ट्रांसनिस्ट्रिया: वो जगह जो रूस-यूक्रेन की जंग में करा रहा मोल्डोवा की एंट्री

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DMT : यूक्रेन  : (05 मार्च 2023) : –

यूक्रेन की दक्षिणी सीमा से थोड़ी दूरी पर मौजूद सोवियत रूस के ज़माने का एक हथियार डिपो.

रूसी सैनिक आजकल मोल्डोवा से अलग हुए इलाक़े ट्रांसनिस्ट्रिया में मौजूद इस डिपो की हिफ़ाज़त में तैनात हैं. लेकिन इस डिपो, इसकी हिफ़ाज़त में लगे सैनिकों और रूस समर्थक इस अलगाववादी क्षेत्र पर दुनिया की निगरानी अब बढ़ने लगी है.

एक दूसरे पर लगाए जा रहे आरोपों के दौरान ये भी कहा गया है कि इससे इस इलाक़े में एक नया संघर्ष देखने को मिल सकता है.

मोल्डोवा के प्रधानमंत्री डोरिन रीसिन ने कहा है कि रूसी सेनाओं को वहां से तुरंत निकाला जाए. वहीं इससे पहले राष्ट्रपति माया संडु ने आरोप लगाया था कि रूस पश्चिमी देशों की समर्थक उसकी सरकार को गिराना चाहता है.

ट्रांसनिस्ट्रिया के हालात

इस बीच, रूस यूक्रेनी सेना की तरफ से ‘फ़ॉल्स फ्लैग’ अटैक की आशंका जताता रहा है. उसने चेतावनी दी है कि ट्रांसनिस्ट्रिया में उसकी सेना पर किसी भी तरह का हमला, उस पर हमला माना जाएगा.

कई पश्चिमी विश्लेषकों का मानना है ट्रांसनिस्ट्रिया यूक्रेन में प्रवेश करने का एक और रास्ता हो सकता है.

वो मानते हैं कि अगर रूस ने यहां दबाव बनाना शुरू किया तो यूक्रेनी सेना को दूसरे मोर्चों से दौड़ कर यहां आना होगा. लिहाज़ा ट्रांसनिस्ट्रिया की स्थिति अब दिलचस्प हो गई है.

मोल्डोवा उत्तर और पूर्व में यूक्रेन और दक्षिण में रोमानिया के बीच में है. पूर्व का इसका हिस्सा काले सागर से नज़दीक है. वहीं इसका ट्रांसनिस्ट्रिया का इलाक़ा इसके पूर्व की तरफ है और यूक्रेन के दक्षिण में बसे शहर ओडेसा से क़रीब 170 किलोमीटर दूर है.

ताज़ा घटनाक्रम के बाद अब ट्रांसनिस्ट्रिया के हालात पर पूरी दुनिया निगाहें बनाए हुए है, लेकिन स्थानीय स्तर पर भी हालात पर लोगों की नज़र है.

यहां के मोलोवाता नोउआ गांव में आपको इलाक़े में नया संघर्ष पैदा होने की आशंका, डर और चिंता दिखेगी.

यह छोटा-सा मोल्डिवाई गलियारा है, जो ट्रांसनिस्ट्रिया इलाक़े की नीचे की तरफ है. नीस्टर नदी इसे मोल्डोवा के बाकी इलाक़ों से अलग करती है.

अगर राजधानी चिसिनाऊ के लोगों को लग रहा है कि वे कभी भी इस संघर्ष में घिर सकते हैं, तो मोलोवाता के लोग समझ रहे हैं कि अगर रूसी सेना आई तो सबसे आगे की कतार में वो सेना के बिल्कुल सामने खड़े होंगे.

रूस समर्थक अलगाववादियों से युद्ध

मोलोवाता नोउआ में ऐसे कई बुज़ुर्ग मिले, जिन्होंने 30 साल पहले इस ज़मीन के लिए रूस समर्थक अलगाववादियों से लड़ाई लड़ी थी. वो अब इस सवाल से जूझ रहे हैं कि क्या अब उन्हें एक बार फिर हथियार उठाने होंगे.

