पाकिस्तान में राजनीतिक संकटः क्या सबसे ख़तरनाक मोड़ पर खड़ा है मुल्क?

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DMT : इस्लामाबाद : (16 मार्च 2023) : –

तोशाखाना मामले में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ इस्लामाबाद के ज़िला और सत्र न्यायालय में सुनवाई के दौरान

कोर्ट ने कहा कि अगर इमरान ख़ान सरेंडर कर देते हैं तो अदालत पुलिस को आदेश दे सकती है कि वो उन्हें गिरफ़्तार ना करे. उन्हें कोर्ट के सामने पेश होना चाहिए.

इस बीच लाहौर हाई कोर्ट ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी को आदेश दिया है कि वो पाकिस्तान मीनार पर रविवार को रैली ना करे.

इससे पहले लाहौर में बुधवार को दिन भी इमरान ख़ान के समर्थकों और सुरक्षाबलों के बीच रह-रह कर झड़पें होती रहीं. पुलिस ग़ैर ज़मानती वारंट लेकर इमरान ख़ान को गिरफ़्तार करने लाहौर के ज़मान पार्क इलाक़े में उनके घर पहुंची थी. इमरान ख़ान गिरफ़्तारी से बच रहे हैं. वो ये आशंका ज़ाहिर कर रहे हैं कि उनकी गिरफ़्तारी उन्हें अग़वा करने या मार देने की साज़िश है.

वहीं पाकिस्तान की सरकार का कहना है कि अदालत के आदेश पर पुलिस उन्हें गिरफ़्तार करके अदालत के समक्ष पेश करने के लिए गई है. पाकिस्तान की एक ज़िला और सत्र अदालत ने सुनवाई के दौरान हाज़िर रहने की चेतावनी को बार-बार नज़रअंदाज़ किए जाने के बाद इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट जारी किया है.

इमरान ख़ान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ ने लाहौर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गिरफ़्तारी रोकने की मांग की है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए लाहौर हाई कोर्ट ने कहा था कि पुलिस गुरुवार सुबह दस बजे तक इमरान ख़ान को गिरफ़्तार ना करे.

अदालत ने पुलिस से कहा है कि लोगों को सार्वजनिक संपत्तियों को नुक़सान पहुंचाने के वीडियो भी पेश किए जाएं. उन लोगों के वीडियो भी अदालत ने मांगे हैं जिन्होंने पुलिस पर हमला किया है. लाहौर हाई कोर्ट ने कहा है कि हिंसा में शामिल लोगों पर क़ानून के दायरे में मुक़दमा चलाया जाएगा.

इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी को रोकने के लिए उनके घर के बाहर जुटे समर्थकों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया था. इमरान ख़ान के समर्थकों ने भी पुलिस पर पत्थरबाज़ी की थी. भीड़ ने एक फ़ायर ट्रक और वहां गई गाड़ियों को आग भी लगा दी थी. इस दौरान ज़मान पार्क इलाक़ा किसी युद्ध के मैदान-सा नज़र आ रहा था.

पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ ने ग़ैर ज़मानती वारंट को ख़ारिज करने के लिए इस्लामाबाद हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की थी जिसे ख़ारिज कर दिया गया. हाई कोर्ट ने कहा है कि पीटीआई ज़मानती वारंट को ख़ारिज करवाने के लिए उसी सत्र अदालत के समक्ष जाए जिसने वारंट जारी किए हैं.

पाकिस्तान में बीते दो दिन में जो घटनाक्रम हुआ है उसके पाकिस्तान की राजनीति के लिए क्या मायने हैं?

राजनीतिक टिप्पणीकार हसन असकरी रिज़वी कहते हैं कि ताज़ा घटनाक्रम ने पाकिस्तान की राजनीति को ऐसी जगह पहुंचा दिया है जहां ये कहना बहुत मुश्किल है कि अगले कुछ सप्ताह में क्या हो सकता है.

वो कहते हैं, “पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब है, पाकिस्तान की राजनीति की भी हालत ख़राब है, पाकिस्तान में क़ानून व्यवस्था की हालत ख़राब है. इस समय सिर्फ़ एक बात का ही अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में ये संकट और ग़हराएगा, और अधिक अफ़रा-तफ़री होगी, और अधिक अशांति होगी.”

हसन रिज़वी को लगता है कि इस टकराव की वजह से आईएमएफ़ (विश्व मुद्रा कोष) के साथ बातचीत पटरी से उतर सकती है, इससे और अधिक नाराज़गी पैदा हो सकती है और राजनीतिक तापमान अभूतपूर्व स्तर तक पहुंच सकता है.

