तुर्की चुनाव: अर्दोआन की ताकत को कितनी चुनौती दे पाएंगे विपक्षी नेता कमाल

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DMT : अंकारा  : (14 मई 2023) : –

उनके मुख्य प्रतिद्वंदी विपक्षी नेता कमाल कलचदारलू शुक्रवार को हज़ारों की संख्या में एकत्र हुए अपने समर्थकों के सामने पहुंचे.

  • इस दौरान कई विपक्षी पार्टियों के नेता उन्हें अपना समर्थन देने मंच पर पहुंचे थे. आज से पहले तुर्की में किसी विपक्षी नेता के लिए इस तरह समर्थन नहीं देखा गया था.
  • शुक्रवार को जब राजधानी अंकारा में विपक्षी पार्टियों की रैली हो रही थी तो बारिश शुरू हो गई, लेकिन इससे समर्थकों की संख्या कम नहीं हुई.
  • बारिश के बीच मंच से कलचदारलू ने “शांति और गणतंत्र” फिर से बहाल करने का अपना वादा दोहराया.
  • तुर्की में चुनाव
  • 14 मई को तुर्की में संसदीय और राष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं.
  • 69 साल के रेचेप तैय्यप अर्दोआन 20 साल सत्ता में रहने के बाद एक बार फिर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं.
  • उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं 74 साल के विपक्षी नेता कमाल कलचदारलू.
  • तुर्की में 600 सीटों वाली संसद के अलावा दो राउंड में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं.
  • अगर पहले राउंड में किसी उम्मीदवार को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो रन-ऑफ़ राउंड में पहले दो उम्मीदवारों को सबसे अधिक वोट मिलने वालों के बीच मुक़ाबला होगा.
  • कमाल कलचदारलू से बंधी विपक्ष की उम्मीदें
  • 74 साल के विपक्षी गठबंधन के नेता कमाल कलचदारलू को वैसे तो मीठा बोलने वाला व्यक्ति कहा जाता है, उन्हें ‘तुर्की का गांधी’ भी कहा जाता है. लेकिन शुक्रवार को अपनी चुनावी रैली में उन्होंने बेहद ज़ोरदार भाषण दिया.
  • विपक्षी दलों का मानना है कि संसद की ताकत को दरकिनार करते हुए अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा लेने वाले अर्दोआन के हाथों से सत्ता वापिस लेने के लिए उनका आक्रामक होना ज़रूरी है.
  • ओपिनियन पोल्स की बात करें तो उनमें कलचदारलू, अर्दोआन से मामूली बढ़त बनाए हुए दिखते हैं. उनके समर्थकों को यकीन है कि रविवार को होने वाले मतदान में उन्हें 50 फ़ीसदी से अधिक वोट हासिल होंगे और उन्हें दो सप्ताह बाद रन-ऑफ़ का सामना नहीं करना पड़ेगा.
  • तुर्की के लाखों वोटरों में से एक ‘फिरात’ पहली बार इस बार चुनावों में मतदान करने वाले हैं. वो कहते हैं उन्हें खुशी है कि वामपंथी मध्यमार्गी रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी के प्रमुख के साथ कंज़र्वेटिव और नेशनलिस्ट नेता भी एक साथ मंच पर दिख रहे हैं.
  • छह विपक्षी पार्टियों के इस गठबंधन में एक तरफ नेशनलिस्ट पार्टी की एकमात्र महिला नेता मेराल आक्सेनर शामिल हैं तो दूसरी तरफ इस्लाम समर्थक फ़ेलिसिटी पार्टी के तेमेल करामोलोग्लू शामिल हैं.
  • कमाल कलचदारलू की पार्टी के केंद्र में सेक्युलर विचारधारा है लेकिन अपने प्रचार के दौरान उन्होंने हिजाब पहनने वाली महिलाओं तक भी पहुंचने की पूरी कोशिश की है.
  • ये छह विपक्षी पार्टियां ‘हाएदी’ स्लोगन के साथ लोगों के सामने आ रही हैं जिसका अर्थ है ‘चलो चलें’ (कम ऑन). इसी शब्द के साथ चुनावों को देखते हुए विपक्षी गठबंधन ने एक गीत भी लॉन्च किया है.
  • कमाल कलचदारलू की कोशिश है कि वो 20 साल से सत्ता पर काबिज़ राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन को सत्ता से बाहर करें.
  • वहीं अर्दोआन का दावा है कि तमाम मुश्किलों के बीच उन्होंने तुर्की को मज़बूत बने रहने में मदद की है.
  • पहले ही महंगाई की मार झेल रही तुर्की की अर्थव्यवस्था इस साल फरवरी में आए विनाशकारी दोहरे भूकंप के असर से उबरने की कोशिश कर रही है. चुनावों में इस बार ये दोनों मुद्दे ही अहम बने हुए हैं.

चुनावी सरगर्मियां और चढ़ता पारा

इन चुनावों के दौरान तनाव इस कदर अपने चरम पर पहुंच चुका है कि वोटिंग से पहले अंकारा में हुई अपनी आख़िरी जनसभा में कमाल कलचदारलू ने बुलेट-प्रूफ़ जैकेट पहना था. इससे पहले भी एक और रैली में उन्होंने ऐसा ही जैकेट पहना था.

