ताक़तवर चीन की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं की राह में ये बन रहा बड़ा रोड़ा

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DMT : सिंगापुर : (17 मार्च 2023) : –

चीन की राजधानी बीजिंग में रहने वाली 26 साल की क्रिस्टल अपना असली नाम नहीं बताना चाहतीं.

चीन में पिछली पीढ़ियों की ज़्यादातर महिलाओं के उलट क्रिस्टल ने शादी नहीं की है और फ़िलहाल उन पर ऐसा करने का कोई दबाव भी नहीं है.

जब उनसे पूछा गया कि ऐसा क्यों है? तो वो हंसते हुए कहती हैं, “मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि मेरे परिवार के लोगों ने न तो शादी की है और न ही तलाक़ लिया है.”

चीन में युवा शहरी महिलाओं के बीच ऐसी भावना सामान्य होती नज़र आ रही है. चीन की कम्युनिस्ट यूथ लीग ने एक सर्वे किया है. इस सर्वे में 18 से 26 साल की उम्र के क़रीब तीन हज़ार लोगों को शामिल किया गया.

सर्वे में पाया गया कि शहरों में रहने वाली 40 प्रतिशत से ज़्यादा युवा महिलाओं ने शादी करने के बारे में नहीं सोचा है, जबकि पुरुषों के मामले में ये आंकड़ा 25 प्रतिशत से भी कम है.

इसके पीछे कुछ हद तक चीन में बच्चों की देखभाल की बढ़ती लागत और एक बच्चे की नीति ज़िम्मेदार है.

विस्कॉन्सिन-मेडिसन विश्वविद्यालय में प्रसूति और स्त्री रोग विभाग में काम करने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिक और एक बच्चे की नीति के प्रमुख आलोचक यी फ़ुक्सियन कहते हैं, “चीन में सिर्फ़ एक बच्चा पैदा करना या कोई बच्चा नहीं होना सामाजिक आदर्श बन गया है.”

उन्होंने कहा, “अर्थव्यवस्था, सामाजिक वातावरण, शिक्षा और क़रीब-क़रीब सभी चीज़ें एक बच्चे की नीति से जुड़ी हुई हैं.”

चीन के लिए यह एक चिंताजनक ट्रेंड है क्योंकि चीन की आबादी घट रही है. चीन में जन्म दर कई साल से धीमी हो रही है, लेकिन अगर साल 2022 की बात करें तो इस साल चीन की जनसंख्या 60 सालों में पहली बार गिरी थी.

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए यह बुरी ख़बर है, जहां वर्क फ़ोर्स पहले की तुलना में कम हो रहा है और उम्रदराज़ आबादी सरकार की कल्याणकारी सेवाओं पर दबाव डालने लगी है.

चीन में 16 से 59 साल की उम्र की आबादी की बात करें तो यह 87.5 करोड़ है. यह आबादी देश की क़रीब 60 प्रतिशत आबादी से थोड़ी अधिक है.

2021 में चीन की सरकार के एक आधिकारिक आकलन के अनुसार अगले पांच साल में इस वर्किंग पॉपुलेशन में 3.5 करोड़ की गिरावट का अनुमान है. इसका मतलब है कि रिटायर होने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी होगी.

यी फ़ुक्सियन का कहना है, “2018 में चीन की जनसांख्यिकीय संरचना 1992 के जापान जैसी थी और 2040 में वैसी होगी जैसी जापान की 2020 में थी.”

पिछले साल तक, कई अर्थशास्त्रियों ने माना था कि दशक के अंत तक चीन विकास के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ देगा, लेकिन यी फ़ुक्सियन को इसकी संभावना कम ही नज़र आती है.

वे कहते हैं, “2031 से 2035 तक चीन सभी डेमोग्राफ़िक मैट्रिक्स और आर्थिक विकास के मामले में अमेरिका से बुरा प्रदर्शन करेगा.”

पेंशन सिस्टम पर बोझ

चीन में औसत आयु अब 38 साल है, लेकिन जैसे-जैसे चीन में जन्म दर में गिरावट आ रही है उससे ऐसी चिंताएं पैदा हो रही हैं कि एक समय के बाद काम करने वाले लोग रिटायर हो चुके लोगों का ख़र्चा नहीं उठा पाएंगे.

