उत्तर प्रदेशः कांवड़ियों पर लाठीचार्ज, एसएसपी का तबादला, पुलिसकर्मी निलंबित

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DMT : बरेली  : (31 जुलाई 2023) : –

उत्तर प्रदेश के बरेली में कांवड़ियों पर लाठीचार्ज के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का तबादला कर दिया गया है.

बरेली के एसएसपी प्रभाकर चौधरी का तबादला 32वीं वाहिनी पीएसी, लखनऊ कर दिया गया है.

रविवार देर रात 14 आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए गए, इनमें प्रभाकर चौधरी भी शामिल हैं.

तबादले के बाद प्रभाकर चौधरी ने कोई टिप्पणी नहीं की है. बीबीसी ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिल पाया है.

ऐसा माना जा रहा है कि रविवार के घटनाक्रम के बाद प्रभाकर चौधरी का तबादला किया गया. सोशल मीडिया पर कई लोग यही सवाल उठा रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी ने ट्विटर पर लिखा है, “क़ानून और संविधान का पालन करने पर ट्रांसफ़र ?”

रविवार को बरेली के बारादरी थाना क्षेत्र के नवादा इलाक़े में शाही नूरी मस्जिद के सामने कांवड़िये धरने पर बैठ गए.

रिपोर्टों के मुताबिक़ कांवड़िये मस्जिद के बाहर से जुलूस निकालना चाहते थे लेकिन स्थानीय आबादी और प्रशासन ने इसका विरोध किया.

घटनाक्रम के बारे में मीडिया से बात करते हुए एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने रविवार को कहा था, “सुबह से यहां पर समझाया जा रहा था कि ये जुलूस ग़ैर परंपरागत है और आगे दूसरे संप्रदाय की आबादी पड़ती है. एक ईगो का लोगों ने माहौल बना लिया. हम यहां पहुंचे और समझाते रहे. दूसरे पक्ष से कहकर वार्ता भी कराई गई.”

प्रभाकर चौधरी ने कहा, “दोबारा जब वार्ता हो रही थी तब कुछ ख़ुराफाती तत्व उसमें शामिल हो गए. ये आशंका है कि उसमें कुछ शराबी भी थे. ज़बरदस्ती जुलूस को निकालने की कोशिश की गई. ये जुलूस अगर ग़ैर परंपरागत तरीक़े से निकलता तो आगे और भी दिक्कत हो सकती थी.”

“हमने काफ़ी समझाया लेकिन ये लोग आक्रोशित हो गए. ये लगा कि इससे शांति भंग हो सकती है, जब चार घंटे तक समझाने के बाद ये नहीं माने और अभद्रता करने लगे, तब पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया.”

एसएसपी ने बताया, “ये भी पता चला है कि कुछ लोगों के पास अवैध हथियार भी थे. भीड़ को तितर-बितर करने के बाद शांति स्थापित की जा रही है. हम सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उपद्रवियों को पहचानेंगे और मुक़दमा लिखने की तैयारी की जा रही है.”

उन्होंने कहा, “कैमरे लगे हुए हैं, घटना के वीडियो हमारे पास हैं, हम वीडियो के ज़रिये उपद्रवियों की पहचान करेंगे और कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.”

वहीं घटना के बाद मीडिया से बात करते हुए बरेली के ज़िलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी ने कहा, “नवादा बारादरी क्षेत्र में मंदिर पर जाने के लिए कांवड़ियों का एक जत्था गैर-परंपरागत रूप से निकलने का प्रयास कर रहा था.”

“कल भी उन्हें समझाया गया था कि ये आपका रूट नहीं है. ना उनके पास इस जुलूस को निकालने की अनुमति थी, ना ही कोई पुराना ऐसा वीडियो था जिससे पता चलता कि वो पहले भी यहां निकलते रहे हैं.”

ज़िलाधिकारी ने कहा, “इन्हें बहुत समझाया गया कि आप इधर से ना जाएं, अगर जाना चाहते हैं तो शांतिपूर्वक जायें, लेकिन ये अड़ गए थे, इनमें बहुत से लोग ऐसे थे जो किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थे. शुरू में इनके साथ कुछ धार्मिक नेता थे, लेकिन बाद में ये भीड़ नेतृत्वविहीन हो गई.”

“बहुत तेज़ आवाज़ में ये डीजे बजा रहे थे, किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थे. उल्टे-सीधे नारे लगा रहे थे. इसलिए हल्का बल प्रयोग करके इन्हें तितर बितर कर दिया गया है. शांति बनाये रखने के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिए गए हैं.”

ज़िलाधिकारी ने शांति की अपील करते हुए कहा, “लोग शांतिपूर्वक परंपरागत तरीके से जलाभिषेक करें, आपत्तिजनक नारेबाज़ी ना करें.”