राष्ट्रपति पद की दौड़ बेहद महत्वपूर्ण बन गई है क्योंकि ये चुनाव सत्ता परिवर्तन के लिए अहम मोड़ साबित हो सकता है.

इस पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से करीबी संबंध रखने वालों में शुमार माने जाने वाले अर्दोआन ने चेतावनी दी, “अगर आप पुतिन पर हमला करेंगे तो मैं ये स्वीकार नहीं करूंगा.” इस्तांबुल में पार्टी समर्थकों की एक रैली को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति अर्दोआन ने ये बात कही.

इससे एक दिन पहले तक वो राजधानी से दूर सिनकान शहर में पांच लाख लोगों की भीड़ को संबोधित करने पहुंचे थे. देखने में ये लोग उनके एकेपी पार्टी के समर्थक लग रहे थे.

सिनकान की सड़कें एकेपी पार्टी के नारंगी, नीले और सफेद रंग के झंड़ों से पटी दिख रही थीं. अर्दोआन की एक झलक पाने के लिए हज़ारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए थे.

अर्दोआन के मंच पर आने का इंतज़ार कर रहे उनके समर्थक पार्टी के गीत गा रहे थे. एक तरफ लोगों का एक झुंड एक धुन में रे-चेप तै-य्यप अ-र्दो-आन का नाम ले रहा था.

रैली में अर्दोआन ने अपने समर्थकों से कहा, “हमने स्कूल बनाए हैं, यूनिवर्सिटी और अस्पताल खड़े किए हैं… हमने अपने शहरों की शक्लें बदल दी हैं. हम अपने लिए प्राकृतिक गैस और तेल का उत्पादन भी कर रहे हैं.”

पहले प्रधानमंत्री के तौर पर और फिर राष्ट्रपति के तौर पर अर्दोआन की रणनीति रही है देश का विकास जो आंखों को दिखे.

उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान निर्माण से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं को अंजाम दिया है जिसके सबूत बड़े शहरों में तो दिखते हैं लेकिन सिनकान में इसके निशान कम ही दिखते हैं.

उनकी पार्टी अभी भी लोगों के बीच मज़बूत स्थिति में है, लेकिन फिर भी उनकी निर्भरता उनके पीपुल्स गठबंधन में शामिल नेशनलिस्ट एमएचपी और दूसरी छोटी पार्टियों पर है.

उनका सबसे बड़ा वोट बैंक कंज़र्वेटिव या नेशनलिस्ट तुर्कों का है और वो उन्हें खुश करने के लिए पश्चिमी मुल्कों पर निशाना साधते रहे हैं. वो एलजीबीटी समुदाय को लेकर भी बयान देते रहे हैं.

एक रैली में उन्होंने कहा, “एकेपी पार्टी एलजीबीटी समुदाय के लोगों को अपने बगल में आने नहीं देती, वहीं एएचपी उन्हें पीपुल्स गठबंधन में आने से रोकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि हम परिवार की पवित्रता पर यकीन करते हैं.”

तुर्की की राजनीतिक व्यवस्था में संसद में प्रवेश पाने के लिए किसी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर या तो 7 फ़ीसदी वोट जीतने होते हैं या फिर ऐसा करने वाले गठबंधन का हिस्सा बनना होता है.

राष्ट्रपति पद पर जीतने वाले उम्मीदवार के लिए ये बेहद ज़रूरी है उनके पास संसद में भी ज़रूरी समर्थन हासिल हो, अपनी योजनाओं को अंजाम देने के लिए ये बेहद ज़रूरी होता है.

एक रैली में उन्होंने कहा, “एकेपी पार्टी एलजीबीटी समुदाय के लोगों को अपने बगल में आने नहीं देती, वहीं एएचपी उन्हें पीपुल्स गठबंधन में आने से रोकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि हम परिवार की पवित्रता पर यकीन करते हैं.”

तुर्की की राजनीतिक व्यवस्था में संसद में प्रवेश पाने के लिए किसी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर या तो 7 फ़ीसदी वोट जीतने होते हैं या फिर ऐसा करने वाले गठबंधन का हिस्सा बनना होता है.

राष्ट्रपति पद पर जीतने वाले उम्मीदवार के लिए ये बेहद ज़रूरी है उनके पास संसद में भी ज़रूरी समर्थन हासिल हो, अपनी योजनाओं को अंजाम देने के लिए ये बेहद ज़रूरी होता है.

उम्मीद की जा रही है कि रविवार को होने वाले चुनावों में देश के भीतर और बाहर से क़रीब 6.4 करोड़ मतदाता हिस्सा लेंगे.

राष्ट्रपति चुनाव में स्पष्ट जीत दर्ज करने के लिए उम्मीदवार को आधे से अधिक वोट हासिल करने होंगे.

अगर पहले राउंड के मतदान में किसी उम्मीदवार को 50 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिले तो राष्ट्रपति चुनने के लिए 28 मई को दूसरा राउंड का मतदान होगा. इस राउंड में मुक़ाबला उन दो उम्मीदवारों के बीच होगा जिन्हें पहले राउंड में सबसे अधिक वोट मिले थे.

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