नरेंद्र मोदी ने अपने विदेशी संबोधनों में क्या-क्या कहा है?

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DMT : नई दिल्ली : (17 मार्च 2023) : –

ब्रिटेन की यात्रा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ‘कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी’में ‘इंडियन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन’ और ब्रितानी संसद के ‘हाउस ऑफ़ कॉमन्स’ के सभागार में पिछले दिनों दो अलग-अलग कार्यक्रमों में बोले.

इन कार्यक्रमों में उन्होंने भारत के मौजूदा राजनीतिक हालात और भारत की विदेश नीति पर अपने विचार रखे.

राहुल गांधी के इन बयानों के बाद सत्ता के गलियारों में ख़ासा उबाल देखने को मिल रहा है.

सत्ता पक्ष के नेता और मंत्री राहुल गांधी की आलोचना कर रहे हैं. कर्नाटक के हुबली में चार दिन पहले एक परियोजना का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन कहा, “कुछ लोग लंदन में भारतीय लोकतंत्र की आलोचना कर रहे हैं.”

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में राहुल गांधी ने भारत को ‘यूनियन ऑफ़ स्टेट्स’ यानी ‘राज्यों का संघ’ बताया, उन्होंने कहा कि भारत का संविधान संघीय व्यवस्था पर आधारित है.

इस समय भारतीय संसद का बजट सत्र चल रहा है. एक ओर जहाँ संसद में विपक्ष अदानी समूह की जाँच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की माँग कर रहा है, वहीं सत्ता पक्ष के मंत्री और सांसद माँग कर रहे हैं कि अपने बयान के लिए राहुल गांधी माफ़ी माँगे, इस खींचतान और हंगामे के बीच संसद की कार्यवाही नहीं चल पा रही है.

संसद के बाहर भी दोनों तरफ़ से तीख़े बयानों का सिलसिला जारी है.

राहुल गांधी ने गुरुवार को एक संक्षिप्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया कि उन्हें संसद में अपनी बात रखने का मौक़ा नहीं दिया जा रहा है.

उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी मेरठ में एक कार्यक्रम में बोलते हुए राहुल गांधी के उस बयान की आलोचना की जिसमें राहुल गांधी ने कहा था कि उन्हें संसद में ‘बोलने नहीं दिया जाता है’ और जब भी वो बोलते हैं तो ‘माइक बंद कर दिया जाता है’.

राहुल के इस बयान पर उप-राष्ट्रपति धनखड़ का कहना था- लोकतंत्र के मंदिर का अपमान नहीं होने दिया जा सकता है.

राहुल गाँधी के बयानों को लेकर सफ़ाई देते हुए कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना था कि ‘सरकार की आलोचना देश की आलोचना नहीं है.’

प्रधानमंत्री मोदी के वीडियो

वहीं कांग्रेस की सोशल मीडिया की प्रभारी सुप्रिया श्रीनेत सहित पार्टी के कई नेताओं ने अब ऐसे वीडियो साझा करने शुरू किए हैं, जिनमें नरेंद्र मोदी अपनी विदेश यात्राओं के दौरान पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना करते हुए देखे-सुने जा सकते हैं.

गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2013 में भारतीय मूल के अमेरिकियों को संबोधित किया था और उनके प्रश्नों के जवाब भी दिए थे.

‘वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग’ के ज़रिए बोलते हुए उन्होंने भारत की विदेश नीति की आलोचना करते हुए कहा था कि ‘भारत में कमज़ोर नेताओं की सरकार है.

उन्होंने तत्कालीन यूपीए की सरकार पर ‘भ्रष्टाचार’ का आरोप लगाते हुए कहा था कि ‘सरकार के प्रति लोगों का भरोसा और विश्वास’ ख़त्म हो चुका है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं के दौरान पिछली सरकार की आलोचना को लेकर भी संसद में हंगामा हुआ था.

उसी दिन राज्यसभा में कांग्रेस के आनंद शर्मा ने टोरंटो में ‘प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए भाषण’ का मुद्दा उठाया था.

आनंद शर्मा का आरोप था कि “प्रधानमंत्री ने कहा था पहले भारत ‘स्कैम इंडिया’ था अब ‘स्किल इंडिया’ बन गया है.”

इसको लेकर भाजपा के मुख़्तार अब्बास नक़वी और आनंद शर्मा के बीच तीखी नोक-झोंक भी हुई थी.

आनंद शर्मा ने सदन को संबोधित करते हुए कहा था कि “ग़लतियाँ हो सकती हैं मगर देश को ‘स्कैम’ नहीं कहा जा सकता है.”

वर्ष 2015 के ही मई माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन और दक्षिण कोरिया की यात्रा के दौरान उनके भाषणों की आलोचना हुई.

16 मई को शंघाई में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि “एक साल पहले तक जिनको शर्म आती थी, अब वो ख़ुद को भारतीय कहने में गर्व महसूस करते हैं.”

फिर पिछले साल मई के महीने में मोदी यूरोपीय देशों के दौरे पर थे जिस क्रम में दो मई को उन्होंने जर्मनी के बर्लिन में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए पिछली सरकार की आलोचना की थी.

उन्होंने कहा था कि वर्ष 2014 से पहले भारत ‘वर्क इन प्रोग्रेस’ था लेकिन “पिछले आठ सालों में भारत ने विकास की लंबी छलांग लगानी शुरू कर दी है.”

संसद और उसके बाहर लगातार जारी विवाद के बीच कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने 14 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी के विदेश में दिए गए बयानों का हवाला देते हुए सवाल पूछा, “क्या प्रधानमंत्री के ऐसे बयान देश का अपमान नहीं हैं?”

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