हसन रिज़वी मानते हैं कि इमरान ख़ान को अभी या अगले कुछ दिनों में गिरफ़्तार कर लिया जाता है तो चुनाव होने की संभावना और टल सकती है, किसी को नहीं पता कि पाकिस्तान में फिर क्या क़हर टूट सकता है.

हसन रिज़वी मानते हैं कि नैतिक तौर पर और क़ानूनी तौर पर इमरान ख़ान को अदालत के सामने पेश हो जाना चाहिए था, लेकिन ये मामला इतना सरल नहीं है. अभी जो हालात हैं उनमें इस बढ़ते राजनीतिक तापमान को अलग करके देखना भी सही नहीं होगा.

“पुलिस पूरी तरह से राजनीतिक है. पाकिस्तान में इस तरह के मामलों में गिरफ़्तारी की परंपरा नहीं है, जब इमरान ख़ान ने ये वादा कर लिया है कि वो 18 मार्च को अदालत में पेश होंगे, तब लाहौर में ऐसा ड्रामा करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. ये सब राजनीति है, अस्थिरता की राजनीति.”

निर्णायक पल

इमरान ख़ान ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में ज़मान पार्क को युद्धक्षेत्र बनाने के पीछे पाकिस्तानी सुरक्षा इस्टैबलिशमेंट (सेना) के होने के संकेत भी दिए हैं. उन्होंने कहा है कि ज़मान पार्क के ऑपरेशन को सिक्योरिटी इस्टैबलिशमेंट के सहयोग के बिना पूरा नहीं किया जा सकता था.

राजनीतिक टिप्पणीकार रसूल बख़्श रईस मानते हैं कि ज़मान पार्क में हुआ टकराव इस्टैबलिशमेंट और उसके राजनीतिक सहयोगियों के इमरान ख़ान को पाकिस्तान की राजनीति से हटाने और उनकी पार्टी को ख़त्म करने के साल भर से चले आ रहे अभियान का अंजाम है.

“वो इसे लेकर कुछ छुपाते नहीं हैं, लेकिन वो इससे अभी तक कुछ हासिल भी नहीं कर पाए हैं. इस समय पाकिस्तान का सुरक्षा इस्टैबलिशमेंट और सभी राजनीतिक दल एक तरफ़ खड़े हैं और इमरान ख़ान और देश की जनता दूसरी तरफ़ है. इस टकराव से इमरान ख़ान को ही हर तरह से फ़ायदा पहुंचने वाला है और दूसरे पक्ष को सिर्फ़ नुक़सान ही होगा.”

रसूल बख़्श रईस कहते हैं कि इतिहास फिर से ख़ुद को दोहरा रहा है. ऐसा ही 1970 के दशक में हुआ था जब सभी राजनीतिक दल मार्शल लॉ प्रशासक जनरल ज़िया उल हक़ के साथ हो गए थे और प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो को सत्ता से हटा दिया गया था. भुट्टो को ज़िया उल सरकार ने फांसी पर लटका दिया था.

ये पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास में एक निर्णायक पल है. इससे देश में राजनीति के भविष्य की दिशा तय होगी और उसमें सेना की भूमिका की भी.

डॉक्टर हसन रिज़वी भी इससे सहमत हैं. उनका कहना है कि इस स्थिति में सेना सरकार से संयम से काम लेने के लिए कह सकती है, लेकिन वो ऐसा नहीं कर रही है.

वो कहते हैं, “पाकिस्तान के संदर्भ में, स्पष्ट ग़ैर-पक्षपात का ये रवैया ही सरकार के लिए खुला समर्थन है.”

संदेह

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इमरान ख़ान ने अदालत के सामने पेश ना होकर हालात अस्थिर कर दिए हैं. हालांकि, पाकिस्तान के वरिष्ठ न्यूज़ एंकर हामिद मीर का मानना है कि इमरान ख़ान के भावुक समर्थकों और तहरीक ए इंसाफ़ पाकिस्तान के नेताओं का एक गुट इमरान की गिरफ़्तारी में रुकावट पैदा कर रहा है.

उन्हें इस्लामाबाद पुलिस पर भरोसा नहीं है जो क़ानून तोड़ने के लिए बदनाम है. उन्होंने इमरान ख़ान के साथी शहबाज़ गिल के साथ क्या किया? उन्हें इस्लामाबाद में इमरान ख़ान के घर बनी गाला से गिरफ़्तार किया और फिर किसी और को सौंप दिया.

