मुसलमानों के ख़िलाफ़ आग उगलने वाले टी राजा सिंह को क़ानून का डर क्यों नहीं?

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DMT : गुजरात  : (04 अप्रैल 2023) : –

रामनवमी के मौक़े पर भारत के कुछ राज्यों में हिंसा हुई है. कुछ इलाक़ों में ये हिंसा अब भी जारी है.

इसमें बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य शामिल हैं.

पिछले कई सालों से न सिर्फ़ रामनवमी की शोभायात्रा में, बल्कि कई दूसरे धार्मिक त्योहारों के दौरान भी सांप्रदायिक झड़पें बढ़ी हैं.

क्या इन्हें महज़ एक घटना कहना ठीक होगा? क्या ये सब सोची समझी साज़िश का एक हिस्सा हैं?

इन सब घटनाओं में कुछ बातें, कुछ नारे और कुछ चेहरे एक जैसे दिखाई देते हैं, जो गंभीर सवाल खड़ा करते हैं.

इन्हीं चेहरों में एक हैं हैदराबाद की गोशामहल सीट से विधायक टी राजा सिंह.

अगस्त 2022 में टी राजा सिंह को पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित बयान देने के बाद बीजेपी ने पार्टी से निलंबित कर दिया था.

उन्हें इस मामले में क़रीब दो महीने जेल जाना पड़ा. कोर्ट की हिदायत के बावजूद वे देश के अलग-अलग इलाक़ों में जाकर न सिर्फ़ नफ़रत भरे भाषण दे रहे हैं, बल्कि कई बार अपशब्द भी कहते हैं.

वे मुसलमानों के ख़िलाफ़ खुलेआम हिंसा और बहिष्कार की बात करते हैं और ऐसे आरोप उन पर पिछले दो दशकों से लग रहे हैं.

आख़िर टी राजा सिंह हैं कौन? उन्हें किस तरह का राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है? कौन लोग हैं, जो उन्हें हिंदू हृदय सम्राट मानते हैं और उनके एक इशारे पर घरों से निकल आते हैं.

क्या टी राजा सिंह के नफ़रती भाषण, सांप्रदायिक दंगों के लिए ज़मीन तैयार करते हैं?

नफ़रत भरे भाषण के बाद दंगा

पिछले चार महीनों में महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों में सकल हिंदू समाज ने बड़े पैमाने पर हिंदू जन आक्रोश रैलियाँ की हैं.

इनमें से कुछ रैलियों में टी राजा सिंह प्रमुख वक्ता की तरह नज़र आए.

19 मार्च, 2023 को महाराष्ट्र के संभाजीनगर में हिंदू जन जागरण रैली हुई. इस रैली में हज़ारों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया.

इस रैली में विधायक टी राजा के साथ सुदर्शन न्यूज़ चैनल के एडिटर इन चीफ़ सुरेश चव्हाणके के साथ महाराष्ट्र सरकार के मंत्री भी नज़र आए.

रैली के महज 10 दिन बाद यानी रामनवमी के एक दिन पहले 29 मार्च की रात दो गुटों में कहासुनी हुई.

ये कहासुनी धीरे-धीरे पथराव में और फिर आगजनी में बदल गई.

एक तरफ ‘जय श्री राम’ तो दूसरी तरफ ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे सुनाई देने लगे और देखते ही देखते मामले ने तूल पकड़ लिया.

भीड़ ने 10 से ज्यादा पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया.

उन्होंने छत्रपति संभाजीनगर की बजाय औरंगाबाद कहने वालों का बहिष्कार करने के साथ-साथ कई और बातें भी कहीं.

हिंदू जन जागरण रैली में नफ़रती भाषण देने के मामले में संभाजीनगर पुलिस ने क्रांति चौक थाने में उसी दिन टी राजा सिंह और सुदर्शन न्यूज़ के एडिटर इन चीफ़ के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की.

