चीन ने रक्षा बजट में 7.2 प्रतिशत तक की वृद्धि की, भारत से तीन गुना ज्यादा

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DMT : बीजिंग : (05 मार्च 2023) : – चीन ने रविवार को अपना रक्षा बजट 7.2 प्रतिशत तक बढ़ाकर 1,550 अरब युआन तक कर दिया जो पिछले साल से अधिक है। यह उसके सैन्य बजट में लगातार आठवीं वृद्धि है। चीन ने पिछले साल 7.1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1,450 अरब युआन का बजट पेश किया था। इस साल रक्षा खर्च बढ़कर 1,550 अरब युआन हो गया है। हालांकि, युआन के मुकाबले डॉलर की मजबूती को देखते हुए इस साल चीन का रक्षा खर्च करीब 224 अरब डॉलर हो गया है जो पिछले साल के 230 अरब डॉलर के मुकाबले कम है।

नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के उद्घाटन सत्र में पेश की कार्य रिपोर्ट में निवर्तमान प्रधानमंत्री ली केकियांग ने सशस्त्र बलों से लड़ाकू तैयारियां बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि चीन के सशस्त्र बलों को सैन्य अभियान के लिए काम करना चाहिए, लड़ाकू तैयारियां और सैन्य क्षमताएं बढ़ानी चाहिए ताकि सीपीसी (चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी) द्वारा उन्हें सौंपा काम पूरा हो। ली ने कहा कि सशस्त्र बलों को सैन्य प्रशिक्षण तेज करना चाहिए, नया सैन्य सामरिक मार्गदर्शन बनाना चाहिए तथा सभी दिशाओं में सैन्य काम को मजबूत करने के अच्छी तरह से समन्वित प्रयास करने चाहिए। अपने रक्षा बजट पर सबसे अधिक खर्च करने वाले देशों में अमेरिका के बाद चीन का नाम आता है। अमेरिका ने 2023 के लिए 816 अरब डॉलर का रक्षा बजट पेश किया है।

लक्ष्य अमेरिका के बराबर

भारत के लिहाज से चीन का रक्षा बजट तीन गुना अधिक है। भारत ने 2023-24 के लिए 72.6 अरब डॉलर का बजट पेश किया है। बढ़ते रक्षा बजट और 20 लाख सैनिकों वाली पीपुल्स लिबरेशन आर्मी दुनिया की सबसे बड़ी सेना है और वह अपनी सेना, नौसेना तथा वायु सेना के आधुनिकीकरण पर सबसे अधिक खर्च करने के साथ तेजी से शक्तिशाली बन रही है। चीनी सेना का नेतृत्व राष्ट्रपति शी जिनपिंग करते हैं जो शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष हैं। उनके नेतृत्व में चीनी सेना ने अगले कुछ वर्षों में अमेरिकी सशस्त्र बलों के बराबर आधुनिक होने का लक्ष्य तय किया है। एनपीसी के सत्र के मद्देनजर उसके प्रवक्ता वांग चाओ ने शनिवार को चीन के रक्षा बजट में वृद्धि का बचाव करते हुए कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के तौर पर देश का रक्षा खर्च वैश्विक औसत के मुकाबले कम है। उन्होंने कहा कि चीन के सैन्य आधुनिकीकरण से किसी देश को कोई खतरा नहीं होगा बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक शांति की रक्षा के लिए सकारात्मक शक्ति होगी।

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