चीन की बढ़ती सैन्य ताक़त से कितने परेशान हैं पड़ोसी

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DMT : चीन  : (09 मार्च 2023) : –

चीन के प्रधानमंत्री ली केचियांग ने बीते रविवार चीनी संसद का वार्षिक सत्र शुरू होने पर चीन के रक्षा बजट को बढ़ाने का एलान किया है.

इस बढ़ोतरी के बाद चीन अपनी सेना पर 225 अरब डॉलर ख़र्च करेगा. ये पिछले साल किए गए ख़र्च की तुलना में 7.2 फ़ीसदी ज़्यादा है.

केचियांग ने इस एलान के साथ ही चीन के लिए बढ़ते विदेशी ख़तरों की ओर इशारा किया है. आज की प्रेस रिव्यू में यही पहली ख़बर पढ़िए.

अमेरिकी रक्षा बजट से काफ़ी कम

चीन का रक्षा बजट अब भी अमेरिका की तुलना में काफ़ी कम है. अमेरिका हर साल अपने रक्षा बजट पर 800 अरब डॉलर से ज़्यादा ख़र्च करता है.

लेकिन पश्चिमी देशों के विश्लेषक मानते हैं कि चीन अपनी सेना की क्षमताएं बढ़ाने के लिए घोषित रक्षा बजट से कहीं ज़्यादा ख़र्च करता है.

नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर में ली कुआं ये स्कूल ऑफ़ पब्लिक पॉलिसी के चीनी विशेषज्ञ ड्रू थॉम्पसन कहते हैं, “चीन साल 2000 के बाद से अपनी सेना को आधुनिक बनाने और उसे विस्तार देने की योजना पर काम कर रहा है. मुझे लगता है कि चीनी रक्षा बजट में बढ़ोतरी पिछले 22 सालों के रिकॉर्ड के लिहाज़ से सामान्य है.”

ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा एवं सुरक्षा शोध संस्थान से जुड़े विश्लेषक जू युन सू कहते हैं कि चीन की ओर से रक्षा बजट पर किया जा रहा ख़र्च बताता है कि वह ख़ुद को एक विशाल थल सेना से आगे बढ़ाकर एक महान नौ सेना बनाना चाहता है.

वह कहते हैं, “ताइवान स्ट्रेट, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर जैसे क्षेत्रों में सबसे पहले चीनी सेना का विस्तार देखने को मिलेगा.

इसके बाद चीन अपनी नज़रें द्वीपों की दूसरी शृखंला पर लगाएगा, जहाँ वह ताक़त के पुनर्संतुलन को प्रभावित करना चाहता है.

इनमें जापान के द्वीपों के साथ-साथ ग्वाम और माइक्रोनेशिया जैसे द्वीप शामिल हैं. चीन के रक्षा बजट में बढ़ोतरी की ख़बर एक ऐसे समय पर आई है, जब हिन्द प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है.”

परेशान हैं चीन के क़रीबी मुल्क

जापान और दक्षिण कोरिया से लेकर फिलीपींस तक तमाम देश चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित हैं.

इन देशों ने अपने प्रति बढ़ते हुए ख़तरे को ध्यान में रखते हुए रक्षा बजट में बढ़ोतरी करने के साथ-साथ अपनी सैन्य क्षमताओं में विकास करना भी शुरू कर दिया है.

जापान ने आगामी वर्ष के लिए अपनी सेना पर 51.7 अरब डॉलर ख़र्च करने का फ़ैसला किया है जो कि पिछले साल की तुलना में 26 फीसद ज़्यादा है.

जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापानी सेना को सबसे बड़ा विस्तार भी दिया है.

ये पिछले सात दशकों से शांति की बात करने वाले मुल्क के रुख़ में एक बड़ा नाटकीय बदलाव था.

जापान अपनी सेना में सुधार की योजनाओं पर अपनी जीडीपी का दो फीसदी ख़र्च करेगा.

इस दिशा में वह ऐसी मिसाइलें ख़रीदेगा जो हज़ार किलोमीटर दूर स्थित ज़मीनी ठिकानों और जहाजों को निशाना बना सके.

कहा जा रहा है कि दक्षिण कोरिया भी चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति को लेकर चिंतित है. लेकिन दक्षिण कोरिया की हालिया चिंता का विषय उत्तर कोरिया है.

पिछले कुछ महीनों में उत्तर कोरिया ने अपनी आक्रामकता में भारी इज़ाफ़ा किया है. पिछले साल उत्तर कोरिया की ओर से लॉन्च की गई मिसाइलों की संख्या पहले की तुलना में कहीं ज़्यादा थीं.

हालांकि, यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोक्यो से जुड़े शोधार्थी रयो हिनाता यामाची मानते हैं कि ‘दक्षिण कोरिया को कोरिया प्रायद्वीप के मौजूदा हालात को ध्यान में रखते हुए ज़्यादा संवेदनशील होने की ज़रूरत है. चीन मौक़ा पड़ने पर उत्तर कोरिया की ओर से दखल दे सकता है. हालांकि, दक्षिण कोरिया अमेरिका और चीन के बीच शक्ति प्रदर्शन में शामिल होने से हिचक रहा है.’