चीन में पुरुषों के लिए रिटायर होने की उम्र 60 साल है, वहीं महिलाओं के लिए यह उम्र 55 साल है. चीन में फ़िलहाल 60 साल से ज़्यादा के लोग आबादी का क़रीब पांचवां हिस्सा हैं.

दुनिया में जापान एक ऐसा देश है जहां सबसे तेज़ी से लोग बूढ़े हो रहे हैं. जापान की एक तिहाई आबादी की उम्र 65 या इससे ज़्यादा है.

ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स के एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री लुइस लू कहती हैं, “चीन में आबादी की उम्र बढ़ना, वहां के लिए नया नहीं है, लेकिन चीन के पेंशन सिस्टम पर तनाव बहुत ज़्यादा है.”

वो कहती हैं कि चीन में रिटायर होने वाली संख्या पहले ही काम करने वालों से ज़्यादा है जिसकी वजह से 2014 से पेंशन फ़ंड में योगदान करने वालों में गिरावट दर्ज की गई है.

चीन में पेंशन फ़ंड को प्रांतीय स्तर पर संभाला जाता है जिसमें काम के अनुसार लोग भुगतान करते हैं और इस पैसे से रिटायर लोगों को पेंशन दी जाती है.

चीन को अपने सिस्टम में इन कमज़ोरियों के बारे में पता था. उसने 2018 में अमीर प्रांतों से पेंशन भुगतान फ़ंड को ऐसे प्रांतों में ट्रांसफ़र किया जो घाटे का सामना कर रहे थे.

2019 में चाइनीज़ एकेडमी ऑफ़ सोशल साइंसेज़ की एक रिपोर्ट ने भविष्यवाणी की कि काम करने वालों की सिकुड़ती जनसंख्या के कारण देश का मुख्य पेंशन फ़ंड 2035 तक ख़त्म हो जाएगा.

प्राइवेट पेंशन योजना की शुरुआत

इसके बाद साल 2022 में चीन ने 36 शहरों में अपनी पहली प्राइवेट पेंशन योजना शुरू की. इस योजना के तहत व्यक्ति बैंक में रिटायरमेंट अकाउंट खोल सकता है और म्यूचुअल फ़ंड जैसे प्रोडक्ट ख़रीद सकता है जिसका इस्तेमाल वह रिटायरमेंट पेंशन के तौर पर बाद में कर सकता है.

यी फ़ुक्सियन का कहना है कि यह अभी साफ़ नहीं है कि चीन के लोग इस तरह की योजनाओं में कितना निवेश करेंगे क्योंकि यहां लोग अपने पैसे को पारंपरिक तरीके से ज़मीन, जायदाद में ज़्यादा इन्वेस्ट करते हैं.

ऐसा नहीं है कि ये समस्या सिर्फ़ चीन में ही दिखाई दे रही है, बल्कि जापान और दक्षिण कोरिया में भी तेज़ी से आबादी की उम्र बढ़ रही है और युवा वर्ग यानी वर्कफ़ोर्स कम हो रहा है.

यी फ़ुक्सियन का कहना है कि चीन बच्चों की परवरिश पर ख़र्च को कम करने के लिए जापान की नीतियों को लागू करने के लिए तैयार है.

वो कहते हैं, “चीन अमीर होने से पहले ही बूढ़ा हो रहा है और उसके पास जापान के रास्ते पर अच्छे तरह चलने के लिए वित्तीय संसाधन भी नहीं हैं.”

चीन को परेशान करने वाली सिर्फ़ यह अकेली बात नहीं है. वहां युवा लोग ऑनलाइन आंदोलन कर रहे हैं. इस आंदोलन के ज़रिए काम करने वालों से कहा जा रहा है कि वे करियर की सफलता के पीछे न भागकर पूंजीवादी सिस्टम में काम के बोझ से दूर रहने की कोशिश करें.

पिछले साल जुलाई महीने में युवा बेरोज़गारी दर चीन में अपने चरम पर था. उस समय 15 से 24 साल की उम्र के बीस प्रतिशत लोग बेरोज़गार थे.

यी फ़ुक्सियन कहते हैं, “लेबर फ़ोर्स आटा है और पेंशन सिस्टम रोटी बनाने की कला है. पर्याप्त आटे के बिना भले ही कितनी भी अच्छी रोटी बनानी आती हो, आप पर्याप्त रोटी नहीं बना सकते हैं.”

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