शुक्रवार को ये बुज़ुर्ग ट्रांसनिस्ट्रिया में नियंत्रण रेखा के पास वार्षिक तौर पर आयोजित होने वाली एक तीर्थयात्रा के लिए इकट्ठा हुए. इस यात्रा में इस लड़ाई के शहीदों को याद किया गया.

इसके लिए लगभग बीस से अधिक लोग सैनिक वर्दी पहने जमा हुए, उनके सीने पर चमचमाते मेडल लगे हुए थे. लेकिन उनकी आंखों में एक आशंका थी.

इनमें से एक 62 साल के व्लाद अंतिला ने कहा, “हम खुशकिस्मत हैं कि यूक्रेन इस वक्त हमारी रक्षा कर रहा है. लेकिन अगर लड़ाई मोल्डोवा तक आती है तो हम अपनी ज़मीन की रक्षा के लिए तैयार हैं.”

उनकी कारों का काफिला धूल उड़ाते हुए मोलोवाता नोउआ से रास्तों पर चलकर अलग हुए रूस समर्थक इलाक़े में पहुंचता है. उनका कहना है कि तीस साल पहले भी वो इसी तरह दुश्मन के इलाक़े में पहुंचे थे.

व्लाद कहते हैं, “अपने चारों ओर देखिये, यही वो जगह है जहां हमने सालों पहले लड़ाई जीती थी. यह लड़ाई का मैदान था.”

आगे ये धूल भरी सड़क एक शांत देहाती इलाक़े में पहुंचती है. ये इलाक़ा धूसर खेतों और टूटे हुए पेड़ों से घिरा है. व्लाद के दोस्त कॉन्स्तेतीन कहते हैं, “ये मेरी ज़मीन है लेकिन मैं यहां आज़ाद होकर नहीं घूम सकता.”

चेक प्वाइंट से थोड़ा आगे चलने पर सड़क किनारे की कांटेदार झाड़ियों के नज़दीक तीर्थयात्रा का पहला पड़ाव आता है. यहां पर मेटल पोल से बनाया हुआ एक क्रॉस लगा है.

ये वो जगह है, जहां 31 साल पहले एक स्थानीय मेयर मारे गए थे. ये बुज़ुर्ग फूलों की माला लेकर यहां आते हैं. उनके हाथ में प्लास्टिक की बोतल है जिसमें वाइन (शराब) है. वो अपने शहीद साथियों को याद करते हुए टोस्ट करते हैं.

इसके बाद वो इस इलाक़े में मौजूद धुंधले नीले स्मारकों की कतारों को पार करते हुए चलते हैं और हर स्मारक पर अपने साथियों की याद में टोस्ट करते हैं. ये स्मारक बुज़ुर्ग सैनिकों के साथ मिल कर लड़ने वाले सैनिकों, भाई-बहनों और उनके साथियों के हैं.

व्लाद याद करते हैं, “हम दोनों स्नाईपर (निशाना लगाकर गोली मारने वाले) हुआ करते थे.”

यहीं पर उनके दोस्त वेसी मारे गए थे. वो कहते हैं, “वो लोग पहाड़ी के ऊपर से हम पर टैंक से गोले दाग रहे थे. टैंक से निकले एक गोले का टुकड़ा उनकी गर्दन पर लगा. वे गिर पड़े, उन्होंने मेरी बांहों में दम तोड़ा.”

बुज़ुर्गों का ये कारवां एक स्थानीय मोल्डोवियाई स्कूल से होकर गुज़रता है. उसी वक्त स्कूल के बच्चे इन बुज़ुर्गों को बधाई देने के लिए निकलते हैं. स्कूल की प्रिंसिपल तात्याना रोस्का बच्चों की अगुआई कर रही थीं.

तात्याना बताती हैं, “1992 में यहां बड़ी लड़ाई हुई थी. लोगों की आत्माओं में अब भी उस वक्त के गहरे घाव हैं. हम बेहद डरे हुए हैं. हमें पता है कि युद्ध का मतलब क्या होता है. हम नहीं चाहते कि दोबारा हमारा सामना युद्ध से हो.”