दोनों के ख़िलाफ़ पुलिस ने आईपीसी की धारा 153, 153ए, 34, 505 धाराओं के तहत मामला दर्ज किया.

इसमें भी प्रमुख वक्ता के तौर पर विधायक टी राजा शामिल हुए थे.

श्रीरामपुर की रैली में विधायक टी राजा सिंह ने लव जिहाद, लैंड जिहाद और मुसलमानों के बहिष्कार की मांग की थी.

टी राजा का कहना था, “लव जिहाद के लिए इन गद्दारों ने एक सेना का निर्माण किया है. हर बहन बेटी का रेट फ़िक्स किया गया है. ब्राह्मण की लड़की के लिए पाँच लाख, राजपूत की लड़की हो तो चार लाख, ओबीसी, एससी, एसटी की लड़की के लिए दो लाख रुपए रखा है.”

“जैन समाज की लड़की के लिए तीन लाख रुपए, गुजराती समाज की लड़की के लिए छह लाख रुपए, सिख के लिए सात लाख रुपए, मराठी समाज की लड़की के लिए छह लाख रुपए दिए जा रहे हैं.”

  • जो दरगाह पर जाकर मन्नत मांगता है, उसके घर में शिवाजी ही नहीं अफ़ज़ल ख़ान पैदा होता है.
  • चाहे कोई भी रोके, कोई भी टोकेगा 2025-26 में भारत देश अखंड हिंदू राष्ट्र घोषित होने वाला है.
  • हमारे हिंदू राष्ट्र की राजधानी दिल्ली नहीं, काशी होगी, मथुरा होगी या अयोध्या होगी.
  • जो भी हिंदू के ख़िलाफ़ बात करेगा, उसे हम छोड़ेंगे नहीं.

इस रैली के तीन दिन बाद, 13 मार्च को अहमदनगर के श्रीरामपुर थाने की पुलिस ने राजा सिंह के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की. उनके ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 295ए, 504, 506 के तहत मामला दर्ज किया गया.

लातूर में शिव जयंती पर रैली

19 फरवरी को महाराष्ट्र के लातूर में शिव जयंती के मौक़े पर रैली हुई.

रैली में विधायक टी राजा सिंह ने एक बार फिर भारत को अखंड हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कही.

27 फरवरी को लातूर के शिवाजी नगर थाने में पुलिस ने धार्मिक भावनाएँ भड़काने, समाज को बाँटने, जानबूझकर ख़ास समुदाय का अपमान करने, समाज में भय का माहौल पैदा करने के आरोप में एफ़आईआर दर्ज की.

राजा सिंह के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 295ए और 505 के तहत मामला दर्ज किया.

मुंबई की जन आक्रोश रैली

29 जनवरी 2023 को सकल हिंदू समाज ने मुंबई में हिंदू जन आक्रोश रैली आयोजित की थी. इस रैली में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुंबई पुलिस ने क़रीब दो महीने बाद टी राजा सिंह के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की.

ये एफ़आईआर दादर पुलिस ने आईपीसी की धारा 153ए के तहत दर्ज की है.

एफ़आईआर में हुई देरी के सवाल पर दादर पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर महेश नारायण ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “रैली की फुटेज को अच्छे से देखने के बाद यह कार्रवाई की गई है.”

“इस वजह से इसमें देरी हुई है. टी राजा सिंह को नोटिस भेजकर बुलाया जाएगा और उनका बयान दर्ज करेंगे.”

इन रैलियों के अलावा टी राजा सिंह ने इस साल 22 जनवरी को महाराष्ट्र के पुणे में, 26 फरवरी को सोलापुर में, 5 मार्च को में और 30 मार्च को हैदराबाद के धुलपेट में रामनवमी की शोभायात्रा के अलावा कई रैलियों में भाषण दिए.

टी राजा सिंह मंचों से जिस भाषा का इस्तेमाल करते हैं उसके खिलाफ महाराष्ट्र के अलग अलग इलाकों में कम से कम चार एफआईआर दर्ज हुई हैं.

