किम जोंग-पुतिन: पश्चिम को किस बात का डर सता रहा है?

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DMT : उत्तर कोरिया : (17 सितंबर 2023) : –

उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की मुलाक़ात चमचमाते स्पेस सेंटर, वास्तोचनी कोस्मोड्रोम में हुई.

शानदार भोज में दोनों ने रूसी वाइन पी और अलग-थलग पड़े एक दूसरे के मुल्कों की खुशहाली की कामना की.

यहां से रवाना होने से पहले दोनों नेताओं ने एक दूसरे को गिफ्ट के तौर पर मॉडल राइफ़लें दीं. 

रूस के सुदूर पूर्वी इलाक़े में किम और पुतिन की मुलाक़ात की तस्वीरें साफ़ तौर पर दोनों देशों में करीबी रिश्ते को दर्शाती हैं.

लेकिन अभी ये दौरा ख़त्म नहीं हुआ है. उत्तर कोरिया के शीर्ष नेता लौटने से पहले कई दिनों तक बंदरगाहों, विमान निर्माण की फ़ैक्ट्रियों और अन्य सैन्य ठिकानों का दौरा करने वाले हैं.

इस दौरे से अंतरराष्ट्रीय जगत में बड़ी हलचल देखने को मिल रही है. स्पेस सेंटर वास्तोचनी कोस्मोड्रोम पहुंचने से पहले किम ने बख़्तरबंद ट्रेन से 40 घंटे तक यात्रा की और पश्चिम को सस्पेंस में रखा.

इसके अलावा ये भी साफ़ नहीं था कि दोनों नेताओं के बीच क्या बात होने वाली है, जबकि पिछले हफ़्ते ही अमेरिका ने आशंका जताई थी कि उत्तर कोरिया रूस को हथियार दे सकता है और इसे खतरे की घंटी के तौर पर देखा गया. 

जब किम की ट्रेन स्पेस सेंटर पहुंची तो पुतिन ने एक स्वागत पार्टी रखी थी. लाल कालीन पर उनका स्वागत हुआ.

अपनी लंबी कार लीमोज़ीन से जब किम पहुंचे तो सेंटर के बाहर पुतिन इंतज़ार कर रहे थे.

कैमरे की चमक के बीच दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया और इन तस्वीरों को तुरंत सरकारी मीडिया में प्रसारित किया गया.

दोनों नेता दिखावे की ताक़त को अच्छी तरह जानते हैं, लेकिन किम को समारोह पसंद है. किम, उत्तर कोरिया के शीर्ष नेताओं के वंश की तीसरी पीढ़ी के सुप्रीम लीडर हैं.

शेफ़ील्ड यूनिवर्सिटी में उत्तर कोरिया मामलों के एक्सपर्ट सारा सन का कहना है, “इस वंश के इर्द गिर्द पीढ़ियों तक मिथ गढ़ा गया था.”

उनके अनुसार, “घरेलू दर्शक जब टेलीविज़न देख रहे हों या अख़बार पढ़ रहे हों तो ऐसा नहीं लगना चाहिए कि ये कोई मामूली दौरा है.”

“दूसरे देश के नेताओं से किम की व्यक्तिगत मुलाक़ात ऐसे लगे जैसे कि उत्तर कोरिया एक महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी है.”

उनके मुताबिक, “स्वाभाविक है कि प्रतिबंध कड़े बने हुए हैं और रूस को हथियारों की ज़रूरत है और यह मकसद साधने का मौका है, वहीं उत्तर कोरियाई सरकार के लिए यह आमदनी हासिल करने और इस बात का सबूत कि किम एक वैश्विक महाशक्ति के नेता की तवज्जो पाने के लायक हैं.”

जब ये दोनों नेता मिले, उससे एक घंटे पहले प्योंगयांग ने दो बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च किया था. पहली बार ऐसा सुप्रीम लीडर की गैर मौजूदगी में हुआ.

सियोल में एव्हा यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर लीफ़-एरिक एस्ली का कहना है, “इस मुलाकात ने यूरोप और एशिया में अलग-थलग पड़ी दो सरकारों को जोड़ा है.”

लेकिन इस तड़क भड़क से अलग, विश्लेषक इस मुलाक़ात के किसी ठोस नतीजे पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. हालांकि सार्वजनिक रूप से बहुत कुछ बताया नहीं गया है.

सियोल में कूकमिन यूनिवर्सिटी में उत्तर कोरिया मामले पर शोध करने वाले फ़्योदोर टर्टिट्स्की का कहना है, “अभी तक ऐसा लगता है कि सार्वजनिक रूप से कोई बहुत उपलब्धि नहीं हासिल हो पाई है.”

“दो तरह के कार्यक्रम हैं- एक है शानदार और भव्य स्वागत, जो ख़ास तौर पर विदेशी दर्शकों के लिए डिज़ाइन किया हुआ है और दूसरा है कि बंद दरवाज़े के भीतर समझौते, जिनकी अहमियत बनी रहेगी.”

हथियारों के किसी सौदे का अभी तक कोई पता नहीं चला है, जिसके बारे में पश्चिम चिंता जता रहा था कि यूक्रेन में रूस की लड़ाई के लिए उत्तर कोरिया हथियार दे सकता है.

रूस क्या मदद कर सकता है?

अभी तक जो कुछ पता चल पाया है वो है पुतिन का ये संकेत देना कि उत्तर कोरिया के अंतरिक्ष कार्यक्रमों और सैटेलाइट मकसद में रूस मदद कर सकता है.