उनकी एक छात्रा कहती हैं कि अगर संघर्ष दोबारा शुरू हुआ तो वो हथियार उठाने के लिए तैयार हैं. 30 साल पहले उनके पिता और दादा ने भी यही किया था.

लेकिन बाकी मोल्डोवा की तरह यहां भी इतिहास, भूगोल और अर्थशास्त्र ने ज़मीन के प्रति लोगों की वफादारियों को जटिल बना दिया है.

मोल्डोवियाई पहचान और सस्ती रूसी गैस की रस्साकशी

नीस्टर नदी की दूसरी ओर मोल्डोवियाई पहचान और ट्रांसनिस्ट्रिया की सस्ती रूसी गैस के बीच रस्साकशी चलती रहती है.

यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही देश के दूसरे इलाक़ों और इस इलाक़े के बीच आर्थिक दरार बढ़ती जा रही है. यह प्रक्रिया उस वक्त और तेज़ हो गई जब पिछले साल रूस ने मोल्डोवा की तरफ जाने वाली गैस सप्लाई काट दी.

मोलोवातो नोउआ के मेयर ओलेग गाज़ी ने मुझसे कहा, “सच कहूं तो, जब यहां के लोगों को सस्ती गैस मिल रही हो तो उन्हें समझाना मुश्किल है तो मोल्डोवा में जिंदगी यहां से अच्छी है.”

वो कहते हैं, “हम आज़ादी और अच्छी जिंदगी की बात नहीं कर सकते लेकिन साथ ही ये भी नहीं कह सकते कि नदी के उस पार चले जाओ ओर अपने बिल का तीस गुना बिल चुकाओ. लोग हमें पूछते हैं क्या तुम पागल हो. लेकिन सस्ती गैस की एक क़ीमत भी है, वो लोग सस्ती गैस देकर लोगों का समर्थन खरीद रहे हैं.”

‘रूस ख़तरा नहीं आर्थिक सहयोगी’

कुछ लोग तो पक्के तौर पर ये मानते हैं कि रूस उनके लिए कोई सैन्य ख़तरा नहीं बल्कि एक अच्छा आर्थिक सहयोगी है.

ये लोग मानते हैं कि राष्ट्रपति माया संडु पश्चिमी देशों के साथ नज़दीकी बना कर एक तरह से लड़ाई भड़का रही हैं.

59 साल की मारिया उरसाची कहती हैं, “ट्रांसनिस्ट्रिया हमारे साथ है, लेकिन मोल्डोवा ने हमें निराश किया है. लोग नदी पारकर हम तक आकर हमसे बात करने से डरते हैं. उस तरह बॉर्डर कंट्रोल पोस्ट लगे हैं. वहां लोग हमारा बैग चेक करते हैं, सरकार हमें नज़रअंदाज़ कर रही है.”

बहरहाल इधर मोलोवाता नोउआ में युद्ध लड़ चुके बुज़ुर्ग गांव के चौराहे पर अपनी तीर्थयात्रा की रस्म पूरी करने में लगे हैं. वे युद्ध स्मारक पर लाल फूल चढ़ाते हैं.

लेकिन रूस समर्थक अलगाववादियों से लड़े उन्हें एक लंबा अरसा गुज़र चुका है. इस बीच इन बुज़ुर्ग सैनिकों के बच्चे रूसी सैनिकों के बीच बड़े हुए हैं. वो रूसी भाषा जानते हैं और रूस के आर्थिक समर्थन के बीच पले हैं.

व्लाद कहते हैं, “अगर कोई प्रतिरोध होता है तो हम बुज़ुर्ग अब भी इसके केंद्र में होंगे. युवा लोग अगर इसमें शामिल होते हैं तो भी हम भी मदद करेंगे.”

गुज़रे ज़माने की याद अब भी इस छोटे से मोल्डोवाई गलियारे पर छाई हुई है. लेकिन भविष्य को लेकर बढ़ता डर इन यादों को और उभार रहा है.

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