प्रचंड गर्मी से लोग बेहाल, हीट स्ट्रोक से ख़ुद को कैसे बचाएं?

Hindi New Delhi

DMT : नई दिल्ली : (17 अप्रैल 2023) : –

गर्मी बढ़ने के साथ दोपहर के वक़्त बाहर निकलने को मजबूर कामकाजी लोगों, छात्रों और खुले में रहने वाले लोगों के लिए दिक्कतें बढ़ गई हैं. डॉक्टरों के मुताबिक कुछ सावधानियों के जरिए लोग ख़ुद को सुरक्षित रख सकते हैं. डॉक्टरों से बातचीत के आधार पर बीबीसी हिंदी ने ये आलेख बीते साल (1 मई 2022) को पहली बार प्रकाशित किया था.

अगर गर्मी है, तो सबके लिए है. मौसम की नज़र में सब लोग बराबर हैं. लेकिन मौसम की तपिश का असर सभी पर एक सा नहीं होता.

कुछ लोगों के पास गर्मी से राहत पाने के साधन होते हैं लेकिन कुछ के पास इसकी कमी होती है. वहीं, सबका स्वास्थ्य भी एक जैसा नहीं होता है इसलिए असर भी अलग-अलग होता है.

डॉक्टरों की सलाह

लेकिन, डॉक्टरों के पास ऐसी ज़रूरी सलाह हैं जिससे ‘हीट वेव’ के दौरान आप ‘हीट स्ट्रोक’ की चपेट में आने से बच सकते हैं. यानी सामान्य से अधिक तापमान के दौरान ख़ुद को लू से बचा सकते हैं.

मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में एंडोक्राइनोलॉजी और इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर विनीत अरोड़ा बताते हैं कि गर्मी में सबसे ज़्यादा ज़रूरी है, अपने शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखना. पसीना आने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का ह्रास होता है. इसके लिए बाजार में कई तरह के इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन मिलते हैं, लोग इसे ले सकते हैं.

इसके अलावा मौसमी फलों जैसे कि तरबूज इसका बहुत अच्छा स्रोत है. इसका सेवन करना चाहिए. बने-बनाए ओआरएस अपने पास रख सकते हैं. नींबू पानी, नारियल-पानी और वैसे फल ज़्यादा से ज़्यादा खाने चाहिए जिनमें पानी की मात्रा होती है. इसके साथ ही मौसमी सब्जियों का सेवन शरीर को ठीक रखने के लिए ज़रूरी है.

वो कहते हैं कि अगर बजट में जूस फिट नहीं बैठता हो और बने-बनाए ओआरएस ख़रीदने की स्थिति में नहीं हों तो नमक-चीनी का घोल बेहद ज़रूरी हो जाता है. यह आसानी से बनाया भी जा सकता है और इसमें ख़र्चा भी नहीं है.

वहीं, छाछ भी अच्छा विकल्प है क्योंकि इससे पोटाशियम मिल जाता है. शरीर में सोडियम और पोटाशियम सॉल्ट की मात्रा का संतुलन रहना बेहद ज़रूरी होता है. धूप में बाहर निकलने और पसीना आने की स्थिति में शरीर के लिए ये दोनों तत्व अहम हो जाते हैं. हालांकि, जो लोग किडनी या दिल की बीमारी से ग्रसित हैं, वे डॉक्टर की सलाह से ही कोई उपाय अपनाएं.

शरीर में नमी की मात्रा

इस समय देश के कई इलाक़े ‘हीट वेव’ या लू की चपेट में हैं.

मैदानी इलाक़ों में जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक या सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होता है तब लू जैसे हालात की घोषणा की जाती है.

दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल की सीएमओ डॉ ऋतु सक्सेना कहती हैं कि गर्म हवाओं को लू कहा जाता है. ऐसी स्थिति में बाहर निकलने से शरीर में नमी की मात्रा कम होने लगती है.

