512 किलो प्याज़ बेच कर महज दो रूपये पाने वाले किसान की कहानी

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DMT : महाराष्ट्र  : (27 फ़रवरी 2023) : –

महाराष्ट्र समेत पूरे देश में बीते दो दिनों से सोशल मीडिया पर सोलापुर के किसान राजेंद्र चव्हाण की चर्चा हो रही है.

चर्चा की वजह ये है कि मंडी में 512 किलो प्याज़ बेचने के बाद भी उन्हें केवल दो रूपये का चेक मिला और उसे कैश कराने के लिए भी उन्हें कुछ दिन बाद मंडी में आना होगा.

महाराष्ट्र के बजट सत्र की पूर्व संध्या पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्ष के नेता अजित पवार ने भी इसका जिक्र किया. वहीं दूसरी राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राजेंद्र चव्हाण को दो रुपये का चेक देने वाले सूर्या ट्रेडर्स का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है.

बजट सत्र की पूर्व संध्या पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए फडणवीस ने कहा, “राजेंद्र चव्हाण ने 512 किलो प्याज़ बेचा. कीमत ऊपर और नीचे जाती है. लेकिन उन्हें दो रुपये मिले. परिवहन लागत काट ली गई. ऐसा नहीं होना चाहिए था. सूर्या ट्रेडर्स का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है.”

दरअसल महाराष्ट्र में इन दिनों थोक बाज़ार में प्याज़ छह से सात रुपये प्रति किलो और खुदरा बाज़ार में 20 से 30 रुपये प्रति किलो की दर से मिल रहा है.

लेकिन फरवरी के अंत में मानसूनी प्याज़ की आवक हो जाती है. नमी के कारण इस प्याज़ को स्टोर करके नहीं रखा जा सकता है. घरेलू उपयोग के लिए स्टोर करने के लिए केवल सूखे प्याज़ की ज़रूरत होती है. मानसूनी प्याज़ की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली और इसकी चपेट में राजेंद्र चव्हाण आ गए.

  • सोलापुर ज़िले के बरशी तालुका के बोरगाँव गाँव के राजेंद्र तुकाराम चव्हाण ने दस बोरी प्याज़ बेचा और मंडी में उन्हें परिवहन, ढुलाई और तौल करने का पैसा काटने के बाद दो रूपये का चेक दिया गया.
  • चव्हाण ने दो एकड़ खेत में प्याज़ लगाया था. 17 फरवरी को राजेंद्र 10 बोरी प्याज़ सोलापुर के सूर्या ट्रेडर्स के पास ले गए.
  • दस बोरी प्याज़ का वजन 512 किलो था. लेकिन मानसूनी प्याज़ की कीमतों में गिरावट की वजह से राजेंद्र को एक रुपये प्रति किलो के भाव मिले. वाहन किराया, हमाली और तुलाई के पैसे काटकर दो रुपये का चेक उन्हें दिया गया.
  • कृषि उपज मंडी समिति के व्यापारी सूर्या ट्रेडर्स ने राजेंद्र को दो रुपए का चेक दिया. यह चेक आठ मार्च 2023 का है. उन्हें इस दो रुपये के चेक को भुनाने के लिए वापस इसी केंद्र पर आना होगा.
  • प्रति एकड़ 60-70 हज़ार की लागत
  • राजेंद्र चव्हाण को एक कारोबारी से महज दो रुपये का चेक मिलने की ख़बर और उससे जुड़ी तस्वीरें हर तरफ वायरल हो रही हैं. बीबीसी मराठी ने घटना के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए राजेंद्र चव्हाण से संपर्क किया.
  • राजेंद्र चव्हाण ने इस बारे में कहा, “मैंने जो प्याज़ भेजा था, वह नंबर वन क्वालिटी का था. मुझे उम्मीद थी कि यह आठ से 10 रुपये प्रति किलो के भाव में बिकेगा. लेकिन वास्तव में मुझे प्रति किलो एक ही रुपये का भाव मिला. इससे मेरा ख़र्चा नहीं निकला, मुझे इस बात का बहुत दुख हुआ है.”
  • राजेंद्र चव्हाण का पूरा परिवार कृषि व्यवसाय में है. उनके परिवार में पत्नी, दो बच्चे, बहू और पोते-पोतियां हैं. चव्हाण ने कहा कि इस घटना से उनके पूरे परिवार को बहुत दुख हो रहा है.
  • चव्हाण ने प्याज़ की लागत के बारे में बताया, “प्याज़ के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज 1,800 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलते हैं. प्रति एकड़ कुल ढाई किलो बीज की आवश्यकता होती है. इसकी लागत 4,500 रुपये है. उसके बाद बुवाई, निराई, कटाई, खाद और श्रम आदि का खर्च मिलाकर कुल 60-70 हज़ार रुपये तक ख़र्च पहुंच जाता है. इस प्रक्रिया में लगभग चार महीने भी लगते हैं.”
  • फसल कटने के बाद उसे मार्केट कमेटी को भेजने का ख़र्चा भी अलग है. इसे समझाते हुए चव्हाण ने कहा, “प्रति एकड़ 132 बोरी उपज मिलती है.एक बोरी में आमतौर पर 50 किलो प्याज़ होता है. ये बोरियां 350 रुपये प्रति बोरी के भाव बेची जाती हैं. इन बोरियों को एक ट्रक में लोड करने की लागत दस रुपये प्रति बोरी है, जबकि परिवहन लागत 40 रुपये प्रति बोरी है.”
  • व्यापारियों को माल पहुँचाने के बाद माल की तुलाई, ढुलाई आदि की जाती है. संबंधित खर्चे काटने के बाद शेष पैसा किसानों को दे दिया जाता है. उन्होंने बताया, “हमने पहले 6-7 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा था. लेकिन हमने यह माल दूसरे वाहन से भेजा था. चूंकि यह प्रोडक्ट नंबर वन क्वालिटी का है तो हमने सोचा कि इसकी अच्छी क़ीमत भी मिलेगी.”
  • चव्हाण कहते हैं, “यदि हमें पता होता कि हमें यह क़ीमत मिलेगी तो हम इसे खेत में ही सड़ने के लिए छोड़ देते. इससे हमें भारी नुकसान हुआ है.”
  • राजेंद्र चव्हाण की मांग है कि ऐसी स्थिति में सब्सिडी देकर किसानों की मदद करनी चाहिए.
  • न केवल उत्पादन की लागत, बल्कि ट्रैक्टर के भुगतान की लागत को देखते हुए नैताले के किसान सुनील रतन बोरगुडे ने दो एकड़ में लगाए गए प्याज़ को मिट्टी में ही छोड़ दिया.
  • इलाके के कई किसानों को ऐसी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और उनकी शिकायत ये है कि सरकार इस मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं दे रही है.
  • किसानों की आंखों में आंसू
  • किसानों के संगठन स्वाभिमानी शेतकर संगठन के प्रमुख राजू शेट्टी कहते हैं, “देखिए राजेंद्र तुकाराम चव्हाण को सोलापुर मार्केट कमेटी में 10 बोरी प्याज़ बेचने पर कितना पैसा मिला?”
  • “बेशर्म व्यापारी को दो रुपये का चेक देने में शर्म कैसे नहीं आयी? सरकारों को शर्म नहीं आ रही है, ऐसी स्थिति में किसान कैसे रहेगा, बताइए?”
  • बाज़ार में प्याज़ का दाम कम होने से आम उपभोक्ताओं को फ़ायदा ज़रूर हो रहा है लेकिन किसान की आंखों से आंसू निकल रहे हैं.

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