सूडान में हिंसा के बीच भाड़े के रूसी सैनिक क्या कर रहे हैं?

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DMT : रूस  : (25 अप्रैल 2023) : –

रूस की प्राइवेट आर्मी ‘वागनर ग्रुप’ पर सूडान के साथ व्यावसायिक और सैन्य संबंध रखने के आरोप लगे हैं. हालांकि इस समूह ने सूडान के मौजूदा संकट में किसी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है.

इसके संस्थापक येवगेनी प्रिगोज़िन, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के क़रीबी माने जाते हैं. उन्होंने कहा, “दो साल से ज़्यादा समय से सूडान में कोई भी वागनर सैनिक तैनात नहीं है.”

इस वक्त वागनर सैनिकों के सूडान में होने के हमें कोई सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन सूडान में वागनर समूह की गतिविधियां रही हैं. इस देश में वागनर समूह को अमेरिकी और यूरोपीय संघ की पाबंदियों का सामना भी करना पड़ा है.

पश्चिमी विशेषज्ञों के मुताबिक़, वागनर रूसी सरकार के समर्थन वाला लड़ाकों का समूह है, जो रूसी हितों के लिए काम करते हैं.

इस निजी सेना को एक कंपनी की शक्ल में पुतिन के क़रीबी येवगेनी प्रिगोज़िन फंड करते हैं. एक समय में रेस्तरां चलाने वाले प्रिगोज़िन पर युद्ध अपराध और मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़े आरोप लगते रहे हैं.

सोने के खनन से जुड़े समझौते

साल 2017 में सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति ओमार अल बशीर ने मास्को दौरे के समय रूसी सरकार के साथ कई समझौते किए थे. इन समझौतों में रेड-सी के पास पोर्ट सूडान पर नौसेना का बेस बनाने का समझौता भी शामिल था.

इसके अलावा सूडान के खनिज मंत्रालय के साथ रूसी कंपनी एम इन्वेस्ट के बीच सोने के खनन को लेकर भी रियायती दरों समझौता किया गया था.

अमेरिकी वित्त मंत्रालय का आरोप है कि अफ़्रीका के तीसरे सबसे बड़े सोना उत्पादक देश सूडान में वागनर समूह, एम इन्वेस्ट और उसकी कंपनी मेरो गोल्ड के पीछे सक्रिय है.

अमेरिका के वित्त मंत्री स्टीवन मनूचिन ने 2020 में आरोप लगाते हुए कहा, “येवगेनी प्रिगोज़िन और उनका नेटवर्क सूडान के प्राकृतिक संसाधनों का निजी फ़ायदे के लिए दोहन कर रहा है और दुनिया भर में कुत्सित प्रभाव डाल रहा है.”

अमेरिका ने एम इन्वेस्ट और मेरो गोल्ड पर विशेष रूप से पाबंदियां लगाई थीं. समाचार चैनल सीएनएन की एक इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट के मुताबिक़, सूडान से सोना सेंट्रल अफ़्रीकन रिपब्लिक (CAR) तक जाता है और ये निर्यात सूडान के आधिकारिक व्यापारिक आंकड़ों में दर्ज नहीं होता. सेंट्रल अफ़्रीकन रिपब्लिक यानी सीएआर में वागनर समूह सक्रिय है.

डेली टेलीग्राफ़ की पिछले साल की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, सैन्य एयरपोर्ट के नेटवर्क के ज़रिए भारी मात्रा में सोने की तस्करी भी होती है.

सूडान में ये और क्या-क्या कर रहे हैं?

2017 से, रूसी और अंतरराष्ट्रीय स्रोतों की मदद से सूडान में इन रूसी लड़ाकों के होने की तस्वीरें प्रकाशित हुई हैं. इन तस्वीरों के आधार पर यह दावा किया जाता है कि वागनर सूडान के सैनिकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं या फिर प्रदर्शन दबाने में सूडान के सैनिकों की मदद कर रहे हैं. हालांकि बीबीसी स्वतंत्र रूप से इन तस्वीरों की विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता है.

2021 में वागनर समूह से संबंधित एक टेलीग्राम चैनल में एक शीर्ष वैगनर कमांडर की तस्वीर प्रकाशित हुई जिसमें वे सूडानी सैनिकों को प्रतीक चिह्न भेंट करते नजर आ रहे थे. ये भी कहा गया है कि ये तस्वीर दो साल पहले यानी 2019 की थी.

जुलाई, 2022 में इसी चैनल से एक वीडियो शेयर किया गया जिसमें वागनर लड़ाके सूडानी सैनिकों को पैराशूट से लैंड करने की ट्रेनिंग देते दिखाई दिए. इस चैनल से एक इंस्टाग्राम प्रोफ़ाइल के बारे में भी जानकारी मिली, जो किसी अनाम रूसी लड़ाके का था. इसने खुद को फ्रीलांसर बताते हुए अगस्त से अक्टूबर, 2021 तक सूडान में अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की कहानियां साझा की थी.

2020 में वागनर समूह की प्रोपगैंडा एक्शन फ़िल्म में भी दावा किया गया कि लड़ाके सूडान में सक्रिय हैं.

