गुजरात पुलिस के ख़िलाफ़ यूपी में ‘अपहरण’ की शिकायत क्यों दर्ज की गई?

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DMT : गुजरात  : (05 मार्च 2023) : –

सूरत साइबर अपराध पुलिस के 9 कर्मियों के ख़िलाफ़ क़ानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बग़ैर एक आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है.

इस बात की पुष्टि ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने भी की है कि सूरत के पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ विजयनगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है.

उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद से एक आरोपी देवेंद्र गुप्ता को गिरफ्तार करने गए सूरत पुलिसकर्मियों ने स्थानीय पुलिस से संबंधित कानूनी मंज़ूरी लिए बग़ैर आरोपी को कई बार गिरफ्तार किया.

आरोपी की पत्नी मोनिका अग्रवाल ने इस पूरे प्रकरण में सूरत पुलिस के 9 कर्मचारियों के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के लिए अदालत में आवेदन दिया था.

इसके बाद कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया को प्रथम दृष्टया अवैध मान लिया. कोर्ट ने आईपीसी की धारा 452, 323, 363, 342 के तहत सूरत अपराध शाखा के पुलिस कर्मियों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करने का आदेश दिया.

कोर्ट के आदेश के बाद अब सूरत के पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ ग़ाज़ियाबाद ज़िले के विजयनगर थाने में अपहरण समेत अन्य संगीन धाराओं में पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है.

क्या है पूरा मामला?

पुराना ग़ाज़ियाबाद सेक्टर-9 क्षेत्र की निवासी मोनिका अग्रवाल ने अपनी शिकायत में कहा है कि, ”26 दिसंबर 2022 की रात को 10 बजे विजयनगर आवास पर सूरत के पुलिसकर्मी यूएन महाराज, पृथ्वीराज सिंह बघेल, इंद्रजीत सिंह कौशिक और सूरत साइबर क्राइम के अन्य पुलिसकर्मी (जिनके नाम ज्ञात नहीं हैं) बिना महिला पुलिस अधिकारी के हमारे घर में घुस आए और हमारे साथ अभद्र व्यवहार किया.”

मोनिका ने आरोप लगाया है कि उनके पति को पलंग से उठाकर विजयनगर थाने ले जाया गया. वह देर रात ठंड में रोते हुए विजयनगर थाने तक पुलिस के पीछे-पीछे गईं. उन्होंने देखा कि उनके पति को पुलिस पीट रही है. वो बहुत परेशान थीं और रो रहा थीं.

शिकायत में आरोप है कि उन्होंने वहां मौजूद पुलिसकर्मियों से बार-बार पूछा कि उनके पति के अपराध के ख़िलाफ़ उनके पास कोई वॉरंट है या उनका अपराध क्या है इसकी जानकारी दें जिसके लिए उन्हें थाने लाया गया था, लेकिन पुलिसकर्मियों ने कोई जानकारी नहीं दी. और न ही उन्हें पति से मिलने दिया गया.

उन्होंने शिकायत में आगे कहा कि, ”शिकायतकर्ता के भाई ने रात के 2 बजे पुलिस हेल्पलाइन पर फ़ोन कर पुलिस से मदद मांगी, लेकिन पुलिस ने आकर थाने के कर्मचारियों से बात की और वापस लौट गए.”

शिकायत में आगे कहा गया है कि, ” महिला अगले दिन सुबह 7 बजे विजयनगर थाने गई और उनके पति देवेंद्र गुप्ता थाने में नहीं थे.”

”वहां मौजूद पुलिस ने भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया. इसलिए वह डर गईं. वहीं बैठी रहीं और बार-बार पूछताछ के बाद दोपहर में पुलिस कर्मचारियों ने बताया कि उनके पति को दिल्ली के वज़ीराबाद ले जाया गया है और वो शाम तक वापस आ जाएंगे.”

शिकायत में आगे कहा गया कि, “शाम 5:00 बजे तक जब देवेंद्र गुप्ता घर नहीं आए तो शाम 5.15 बजे मोनिका अग्रवाल के भाई ने पुलिस हेल्पलाइन में फ़ोन कर बताया कि देवेंद्र गुप्ता एक दिन से घर नहीं आए हैं.”

दाखिल शिकायत में आगे कहा गया कि, “रात में मोनिका के भाई ने फिर पुलिस में शिकायत की. रात के दो बजे तक शिकायतकर्ता ने कानूनी मदद के लिए अलग-अलग पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन पुलिस ने कोई मदद नहीं मिली.”