हामिद का इशारा पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसियों की तरफ़ है. पीटीआई के कुछ वरिष्ठ सूत्रों के हवाले से हामिद मीर ने दावा किया है कि पार्टी के कई नेता इमरान ख़ान के अदालत के सामने पेश होने को लेकर सहमत थे, लेकिन इमरान ख़ान के भावुक समर्थक और पार्टी के घोर समर्थक कार्यकर्ता उनके ख़ुद को पुलिस कौ सौंपने का विरोध कर रहे हैं.

पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह इमरान ख़ान को खुली धमकियां देते हुए कह रहे हैं कि वो पूर्व प्रधानमंत्री को सबक सिखाएंगे. हामिद मीर मानते हैं कि इससे भी इमरान ख़ान के समर्थकों को उत्तेजित होने का बहाना मिल गया है.

ख़तरनाक उदाहरण

कई विश्लेषकों का मानना है कि अदालत पहले ही तोशाख़ाना मामले में इमरान ख़ान को पेशी से कई बार छूट दे चुकी है. अगर इमरान ख़ान को अभी छोड़ दिया जाता है तो इससे भविष्य के लिए ख़तरनाक़ उदाहरण स्थापित होगा.

विश्लेषक बैरिस्टर मुनीब फ़ारूक़ कहते हैं, “इससे ये उदाहरण स्थापित हो सकता है कि अगर किसी नेता के पास जनता का समर्थन है तो वो अदालत के वारंटों के बावजूद अपने समर्थकों को खड़ा करके ये कह सकता है कि वो झुकेगा नहीं और देश को असहाय साबित कर देगा.”

”इमरान ख़ान के साथ जो भी हो रहा है उसकी वजह अदालत के आदेशों की अवहेलना है. ग़ैर ज़मानती वारंट का सिद्धांत स्पष्ट है. जब जज किसी अभियुक्त को अदालत के समक्ष चाहते हैं तो वो उसे पकड़ने ख़ुद नहीं जाते हैं, वो इसके लिए राज्य की शक्ति का इस्तेमाल करते हैं. अगर पुलिस अपना क़ानूनी दायित्व पूरा करने जाती है और उसे अपना काम करने से रोक दिया जाता है, तो राज्य उसके पीछे अपनी शक्ति के साथ खड़ा हो सकता है और अपनी पूरी ताक़त का इस्तेमाल कर सकता है.”

मुनीब कहते हैं कि पाकिस्तान के लिए ये निर्णायक पल है.

“ये सच है कि इमरान ख़ान इस समय देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं, उनकी पार्टी जनता के सबसे क़रीब है, लेकिन क्या इससे वो क़ानून से ऊपर हो जाते हैं. क्या देश उनके सामने झुक जाए, घुटने टेक दे और उनसे कह दे कि वो अपनी मर्ज़ी के हिसाब से तय कर सकते हैं कि अदालत के सामने पेश होना है या नहीं और अगर होना है तो कब होना है.”

“विडंबना ये है कि अगर इमरान ख़ान मीडिया के कैमरों के सामने पुलिस के समक्ष पेश हो जाते तो उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी उसी पुलिस की होती जो उनके समर्थकों से झड़पें कर रही थी.”

अराजकता और गृह युद्ध

पीटीआई का दावा है कि पुलिस ने उसके समर्थकों पर हमला किया है, लेकिन पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगज़ेब ने इमरान ख़ान पर अराजकता फैलाने और देश को गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा करने के आरोप लगाए हैं.

इस्लामाबाद में सूचना मंत्री मरियम ने कहा, “पुलिस के पास गोलियां नहीं थीं, उस पर इमरान ख़ान के समर्थकों के जत्थों ने हमले किए. वो महिलाओं और बच्चों का मानव कवच की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.”

उन्होंने दावा किया कि लाहौर में इमरान ख़ान के घर के बाहर हुई झड़पों में 65 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. मरियम औरंगज़ेब ने ये भी कहा कि अब ये न्यायपालिका की परीक्षा है.

उन्होंने कहा, “इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है. अलग-अलग मामलों में अदालतों ने उनका वारंट जारी किया है और पुलिस अदालत के आदेश का पालन कर रही है.”