वागनर समूह कितना प्रभावशाली?

अमेरिकी वित्त मंत्रालय का दावा है कि सूडान में वागनर समूह ने सैन्य अभियान चलाया है, सूडान की सरकार के दबदबे को बनाए रखने में मदद की है और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया है.

ब्रिटेन स्थित रॉयल यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट की डॉ. जोआना डि डियस पेरेयरा बताती हैं, “शुरुआती दौर यानी 2018 में कम से कम वागनर समूह के 100 लड़ाके सूडानी सैनिकों को सक्रिय तौर पर प्रशिक्षण दे रहे थे, यह संबंध वहां से आगे ही बढ़ा होगा.”

सूडान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन लड़ाकों की संख्या 500 हो चुकी है और इनका ठिकाना मुख्य रूप से सूडान और सेंट्रल अफ्रीक़न रिपब्लिक की सीमा से सटे दक्षिणी पश्चिमी शहर उम डफ़क में है.

‘सूडान ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक जब राष्ट्रपति बशीर को 2019 में लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था तब रूसी लड़ाकों की तैनाती विरोध प्रदर्शन पर निगरानी करने के लिए हुई थी, इसके अलावा उन्हें सूडान की खुफ़िया सुरक्षा सेवाओं में तैनात किया गया था, हालांकि सूडान के अधिकारियों ने इससे इनकार किया था.

बदलती वफ़ादारी का दौर

अफ्रीका में रूस की गतिविधियों के बारे में एक किताब के लेखक डॉ सैमुअल रमानी के मुताबिक़, वागनर समूह ने राष्ट्रपति बशीर को सत्ता में बनाए रखने के लिए मीडिया अभियान भी चलाया.

रमानी कहते हैं, “प्रिगोज़िन, विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को इसराइल समर्थक और इस्लाम विरोधी ठहराने का आरोप लगा रहे थे.”

इसके चलते राष्ट्रपति के अपने सुरक्षा बल में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई और वागनर समूह ने जनरल अब्दल फ़तह अल बुरहान को समर्थन देना शुरू किया, जिन्होंने बशीर को सत्ता से हटाया.

डॉ. रमानी कहते हैं, “रूस का विदेश मंत्रालय ऐसे किसी तख्तापलट के पक्ष में नहीं था लेकिन प्रिगोज़िन और उनके वागनर समूह ने बुरहान के सत्ता में आने का स्वागत किया.”

डॉ. रमानी के दावे के मुताबिक़, 2021 और 2022 में वागनर समहू के लड़ाकों ने रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ़) के साथ अपने रिश्ते को बढ़ाना शुरू किया. आरएसएफ़ ही इन दिनों जनरल बुरहान के नेतृत्व वाली सूडान की सेना से युद्ध कर रहा है.

ये भी कहा जाता है कि प्रिगोज़िन की दिलचस्पी आरएसफ़ नेता मोहम्मद हमदान डगालो जो हेमेदती के नाम से मशहूर हैं, के नियंत्रण वाले सोने की खदानों से ज़्यादा सोना निकालने की है.

पिछले साल हेमेदती ने मास्को का दौरा भी किया था और कहा था कि उन्हें सूडान और रूस के रिश्तों को मज़बूत होने की उम्मीद है.

हालांकि सूडान के मामलों पर नज़र रखने वाले थिंक टैंक ‘कंफ्लूएंश एडवाइज़री’ की खोलूद खैर के मुताबिक़, मौजूदा संघर्ष में वागनर समूह किसी का पक्ष नहीं ले रहा है.

खोलूद कहती हैं, “वागनर समूह का संबंध दोनों गुट यानी जनरल अल-बुरहान और हेमेदती समूह से अलग-अलग रूप में और अलग-अलग तरीक़ों से हो रहा है.”

अफ़्रीका के अन्य देशों में वागनर ग्रुप की मौजूदगी

पिछले कई सालों से वागनर लड़ाकों के सेंट्रल अफ्रीक़न रिपब्लिक में मौजूद होने की रिपोर्टें प्रकाशित होती रही हैं. कहा जाता है कि ये लड़ाके वहां के हीरे की खदानों की सुरक्षा करने के साथ-साथ लीबिया और माली में भी सक्रिय हैं.

2021 की बीबीसी की एक पड़ताल के दौरान वागनर लड़ाकों के लीबिया के गृह युद्ध में शामिल होने के सबूत मिले थे. वागनर लड़ाके, उस डिज़िटल डिवाइस के ज़रिए लीबियाई सैनिकों और नागरिकों से बात कर रहे थे, जो वे इन लोगों के पास छोड़ गए थे.

माली में सरकार ने इस्लामी चरमपंथियों पर क़ाबू पाने के लिए वागनर समूह से मदद ली है, हालांकि आधिकारिक तौर पर देश में समूह की मौजूदगी को कभी स्वीकार नहीं किया गया है.

ह्यूमन राइट्स वाच (एचआरडब्ल्यू) ने रूसी लड़ाकों पर सेंट्रल अफ़्रीकन रिपब्लिक और माली में मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघन, लोगों की प्रताड़ना और हत्या तक आरोप लगाया है.

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