दिल की धड़कन के साथ धड़कती अंगूठी, प्रेमी जोड़ों में क्यों बढ़ रहा क्रेज़

Hindi New Delhi

DMT : नई दिल्ली : (29 अप्रैल 2023) : –

चेक गणराज्य के प्रेमी जोड़े जिरी और ऑन्द्रेज वेद्राल ने अपनी शादी के दिन सोने के पारंपरिक छल्लों के बजाय स्मार्ट अंगूठी की अदला बदली की थी.

स्मार्ट रिंग या अंगूठी, पहना जा सकने वाला वो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो स्मार्टवॉच की तरह काम करता है. आम तौर पर ये अंगूठियां इंसानों के दिल की धड़कनों की निगरानी करती हैं और बिना किसी के संपर्क में आए, भुगतान करने में भी मददगार होती हैं.

तकनीक का ये बड़ी तेज़ी से बढ़ रहा क्षेत्र है. कहा जा रहा है कि दुनिया में ऐसी तकनीकों का बाज़ार सालाना 21 प्रतिशत की दर से तरक़्क़ी कर रहा है.

हालांकि जिरी और ऑन्द्रेज की स्मार्ट अंगूठियां, ऐसी दूसरी अंगूठियों की तुलना में ज़्यादा रूमानी हैं. वो उन्हें एक दूसरे के दिलों की धड़कनें देखने और उन्हें महसूस करने का मौक़ा देती हैं.

हर अंगूठी ब्लूटूथ के ज़रिए एक ऐप या पहनने वाले के स्मार्टफ़ोन से जुड़ी होती है और ऐप के ज़रिए दोनों अंगूठियों को एक दूसरे से जोड़ा जा सकता है.

तो जब भी जिरी अपनी शादी की अंगूठी को दबाते हैं तो वो ऑन्द्रेज के दिल की धड़कन के साथ धड़कती भी है और एक लाल लक़ीर के तौर पर उस धड़कन को स्क्रीन पर नुमायां भी करती है. यही बात ऑन्द्रेज की अंगूठी के साथ भी है.

दिलों की धड़कन बताएगी स्मार्ट अंगूठी

जब तक उनके मोबाइल फोन इंटरनेट से जुड़े रहते हैं तो उन्हें एक दूसरे के दिलों की धड़कनों की जानकारी मिलती रहती है. अगर उनमें से कोई भी ऑफलाइन होता है, तो फिर उन्हें धड़कनों के मद्धम सुर रिकॉर्डिंग के रूप में मिलते हैं.

जिरी कहते हैं, ‘हम कभी भी सोने या हीरे की अंगूठी नहीं चाहते थे. हम कुछ अलग चाहते थे तो हमें इस अंगूठी का आइडिया अच्छा लगा, क्योंकि इसमें कुछ नया और अलग था. हमें लगता है कि हम ऐसा करने वाले पहला जोड़ा हैं’.

रिचार्ज की जा सकने वाली इस अंगूठी को ‘एचबी रिंग’ का नाम दिया गया है. इसे चेक कंपनी ‘द टच’ ने बनाया है. वैसे तो, 2016 में बना इसका पहला संस्करण सीमित बिक्री के लिए बाज़ार में उतारा गया था. लेकिन अब, स्मार्ट अंगूठी का बाज़ार बढ़ने के साथ ही, इस कंपनी के उत्पाद में दुनिया भर में दिलचस्पी दिखाई जा रही है.

इसके साथ साथ, कंपनी ने इसी साल एक और ऐसा ही प्रोडक्ट बाज़ार में उतारा है, जिसका नाम ‘द टच लॉकेट’ है. इसे हार की तरह गले में पहना जा सकता है और इसमें भी स्मार्ट अंगूठी वाली तकनीक का ही इस्तेमाल किया गया है.

इसके संभावित ग्राहकों में वो जोड़े हैं, जो शायद अपने अज़ीज़ के दिल की धड़कन महसूस करने के ख़्याल को पसंद करें. मगर, इसके साथ अगर वो पारंपरिक अंगूठी भी पहनना चाहें, तो वो विकल्प भी खुला रहे.