वो कहती हैं कि सबसे बड़ी चीज़ तो यह है कि अगर लू चल रही हो तो बाहर निकलने से जितना बच सकते हो बचें. काम का समय बदल लें.

वो बताती हैं कि दोपहर 12 बजे से लेकर शाम चार बजे तक खुले में निकलने से बचें.

हालांकि, हर कोई ऐसा नहीं कर सकता है क्योंकि गर्मी के साथ-साथ रोजी-रोटी का भी सवाल है. तो ऐसे में लोगों को गर्मी और लू की चपेट में आने से बचने के लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखना चाहिए.

क्या पहनें और क्या खाएं

गर्मी से बचने के लिए हल्के रंग के कपड़े पहनकर निकलें ताकि वो ज़्यादा गर्मी ना सताए.

सूती कपड़े पहनना भी अच्छा विकल्प है. जो लोग शारीरिक रूप से थकने वाला काम ज़्यादा करते हैं, उन्हें ओआरआस ज़रूर पीना चाहिए.

ओआरएस नहीं उपलब्ध हो तो सादे पानी में चीनी-नमक का घोल बनाकर पीते रहें ताकि शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बना रहे. नींबू पानी और छाछ बेहतर विकल्प हैं.

कैसे पहचानें कि आप लू की चपेट में हैं

सिर में दर्द, बहुत ज़्यादा पसीना आना, चक्कर आना, मांस पेशियों में खिंचाव, मितली जैसा महसूस होना इसके अहम लक्षण हैं.

अगर किसी को ऐसा महसूस हो तो तुरंत छांव या ठंडे स्थान में जाएं. पंखे या एसी में जा सकते हैं तो बेहतर है. पेड़ की छाया में भी बैठ सकते हैं. पानी और ओआरएस पी सकते हैं.

अगर किसी को लग रहा हो कि उसके शरीर से पसीना आना बंद हो गया है और बुखार, चक्कर आ रहा है तो तुरंत डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए. डॉक्टरों की सलाह पर ही दवाई लें.

डॉक्टर ऋतु कहती हैं कि गर्भवती महिलाओं को यह कोशिश करनी चाहिए कि वह घर से बाहर न निकलें. अगर निकलें तो पानी की बोतल अपने साथ रखें.

वहीं, डॉक्टर अरोड़ा कहते हैं कि अगर आप धूप में बाहर रह गए तो इसका असर रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) पर पड़ता है.

ऐसे में शरीर के अंदर एक तरह की अस्थिरता आ जाती है. अगर गर्भवती महिला की स्थिति गंभीर हो जाती तो इसका असर बच्चे पर भी पड़ता है.

डॉक्टर अरोड़ा कहते हैं कि मौसम विभाग हीट वेव (लू) घोषित कर रहा है, ऐसे में बच्चों के स्कूलों को बंद करना ही अच्छा विकल्प है.

अगर बच्चे स्कूल या बाहर जा रहे हैं तो उनके अभिभावकों को ख़ास ध्यान रखने की ज़रूरत है क्योंकि बच्चे लू लगने के लक्षण को पहचान नहीं पाते हैं. बच्चे खेलने में लगे रहते हैं.

उनको बिना छाते के बाहर नहीं निकलने देना चाहिए और पानी की पर्याप्त मात्रा की ज़रूरत हर किसी पर लागू होती है तो यह ध्यान रखें कि बच्चे पर्याप्त मात्रा में पानी पी रहे हैं या नहीं.

हर मौसम का असर हमारी त्वचा पर होता है लेकिन गर्मी में इसकी तासीर कुछ ज़्यादा ही महसूस की जा सकती है. धूप में निकलते ही इसका सबसे पहला वार हमारी त्वचा ही बर्दाश्त करती है.

गर्मी में शरीर में पानी का बना रहना (हाइड्रेट) बहुत ज़रूरी होता है और भागदौड़ की ज़िंदगी में लोग अमूमन इसका ध्यान नहीं रख पाते हैं.