इनमें पुलिस ने आईपीसी की धारा 153,153ए, 153बी, 295ए, 504, 505, 506, 34 के तहत मामले दर्ज किए हैं.

153– दंगा करने के इरादे से जानबूझकर उकसाना. एक साल तक की सज़ा.

153ए– धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने’ के मामले में लगाई जाती है. तीन साल तक की सज़ा का प्रावधान.

153बी– राष्ट्रीय एकता के ख़िलाफ़ प्रभाव डालने वाले भाषण देना. तीन साल तक की सज़ा.

295ए– जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत करना या ऐसी कोशिश करना. तीन साल तक की सज़ा.

504– जानबूझकर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल कर सार्वजनिक शांति को भंग करना. दो साल तक की सज़ा.

506– आपराधिक धमकी देना. दो साल तक की सज़ा.

हेट स्पीच के मामले में तीन साल तक की सज़ा का प्रावधान है. अगर किसी भी मामले में उन्हें दो साल की सज़ा होती है, तो न सिर्फ़ उनकी विधायकी चली जाएगी, बल्कि वे सज़ा ख़त्म होने बाद अगले छह सालों तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएँगे.

बोलने की आज़ादी कब हेट स्पीच में बदल जाती है, इस सवाल के जवाब में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट नितिन मेश्राम एक उदाहरण देते हैं. वे कहते हैं कि मान लीजिए एक ख़ास समाज कोविड के समय मुनाफ़ा कमा रहा है, या कोई भी मंदी आती है तो उसे फ़ायदा होता है.

नितिन कहते हैं कि ऐसे में कोई व्यक्ति उस व्यवस्था में बदलाव के लिए उस समाज के ख़िलाफ़ ज़रूर बात कर सकता है, लेकिन उसकी मंशा बदलाव की होनी चाहिए. अगर वह यह कहता है कि उस समाज के लोगों को सूली पर चढ़ा दो, या उन्हें मार दो, तो ऐसे में वह बात हेट स्पीच हो जाती है.

वे कहते हैं- हमें किसी व्यक्ति के आह्वान के बाद होने वाली घटनाओं को देखना चाहिए. अगर वे घटनाएँ अपराध के दायरे में आती हैं, तो वह आह्वान बोलने की आज़ादी को पार कर भड़काऊ भाषण के दायरे में आ जाता है. हेट स्पीच को रोकने के लिए कड़े प्रावधान अपनाने की ज़रूरत है.

उस वक़्त वे हिंदू वाहिनी संगठन में रहकर काम कर रहे थे. उनके मुताबिक़ उस समय वे हिंदुओं को ईसाई धर्म में कन्वर्ट करने वालों के ख़िलाफ़ काम करते थे.

इसके बाद उन्होंने गौ माता की सेवा करने का काम भी शुरू किया. वे अपने साथ युवाओं को जोड़ते और उन्हें हिंदू होने का अर्थ समझाते.

ऐसा करते हुए उन्होंने साल 2004 तक अपने जैसे 500 कार्यकर्ता जोड़ लिए.

टी राजा कहते हैं, “2004 तक हमारे पाँच सौ कार्यकर्ता न तो लड़ने से डरते थे और न ही मरने से. वे अलग-अलग मंचों पर जाकर हिंदुओं की बात करते थे.”

साल 2010 में मिलाद उन नबी के जवाब में टी राजा सिंह ने पहली बार हैदराबाद में रामनवमी के मौक़े पर शोभायात्रा निकाली.

इस शोभायात्रा के बारे में टी राजा कहते हैं, “हमें रामनवमी शोभायात्रा की पुलिस ने इजाज़त नहीं दी थी, बावजूद उसके हमने शोभायात्राी की. हमें अंदाज़ा था कि 500-1000 लोग आएँगे, लेकिन एक लाख से ज़्यादा कार्यकर्ता आए. इतने सारे लोगों को देखकर पुलिस भी डर गई थी कि कहाँ से आए.”