रविवार शाम पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया था. हालांकि बाद में इन्हें छोड़ दिया गया.

क्या कहना है हिंदू संगठन का?

वहीं हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने उत्तेजक नारेबाज़ी करने और माहौल ख़राब करने के आरोपों को खारिज किया है.

बीबीसी से बात करते हुए करणी सेना के ज़िलाध्यक्ष ठाकुर राहुल सिंह ने कहा, “कांवड़िए जलाभिषेक के लिए जा रहे थे जब दूसरे पक्ष ने उनका रास्ता रोक लिया. इसकी जानकारी प्रशासन को दी गई.”

राहुल ठाकुर ने कहा, “पिछले सप्ताह भी यहां से कांवड़ निकली थी, तब कांवड़ियों पर पथराव हुआ था. पुलिस सुरक्षा में तब कांवड़ यहां से निकली थी.”

राहुल ठाकुर का आरोप है कि रविवार को हुए लाठीचार्ज में कुछ कांवड़ियों को चोट भी आई है.

उन्होंने कहा, “हिंदू संगठन इसी रास्ते से कांवड़ निकालना चाहते हैं. अभी भी कांवड़िये यहां से निकलने की तैयारी कर रहे हैं.”

वहीं स्थानीय मुस्लिम नेता नफ़ीस ख़ान ने बीबीसी से बातचीत करते हुए कहा, “ये ज़बरदस्ती कांवड़ यात्रा निकलना चाह रहे थे, जिसका मुस्लिम समुदाय ने ये कहकर विरोध किया कि ये परंपरागत रास्ता नहीं है, यहां से जुलूस निकलने से नई परंपरा पड़ेगी और आगे इसे लेकर टकराव भी हो सकता है. जब कांवड़िए जुलूस निकालने पर अड़ गए तो मुसलमान पक्ष के लोग भी धरने पर बैठ गए.”

पुलिस प्रशासन ने दोनों पक्षों से वार्ता करके बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की थी. नफ़ीस ख़ान भी इस वार्ता में शामिल थे.

नफ़ीस ख़ान बताते हैं, “सत्ता का इतना दबाव है कि अधिकारी मुसलमानों से बोले कि इन्हें यहां से निकल जाने दो, हमने ये तय किया कि अगर ये जेनरेटर बंद करके और डीजे बंद करके निकलना चाहें तो आगे निकल जाएं. ज़िलाधिकारी इस बात पर राजी हो गए. स्थानीय मुसलमान इसे लेकर तैयार नहीं हो रहे थे, लेकिन हमने उन्हें समझाया और वो आख़िरकार मान गए.”

नफ़ीस बताते हैं, “प्रदर्शन कर रहे मुसलमान अपने घर चले गए. प्रशासन ने जब कांवड़ियों से ख़ामोशी से पुलिस सुरक्षा में जाने के लिए कहा तो वो इस पर नहीं माने और नारेबाज़ी करने लगे. कांवड़ियों का कहना ये था कि हम डीजे बजाते हुए और नारे लगाते हुए जाएंगे.”

एसएसपी प्रभाकर चौधरी के बारे में नफ़ीस ख़ान कहते हैं, “वो धर्मनिरपेक्ष पुलिस अधिकारी हैं. जब उन्होंने देखा कि एक पक्ष माहौल ख़राब करने पर आमादा है तो उन्होंने लाठीचार्ज का आदेश दिया. इस दौरान पुलिस ने कई उपद्रवियों को पकड़ा भी था, लेकिन इसका नतीजा ये हुआ कि इस घटनाक्रम के कुछ देर बाद ही प्रभाकर चौधरी का तबादला कर दिया गया और उपद्रवियों को छोड़ दिया गया.”

स्थानीय संवाददाता पवन कुमार कश्यप के मुताबिक़ कांवड़ निकाले जाने को लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए थे. मुसलमान महिलाओं ने भी धरना दिया. आख़िरकार जब हालात नहीं संभले तो पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.

प्रभाकर चौधरी ने मीडिया से बातचीत में बताया था कि एफ़आईआर दर्ज की जा रही है और सख़्त कार्रवाई की जाएगी.

इस घटना के संबंध में सोमवार सुबह तक कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं की गई है और जिन युवकों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था उन सभी को छोड़ दिया गया है. बरेली के एसपी सिटी राहुल भाटी के मुताबिक अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है.

बारादरी थाने के एसएचओ को भी घटना के बाद निलंबित कर दिया गया है.

राहुल भाटी के मुताबिक एसएचओ समेत दो पुलिसकर्मियों को इस घटना के बाद निलंबित किया गया है.

हालांकि बारादरी थाने के एसएचओ ने बताया कि उन्हें अभी निलंबन का आदेश नहीं मिला है.

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