“अगर पुराने उल्लंघनों पर अदालतों ने उनके ख़िलाफ़ वारंट जारी किए होते तो हालात ऐसे नहीं होते जैसे कि आज हैं. अगर अदालत आज इमरान ख़ान के वारंट को रद्द कर देती है या उनमें देरी करती है तो फिर अदालतों को हर पाकिस्तानी को इसी तरह की राहत देनी होगी.”

वहीं पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ का कहना है कि पुलिस ने ज़मान पार्क की स्थिति को बहुत सब्र के साथ नियंत्रित किया है ताकि किसी की जान का नुक़सान ना हो, वरना पुलिस के लिए इमरान ख़ान को गिरफ़्तार कर लेना बहुत मुश्किल नहीं होता. उन्होंने दावा किया कि इमरान ख़ान अपनी राजनीति चमकाने के लिए लाशें गिराना चाहते हैं.

सोशल मीडिया पर मतभेद

ज़मान पार्क से संबंधित टॉपिक सोशल मीडिया पर ट्रेंड करते रहे. इमरान ख़ान के समर्थक पुलिस ऑपरेशन की आलोचना करते हुए उसके वीडियो और तस्वीरें साझा कर रहे थे.

राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी ने एक ट्वीट में कहा कि वो इस घटनाक्रम को लेकर बेहद दुखी हैं. उन्होंने लाहौर के हालात को बीमार बदले की राजनीति तक कहा. उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि सरकार की प्राथमिकताएं क्या हैं, सरकार को इस समय लोगों को आर्थिक राहत देने पर काम करना चाहिए. उन्होंने इमरान ख़ान की सुरक्षा और सम्मान को लेकर भी चिंताएं ज़ाहिर कीं और इस स्थिति को न्यायपालिका के लिए परीक्षा की घड़ी बताया.

कुछ चर्चित लोगों ने भी इमरान ख़ान का समर्थन किया है. अभिनेत्री अतिक़ा ओधो ने इंस्टाग्राम पर लिखा कि वो इमरान ख़ान की सलामती के लिए दुआएं कर रही हैं.

“इमरान ख़ान के साथ ये सलूक इसलिए किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने हमारे देश की बेड़ियों को तोड़ने का प्रयास किया. किसी के साथ भी ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिए.”

अदनान सिद्दीक़ी ने ट्विटर पर लिखा कि ये देखना अविश्वसनीय है कि पाकिस्तान के हर तबक़े के लोग इमरान ख़ान के समर्थन में आ रहे हैं.

हालांकि पीटीआई के विपक्षी दल पीटीआई समर्थकों की आलोचना कर रहे हैं और उन्हें वो वक़्त याद दिला रहे हैं जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ और उनकी बेटी मरियम शरीफ़ को जेल भेज दिया गया था. तब इमरान ख़ान सरकार ने कहा था कि न्याय हुआ है.

क्यों जारी हुए वारंट?

इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ दो अलग-अलग अदालतों ने दो अलग-अलग मामलों में ग़ैर ज़मानती वारंट जारी किए हैं. ये वारंट अदालत की सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रहने की वजह से जारी हुए हैं.

तोशाख़ाना मामले में 28 फ़रवरी को इमरान ख़ान पर आरोप तय होने थे, लेकिन वो अदालत के सामने पेश ना होकर गिरफ़्तारी से बचते रहे हैं. आरोप तय होने के दौरान किसी भी अभियुक्त के लिए अदालत में मौजूद होना अनिवार्य होता है.

दूसरा मामला पिछले साल अगस्त में एक रैली के दौरान एक महिला जज को धमकी देने से जुड़ा है. हालांकि इस मामले में उनका ग़ैर ज़मानती वारंट 16 मार्च तक निलंबित है.

तोशाख़ाना मामले में पुलिस ने कई बार इमरान ख़ान को गिरफ़्तार करने की कोशिश की है, लेकिन हर बार पुलिस से ये कह दिया गया कि इमरान ख़ान घर पर नहीं हैं और उसे खाली हाथ वापस लौटना पड़ा.

इमरान ख़ान नवंबर 2022 के बाद से लाहौर में रह रहे हैं. इस दिन एक रैली में उन पर वज़ीराबाद में हमला हुआ था. इमरान ख़ान का दावा है कि वो अभी भी जख़्मों से उबर रहे हैं और टांग पर उन्हें प्लास्टर लगा है.

इमरान ख़ान को पिछले साल अप्रैल में सत्ता से हटा दिया गया था. उनकी पार्टी का कहना है कि तब से उन पर 70 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं.

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