोर्ट भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी ऊषा के पास भेजा है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न के आरोपों का ज़िक्र नहीं है और सिर्फ़ ढांचागत कमियों का ज़िक्र किया गया है.

संघ और खिलाड़ियों के बीच बेहतर संवाद की ज़रूरत पर भी इसमें ज़ोर दिया गया है.

इसी बीच प्रदर्शनकारी पहलवानों का कहना है कि वो ब्रज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं.

विनेश भोगाट ने सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “हमें पुलिस को शिकायत दिये हुए तीन दिन हो गए हैं लेकिन अभी तक एफ़आईआर नहीं हुई है. हमें विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट से हमें न्याय मिलेगा. हम सिर्फ़ निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं.”

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में बताया है कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुए प्रदर्शनों के पीछे पीएचडी का एक छात्र ‘मास्टरमाइंड’ था.

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने पीएचडी छात्र लोकेश चुग को एक साल के लिए निलंबित भी कर दिया है.

अदालत में पेश एक शपथपत्र में यूनिवर्सिटी ने चुग पर की गई कार्रवाई का बचाव किया है.

यूनिवर्सिटी ने कहा है कि जिन छात्रों ने प्रदर्शन आयोजित किए और बिना अनुमति डॉक्यूमेंट्री को दिखाया उन्होंने घोर अनुशासनहीनता की है.

लोकेश चुग ने अपने निलंबन के ख़िलाफ़ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

चुग की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से निलंबन की कार्रवाई करने का कारण पूछा है.

चुग ने अपनी याचिका में कहा है कि ना ही वो किसी प्रदर्शन में शामिल थे और ना ही उन्होंने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कराई थी.

27 जनवरी को दिल्ली यूनिवर्सिटी की आर्ट्स फैकल्टी में डॉक्यूमेंट्री बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को प्रदर्शित करने को लेकर हुए प्रदर्शन के बाद 24 छात्रों को हिरासत में भी लिया गया था.

बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडियाः द मोदी क्वेश्चन’ को बीबीसी ने भारतीय दर्शकों के लिए रिलीज़ नहीं किया था.

भारत सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को प्रतिबंधित कर दिया था. कई छात्र संगठनों ने इस डॉक्यूमेंट्री को प्रदर्शित करने की कोशिश की थी.

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