जानकारों का कहना है कि स्वागत की जगह के चुनाव से कुछ बातें साफ़ होती हैं. दोनों नेता लंबी दूरी तय कर मॉस्को से काफ़ी दूर स्थित स्पेस सेंटर पहुंचे थे.

लेकिन जानकारों का ये भी कहना है कि स्पेस सेंटर पर हुई मुलाक़ात पुतिन के लिए अहम छवि बनाती है.

पहला, अंतरिक्ष कार्यक्रमों में मदद की पेशकश असल में उस स्वीकार्य सीमा के भीतर है जो रूस, उत्तर कोरिया को दे सकता है.

इस साल प्योंगयांग अपनी दो जासूसी सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजने में असफल रहा है. इसका मतलब ये है कि उसकी टेक्नोलॉजी काफी पीछे है, जिसमें उसे रूस की मदद चाहिए.

रूस के लिए, उत्तर कोरिया को अंतरिक्ष में जासूसी सैटेलाइट स्थापित करने में मदद करना, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित न्यूक्लियर और मिसाइल कार्यक्रमों में मदद करने से बिल्कुल अलग है.

लेकिन समस्या फिर वही है कि हम नहीं जानते कि उत्तर कोरिया को क्या वादा किया गया है.

अमेरिका को खतरा

उत्तर कोरिया के पास परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है, जो सैद्धांतिक तौर पर अमेरिका तक पहुंच सकती है.

हालांकि मौजूदा समय में ये अभी संभव नहीं है क्योंकि उत्तर कोरिया अभी ये टेक्नोलॉजी नहीं विकसित कर पाया है कि हवा में रहने के दौरान उसे नष्ट होने से कैसे बचाया जाएगा.

जबकि रूस और अमेरिका अपने मिसाइल को उसी टेक्नोलॉजी से सुरक्षित रखना जानते हैं जिससे वो अपने सैटेलाइट सुरक्षित रखते हैं.

अगर रूस, उत्तर कोरिया को इस टेक्नोलॉजी को देता है, तो अमेरिका हमले की जद में आ सकता है.

प्रोफ़ेसर एस्ली का कहना है कि स्पेस सेंटर पर ये मुलाक़ात ऐसी है जैसे “पुतिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को मुंह चिढ़ा रहे हों.”

उन्होंने कहा, “उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों को और कड़ा करने के लिए, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के लिए ये एक और ख़तरे की घंटी है.”

लेकिन इस पर पर्याप्त संदेह बना हुआ है कि क्या रूस अपने अत्याधुनिक अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी को साझा करता है या उत्तर कोरिया के हथियारों को बैकअप सप्लाई से ज्यादा काम का समझता है.

टेर्टिट्स्की कहते हैं, “सैटेलाइट टेक्नोलॉजी को लेकर भी पुतिन का बयान बहुत सधा हुआ लगता है क्योंकि वो मदद मुहैया कराने का कोई स्पष्ट वादा नहीं करते हैं बल्कि वो ये जता रहे हैं कि इस पर भी वो विचार कर सकते हैं.”

रूस के साथ कितना व्यापार

दक्षिण कोरिया के अनुमान के मुताबिक, हथियारों को लेकर सौदेबाज़ी पर इतनी चहल-पहल के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग शून्य है.

उत्तर कोरिया अपनी 95% व्यापारिक आमदनी के लिए चीन पर निर्भर करता है.

वो कहते हैं, “इसी वजह से हमें इस पर आशंका है कि इस मीटिंग का कोई ठोस हल निकलेगा, जैसे कि 2019 में मीटिंग बेनतीजा रही थी.”

उनका इशारा उस ओर था जब पिछली बार दोनों नेता मिले थे.

इस बात को चार साल हो चुके हैं लेकिन किम का ये दुर्लभ दौरा गुमनामी में नहीं होना चाहिए.

किम का भी पिछले चार साल में पहला ऐसा दौरा है, क्योंकि उत्तर कोरिया ने भी महामारी के बाद अब ढील देना शुरू किया है.

इस मीटिंग पर करीब से नजर रखने वालों का कहना है कि पुतिन ने ये सुनिश्चित किया कि उनका स्वागत भव्य तरीके से हो.

ये मीटिंग व्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फ़ोरम की बैठक के दौरान भी हो सकती थी, जिसमें पहले भी चीन और दक्षिण कोरिया के नेता शामिल हो चुके हैं.

इसकी बजाय उन्होंने किम को एक दूसरी जगह अहमियत देने का फैसला किया और पूरे सम्मान के साथ, लाल कालीन पर, शानदार डिनर के साथ, बैंड बाजा और मिलने के लिए खुद चलकर जाना.

टेर्टिट्स्की के अनुसार, “ये किम के प्रति सम्मान का सूचक है. ये ऐसा भाव है जिससे लगे कि किम खुद को अहम महसूस कर सकें.”

लेकिन वो ये भी कहते हैं कि ये पश्चिम को संदेश देने के लिए भी है और उन्हें सस्पेंस में रखने के लिए भी.

लेकिन इस रिश्ते में, इस बात पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि आखिरकार दोनों पक्ष क्या करते हैं.

उनके मुताबिक, “किम और पुतिन भ्रमित करने में माहिर हैं. एक बार फिर, उनके शब्दों की बजाय उनकी ठोस कार्यवाहियों पर नज़र रखना ज़रूरी है.”

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