पाकिस्तान को मिला रूस का सहारा, रियायती तेल के आयात पर सहमति

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DMT : इस्लामाबाद : (22 अप्रैल 2023) : –

पाकिस्तान ने रूस से रियायती कच्चा तेल खरीदने के लिए अपना पहला ऑर्डर दिया है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के साथ इंटरव्यू में पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्री मुसादिक मलिक ने यह जानकारी सामने रखी.

यह एक बड़ा कदम है. दिसंबर 2022 में मुसादिक मलिक एक प्रतिनिधिमंडल को लेकर रूस पहुंचे थे और उन्होंने तेल और गैस खरीदने के लिए बातचीत की थी.

हालांकि मंत्री ने यह नहीं बताया कि रूस से किस कीमत पर और किस मुद्रा में कच्चा तेल खरीदा जाएगा.

उन्होंने बताया कि पहला कार्गो मई महीने में कराची बंदरगाह पर उतरेगा.

रूस के साथ हुए इस सौदे की जानकारियों को सार्वजनिक नहीं किया गया है.

पाकिस्तान प्रति दिन रूस से एक लाख बैरल कच्चे तेल का आयात कर पाएगा. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो पाकिस्तान सालाना 3.6 करोड़ बैरल रूस से रियायती दरों पर खरीदेगा.

पाकिस्तान आर्थिक संकट से गुजर रहा है और उसका ज्यादातर पैसा कच्चा तेल खरीदने पर होता है. ऐसे में रूस से मिलने वाला रियायती कच्चा तेल पाकिस्तान की संकट में मदद कर सकता है.

वहीं देश में बढ़ती खपत को पूरा करने के लिए जो व्यवस्था पहले से बनी हुई है उस पर काफी भार है और पारंपरिक देशों से एलएनजी की खरीद यूक्रेन युद्ध के चलते काफी महंगी हो गई है. ऐसी स्थिति में रूस से रियायती दरों पर मिलने वाला कच्चा तेल किसी सौगात की तरह साबित हो सकता है.

पिछले साल पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्री ने कहा था कि देश रूस के साथ तीन चरणों में ऊर्जा सहयोग को बढ़ाना चाहता है. पहले चरण में वह कच्चा तेल खरीदेगा, इसके बाद वह रिफाइंड डीजल, पेट्रोल और एलएनजी का आयात करेगा और आखिर में भविष्य में रूस से ऊर्जा आयात के लिए दो पाइप लाइन बनाई जाएंगी.

इस्लामाबाद में सामरिक अध्ययन संस्थान में रूसी अध्ययन के विशेषज्ञ तैमूर खान कहते हैं, “पाकिस्तान सावधानी के साथ आगे बढ़ रहा है क्योंकि ऐसे में अमेरिका उस पर प्रतिबंध लगा सकता है. इसी से बचने के लिए कीमतों को गोपनीय रखा गया है.”

दिसंबर 2022 में अमेरिका ने रूसी कच्चे तेल के प्रति बैरल पर कीमत तय की थी और वह 60 डॉलर थी. यह कीमत बाजार दर से कम है.

अमेरिका ने ऐसा, यूक्रेन युद्ध के चलते रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए किया था.

तैमूर ख़ान का मानना है कि भले ही पाकिस्तान सरकार कह रही है कि उसने अमेरिका को विश्वास में लिया है लेकिन प्रतिबंधों का खतरा अभी भी बना हुआ है. कभी भी मामला बिगड़ सकता है.

हालांकि भारत और चीन भी रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीद रहा है और दोनों देशों ने भी कीमतों को सार्वजनिक नहीं किया है. ऐसा कहा जा रहा है कि दोनों देश उस तय कीमत का उल्लंघन कर रहे हैं जो अमेरिका ने रूसी कच्चे तेल पर लगाई हुई है.

ऐसी स्थिति में पाकिस्तान पर खतरा ज्यादा है क्योंकि वह एक तरफ तो आर्थिक संकट से जूझ रहा है और दूसरी तरफ वह अमेरिका और पश्चिमी देशों पर आर्थिक सहायता के लिए ज्यादा निर्भर है.

खाड़ी देशों पर कम होगी निर्भरता

तैमूर के मुताबिक दो निजी रूसी कंपनियां पाकिस्तान के कच्चे तेल का निर्यात करेंगी. ये तेल मार्च से पाकिस्तान पहुँचना शुरू होने वाला था लेकिन कुछ वित्तीय चुनौतियों के कारण इसमें देर हो रही है.

पाकिस्तान परंपरागत रूप से सऊदी अरब, क़तर और संयुक्त अरब अमीरात से तेल ख़रीदता रहा है. लेकिन अब देश में ये मत बन रहा है कि पाकिस्तान को सिर्फ़ इन्हीं देशों पर निर्भर न रह कर, बाक़ी जगहों से भी अपनी तेल ज़रूरतों को पूरा करना चाहिए.

“यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद पाकिस्तान ने कई सबक सीखे हैं. युद्ध के बाद क़तर ने पाकिस्तान के साथ तेल निर्यात के क़रार को रद्द कर दिया और अपना तेल अधिक दामों पर पश्चिमी देशों को भेजना शुरू कर दिया. पाकिस्तान को इससे झटका लगा था.

अगर रूस के साथ क़रार हो जाता है तो पाकिस्तान की खाड़ी के देशों पर निर्भरता घटेगी और इससे पाकिस्तान और रूस के संबंध भी बेहतर होंगे.”

अतीत पर नज़र दौड़ाएं तो पाकिस्तान अमेरिका का करीबी रहा है और भारत रूस का, लेकिन अब ग्लोबल ऑर्डर बदलता सा दिख रहा है. नए क्षेत्रीय सहयोग जन्म ले रहे हैं और देश अपने राष्ट्रीय हित साधने में लगे हैं. पाकिस्तान भी इसी दिशा में कुछ क़दम उठा रहा है.

अगर पाकिस्तान इस रास्ते में चलना जारी रखना चाहता है तो कई चुनौतियां भी पेश आएंगी. इनमें पश्चिमी देशों की तरफ से सियासी दबाव भी शामिल है.

कैसे होगा भुगतान?

तैमूर बताते हैं कि रूस ने पाकिस्तान को तेल की क़ीमत दिरहाम, रूबल या चाइनीज़ युआन में देने का विकल्प दिया है, लेकिन पाकिस्तान के पास इनमें से कोई भी करेंसी पर्याप्त मात्रा में नहीं है. रूस ने डॉलर में पेमेंट स्वीकार करना बंद कर दिया है.

वैसे भी पाकिस्तान के डॉलर रिज़र्व न के बराबर बचे हैं तो डॉलर के ज़रिए भुगतान मुमकिन नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान रूस से तेल की पेमेंट कैसे करेगा? इसपर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है.

“रूस और पाकिस्तान दोनों ही अपने पत्ते छिपाकर रख रहे हैं. एक अनुमान है कि ये देश बार्टर सिस्टम का सहारा लेंगे. यानी पाकिस्तान तेल के बदले कोई सामान रूस को निर्यात करेगा.”

“दोनों देश इस व्यापार के लिए राहें आसान करने में लगे हैं. पाकिस्तान ये बिल्कुल नहीं चाहेगा कि वो रूस से व्यापार करके पश्चिमी देशों की रूस पर लगी किसी पाबंदी का उल्लंघन करे.”

तेल को रिफ़ाइन करना चुनौती

एक अहम मुद्दा और है. रूस से आने वाले कच्चे तेल को पाकिस्तान में रिफ़ाइन करने के लिए पर्याप्त टेक्नोलॉजी नहीं है. यही कारण है कि रूसी आयात में देरी हो रही है. पाकिस्तान रिफ़ाइनरीज़ लिमिटेड इस समस्या का समाधान खोजने में लगी है.

ये कंपनी रूसी तेल को साफ़ करने का ट्रायल कर रही है. अगर ये कोशिश कामयाब रही तो बाक़ी रिफ़ाइनरीज़ भी उसका तरीका अपनाएंगी.

रूसी तेल को पाकिस्तान तक पहुँचाने के बारे में भी वार्ताएं हुई हैं. तैमूर कहते हैं, “यूक्रेन की जंग शुरू होने के बाद यूएई रूसी तेल को स्टॉक करने के हब के रूप में उभरा है. टैंकर्स वहां सीधे कराची तक आ सकते हैं.”

लेकिन एलएनजी, रिफ़ाइन्ड डीज़ल और पेट्रोल के आयात पर पाकिस्तान आगे नहीं बढ़ सकता क्योंकि उसकी क़ीमत चुकाना मुश्किल होगा.

दोनों देश तेल और गैस की ढुलाई के लिए दो पाइपलाइन पर भी विचार करते रहे हैं. इस काम में पाकिस्तान स्ट्रीम गैस पाइपलाइन कारगर साबित हो सकती है. ये प्रस्तावित पाइपलाइन 1,100 किलोमीटर लंबी होने वाली है जो कराची से शुरू होकर पंजाब के कसूर तक आएगी.

ये पाइपलाइन सालाना 12.4 अरब क्यूबिक मीटर गैस की ढुलाई कर पाएगी. अगर ये मुमकिन हुआ तो इससे पाकिस्तान की ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूती मिलेगी.

और ये रूस-पाकिस्तान संबंधों में एक नया अध्याय भी साबित होगा.

लेकिन राजनीतिक टीकाकार डॉ हसन अस्करी रिज़्वी कहते हैं कि ये पाकिस्तान के अच्छी ख़बर तो है पर पहले सब कुछ हो जाने दीजिए.

वे कहते हैं, “हमारे सियासतदानों के साथ दिक्कत है कि वो बोलते बहुत हैं. अभी इंतज़ार करिए और देखिए कि आख़िरकार होता क्या है?”

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