दक्षिण कोरिया के जहां एक ओर अमेरिका के साथ गहरे सुरक्षा संबंध हैं, वहीं चीन के साथ गहरे व्यापारिक संबंध हैं.

ऐसे में उसे एक बेहद कठिन कूटनीतिक डगर पर चलना पड़ा रहा है. दक्षिण कोरिया ने अपनी सेना पर किए जाने वाले ख़र्च को बढ़ाने का फ़ैसला किया है लेकिन उससे ख़रीदे गए ज़्यादातर रक्षा उपकरणों को उत्तर कोरिया की ओर से मिलती चुनौतियों का सामना करने में इस्तेमाल किया जाएगा.

दक्षिण कोरिया इस हफ़्ते जापान के साथ दशकों से चले आ रहे उस विवाद को पीछे छोड़ने के लिए भी तैयार हुआ है जिसका संबंध साल 1910 से 1945 तक चले जापानी शासन के दौरान कोरियाई लोगों के साथ हुई बर्बरता से है.

दक्षिण कोरियाई सरकार के इस फ़ैसले को बेहतर सुरक्षा क़रारों के लिए एक समझौते की तरह देखा जा रहा है.

ताइवान में भी हालात चिंताजनक

चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति ताइवान में भी चिंता की वजह बनती जा रही है.

शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों कई बार चेतावनी दे चुके हैं कि चीन आने वाले कुछ सालों में ताइवान पर हमला कर सकता है.

जू युन सू के मुताबिक़, ताइवान को अमेरिकी अधिकारियों की ओर से सुझाए गई रणनीति अपनानी चाहिए.

उन्होंने कहा है कि ‘अगर ताइवान एंटी-शिप मिसाइल और एयर डिफेंस मिसाइल में निवेश को प्राथमिकता देता है तो उसके पास चीन की गोला-बारूद और सैनिकों के संख्याबल का सामना करने की क्षमता ज़्यादा होगी.’

फिलीपींस कितना परेशान

पिछले कुछ महीनों में चीन और फिलीपींस के बीच भी तनाव बढ़ता हुआ देखा गया है. फिलीपींस ने दक्षिण चीन सागर में चीनी गतिविधियों को लेकर दर्जनों शिकायतें दर्ज कराई हैं.

चीन जहां इस पूरे क्षेत्र पर दावा करता है. वहीं, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और ब्रूनेइ इस जल क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों पर दावा करते हैं.

फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्नडिनांड मार्कोस जूनियर ने कहा है कि उनका देश एक इंच भूभाग भी अपना दावा नहीं छोड़ेगा.

उनकी सरकार ने अमेरिका के साथ अपने सैन्य संबंध मजबूत करते हुए चार नए सैन्य ठिकाने बनाने की अनुमति दी है.

सू कहते हैं कि चीन की बढ़ती ताक़त और आक्रामकता से उपजी इन देशों की साझा चिंता एक समुद्री नेटो जैसे संगठन को जन्म दे सकती है.

क्रिप्टो करेंसी को मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत लाई सरकार

केंद्र सरकार ने बीते मंगलवार जानकारी दी है कि क्रिप्टो करेंसी को ख़रीदना-बेचना, रखना और इससे जुड़ी सेवाएं अब मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए बनाए गए कानून के तहत देखी जाएंगी.

केंद्र सरकार ने पिछले साल के बजट में वर्चुअल डिज़िटल असेट्स से होने वाली आय पर तीस फीसद कर लगाने का फ़ैसला किया था.

इसके साथ ही इसके लेनदेनों पर एक फीसद टीडीएस भी लगाने का फ़ैसला किया था.

पंजाब में सैनिकों के परिवार से आते थे मारे गए निहंग

पंजाब के आनंदपुर साहिब में मंगलवार को कनाडा के एक नागरिक प्रदीप सिंह की हत्या कर दी गयी है.

प्रदीप सिंह के चाचा गुरदयाल सिंह ने बताया है कि प्रदीप सिंह 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2016 में कनाडा चले गये थे और वह वहीं के स्थायी निवासी थे. प्रदीप की छोटी बहन किरणबीर कौर भी कनाडा में हैं.

गुरदयाल सिंह ने बताया है कि प्रदीप पिछले साल सितंबर में अपनी बेटी की शादी में शामिल होने के लिए भारत आये थे, जो अक्टूबर में होनी थी.

प्रदीप सिंह ने कनाडा में रहने वाले एक दोस्त गुरदर्शन सिंह की वजह से आनंदपुर साहिब जाने का फैसला किया, जो 18 फरवरी को भारत आए थे. दोनों ने इस साल होला मोहल्ला मनाने के लिए आनंदपुर साहिब जाने का फैसला किया.

गुरदयाल सिंह ने बताया, “प्रदीप आनंदपुर साहिब गुरुद्वारे में जाना चाहता था, लेकिन जब वह रास्ते में था, तो उसने देखा कि कुछ गुंडे तेज संगीत बजा रहे हैं और उपद्रव कर रहे हैं. जब उसने उन्हें आवाज कम करने के लिए कहा तो वे प्रदीप से बहस करने लगे. आखिरकार उन्होंने उसे पकड़ लिया और चाकू मार दिया.”

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