जिरी और ऑन्द्रेज, दुनिया भर के उन तमाम जोड़ों में शुमार हैं जो अपनी शादी के जश्न में तकनीक का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं.

शादी की तस्वीरें खींचने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल से लेकर शादी की योजना बनाने में डिजिटल औज़ारों, जैसे कि बजट और बैठने की व्यवस्था का इंतज़ाम करने जैसे कामों के लिए तकनीक का इस्तेमाल, अब शादी के दिन के तमाम पहलुओं में होने लगा है.

ज़ो बर्क कहती हैं कि शादी के रीति रिवाजों में तकनीक के इस्तेमाल का ये चलन बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है क्योंकि आज दुनिया में बहुत से लोग अपनी ज़िंदगी का अधिकतर हिस्सा अपने स्मार्टफ़ोन पर गुज़ारने लगे हैं.

ज़ो कहती हैं, “मुझे लगता है अब लोग इसे एक आम बात मानने लगे हैं कि आप अपनी शादी की तैयारी अपने फ़ोन के ज़रिए कर सकते हैं. हो सकता है कि अपने जीवनसाथी से आपकी मुलाक़ात भी फ़ोन के माध्यम से ही हुई हो.”

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल

कहा जाता है कि ब्रिटेन में अब एक तिहाई जोड़े, अपनी शादी में मेहमानों को दावत देने के लिए व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करने लगे हैं और शादी करने वाले 60 फ़ीसद जोड़े अपनी सगाई का एलान सोशल मीडिया पर करते हैं.

कुछ लोग तो अपनी शादी की क़समें और भाषण लिखने तक के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने लगे हैं. हाल ही में अमरीका की वेडिंग प्लान बनाने वाली वेबसाइट जॉय ने आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का एक औज़ार लॉन्च किया है, जो आपके लिए ये सारे काम कर सकता है.

इसका नाम, ‘वेडिंग राइटर्स ब्लॉक असिस्टेंट’ है. ये चैटजीपीटी नाम के उस चैटबॉट पर आधारित है, जिसे सैन फ्रांसिस्को स्थित तकनीकी कंपनी ओपेनएआई ने विकसित किया है.

जॉय के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी विकास जोशी कहते हैं कि शादी की क़समें या तक़रीरें लिखने से जुड़ी रूमानियत को पूरी तरह ख़त्म कर देने के बजाय, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस से उन लोगों की मुश्किलें आसान हो जाती है, जिन्हें अपने जज़्बात, शब्दों में बयान करने में दिक़्क़त होती है.

विकास जोशी कहते हैं, “हमने एक सर्वे किया था. इसमें शामिल 89 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें अपनी शादी से जुड़ी बातें लिखने में बहुत परेशानी हुई थी.”

विकास जोशी के अनुसार, “आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की इस तकनीक का मक़सद इंसानी जज़्बात की जगह लेना बिल्कुल नहीं है. मगर, बहुत से लोगों के लिए ये काफ़ी मददगार है.”

दुनिया भर में फैली कोरोना वायरस की महामारी ने तकनीक पर आधारित शादियों के चलन को बढ़ावा दिया था. जिन जोड़ों ने अपनी शादी को आगे के लिए नहीं टाला, उन्होंने ज़ूम पर वर्चुअल शादी की. या फिर, अपने शादी समारोह को अपने अपने घरों में बैठे मेहमानों के लिए लाइव प्रसारित किया.

हालांकि, ज़ो बर्क कहती हैं कि वर्चुअल शादियों की पहचान कोविड-19 की पाबंदियों से जुड़ गई थी, लिहाज़ा उनके चलन को काफ़ी झटका लगा. वो कहती हैं, “लोग अब अपनी शादी के लाइव प्रसारण से आगे बढ़ चुके हैं. अब वो किसी भी शक्ल में उस दौर को याद करना पसंद नहीं करते.”