पुलिस को दी गई शिकायत में कहा गया कि, ”मोनिका ने अपने पति के हिरासत में होने की बात को पुलिस से लिखित में देने को कहा लेकिन पुलिस इसके लिए तैयार नहीं हुई.”

”शिकायतकर्ता मोनिका ने पुलिस से गुहार लगाई कि उनके पति मानसिक रोग से पीड़ित हैं. वह घातक माइग्रेन से पीड़ित हैं. अगर उन्हें समय पर दवा नहीं दी जाती है, तो कुछ अनहोनी हो सकती है लेकिन फिर भी पुलिस ने उन्हें दवा नहीं देने दी.”

अंत में लेना पड़ा कोर्ट का सहारा

इसके बाद मोनिका अग्रवाल ने स्पीड पोस्ट के ज़रिए पुलिस कमिश्नर, असिस्टेंट कमिश्नर, आईजी, मानवाधिकार आयोग दिल्ली, महिला आयोग आदि को शिकायत की. लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वो कोर्ट चली गईं.

कोर्ट ने विजयनगर थाने को नोटिस जारी किया. जिसके बाद 4 जनवरी 2023 को विजयनगर थाने के प्रभारी निरीक्षक ने कोर्ट में बताया कि चार पुलिस कर्मियों ने आरोपी देवेंद्र गुप्ता को नज़दीकी पुलिस स्टेशन को रिपोर्ट किए बिना मनमाने तरीके से सूरत शहर गुजरात ले गए थे. गिरफ़्तार करने की प्रकिया के बिना आरोपी को सूरत पुलिस उठा ले गई.

प्रभारी निरीक्षक ने आगे कहा कि, ये सुरत पुलिस के द्वारा एक साज़िश रची गई और पूर्व नियोजित तरीक़े से विजयनगर पुलिस स्टेशन को धोखा दिया और आरोपी को सूरत ले गए.

कोर्ट में विजयनगर थाने के तथ्यों के सामने आने के बाद मोनिका अग्रवाल विजयनगर थाने में पुलिस के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराने गयी लेकिन विजयनगर थाने ने शिकायत लेने से मना कर दिया.

इसके बाद मोनिका अग्रवाल ने अपनी शिकायत एसीपी, डीसीपी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को स्पीड पोस्ट के ज़रिए भेजी.

उन्होंने फिर से कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. जिसके बाद कोर्ट के आदेश के बाद 26 फरवरी को सूरत साइबर क्राइम के पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ विजयनगर थाने में अपहरण की शिकायत दर्ज कराई गई.

‘कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना सूरत ले जाया गया’

बीबीसी गुजराती से बात करते हुए ग़ाज़ियाबाद के डीसीपी निपुण अग्रवाल ने पुष्टि की है कि सूरत के पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ विजयनगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई है.

मोनिका अग्रवाल के वकील भवनीश गोला ने बीबीसी गुजराती को बताया है कि, “मोनिका अग्रवाल के पति को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के सूरत ले जाया गया.”

“4 दिनों तक उनकी गिरफ्तारी नहीं दिखाई गई. देवेंद्र गुप्ता को बिना किसी प्रक्रिया के सूरत ले जाया गया. कोर्ट ने इसे अपहरण मानते हुए गुजरात पुलिस के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करने का भी आदेश दिया है. इसलिए मोनिका अग्रवाल के द्वारा विजयनगर थाने में सूरत साइबर क्राइम के पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई गई है. शिकायतकर्ता के पति को ज़मानत मिल गई है. वह ग़ाज़ियाबाद आ गए हैं.”

देवेंद्र गुप्ता के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी की शिकायत

सूरत साइबर क्राइम एसीपी वाईए गोहिल ने बीबीसी गुजराती को बताया, ”शिकायतकर्ता मोनिका अग्रवाल के पति देवेंद्र गुप्ता के ख़िलाफ सूरत साइबर क्राइम में 6.50 लाख रुपये की साइबर धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज की गई थी. इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया था. ट्रांज़िट प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी. इसलिए अदालत के आदेश पर सूरत के पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की गई है.”

उन्होंने आगे कहा, “आरोपी देवेंद्र गुप्ता को क़ानूनी रूप से गिरफ्तार किया गया था. आरोपी को सूरत की अदालत में भी पेश किया गया था. फिलहाल आरोपी ज़मानत पर हैं. हम मामले के काग़ज़ात अदालत में पेश करेंगे.”

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