“कार्यक्रम में आचार्य धर्मेंद्र जी प्रमुख वक्ता के तौर पर आए थे. शोभायात्रा के बाद मेरे ऊपर मुक़दमा दर्ज हुआ. तब मैंने 45 दिन जेल काटी थी.”

हैदराबाद के अफ़ज़ल गंज पुलिस स्टेशन में दर्ज एफ़आईआर नंबर 324/2010 के मुताबिक़ अमजदुल्लाह ख़ान ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि रामनवमी शोभायात्रा निकाली गई है, जिसमें मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हेट स्पीच दी गई है.

एफ़आईआर में धर्मेंद्र आचार्य को चीफ गेस्ट के रूप में शामिल होना बताया गया था. पुलिस ने आईपीसी की धारा 153ए, 143, 147 और अन्य के तहत मामला दर्ज किया था.

टी राजा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2009 में तेलुगूदेसम पार्टी से नगर पार्षद के रूप में की थी.

2014 में टी राजा तेलगांना में गोशामहल सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुँचे.

2018 में उन्होंने दूसरी बार इस सीट पर विजय हासिल की.

कितने प्रभावशाली हैं टी राजा?

हैदराबाद के वरिष्ठ पत्रकार अजय शुक्ला कहते हैं, “टी राजा का बेस तेलंगाना के हिंदू युवा हैं. इनकी वही ताक़त है. वही इनके लिए संजीवनी का काम करते हैं. राजा सिंह के एक इशारे पर लाखों की संख्या में लोग जमा हो जाते हैं.”

हैदराबाद के पास धूलपेट इलाक़े में शुरू से ही राजा सिंह का वर्चस्व रहा है. वरिष्ठ पत्रकार अजय शुक्ला के मुताबिक़ यहाँ बड़ी संख्या में हिंदू आबादी है.

अजय शुक्ला कहते हैं, “धूलपेट के हिंदुओं की पृष्ठभूमि उत्तर प्रदेश से है. मुग़लों के ज़माने में उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में हिंदू आकर घुलपेट में बसे थे.”

पत्रकार अजय शुक्ला के मुताबिक़ भारतीय जनता पार्टी के महज दो विधायक तेलंगाना में हैं. इतने प्रयास के बाद भी बीजेपी अपने आँकड़े को बढ़ा नहीं पाई है. अगर असर की बात करें, तो टी राजा सिंह एक दो सीट पर कुछ कर सकते हैं उससे ज़्यादा नहीं.

वे कहते हैं, “टी राजा को रोकना तेलंगाना सरकार के लिए मुश्किल नहीं है, लेकिन उनके साथ जो लाखों लोग हिंदू रैली में आते हैं उसमें सभी पार्टियों के कार्यकर्ता होते हैं. उन पर न तो गोली चलाई जा सकती है और न लाठी. वोट बैंक को लामबंद करने के लिए दोनों तरफ़ से राज्य में इस तरह की रैलियाँ होती हैं.”

2018- मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ हेट स्पीच देने के आरोप में एफ़आईआर दर्ज

2017- रामनवमी पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में एफ़आईआर दर्ज

2016- बिना इजाज़त रामनवमी शोभायात्रा निकालने के आरोप में एफ़आईआर

2015- रामनवमी शोभायात्रा रोकने पर पुलिस के ख़िलाफ़ एक्शन लेने की घोषणा करने के आरोप में, मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ हेट स्पीच के आरोप में एफ़आईआर दर्ज

2014- गणेश मंदिर की अवैध तरीक़े से दीवार बनाने के आरोप में एफ़आईआर दर्ज

2013- विशाल गौ रक्षा गर्जना विषय पर हिंदू युवाओं को भड़काने के आरोप में एफ़आईआर दर्ज

2012- बकरीद के समय गौरक्षा एक्शन टीम बनाने की कोशिश करने के आरोप में, पुलिसकर्मियों पर हमला और सरकार संपत्ति को नुक़सान पहुँचाने के आरोप में एफ़आईआर दर्ज

2010- हनुमान जयंती के दिन हंगामा, तोड़फोड़ और पत्थरबाज़ी के आरोप में एफ़आईआर दर्ज

क्यों नहीं हो रही कार्रवाई?

