रूसी राष्ट्रपति पुतिन के ख़िलाफ़ आईसीसी का वारंट, क्या गिरफ्तार हो सकते हैं पुतिन

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DMT : रूस  : (18 मार्च 2023) : –

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया है.

आईसीसी का मानना है कि राष्ट्रपति पुतिन पर यूक्रेन में युद्ध अपराधों के आरोप लगाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं.

आईसीसी ने बयान में सबसे बड़ा आरोप लगाया है कि यूक्रेन के सैकड़ों बच्चों को अनाथालयों और बाल गृहों से रूस लाया गया है जिससे रूस में रह रहे परिवार उन्हें गोद ले सकें.

हालांकि जानकार मानते हैं कि ऐसे मामले को आगे बढ़ाने में व्यावहारिक और तार्किक समस्याएं बहुत अधिक हैं. गिरफ्तारी वारंट इस प्रक्रिया का पहला कदम है.

क्या पुतिन को गिरफ्तार किया जा सकता है?

व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति हैं और दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं में से एक माने जाते हैं.

रूस उन्हें खुद इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट को सौंप दे, इसकी कोई संभावना नहीं है. मतलब ये कि जब तक वे रूस में रहेंगे उनके गिरफ्तार किए जाने का कोई ख़तरा उन्हें नहीं होगा.

अगर वे रूस को छोड़ते हैं तो उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है. हालांकि उनके दूसरे देशों में आने-जाने पर पहले ही कई तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं, जिसके चलते वे शायद ही किसी ऐसे देश में दिखाई देंगे जो उन पर मुकदमा चलाना चाहेगा.

फ़रवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से राष्ट्रपति पुतिन ने सिर्फ आठ देशों का दौरा किया है. उनमें से सात ऐसे देश हैं जो कभी सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करते थे.

ईरान ने ड्रोन और दूसरे सैन्य हार्डवेयर की आपूर्ति में रूस की मदद की है इसलिए ईरान की यात्रा में पुतिन को किसी भी संकट में नहीं डालने जा रही है.

  • क्या वाकई पुतिन मुकदमे का सामना करेंगे?
  • राष्ट्रपति पुतिन पर मुक़दमा चलाने में दो बड़ी बाधाएं हैं. पहली ये कि रूस आईसीसी के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है और दूसरी ये कि पुतिन को गिरफ्तार किए बिना अदालत उन पर कैसे मामला चला सकती है.
  • इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की स्थापना साल 2002 में हुई थी. इस संधि को रोम संविधि भी कहा जाता है.
  • इसके मुताबिक़ हर देश का ये कर्तव्य है कि वह अंतरराष्ट्रीय अपराधों के लिए ज़िम्मेदार लोगों पर अपने देश का आपराधिक क्षेत्राधिकार लागू करे.
  • आईसीसी सिर्फ वहां हस्तक्षेप कर सकता है जहां कोई देश अपराधियों पर मुकदमा चलाने में असमर्थ या इच्छुक न हो.
  • कुल मिलाकर 123 देश इसका पालन करने के लिए सहमत हुए हैं, वहीं रूस समेत कई देश इसका हिस्सा नहीं हैं.
  • यूक्रेन सहित कुछ देशों ने संधि पर हस्ताक्षर तो किए हैं लेकिन इसे रेटिफ़ाई नहीं किया है.
  • दूसरी बात है कि यह किसी व्यक्ति को कटघरे में खड़ा किए बिना मुक़दमा कैसे चलाया जाएगा. आईसीसी, पुतिन की गैरहाजिरी में मुकदमा नहीं चला पाएगा.
  • उन्हें यूक्रेन से बच्चों के आपराधिक डिपोर्टेशन के मामले में उन्हें दोषी पाया गया है.
  • पहले किन लोगों ने मुक़दमे का सामना किया?
  • मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के लिए लोगों पर मुकदमा चलाने का विचार आईसीसी के बनने से पहले से है.
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद साल 1945 में नूरेमबर्ग मुक़दमा चलाया गया था. ये मुक़दमा नाज़ी जर्मनी में होलोकॉस्ट और दूसरे अत्याचारों के लिए ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ चलाया गया था.
  • इसमें नाज़ी नेता एडोल्फ़ हिटलर के डिप्टी रुडोल्फ़ हेस शामिल थे, जिन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी. हालांकि साल 1987 में उन्होंने खुद ही अपनी जान ले ली थी.
  • बेशक, पुतिन पर वास्तव में मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों का आरोप नहीं लगाया गया है, हालांकि अमेरिकी की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा है कि उनके ख़िलाफ़ ऐसा केस चलना चाहिए.
  • और अगर पुतिन इसके लिए ज़िम्मेदार होते तो यह एक क़ानूनी मुश्किल पैदा करेगा क्योंकि संयुक्त राष्ट्र खुद कहता है, “नरसंहार और युद्ध अपराधों के अलावा मानवता के ख़िलाफ़ अपराध को अंतरराष्ट्रीय क़ानून की एक संधि में नहीं डाला गया है, हालांकि ऐसा करने के लिए कोशिशें की जा रही हैं.”
  • दूसरी संस्थाओं ने भी युद्ध अपराधों के अभियुक्तों को दोषी ठहराने की मांग की है. इसमें यूगोस्लाविया के लिए इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल शामिल हैं, जो संयुक्त राष्ट्र का एक संगठन है. यह 1993 से 2017 तक अस्तित्व में था.
  • इसने 1990 के दशक में बल्कान में संघर्ष के दौरान हुए युद्ध अपराधों में 90 लोगों को दोषी ठहराया था और सज़ा सुनाई थी. इन अभियुक्तों में सबसे बड़ा नाम यूगोस्लाविया के पूर्व राष्ट्रपति स्लोबोदान मिलोसेविच थे, जिनकी साल 2016 में हिरासत के दौरान दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.
  • जहां तक आईसीसी की बात है उसने अब तक पुतिन के अलावा 40 लोगों पर अभियोग चलाया है. ये सभी अफ्रीकी देशों से हैं. उनमें से 17 लोगों को हेग में (जहां आईसीसी है) हिरासत में लिया गया है, 10 लोगों को अपराधों को दोषी ठहराया गया और चार को बरी कर दिया गया है.