जो जोड़े भयंकर महंगाई के चलते बढ़े शादी के ख़र्चे से परेशान हैं. उनके लिए तकनीक का इस्तेमाल, पैसे बचाने का नुस्खा हो सकता है. वो काग़ज़ के निमंत्रण पत्रों के बजाय ई-निमंत्रण पत्र भेज सकते हैं. ये तो पर्यावरण के लिए भी फ़ायदेमंद है.

शादी के ख़र्च में कटौती

लंदन स्थित वेडिंग प्लानर रोहिता पाब्ला कहती हैं, “ये शादी का ख़र्च बचाने और पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने का मामला है. आज शादी करने वाले ज़्यादा से ज़्यादा लोग पर्यावरण की फ़िक्र करने लगे हैं.”

अपनी शादी के दिन सोशल मीडिया पर असर छोड़ने की कोशिश भी अब शायद हैरान नहीं करती.

क्योंकि आज दुनिया के बहुत से लोग सोशल मीडिया को बहुत तवज्जो देते हैं. शादी करने वाले जोड़े हों या समारोह में आए मेहमान, सब के सब शादी के दौरान, और उसके बाद होने वाले रिसेप्शन के वीडियो टिक-टॉक या इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हैं.

इस दिशा में एक नया चलन, रिसेप्शन के लिए किराए पर ‘GIF बूथ’ लेने का भी है. ये वो फोटोबूथ होते हैं, जो छोटी छोटी तस्वीरों के कोलाज से GIF या चलती तस्वीरें बनाते हैं. इन्हें इस्तेमाल करने वालों को सिर्फ़ अपना मोबाइल नंबर डालना होता है, और GIF को फ़ौरन उनके फ़ोन पर भेज दिया जाता है.

रोहिता कहती हैं, “शादी करने वाले कुछ जोड़े चाहते हैं कि ख़ास तस्वीरें चुनकर अलग अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक साथ शेयर कर दी जाएं. ये जोड़े इंस्टाग्राम कपल बनना चाहते हैं.”

लेकिन, शादी करने वालों को अपने उन मेहमानों का भी ख़याल रखना पड़ता है, जो तकनीक के इस्तेमाल में उतने तेज़ नहीं हैं. या फिर वो लोग जो पारंपरिक तरीक़े से शादी का न्यौता पाना लेना पसंद करते हैं.

डिज़िटल न्योता

रोहिता पाब्ला को दक्षिण एशियाई शादियों की तैयारी करने में उस्तादी हासिल है. वो कहती हैं कि जिनकी शादियों की वो तैयारी करती हैं, उनमें से बहुत से जोड़े ये सुनिश्चित करते हैं कि तकनीक आधारित विकल्पों के साथ साथ उनकी शादी में कुछ ख़ास पारंपरिक रीति-रिवाजों का मेल भी ज़रूर हो.

मिसाल के तौर पर, पारंपरिक भारतीय शादियों में अपने परिवार के सदस्यों और बुज़ुर्ग मेहमानों को दूल्हा दुल्हन के ख़ुद शादी का कार्ड देने जाने का चलन है.

रोहिता कहती हैं, “इसके लिए शादी करने वाले जोड़े शादी के कुछ कार्ड छपवा लेते हैं, जो ख़ास मां-पिता और दादा-दादी, नाना-नानी के लिए होते हैं. लेकिन अपने हम उम्र मेहमानों को वो डिजिटल न्यौता ही भेजते हैं.”

विकास जोशी इसमें ये बात भी जोड़ते हैं कि शादी से जुड़ी तकनीकों का इस्तेमाल, ‘हर पहलू को आसान और दिलचस्प बनाने के लिए’ किया जा सकता है.

इसके साथ साथ वो आगाह भी करते हैं कि आपको तकनीक के ज़्यादा इस्तेमाल से बचना चाहिए. क्योंकि उस सूरत में लोगों के शादी के असली आकर्षण और रोमांस को गंवाने का ख़तरा होता है.

शादी का असली लुत्फ़ तो दोस्तों और परिवार के साथ रीति रिवाज निभाने में ही है.

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