एक तरफ हेट स्पीच देने के मामले में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम ख़ान की सदस्यता रद्द हो सकती है.

एक भाषण देने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी लोकसभा सदस्यता खो सकते हैं, तो फिर टी राजा सिंह जैसे नेताओं पर कार्रवाई में इतनी देरी क्यों होती है?

बीजेपी ने भी टी राजा सिंह को निलंबित किया है, पार्टी ने उन्हें बर्ख़ास्त क्यों नहीं किया है, इस सवाल के जवाब में तेलंगाना में बीजेपी के उपाध्यक्ष येनम श्रीनिवास रेड्डी कहते हैं कि उन्हें बर्ख़ास्त करने का फ़ैसला राज्य की लीडरशिप नहीं ले सकती है. वह फ़ैसला हाई कमान को लेना है.

रेड्डी कहते हैं, “बीजेपी की किसी भी आधिकारिक मीटिंग या किसी रैली में टी राजा को नहीं बुलाया जाता है. वे जो कार्यक्रम करते हैं, उनका पार्टी से कोई लेना देना नहीं है.”

टी राजा के ख़िलाफ़ बीजेपी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए भारत राष्ट्र समिति के प्रवक्ता एम कृशांक कहते हैं कि निलंबन के बावजूद टी राजा, तेलंगाना में बीजेपी के पोस्टरों पर दिखाई देते हैं.

वे कहते हैं, “तेलंगाना मे जरूर बीआरएस की सरकार है, लेकिन वे ज़हर उगलने के लिए बड़े त्योहारों का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें हजारों लोग हिस्सा लेते है. ऐसे में उन कार्यक्रमों को रोकना सरकार के लिए भी मुश्किल है.”

सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट कामिनी जायसवाल कहती हैं, “अगर इतने सालों से किसी एफ़आईआर पर कार्रवाई नहीं हो रही है तो शिकायत दर्ज करवाने वाले व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने याचिका लगानी चाहिए और मांग करनी चाहिए कि पुलिस ठीक से जाँच नहीं कर रही है.”

“सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है कि अगर कोई व्यक्ति अपराध के बारे में पुलिस को शिकायत करता है, तो पुलिस को एफ़आईआर करनी होगी. ऐसे में बहुत बार पुलिस खानापूर्ति के लिए भी एफ़आईआर दर्ज कर लेती है. ये केस पुलिस की फ़ाइलों में पड़े रहते हैं और फ़ॉलो अप नहीं होता है.”

कामिनी जायसवाल कहती हैं, “पुलिस बहुत बार स्वतंत्र ढंग से काम नहीं कर पाती. जो सरकार सत्ता में रहती है वो अपने हिसाब से पुलिस का इस्तेमाल करती है.”

राज्य सरकार इन नेताओं को कैसे देखती है, इस पर बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अजय शुक्ला कहते हैं, “जब ऐसे नेता एक ख़ास समुदाय को लेकर नफ़रती भाषण देते हैं तो उससे न सिर्फ़ उनके लोग गोलबंद होते हैं बल्कि दूसरे खेमे के लोग भी लामबंद होने लगते हैं. इस तरह दो धड़े बन जाते हैं और इनका इस्तेमाल सरकारें वोट बैंक के लिए करती हैं.”

वे कहते हैं, “तेलंगाना सरकार टी राजा सिंह पर सख्त कार्रवाई कर ये मैसेज नहीं देना चाहती कि वह हिंदुओं के ख़िलाफ़ है, क्योंकि उनकी पार्टी को भी हिंदुओं का वोट चाहिए.”

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