यूक्रेन युद्ध पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?

राष्ट्रपति पुतिन के ख़िलाफ़ गिरफ्तारी वारंट एक अंतरराष्ट्रीय संकेत की तरह देखा जा रहा है जो यह बता रहा है कि यूक्रेन में जो हो रहा है वह अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के ख़िलाफ़ है.

कोर्ट का कहना है कि गिरफ्तारी वारंट को इसलिए सार्वजनिक किया गया है क्योंकि ये अपराध अभी भी जारी हैं. ऐसा करने से वह भविष्य में होने वाले युद्ध अपराधों को रोकने की कोशिश कर रहा है.

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेनस्की ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है और इसे ऐतिहासिक फ़ैसला बताया है.

उन्होंने कहा, “आज अंतरराष्ट्रीय न्याय के मामले में महत्वपूर्ण ये फ़ैसला आया है. कोर्ट ने पुतिन के ख़िलाफ़ अरेस्ट वॉरंट जारी किया है, ये एक ऐतिहासिक कदम है जो उनकी ज़िम्मेदारी तय करेगा.”

लेकिन रूस ने इस गिरफ्तारी वारंट को किसी काम का न बताते हुए खारिज कर दिया है.

असल में रूस ने यूक्रेन में किसी भी युद्ध अपराध से इनकार किया है. पुतिन के प्रवक्ता ने आईसीसी के फैसले को अपमानजनक और अस्वीकार्य बताया है.

जिस तरह से रूस से गिरफ्तारी वारंट को खारिज किया है उससे ऐसा लगता है कि आईसीसी की कार्रवाईयों का यूक्रेन में युद्ध पर कोई असर नहीं पड़ेगा और राष्ट्रपति पुतिन का स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन यूक्रेन के लोगों पर अत्याचार करता रहेगा.

  • उन पर बच्चों को जबरन उनके देश से निकालने का आरोप है. जिस वक्त बच्चों को डिपोर्ट किया गया उन्हें चौथे जिनेवा कन्वेन्शन के तहत सुरक्षा दी गई थी.
  • हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि दोषियों की ज़िम्मेदारी तय की जाए और बच्चों को वापिस उनके परिवारों के पास लाया जाए.

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