ऐसे में आपकी त्वचा आपसे रूठ जाती है और ये स्थिति रूखेपन, जलन समेत चेहरे के रंग में अंतर के ज़रिए होती है और कभी-कभी तो सनबर्न जैसी स्थिति हो जाती है.

गर्मी में चेहरे का कैसे रखें ख़्याल

त्वचा विशेषज्ञ डॉक्टर दीप्ति राणा बताती हैं कि गर्मी में चेहरा मुख्य तौर पर रूखा हो जाता है. इससे बचने के लिए सबसे जरूरी होता है कि सुबह अपना चेहरा धोने के बाद हमें मॉइश्चराइज़र लगाना चाहिए. लोग यह मानते हैं कि गर्मी में मॉइश्चराइज़र की जरूरत नहीं पड़ती है लेकिन ऐसा नहीं है.

वहीं, अगर कोई घर में एयर कंडिश्नर में रहता है, फिर बाहर धूप में निकलता है और फिर दफ़्तर में बैठकर एयर कंडिश्नर की हवा में काम करता है तो उनके लिए मॉश्चराइजर का एक बेस अपने चेहरे पर लगाना जरूरी होता है. इससे आप एसी और धूप दोनों की ड्रायनेस से बच सकते हैं.

मॉइश्चराइजर और सनस्क्रीन लगाने के बीच थोड़ा अंतराल रखें. वहीं, अगर हम धूप में बाहर जा रहे हैं तो कम से कम 20 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाना चाहिए. जिन लोगों की त्वचा ऑयली है, वो वॉटर बेस्ड सनस्क्रीन लगाएं, जिनकी मिक्स है वो जैल बेस्ड लगाएं और जिनकी रूखी त्वचा है, वो क्रीम बेस्ड सनस्क्रीन लगा सकते हैं. अब बात आती है कि आप किस तरह का सनस्क्रीन इस्तेमाल करें.

बाज़ार में इसे ख़रीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसमें एसपीएफ (सन प्रोटेक्शन फैक्टर) का लेवल क्या है? आपको यह ध्यान रखना है कि इसका लेवल 40 से ज़्यादा हो. कम से कम 30 से ज़्यादा तो होना ही चाहिए. यह भी जैल बेस्ड या मैट फिनिश होना चाहिए.

सनस्क्रीन के अलावा क्या हैं विकल्प?

अगर बजट के हिसाब से सनस्क्रीन सही नहीं बैठती है तो लैक्टो कैलामाइन लोशन का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह थोड़ा सस्ता पड़ता है. लेकिन, कई लोग इसे भी ख़रीदने की स्थिति में नहीं होते. तो वह परंपरागत चीज़ों का सहार ले सकते हैं और ये कारगर भी रहता है. चेहरे को सूती कपड़े से ढकें. रूमाल का इस्तेमाल करें. बिना छाता लिए बाहर न निकलें. कैप पहनें. पूरी बांह के कपड़े पहनने चाहिए और चेहरे को साफ पानी से धोएं.

एसी से अचानक धूप में आने का असर

सबसे पहली बात तो शरीर को तापमान के अनुकूल बनने में समय लगता है. अचानक तापमान में बदलाव शरीर के लिए नुकसानदायक होता है. इसके लिए एक शब्द इस्तेमाल किया जाता है-ट्रांजिशन.

जैसे कि आप कार से कहीं जा रहे हैं और आपको पता है कि वहां एसी नहीं है तो वहां पहुंचने से तीन-चार मिनट पहले ही अपने कार का एसी बंद कर दें. इसे आम भाषा में सर्द-गरम कहा जाता है और इससे कई बार एलर्जी भी हो जाती है. कई बार रक्तचाप में उतार-चढ़ाव हो जाता है और यह इम्युनिटी के लिए भी सही नहीं है.

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